सतत और व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) का मुख्य उद्देश्य ________ है।
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सारा संसार नीले गगन के तले अनंत काल से रहता आया है । हम थोड़ी दूरी पर ही देखते हैं क्षितिज तक, जहाँ धरतीऔरआकाश हमें मिलते दिखाई देते हैं । लेकिन जब हम वहाँ पहुँचते हैं, तो यह नज़ारा आगे खिसकता चला जाता है, और इस नज़ारे का कोई ओर-छोर हमें नहीं दिखाई देता है । ठीक इसी तरह हमारा जीवन भी है ।
ज़िंदगी की न जाने कितनी उपमाएँ दी जा चुकी हैं, लेकिन कोई भी उपमा पूर्ण नहीं मानी गई, क्योंकि जिदगी के इतने पक्ष हैं कि कोई भी उपमा उस पर पूरी तरह फ़िट नहीं बैठती । बर्नार्ड शॉ जीवन को एक खुली किताब मानते थे, और यह भी मानते थे कि सभी जीवों को समान रूप से जीने का हक़ है । वह चाहते थे कि इंसान अपने स्वार्थ में अंधा होकर किसी दूसरे जीव के जीने का हक न मारे । यदि इंसान ऐसा करता है, तो यह बहुत बड़ा अन्याय है । हमारे विचार स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम दूसरों को उसके जीने के हक़ से वंचित करें ।
यह खुला आसमान, यह प्रकृति और यह पूरा भू -मंडल हमें दरअसल यही बता रहा है कि हाथी से लेकर चींटी तक, सभी को समान रूप से जीवन बिताने का हक़ है । जिस तरह से खुले आसमान के नीचे हर प्राणी बिना किसी डर के जीने , साँस लेने का अधिकारी है, उसी तरह से मानव-जाति का स्वभाव भी होना चाहिए कि वह अपने जीने के साथ दूसरों से उनके जीने का हक न छीने । यह आसमान हमें जिस तरह से भय से छुटकारा दिलाता है, उसी तरह से हमें मानव-जाति से उन जीवों को डर से छुटकारा दिलाकर उन्हें जीने के लिए पूरा अवसर देना चाहिए । दूसरों के जीने के हक़ को छीनने से बड़ा अपराध या पाप कुछ नहीं हो सकता ।
Q. 'क्षितिज' किसे कहते हैं?
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सारा संसार नीले गगन के तले अनंत काल से रहता आया है । हम थोड़ी दूरी पर ही देखते हैं क्षितिज तक, जहाँ धरतीऔरआकाश हमें मिलते दिखाई देते हैं । लेकिन जब हम वहाँ पहुँचते हैं, तो यह नज़ारा आगे खिसकता चला जाता है, और इस नज़ारे का कोई ओर-छोर हमें नहीं दिखाई देता है । ठीक इसी तरह हमारा जीवन भी है ।
ज़िंदगी की न जाने कितनी उपमाएँ दी जा चुकी हैं, लेकिन कोई भी उपमा पूर्ण नहीं मानी गई, क्योंकि जिदगी के इतने पक्ष हैं कि कोई भी उपमा उस पर पूरी तरह फ़िट नहीं बैठती । बर्नार्ड शॉ जीवन को एक खुली किताब मानते थे, और यह भी मानते थे कि सभी जीवों को समान रूप से जीने का हक़ है । वह चाहते थे कि इंसान अपने स्वार्थ में अंधा होकर किसी दूसरे जीव के जीने का हक न मारे । यदि इंसान ऐसा करता है, तो यह बहुत बड़ा अन्याय है । हमारे विचार स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम दूसरों को उसके जीने के हक़ से वंचित करें ।
यह खुला आसमान, यह प्रकृति और यह पूरा भू -मंडल हमें दरअसल यही बता रहा है कि हाथी से लेकर चींटी तक, सभी को समान रूप से जीवन बिताने का हक़ है । जिस तरह से खुले आसमान के नीचे हर प्राणी बिना किसी डर के जीने , साँस लेने का अधिकारी है, उसी तरह से मानव-जाति का स्वभाव भी होना चाहिए कि वह अपने जीने के साथ दूसरों से उनके जीने का हक न छीने । यह आसमान हमें जिस तरह से भय से छुटकारा दिलाता है, उसी तरह से हमें मानव-जाति से उन जीवों को डर से छुटकारा दिलाकर उन्हें जीने के लिए पूरा अवसर देना चाहिए । दूसरों के जीने के हक़ को छीनने से बड़ा अपराध या पाप कुछ नहीं हो सकता ।
Q. यदि किसी का ओर-छोर नहीं है, तो-
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सारा संसार नीले गगन के तले अनंत काल से रहता आया है । हम थोड़ी दूरी पर ही देखते हैं क्षितिज तक, जहाँ धरतीऔरआकाश हमें मिलते दिखाई देते हैं । लेकिन जब हम वहाँ पहुँचते हैं, तो यह नज़ारा आगे खिसकता चला जाता है, और इस नज़ारे का कोई ओर-छोर हमें नहीं दिखाई देता है । ठीक इसी तरह हमारा जीवन भी है ।
ज़िंदगी की न जाने कितनी उपमाएँ दी जा चुकी हैं, लेकिन कोई भी उपमा पूर्ण नहीं मानी गई, क्योंकि जिदगी के इतने पक्ष हैं कि कोई भी उपमा उस पर पूरी तरह फ़िट नहीं बैठती । बर्नार्ड शॉ जीवन को एक खुली किताब मानते थे, और यह भी मानते थे कि सभी जीवों को समान रूप से जीने का हक़ है । वह चाहते थे कि इंसान अपने स्वार्थ में अंधा होकर किसी दूसरे जीव के जीने का हक न मारे । यदि इंसान ऐसा करता है, तो यह बहुत बड़ा अन्याय है । हमारे विचार स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम दूसरों को उसके जीने के हक़ से वंचित करें ।
यह खुला आसमान, यह प्रकृति और यह पूरा भू -मंडल हमें दरअसल यही बता रहा है कि हाथी से लेकर चींटी तक, सभी को समान रूप से जीवन बिताने का हक़ है । जिस तरह से खुले आसमान के नीचे हर प्राणी बिना किसी डर के जीने , साँस लेने का अधिकारी है, उसी तरह से मानव-जाति का स्वभाव भी होना चाहिए कि वह अपने जीने के साथ दूसरों से उनके जीने का हक न छीने । यह आसमान हमें जिस तरह से भय से छुटकारा दिलाता है, उसी तरह से हमें मानव-जाति से उन जीवों को डर से छुटकारा दिलाकर उन्हें जीने के लिए पूरा अवसर देना चाहिए । दूसरों के जीने के हक़ को छीनने से बड़ा अपराध या पाप कुछ नहीं हो सकता ।
Q. बर्नार्ड शॉ ने जीवन की उपमा किससे ली है?
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सारा संसार नीले गगन के तले अनंत काल से रहता आया है । हम थोड़ी दूरी पर ही देखते हैं क्षितिज तक, जहाँ धरतीऔरआकाश हमें मिलते दिखाई देते हैं । लेकिन जब हम वहाँ पहुँचते हैं, तो यह नज़ारा आगे खिसकता चला जाता है, और इस नज़ारे का कोई ओर-छोर हमें नहीं दिखाई देता है । ठीक इसी तरह हमारा जीवन भी है ।
ज़िंदगी की न जाने कितनी उपमाएँ दी जा चुकी हैं, लेकिन कोई भी उपमा पूर्ण नहीं मानी गई, क्योंकि जिदगी के इतने पक्ष हैं कि कोई भी उपमा उस पर पूरी तरह फ़िट नहीं बैठती । बर्नार्ड शॉ जीवन को एक खुली किताब मानते थे, और यह भी मानते थे कि सभी जीवों को समान रूप से जीने का हक़ है । वह चाहते थे कि इंसान अपने स्वार्थ में अंधा होकर किसी दूसरे जीव के जीने का हक न मारे । यदि इंसान ऐसा करता है, तो यह बहुत बड़ा अन्याय है । हमारे विचार स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम दूसरों को उसके जीने के हक़ से वंचित करें ।
यह खुला आसमान, यह प्रकृति और यह पूरा भू -मंडल हमें दरअसल यही बता रहा है कि हाथी से लेकर चींटी तक, सभी को समान रूप से जीवन बिताने का हक़ है । जिस तरह से खुले आसमान के नीचे हर प्राणी बिना किसी डर के जीने , साँस लेने का अधिकारी है, उसी तरह से मानव-जाति का स्वभाव भी होना चाहिए कि वह अपने जीने के साथ दूसरों से उनके जीने का हक न छीने । यह आसमान हमें जिस तरह से भय से छुटकारा दिलाता है, उसी तरह से हमें मानव-जाति से उन जीवों को डर से छुटकारा दिलाकर उन्हें जीने के लिए पूरा अवसर देना चाहिए । दूसरों के जीने के हक़ को छीनने से बड़ा अपराध या पाप कुछ नहीं हो सकता ।
Q. हम बहुत बड़ा अन्याय कर रहे होते हैं, यदि
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सारा संसार नीले गगन के तले अनंत काल से रहता आया है । हम थोड़ी दूरी पर ही देखते हैं क्षितिज तक, जहाँ धरतीऔरआकाश हमें मिलते दिखाई देते हैं । लेकिन जब हम वहाँ पहुँचते हैं, तो यह नज़ारा आगे खिसकता चला जाता है, और इस नज़ारे का कोई ओर-छोर हमें नहीं दिखाई देता है । ठीक इसी तरह हमारा जीवन भी है ।
ज़िंदगी की न जाने कितनी उपमाएँ दी जा चुकी हैं, लेकिन कोई भी उपमा पूर्ण नहीं मानी गई, क्योंकि जिदगी के इतने पक्ष हैं कि कोई भी उपमा उस पर पूरी तरह फ़िट नहीं बैठती । बर्नार्ड शॉ जीवन को एक खुली किताब मानते थे, और यह भी मानते थे कि सभी जीवों को समान रूप से जीने का हक़ है । वह चाहते थे कि इंसान अपने स्वार्थ में अंधा होकर किसी दूसरे जीव के जीने का हक न मारे । यदि इंसान ऐसा करता है, तो यह बहुत बड़ा अन्याय है । हमारे विचार स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम दूसरों को उसके जीने के हक़ से वंचित करें ।
यह खुला आसमान, यह प्रकृति और यह पूरा भू -मंडल हमें दरअसल यही बता रहा है कि हाथी से लेकर चींटी तक, सभी को समान रूप से जीवन बिताने का हक़ है । जिस तरह से खुले आसमान के नीचे हर प्राणी बिना किसी डर के जीने , साँस लेने का अधिकारी है, उसी तरह से मानव-जाति का स्वभाव भी होना चाहिए कि वह अपने जीने के साथ दूसरों से उनके जीने का हक न छीने । यह आसमान हमें जिस तरह से भय से छुटकारा दिलाता है, उसी तरह से हमें मानव-जाति से उन जीवों को डर से छुटकारा दिलाकर उन्हें जीने के लिए पूरा अवसर देना चाहिए । दूसरों के जीने के हक़ को छीनने से बड़ा अपराध या पाप कुछ नहीं हो सकता ।
Q. प्रकृति और खुला आसमान बता रहे हैं कि सबको
निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न में सबसे उचित विकल्प चुनिए ।
सारा संसार नीले गगन के तले अनंत काल से रहता आया है । हम थोड़ी दूरी पर ही देखते हैं क्षितिज तक, जहाँ धरतीऔरआकाश हमें मिलते दिखाई देते हैं । लेकिन जब हम वहाँ पहुँचते हैं, तो यह नज़ारा आगे खिसकता चला जाता है, और इस नज़ारे का कोई ओर-छोर हमें नहीं दिखाई देता है । ठीक इसी तरह हमारा जीवन भी है ।
ज़िंदगी की न जाने कितनी उपमाएँ दी जा चुकी हैं, लेकिन कोई भी उपमा पूर्ण नहीं मानी गई, क्योंकि जिदगी के इतने पक्ष हैं कि कोई भी उपमा उस पर पूरी तरह फ़िट नहीं बैठती । बर्नार्ड शॉ जीवन को एक खुली किताब मानते थे, और यह भी मानते थे कि सभी जीवों को समान रूप से जीने का हक़ है । वह चाहते थे कि इंसान अपने स्वार्थ में अंधा होकर किसी दूसरे जीव के जीने का हक न मारे । यदि इंसान ऐसा करता है, तो यह बहुत बड़ा अन्याय है । हमारे विचार स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम दूसरों को उसके जीने के हक़ से वंचित करें ।
यह खुला आसमान, यह प्रकृति और यह पूरा भू -मंडल हमें दरअसल यही बता रहा है कि हाथी से लेकर चींटी तक, सभी को समान रूप से जीवन बिताने का हक़ है । जिस तरह से खुले आसमान के नीचे हर प्राणी बिना किसी डर के जीने , साँस लेने का अधिकारी है, उसी तरह से मानव-जाति का स्वभाव भी होना चाहिए कि वह अपने जीने के साथ दूसरों से उनके जीने का हक न छीने । यह आसमान हमें जिस तरह से भय से छुटकारा दिलाता है, उसी तरह से हमें मानव-जाति से उन जीवों को डर से छुटकारा दिलाकर उन्हें जीने के लिए पूरा अवसर देना चाहिए । दूसरों के जीने के हक़ को छीनने से बड़ा अपराध या पाप कुछ नहीं हो सकता ।
Q. आसमान हमें दिलाता है
निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न में सबसे उचित विकल्प चुनिए ।
सारा संसार नीले गगन के तले अनंत काल से रहता आया है । हम थोड़ी दूरी पर ही देखते हैं क्षितिज तक, जहाँ धरतीऔरआकाश हमें मिलते दिखाई देते हैं । लेकिन जब हम वहाँ पहुँचते हैं, तो यह नज़ारा आगे खिसकता चला जाता है, और इस नज़ारे का कोई ओर-छोर हमें नहीं दिखाई देता है । ठीक इसी तरह हमारा जीवन भी है ।
ज़िंदगी की न जाने कितनी उपमाएँ दी जा चुकी हैं, लेकिन कोई भी उपमा पूर्ण नहीं मानी गई, क्योंकि जिदगी के इतने पक्ष हैं कि कोई भी उपमा उस पर पूरी तरह फ़िट नहीं बैठती । बर्नार्ड शॉ जीवन को एक खुली किताब मानते थे, और यह भी मानते थे कि सभी जीवों को समान रूप से जीने का हक़ है । वह चाहते थे कि इंसान अपने स्वार्थ में अंधा होकर किसी दूसरे जीव के जीने का हक न मारे । यदि इंसान ऐसा करता है, तो यह बहुत बड़ा अन्याय है । हमारे विचार स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम दूसरों को उसके जीने के हक़ से वंचित करें ।
यह खुला आसमान, यह प्रकृति और यह पूरा भू -मंडल हमें दरअसल यही बता रहा है कि हाथी से लेकर चींटी तक, सभी को समान रूप से जीवन बिताने का हक़ है । जिस तरह से खुले आसमान के नीचे हर प्राणी बिना किसी डर के जीने , साँस लेने का अधिकारी है, उसी तरह से मानव-जाति का स्वभाव भी होना चाहिए कि वह अपने जीने के साथ दूसरों से उनके जीने का हक न छीने । यह आसमान हमें जिस तरह से भय से छुटकारा दिलाता है, उसी तरह से हमें मानव-जाति से उन जीवों को डर से छुटकारा दिलाकर उन्हें जीने के लिए पूरा अवसर देना चाहिए । दूसरों के जीने के हक़ को छीनने से बड़ा अपराध या पाप कुछ नहीं हो सकता ।
Q. किस शब्द में 'इक' प्रत्यय का प्रयोग नहीं किया जा सकता?
निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न में सबसे उचित विकल्प चुनिए ।
सारा संसार नीले गगन के तले अनंत काल से रहता आया है । हम थोड़ी दूरी पर ही देखते हैं क्षितिज तक, जहाँ धरतीऔरआकाश हमें मिलते दिखाई देते हैं । लेकिन जब हम वहाँ पहुँचते हैं, तो यह नज़ारा आगे खिसकता चला जाता है, और इस नज़ारे का कोई ओर-छोर हमें नहीं दिखाई देता है । ठीक इसी तरह हमारा जीवन भी है ।
ज़िंदगी की न जाने कितनी उपमाएँ दी जा चुकी हैं, लेकिन कोई भी उपमा पूर्ण नहीं मानी गई, क्योंकि जिदगी के इतने पक्ष हैं कि कोई भी उपमा उस पर पूरी तरह फ़िट नहीं बैठती । बर्नार्ड शॉ जीवन को एक खुली किताब मानते थे, और यह भी मानते थे कि सभी जीवों को समान रूप से जीने का हक़ है । वह चाहते थे कि इंसान अपने स्वार्थ में अंधा होकर किसी दूसरे जीव के जीने का हक न मारे । यदि इंसान ऐसा करता है, तो यह बहुत बड़ा अन्याय है । हमारे विचार स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम दूसरों को उसके जीने के हक़ से वंचित करें ।
यह खुला आसमान, यह प्रकृति और यह पूरा भू -मंडल हमें दरअसल यही बता रहा है कि हाथी से लेकर चींटी तक, सभी को समान रूप से जीवन बिताने का हक़ है । जिस तरह से खुले आसमान के नीचे हर प्राणी बिना किसी डर के जीने , साँस लेने का अधिकारी है, उसी तरह से मानव-जाति का स्वभाव भी होना चाहिए कि वह अपने जीने के साथ दूसरों से उनके जीने का हक न छीने । यह आसमान हमें जिस तरह से भय से छुटकारा दिलाता है, उसी तरह से हमें मानव-जाति से उन जीवों को डर से छुटकारा दिलाकर उन्हें जीने के लिए पूरा अवसर देना चाहिए । दूसरों के जीने के हक़ को छीनने से बड़ा अपराध या पाप कुछ नहीं हो सकता ।
Q. 'अपराध' शब्द है-
'दो या दो से अधिक संप्रत्ययों में सम्बन्ध बताने वाले कथन को सिद्धांत कहते हैं' यह विचार है :
भाषा शिक्षण में पाठ्य-सामग्री और उसके शैक्षिक सिद्धांतो का चुनाव निम्न में से किस आधार पर किया जाना चाहिए?
एक छात्र अपना याद किया हुआ पाठ बार-बार भूल जाता है, उसके लिए क्या आवश्यक है?
कक्षा में भाषा शिक्षण के समय किस प्रकार के छात्रों पर ध्यान देना आवश्यक है?
I build walls
Walls that protect,
Walls that shield,
Walls that say I shall not yield
Or reveal
Who I am and how I feel
I build walls
Walls that hide,
Walls that cover what’s inside,
Walls that stare or smile or look away,
Silent lies,
Walls that even block my eyes
From the tears I might have cried.
I build walls
Walls that never let me
Truly touch
Those I love so very much .
Walls that need to fall !
Walls mean to be fortresses
Are prisons after all.
Q. It is not a good idea to have these walls because
Read the given poem and answer the questions that follow by selecting the most appropriate option.
The theme of the poem is :
Read the given poem and answer the questions that follow by selecting the most appropriate option.
The 'crystalline darkness' is :
A learner's competence in English will improve when she/he receives a learning experience that is at:
A company labels its frozen snacks 75% fat free rather than contains 25% fat so that people will view them more positively. This is an example of a:
Direction: Read the following passage carefully and answer the given questions.
Once upon a time, there was a greedy merchant who owned a magnificent horse. The horse was strong and fast, and the merchant was proud of it. He would often travel long distances with the horse to trade goods and make a profit.
One day, the merchant had to travel to a faraway city to sell his goods. He decided to take his horse with him as he knew it could cover the distance quickly. However, he didn't consider the fact that the horse would need rest and care along the way.
As they started their journey, the merchant pushed the horse to go faster and faster, not stopping for breaks. The horse was getting tired and was unable to keep up with the merchant's demands. The merchant didn't care and continued to ride the horse harder, thinking only of his profit.
As they travelled further, the horse began to slow down, and its breathing became laboured. The merchant didn't take notice and kept pushing the horse until it eventually collapsed on the ground, exhausted and unable to move.
The merchant was angry and frustrated that his horse had failed him. He cursed the animal and tried to force it to get up, but the horse was too weak to move. Realizing that he wouldn't be able to reach his destination without a horse, the merchant decided to leave the animal behind and continue on foot, leaving the exhausted horse on the side of the road.
Days later, the merchant finally reached his destination, but he had lost a lot of his merchandise along the way. He realized that his greed had led to his downfall, and he regretted his actions towards the horse. He wished he had taken better care of it and had considered its needs.
From that day on, the merchant vowed to treat his animals with kindness and respect and not to let his greed get in the way of his morals. The lesson he learned was that sometimes, taking a break and looking after yourself and those around you is more important than making a profit.
Q. What is the antonym of the highlighted word 'laboured' ?
Direction: Read the following passage carefully and answer the given questions.
Once upon a time, there was a greedy merchant who owned a magnificent horse. The horse was strong and fast, and the merchant was proud of it. He would often travel long distances with the horse to trade goods and make a profit.
One day, the merchant had to travel to a faraway city to sell his goods. He decided to take his horse with him as he knew it could cover the distance quickly. However, he didn't consider the fact that the horse would need rest and care along the way.
As they started their journey, the merchant pushed the horse to go faster and faster, not stopping for breaks. The horse was getting tired and was unable to keep up with the merchant's demands. The merchant didn't care and continued to ride the horse harder, thinking only of his profit.
As they travelled further, the horse began to slow down, and its breathing became laboured. The merchant didn't take notice and kept pushing the horse until it eventually collapsed on the ground, exhausted and unable to move.
The merchant was angry and frustrated that his horse had failed him. He cursed the animal and tried to force it to get up, but the horse was too weak to move. Realizing that he wouldn't be able to reach his destination without a horse, the merchant decided to leave the animal behind and continue on foot, leaving the exhausted horse on the side of the road.
Days later, the merchant finally reached his destination, but he had lost a lot of his merchandise along the way. He realized that his greed had led to his downfall, and he regretted his actions towards the horse. He wished he had taken better care of it and had considered its needs.
From that day on, the merchant vowed to treat his animals with kindness and respect and not to let his greed get in the way of his morals. The lesson he learned was that sometimes, taking a break and looking after yourself and those around you is more important than making a profit.
Q. What is the synonym of the highlighted word 'rest' ?
Direction: Read the following passage carefully and answer the given questions.
Once upon a time, there was a greedy merchant who owned a magnificent horse. The horse was strong and fast, and the merchant was proud of it. He would often travel long distances with the horse to trade goods and make a profit.
One day, the merchant had to travel to a faraway city to sell his goods. He decided to take his horse with him as he knew it could cover the distance quickly. However, he didn't consider the fact that the horse would need rest and care along the way.
As they started their journey, the merchant pushed the horse to go faster and faster, not stopping for breaks. The horse was getting tired and was unable to keep up with the merchant's demands. The merchant didn't care and continued to ride the horse harder, thinking only of his profit.
As they travelled further, the horse began to slow down, and its breathing became laboured. The merchant didn't take notice and kept pushing the horse until it eventually collapsed on the ground, exhausted and unable to move.
The merchant was angry and frustrated that his horse had failed him. He cursed the animal and tried to force it to get up, but the horse was too weak to move. Realizing that he wouldn't be able to reach his destination without a horse, the merchant decided to leave the animal behind and continue on foot, leaving the exhausted horse on the side of the road.
Days later, the merchant finally reached his destination, but he had lost a lot of his merchandise along the way. He realized that his greed had led to his downfall, and he regretted his actions towards the horse. He wished he had taken better care of it and had considered its needs.
From that day on, the merchant vowed to treat his animals with kindness and respect and not to let his greed get in the way of his morals. The lesson he learned was that sometimes, taking a break and looking after yourself and those around you is more important than making a profit.
Q. Which of the following statement is TRUE based on the given paragraph?
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Once upon a time, there was a greedy merchant who owned a magnificent horse. The horse was strong and fast, and the merchant was proud of it. He would often travel long distances with the horse to trade goods and make a profit.
One day, the merchant had to travel to a faraway city to sell his goods. He decided to take his horse with him as he knew it could cover the distance quickly. However, he didn't consider the fact that the horse would need rest and care along the way.
As they started their journey, the merchant pushed the horse to go faster and faster, not stopping for breaks. The horse was getting tired and was unable to keep up with the merchant's demands. The merchant didn't care and continued to ride the horse harder, thinking only of his profit.
As they travelled further, the horse began to slow down, and its breathing became laboured. The merchant didn't take notice and kept pushing the horse until it eventually collapsed on the ground, exhausted and unable to move.
The merchant was angry and frustrated that his horse had failed him. He cursed the animal and tried to force it to get up, but the horse was too weak to move. Realizing that he wouldn't be able to reach his destination without a horse, the merchant decided to leave the animal behind and continue on foot, leaving the exhausted horse on the side of the road.
Days later, the merchant finally reached his destination, but he had lost a lot of his merchandise along the way. He realized that his greed had led to his downfall, and he regretted his actions towards the horse. He wished he had taken better care of it and had considered its needs.
From that day on, the merchant vowed to treat his animals with kindness and respect and not to let his greed get in the way of his morals. The lesson he learned was that sometimes, taking a break and looking after yourself and those around you is more important than making a profit.
Q. Why merchant travel long distances with his horse?
One of the important aspects of language acquisition is
A teacher showed a picture in the class and ask them what all they observe. This activity is
Essay questions are commonly used to assess students. What is the biggest drawback of these types of questions?
The main responsibility of a language teacher as a facilitator is