CTET & State TET Exam  >  CTET & State TET Tests  >  CTET Mock Test Series (Hindi) 2024  >  CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - CTET & State TET MCQ

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - CTET & State TET MCQ


Test Description

30 Questions MCQ Test CTET Mock Test Series (Hindi) 2024 - CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 for CTET & State TET 2024 is part of CTET Mock Test Series (Hindi) 2024 preparation. The CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 questions and answers have been prepared according to the CTET & State TET exam syllabus.The CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 MCQs are made for CTET & State TET 2024 Exam. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises, MCQs and online tests for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 below.
Solutions of CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 questions in English are available as part of our CTET Mock Test Series (Hindi) 2024 for CTET & State TET & CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 solutions in Hindi for CTET Mock Test Series (Hindi) 2024 course. Download more important topics, notes, lectures and mock test series for CTET & State TET Exam by signing up for free. Attempt CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 | 150 questions in 150 minutes | Mock test for CTET & State TET preparation | Free important questions MCQ to study CTET Mock Test Series (Hindi) 2024 for CTET & State TET Exam | Download free PDF with solutions
CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 1

पूर्ण ग्रेडिंग में, छात्रों के प्रदर्शन के आकलन के लिए निम्नलिखित में से कौन सा संदर्भ बिंदु होता है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 1

पूर्ण ग्रेडिंग में, छात्रों के प्रदर्शन के आकलन के लिए संदर्भ बिंदु पूर्व-निर्धारित मानक है।

  • प्रत्येक बिंदु मान को एक ग्रेड दिया जाता है जिसमें प्रत्येक ग्रेड के साथ एक अक्षर द्वारा दर्शाया जाता है जो एक पूर्वनिश्चित या पूर्वनिर्धारित मानक पर आधारित होता है जो एक छात्र द्वारा प्रदर्शन के ग्रेड से मेल खाता है।
  • कक्षा में स्तर के वितरण के बावजूद स्तर निश्चित मानक से जुड़े होते हैं।
  • उदाहरण के लिए, 95% या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को सामूहिक रूप से उत्कृष्ट श्रेणी के तहत वर्गीकृत किया जाता है और उन्हें A ग्रेड से सम्मानित किया जाता है जैसे कि प्रमुख, उत्कृष्ट, बहुत अच्छे आदि श्रेणी पूर्व निर्धारित हैं और विशेष रूप से निर्धारित प्रत्येक ग्रेड केवल उस पूर्व निर्धारित मानक से जुड़े हैं।
  • इस प्रणाली का उपयोग दार्शनिक क्षेत्रों के तहत छात्रों के मूल्यांकन के लिए किया जाता है।

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि पूर्ण ग्रेडिंग में, छात्रों के प्रदर्शन के आकलन के लिए संदर्भ बिंदु एक पूर्व-निर्धारित मानक होता है।

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 2

दिए गए गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
गोंड जनजाति, भारत की एक प्रमुख जातीय समुदाय हैं। भारत के कटि प्रदेश- विंध्यपर्वत, सिवान, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान में दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम - में गोदावरी नदी तक फैले हुए पहाड़ों और जंगलों में रहने वाली आस्ट्रोलायड नस्ल तथा द्रविड़ परिवार की एक जनजाति, जो संभवत: पाँचवीं-छठी शताब्दी में दक्षिण से गोदावरी के तट को पकड़कर मध्य भारत के पहाड़ों में फैल गई। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य भारत में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। मुग़ल शासकों और मराठा शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया। गोंड जनजाति के लोग काले तथा गहरे भूरे रंग के होते हैं। गोंड अपने वातावरण द्वारा प्रस्तुत भोजन सामग्री एवं कृषि से प्राप्त वस्तुओं पर अधिक निर्भर रहते हैं। इनका मुख्य भोजन कोदों, ज्वार और कुटकी मोटे अनाज होते हैं, जिन्हें पानी में उबालकर 'झोल' या 'राबड़ी' अथवा 'दलिया' के रूप में दिन में तीन बार खाया जाता है। रात्रि में चावल अधिक पसन्द किये जाते हैं। कभी-कभी कोदों और कुटकी के साथ सब्जी एवं दाल का भी प्रयोग किया जाता है। गोंड खेतिहर हैं और परंपरा से दहिया खेती करते हैं जो जंगल को जलाकर उसकी राख में की जाती है और जब एक स्थान की उर्वरता तथा जंगल समाप्त हो जाता है तब वहाँ से हटकर दूसरे स्थान को चुन लेते हैं। किंतु सरकारी निषेध के कारण यह प्रथा बहुत कम हो गई है। अनेक गोंड लंबे समय से हिन्दू धर्म तथा संस्कृति के प्रभाव में हैं और कितनी ही जातियों तथा कबीलों ने बहुत से हिन्दू विश्वासों, देवी देवताओं, रीति रिवाजों तथा वेशभूषा को अपना लिया है। पुरानी प्रथा के अनुसार मृतकों को दफनाया जाता है, किंतु बड़े और धनी लोगों के शव को जलाया जाने लगा है। स्त्रियाँ तथा बच्चे दफनाए जाते हैं। 

Q. गोंड जनजाति के लोग ____ रंग के होते हैं। 

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 2

गोंड जनजाति के लोग काले तथा गहरे भूरे रंग के होते हैं। 
गद्यांश के अनुसार: 

  • गोंड जनजाति के लोग काले तथा गहरे भूरे रंग के होते हैं। 
1 Crore+ students have signed up on EduRev. Have you? Download the App
CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 3

दिए गए गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
गोंड जनजाति, भारत की एक प्रमुख जातीय समुदाय हैं। भारत के कटि प्रदेश- विंध्यपर्वत, सिवान, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान में दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम - में गोदावरी नदी तक फैले हुए पहाड़ों और जंगलों में रहने वाली आस्ट्रोलायड नस्ल तथा द्रविड़ परिवार की एक जनजाति, जो संभवत: पाँचवीं-छठी शताब्दी में दक्षिण से गोदावरी के तट को पकड़कर मध्य भारत के पहाड़ों में फैल गई। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य भारत में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। मुग़ल शासकों और मराठा शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया। गोंड जनजाति के लोग काले तथा गहरे भूरे रंग के होते हैं। गोंड अपने वातावरण द्वारा प्रस्तुत भोजन सामग्री एवं कृषि से प्राप्त वस्तुओं पर अधिक निर्भर रहते हैं। इनका मुख्य भोजन कोदों, ज्वार और कुटकी मोटे अनाज होते हैं, जिन्हें पानी में उबालकर 'झोल' या 'राबड़ी' अथवा 'दलिया' के रूप में दिन में तीन बार खाया जाता है। रात्रि में चावल अधिक पसन्द किये जाते हैं। कभी-कभी कोदों और कुटकी के साथ सब्जी एवं दाल का भी प्रयोग किया जाता है। गोंड खेतिहर हैं और परंपरा से दहिया खेती करते हैं जो जंगल को जलाकर उसकी राख में की जाती है और जब एक स्थान की उर्वरता तथा जंगल समाप्त हो जाता है तब वहाँ से हटकर दूसरे स्थान को चुन लेते हैं। किंतु सरकारी निषेध के कारण यह प्रथा बहुत कम हो गई है। अनेक गोंड लंबे समय से हिन्दू धर्म तथा संस्कृति के प्रभाव में हैं और कितनी ही जातियों तथा कबीलों ने बहुत से हिन्दू विश्वासों, देवी देवताओं, रीति रिवाजों तथा वेशभूषा को अपना लिया है। पुरानी प्रथा के अनुसार मृतकों को दफनाया जाता है, किंतु बड़े और धनी लोगों के शव को जलाया जाने लगा है। स्त्रियाँ तथा बच्चे दफनाए जाते हैं। 

Q. गोंड जनजाति किस परिवार की एक जनजाति है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 3
  • भारत के कटि प्रदेश- विंध्यपर्वत, सिवान, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान में दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम - में गोदावरी नदी तक फैले हुए पहाड़ों और जंगलों में रहने वाली आस्ट्रोलायड नस्ल तथा द्रविड़ परिवार की एक जनजाति है। 
  • जो संभवत: पाँचवीं-छठी शताब्दी में दक्षिण से गोदावरी के तट को पकड़कर मध्य भारत के पहाड़ों में फैल गई।
  • यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। 
CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 4

नीचे दो कथन दिए गए हैं, एक को अभिकथन (A) के रूप में और दूसरे को कारण (R) के रूप में समतल किया गया है।
अभिकथन (A) : व्याकरण किसी भी भाषा की रीढ़ की हड्डी होती है, गर्भ ही वाक्यों को जन्म देता है।
तर्क (R) : यदि शिक्षक मानक पाठ्यपुस्तक का उपयोग करके व्याकरण पढ़ाता है तो व्याकरण के नियम आसान हो जाते हैं।

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 4

व्याकरण किसी भी भाषा की रीढ़ होता है। यह गर्भ है जो वाक्यों को जन्म देता है। इन वाक्यों को सही और उपयुक्त भाषण बनाने के लिए व्याकरण का उपयोग करके निषेचित किया जाता है।

  • व्याकरण को भाषा के सिद्धांत के रूप में परिभाषित किया गया है। हम भाषा को ध्वनि, शब्द निर्माण और संरचना से संबंधित नियम-शासित व्यवहार मानते हैं। यहां व्याकरण आकृति विज्ञान और वाक्य रचना से संबंधित नियमों का एक सबसेट है।
  • व्याकरण के नियमों को आसान बना दिया जाता है यदि उन्हें संदर्भ में उदाहरणों का उपयोग करके दिया जाता है और संदर्भ में व्याकरण शिक्षण लक्ष्य भाषा में सटीकता प्रदान करता है।
  • उदाहरणों का उपयोग करके संदर्भ में व्याकरण सीखना शिक्षार्थियों को यह देखने की अनुमति देगा कि वाक्यों में नियमों का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
  • संदर्भ में व्याकरण का अभ्यास करने का अवसर प्रदान करने से शिक्षार्थियों को यह समझने में मदद मिलेगी कि भाषा कैसे काम करती है और इससे उनके संचार कौशल में सुधार होगा।

इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि (A) सही है, लेकिन (R) सही नहीं है।

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 5

निम्नलिखित में से किसके माध्यम से भाषा कौशल सिखाया जाना चाहिए?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 5

भाषा स्वेच्छा से निर्मित प्रतीकों के माध्यम से विचारों, भावनाओं और इच्छाओं को संप्रेषित करने का एक विशुद्ध रूप से मानवीय और गैर-सहज तरीका है।

  • भाषा कौशल को एकीकृत तरीके से पढ़ाया जाना चाहिए। अधिक केंद्रित और महत्वपूर्ण सीखने की स्थिति प्रदान करने के लिए, शिक्षकों को भाषा को पढ़ाने और अभ्यास करते समय चार भाषा कौशल को एकीकृत करना चाहिए।
  • जब हम बोलते हैं तो साथ-साथ सुनते भी हैं। जब हम लिखते हैं तो हम भी पढ़ रहे होते हैं। भाषा के साथ यह जुड़ाव हमें भाषा की अंतर्निहित व्याकरणिकता को आंतरिक करने में सक्षम बनाता है।

इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि भाषा कौशल को एकीकृत तरीके से सिखाया जाना चाहिए।

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 6

दिए गए गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
गोंड जनजाति, भारत की एक प्रमुख जातीय समुदाय हैं। भारत के कटि प्रदेश- विंध्यपर्वत, सिवान, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान में दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम - में गोदावरी नदी तक फैले हुए पहाड़ों और जंगलों में रहने वाली आस्ट्रोलायड नस्ल तथा द्रविड़ परिवार की एक जनजाति, जो संभवत: पाँचवीं-छठी शताब्दी में दक्षिण से गोदावरी के तट को पकड़कर मध्य भारत के पहाड़ों में फैल गई। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य भारत में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। मुग़ल शासकों और मराठा शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया। गोंड जनजाति के लोग काले तथा गहरे भूरे रंग के होते हैं। गोंड अपने वातावरण द्वारा प्रस्तुत भोजन सामग्री एवं कृषि से प्राप्त वस्तुओं पर अधिक निर्भर रहते हैं। इनका मुख्य भोजन कोदों, ज्वार और कुटकी मोटे अनाज होते हैं, जिन्हें पानी में उबालकर 'झोल' या 'राबड़ी' अथवा 'दलिया' के रूप में दिन में तीन बार खाया जाता है। रात्रि में चावल अधिक पसन्द किये जाते हैं। कभी-कभी कोदों और कुटकी के साथ सब्जी एवं दाल का भी प्रयोग किया जाता है। गोंड खेतिहर हैं और परंपरा से दहिया खेती करते हैं जो जंगल को जलाकर उसकी राख में की जाती है और जब एक स्थान की उर्वरता तथा जंगल समाप्त हो जाता है तब वहाँ से हटकर दूसरे स्थान को चुन लेते हैं। किंतु सरकारी निषेध के कारण यह प्रथा बहुत कम हो गई है। अनेक गोंड लंबे समय से हिन्दू धर्म तथा संस्कृति के प्रभाव में हैं और कितनी ही जातियों तथा कबीलों ने बहुत से हिन्दू विश्वासों, देवी देवताओं, रीति रिवाजों तथा वेशभूषा को अपना लिया है। पुरानी प्रथा के अनुसार मृतकों को दफनाया जाता है, किंतु बड़े और धनी लोगों के शव को जलाया जाने लगा है। स्त्रियाँ तथा बच्चे दफनाए जाते हैं। 

Q. गद्यांश के किस अंश से पता चलता है कि गोंड जनजाति रात्रि के समय क्या भोजन ग्रहण करती है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 6

गद्यांश के अनुसार: 

  • रात्रि में चावल अधिक पसन्द किये जाते हैं।
  • अन्य विकल्प रात्रि के समय भोजन ग्रहण करने से संदर्भित नही है।
  • रात्रि के पर्यायवाची - रैन, रजनी, यामिनी, तमी, निशि, त्रियामा, विभावरी, क्षणदा, शर्वरी, रात आदि।
CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 7

अपारदर्शी शीट पर सामग्री को ________ हार्डवेयर की मदद से प्रक्षेपित किया जाता है।

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 7

अपारदर्शी शीट पर सामग्री को एपिस्कोप हार्डवेयर की मदद से प्रक्षेपित किया जाता है।
अपारदर्शी प्रोजेक्टर, एपिडियोस्कोप, एपिडायस्कोप या एपिस्कोप एक ऐसा उपकरण है जो ऊपर से वस्तु पर एक उज्ज्वल दीपक चमकाकर अपारदर्शी सामग्री प्रदर्शित करता है। दर्पण, प्रिज्म और/या इमेजिंग लेंस की एक प्रणाली का उपयोग सामग्री की एक छवि को देखने वाली स्क्रीन पर केंद्रित करने के लिए किया जाता है।

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 8

निर्देश: कविता को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
जब नहीं था इन्सान
धरती पर थे जंगल
जंगली जानवर, परिंदे
इन्हीं सबके बीच उतरा इन्सान
और घटने लगे जंगल
जंगली जानवर, परिंदे
इन्सान बढ़ने लगा बेतहाशा
अब कहाँ जाते जंगल,
जंगली जानवर, परिंदे
प्रकृति किसी के साथ
नहीं करती नाइन्साफ़ी
सभी के लिए बनाती है जगह सो अब
इन्सानों के भीतर उतरने लगे हैं
जंगल, जंगली जानवर
और परिंदे

Q. धरती पर इन्सान के आने के बाद क्या हुआ?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 8

पद्यांश के अनुसार इंसान के आने से पहले धरती पर जंगल, जंगली जानवर एवं पक्षी थे। जब इंसान आया तो उसने जंगलों को, जंगली जानवरों एवं परिंदों/पक्षी को नष्ट करना शुरू कर दिया, जिससे इसकी संख्या दिन प्रतिदिन घटती गयी अत: उपर्युक्त सभी विकल्प सही है।
अन्य तथ्य - 
जंगल का पर्यायवाची - विपिन, कानन, वन, अरण्य, गहन, अख्य, कान्तार
पक्षी का पर्यायवाची - खग, नभचर, शकुनि, विहग, पखेरू, अण्डज, द्विज

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 9

भाषा सीखने के लिए व्याकरणिक नियम _________ हैं।

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 9

व्याकरण को भाषा के सिद्धांत के रूप में परिभाषित किया गया है। हम भाषा को ध्वनि, शब्द निर्माण और संरचना से संबंधित नियम-शासित व्यवहार मानते हैं। यहां व्याकरण आकृति विज्ञान और वाक्य रचना से संबंधित नियमों का एक सबसेट है।

  • किसी भाषा को सीखने में समय लगता है, भले ही वह अधिग्रहण के द्वारा ही क्यों न हो। किसी भाषा को सीखने के लिए संदर्भ की आवश्यकता होती है, उदाहरण के लिए, बच्चे उस भाषा को बोलते हैं जब उनके पास पिछला ज्ञान या अनुभव होता है।
  • व्याकरणिक नियम एक भाषा उपयोगकर्ता को निर्देश देते हैं कि भाषा का सही और स्पष्ट रूप से उपयोग कैसे किया जाना चाहिए। लेकिन यह व्यापक रूप से ज्ञात है कि सटीक नियम का पालन करने के बजाय वास्तविक संदर्भ में इसका अभ्यास करने से प्रभावी भाषा सीखना होता है।

इसलिए, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भाषा सीखने के लिए व्याकरणिक नियम महत्वपूर्ण नहीं हैं।

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 10

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
काल को हम बांध नहीं सकते। वह स्वत: नियंत्रित है, अबाध है। देवों का आह्वान करते हुए हम सकल कामना सिद्धि का संकल्प व्यक्त करते हुए और फिर विदा करते हुए कहते हैं- 'गच्छ-गच्छ सुरश्रेष्ठ पुनरागमनाय च'। जिसका अर्थ 'हे देव, आप स्वस्थान को तो जाएं, परंतु फिर आने के लिए' है। कितनी सकारात्मक हमारी संस्कृति है, जिसका मूल है- जो मानव मात्र के लिए हितकारी हो, कल्याणकारी हो, वह पुन:-पुन: हमारे जीवन में आए। गत वर्ष के लिए भी क्या ऐसी विदाई देना हमारे लिए संभव नहीं ? यह प्रश्न अनुत्तरित है। यह आना-जाना, आगमन-प्रस्थान सब क्या है ? एक उत्तर है कि ये काल द्वारा नियंत्रित क्रिया- प्रतिक्रियाएं हैं। जो आया है, वह जाएगा। फिर जो गया है, वह भी आएगा। यह हमारी संस्कृति की मान्यता है। हाल ही में एक विद्वान से उनके परिवार में हुई मृत्यु पर शोक संवेदना में कहा- 'गत आत्मा को शांति प्राप्त हो'। उन्होंने तुरंत ही टोकते हुए कहा- शांति प्राप्ति की बात तो पश्चिमी संस्कृति-सभ्यता की बात है। भारतीय परंपरा में तो उचित है- 'गत आत्मा को सद्गति प्राप्त हो'। इसके पीछे का गूढ़ भाव नए वर्ष के आगमन और पुराने वर्ष की विदाई की वेला को पूरी सार्थकता प्रदान करता है। शब्द और अर्थ मिलकर ही काल का, काल की गति का अर्थात् परिवर्तन का बोध कराते हैं। काल (समय) निराकार है, अबूझ है। मानव ने समय को बांधने का बहुत प्रयास किया- पल, घड़ी, घंटा, दिन, सप्ताह, महीना, साल, मन्वन्तर... फिर भी समय कभी बंधा नहीं, कहीं ठहरता नहीं। 'कालोस्मि भरतर्षभ' कहकर कृष्ण ने काल की सार्वकालिक सत्ता को प्रतिपादित किया। इस सत्ता के आगे नत भाव से, साहचर्य के भाव से हम नया वर्ष मनाते हैं। काल ने जो दिया था, उसे स्वीकार करें और नए वर्ष में जो मिलेगा, उसको अंगीकार-स्वीकार करने के लिए हम पूरी तैयारी, पूरे जोश से तैयार रहें। इसी में पुरातन और नववर्ष के सन्धिकाल की सार्थकता है। यह सत्य है कि परिणाम पर मनुष्य का कोई नियंत्रण या दखल नहीं, पर नया साल भी पुराना होगा। इसलिए मनुष्य एक साल की अवधि के लिए अपने जीवन के कुछ नियामक लक्ष्य तो तय कर सकता है। नए साल का सूरज यही प्रेरणा लेकर आया है। जीवन के चरम लक्ष्य पीछे छूटते जा रहे हैं, खोते जा रहे हैं। ऐसे में नए वर्ष की शुरुआत अपने लक्ष्य निर्धारित करने का अच्छा अवसर है, आत्म निरीक्षण का अचूक मौका है यह। काल शाश्वत है। नए साल का आगमन और पुराने की विदाई यह हमारा कालबोध ही तो है। आगत का स्वागत भारतीय परम्परा के मूल में है। जो आया है, अतिथि है उसे अपना लो। काल के साथ, समय के साथ चलना मनुष्य की नियति है, परंतु काल के कपाल पर कुछ अंकित करने का संकल्प मनुष्य की जिजीविषा का मूल है।

Q. जो मानव मात्र के लिए हितकारी हो, कल्याणकारी हो, वह पुन:-पुन: हमारे जीवन में आए, ये किसका मूल है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 10

गद्यांश के अनुसार, "कितनी सकारात्मक हमारी संस्कृति है, जिसका मूल है- जो मानव मात्र के लिए हितकारी हो, कल्याणकारी हो, वह पुन:-पुन: हमारे जीवन में आए।"
इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जो मानव मात्र के लिए हितकारी हो, कल्याणकारी हो, वह पुन:-पुन: हमारे जीवन में आए, ये हमारी संस्कृति का मूल है।

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 11

किसी भाषा की 'अर्जन प्रणाली' या 'अर्जन' है:

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 11

भाषा अर्जन:

  • यह मानव मस्तिष्क की जन्मजात क्षमता के कारण मूल या दूसरी भाषा सीखने की अवचेतन प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
  • यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा बच्चे अपने मूल वातावरण में जो कुछ सुनते हैं उसे देखकर और दोहराकर भाषा सीखते हैं।
  • भाषा अर्जन के लिए किसी औपचारिक निर्देश की आवश्यकता नहीं होती है, बच्चे बिना पढ़ाए ही भाषा सीख लेते हैं।
  • भाषा अर्जन एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, इसलिए व्यक्ति अपनी मातृभाषा को नहीं भूलता।

इसलिए, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि किसी भाषा की 'अर्जन प्रणाली' या 'अर्जन' सीखने की अवचेतन प्रक्रिया है।

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 12

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
काल को हम बांध नहीं सकते। वह स्वत: नियंत्रित है, अबाध है। देवों का आह्वान करते हुए हम सकल कामना सिद्धि का संकल्प व्यक्त करते हुए और फिर विदा करते हुए कहते हैं- 'गच्छ-गच्छ सुरश्रेष्ठ पुनरागमनाय च'। जिसका अर्थ 'हे देव, आप स्वस्थान को तो जाएं, परंतु फिर आने के लिए' है। कितनी सकारात्मक हमारी संस्कृति है, जिसका मूल है- जो मानव मात्र के लिए हितकारी हो, कल्याणकारी हो, वह पुन:-पुन: हमारे जीवन में आए। गत वर्ष के लिए भी क्या ऐसी विदाई देना हमारे लिए संभव नहीं ? यह प्रश्न अनुत्तरित है। यह आना-जाना, आगमन-प्रस्थान सब क्या है ? एक उत्तर है कि ये काल द्वारा नियंत्रित क्रिया- प्रतिक्रियाएं हैं। जो आया है, वह जाएगा। फिर जो गया है, वह भी आएगा। यह हमारी संस्कृति की मान्यता है। हाल ही में एक विद्वान से उनके परिवार में हुई मृत्यु पर शोक संवेदना में कहा- 'गत आत्मा को शांति प्राप्त हो'। उन्होंने तुरंत ही टोकते हुए कहा- शांति प्राप्ति की बात तो पश्चिमी संस्कृति-सभ्यता की बात है। भारतीय परंपरा में तो उचित है- 'गत आत्मा को सद्गति प्राप्त हो'। इसके पीछे का गूढ़ भाव नए वर्ष के आगमन और पुराने वर्ष की विदाई की वेला को पूरी सार्थकता प्रदान करता है। शब्द और अर्थ मिलकर ही काल का, काल की गति का अर्थात् परिवर्तन का बोध कराते हैं। काल (समय) निराकार है, अबूझ है। मानव ने समय को बांधने का बहुत प्रयास किया- पल, घड़ी, घंटा, दिन, सप्ताह, महीना, साल, मन्वन्तर... फिर भी समय कभी बंधा नहीं, कहीं ठहरता नहीं। 'कालोस्मि भरतर्षभ' कहकर कृष्ण ने काल की सार्वकालिक सत्ता को प्रतिपादित किया। इस सत्ता के आगे नत भाव से, साहचर्य के भाव से हम नया वर्ष मनाते हैं। काल ने जो दिया था, उसे स्वीकार करें और नए वर्ष में जो मिलेगा, उसको अंगीकार-स्वीकार करने के लिए हम पूरी तैयारी, पूरे जोश से तैयार रहें। इसी में पुरातन और नववर्ष के सन्धिकाल की सार्थकता है। यह सत्य है कि परिणाम पर मनुष्य का कोई नियंत्रण या दखल नहीं, पर नया साल भी पुराना होगा। इसलिए मनुष्य एक साल की अवधि के लिए अपने जीवन के कुछ नियामक लक्ष्य तो तय कर सकता है। नए साल का सूरज यही प्रेरणा लेकर आया है। जीवन के चरम लक्ष्य पीछे छूटते जा रहे हैं, खोते जा रहे हैं। ऐसे में नए वर्ष की शुरुआत अपने लक्ष्य निर्धारित करने का अच्छा अवसर है, आत्म निरीक्षण का अचूक मौका है यह। काल शाश्वत है। नए साल का आगमन और पुराने की विदाई यह हमारा कालबोध ही तो है। आगत का स्वागत भारतीय परम्परा के मूल में है। जो आया है, अतिथि है उसे अपना लो। काल के साथ, समय के साथ चलना मनुष्य की नियति है, परंतु काल के कपाल पर कुछ अंकित करने का संकल्प मनुष्य की जिजीविषा का मूल है।

Q. स्वागत शब्द की संरचना है:

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 12

'सु + आगत', स्वागत शब्द की संरचना है।
'स्वागत' शब्द में 'सु' उपसर्ग और 'आगत' मूल शब्द है।
उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते हैं, जो किसी शब्द अथवा अव्यय के आदि में जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन उत्पंन करते हैं; जैसे- अधिक के पहले 'अति' उपसर्ग लगने से अत्यधिक शब्द बन गया है।​

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 13

दिए गए गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
गोंड जनजाति, भारत की एक प्रमुख जातीय समुदाय हैं। भारत के कटि प्रदेश- विंध्यपर्वत, सिवान, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान में दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम - में गोदावरी नदी तक फैले हुए पहाड़ों और जंगलों में रहने वाली आस्ट्रोलायड नस्ल तथा द्रविड़ परिवार की एक जनजाति, जो संभवत: पाँचवीं-छठी शताब्दी में दक्षिण से गोदावरी के तट को पकड़कर मध्य भारत के पहाड़ों में फैल गई। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य भारत में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। मुग़ल शासकों और मराठा शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया। गोंड जनजाति के लोग काले तथा गहरे भूरे रंग के होते हैं। गोंड अपने वातावरण द्वारा प्रस्तुत भोजन सामग्री एवं कृषि से प्राप्त वस्तुओं पर अधिक निर्भर रहते हैं। इनका मुख्य भोजन कोदों, ज्वार और कुटकी मोटे अनाज होते हैं, जिन्हें पानी में उबालकर 'झोल' या 'राबड़ी' अथवा 'दलिया' के रूप में दिन में तीन बार खाया जाता है। रात्रि में चावल अधिक पसन्द किये जाते हैं। कभी-कभी कोदों और कुटकी के साथ सब्जी एवं दाल का भी प्रयोग किया जाता है। गोंड खेतिहर हैं और परंपरा से दहिया खेती करते हैं जो जंगल को जलाकर उसकी राख में की जाती है और जब एक स्थान की उर्वरता तथा जंगल समाप्त हो जाता है तब वहाँ से हटकर दूसरे स्थान को चुन लेते हैं। किंतु सरकारी निषेध के कारण यह प्रथा बहुत कम हो गई है। अनेक गोंड लंबे समय से हिन्दू धर्म तथा संस्कृति के प्रभाव में हैं और कितनी ही जातियों तथा कबीलों ने बहुत से हिन्दू विश्वासों, देवी देवताओं, रीति रिवाजों तथा वेशभूषा को अपना लिया है। पुरानी प्रथा के अनुसार मृतकों को दफनाया जाता है, किंतु बड़े और धनी लोगों के शव को जलाया जाने लगा है। स्त्रियाँ तथा बच्चे दफनाए जाते हैं। 

Q. दहिया खेती कहाँ की जाती है? 

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 13
  • गोंड जनजाति, भारत की एक प्रमुख जातीय समुदाय हैं। 
  • मुग़ल शासकों और मराठा शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया। 
  • गोंड खेतिहर हैं और परंपरा से दहिया खेती करते हैं जो जंगल को जलाकर उसकी राख में की जाती है।
  • जब एक स्थान की उर्वरता तथा जंगल समाप्त हो जाता है तब वहाँ से हटकर दूसरे स्थान को चुन लेते हैं।
CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 14

निर्देश: कविता को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए।
जब नहीं था इन्सान
धरती पर थे जंगल
जंगली जानवर, परिंदे
इन्हीं सबके बीच उतरा इन्सान
और घटने लगे जंगल
जंगली जानवर, परिंदे
इन्सान बढ़ने लगा बेतहाशा
अब कहाँ जाते जंगल,
जंगली जानवर, परिंदे
प्रकृति किसी के साथ
नहीं करती नाइन्साफ़ी
सभी के लिए बनाती है जगह सो अब
इन्सानों के भीतर उतरने लगे हैं
जंगल, जंगली जानवर
और परिंदे

Q. उपरोक्त काव्यांश के अनुसार, 'इन्सान ख़ूब तरक़्की करने लगा' का अर्थ है:

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 14

उपरोक्त काव्यांश के अनुसार, 'इन्सान ख़ूब तरक़्की करने लगा' का अर्थ 'इन्सान ख़ूब उन्नति करने लगा' है।
पद्यांश के माध्यम से कवि कहता है कि इंसानों ने अपने जीवनयापन के लिए जंगलों, जंगली जानवरों एवं परिन्दों को घटाना शुरू कर दिया। जिससे प्रकृति में पर्यावरण प्रभावित हुआ तथा इन्सान ख़ूब तरक़्की करने लगा।
अन्य तथ्य - 
इन्सान का पर्यायवाची - मनुष्य, आदमी, मानव, मानुष
तरक्की का पर्यायवाची - उन्नति, उत्कर्ष, प्रगति, विकास

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 15

दिए गए गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
गोंड जनजाति, भारत की एक प्रमुख जातीय समुदाय हैं। भारत के कटि प्रदेश- विंध्यपर्वत, सिवान, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान में दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम - में गोदावरी नदी तक फैले हुए पहाड़ों और जंगलों में रहने वाली आस्ट्रोलायड नस्ल तथा द्रविड़ परिवार की एक जनजाति, जो संभवत: पाँचवीं-छठी शताब्दी में दक्षिण से गोदावरी के तट को पकड़कर मध्य भारत के पहाड़ों में फैल गई। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य भारत में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। मुग़ल शासकों और मराठा शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया। गोंड जनजाति के लोग काले तथा गहरे भूरे रंग के होते हैं। गोंड अपने वातावरण द्वारा प्रस्तुत भोजन सामग्री एवं कृषि से प्राप्त वस्तुओं पर अधिक निर्भर रहते हैं। इनका मुख्य भोजन कोदों, ज्वार और कुटकी मोटे अनाज होते हैं, जिन्हें पानी में उबालकर 'झोल' या 'राबड़ी' अथवा 'दलिया' के रूप में दिन में तीन बार खाया जाता है। रात्रि में चावल अधिक पसन्द किये जाते हैं। कभी-कभी कोदों और कुटकी के साथ सब्जी एवं दाल का भी प्रयोग किया जाता है। गोंड खेतिहर हैं और परंपरा से दहिया खेती करते हैं जो जंगल को जलाकर उसकी राख में की जाती है और जब एक स्थान की उर्वरता तथा जंगल समाप्त हो जाता है तब वहाँ से हटकर दूसरे स्थान को चुन लेते हैं। किंतु सरकारी निषेध के कारण यह प्रथा बहुत कम हो गई है। अनेक गोंड लंबे समय से हिन्दू धर्म तथा संस्कृति के प्रभाव में हैं और कितनी ही जातियों तथा कबीलों ने बहुत से हिन्दू विश्वासों, देवी देवताओं, रीति रिवाजों तथा वेशभूषा को अपना लिया है। पुरानी प्रथा के अनुसार मृतकों को दफनाया जाता है, किंतु बड़े और धनी लोगों के शव को जलाया जाने लगा है। स्त्रियाँ तथा बच्चे दफनाए जाते हैं। 

Q. गोंड जनजाति भारत की एक प्रमुख ____ समुदाय हैं।

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 15

गोंड जनजाति भारत की एक प्रमुख जातीय समुदाय है।

  • जातीय का अर्थ - जाति से सम्बन्धित।
  • गद्यांश के अनुसार - गोंड जनजाति भारत की एक प्रमुख जातीय समुदाय है।
CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 16

दिए गए गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
गोंड जनजाति, भारत की एक प्रमुख जातीय समुदाय हैं। भारत के कटि प्रदेश- विंध्यपर्वत, सिवान, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान में दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम - में गोदावरी नदी तक फैले हुए पहाड़ों और जंगलों में रहने वाली आस्ट्रोलायड नस्ल तथा द्रविड़ परिवार की एक जनजाति, जो संभवत: पाँचवीं-छठी शताब्दी में दक्षिण से गोदावरी के तट को पकड़कर मध्य भारत के पहाड़ों में फैल गई। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य भारत में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। मुग़ल शासकों और मराठा शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया। गोंड जनजाति के लोग काले तथा गहरे भूरे रंग के होते हैं। गोंड अपने वातावरण द्वारा प्रस्तुत भोजन सामग्री एवं कृषि से प्राप्त वस्तुओं पर अधिक निर्भर रहते हैं। इनका मुख्य भोजन कोदों, ज्वार और कुटकी मोटे अनाज होते हैं, जिन्हें पानी में उबालकर 'झोल' या 'राबड़ी' अथवा 'दलिया' के रूप में दिन में तीन बार खाया जाता है। रात्रि में चावल अधिक पसन्द किये जाते हैं। कभी-कभी कोदों और कुटकी के साथ सब्जी एवं दाल का भी प्रयोग किया जाता है। गोंड खेतिहर हैं और परंपरा से दहिया खेती करते हैं जो जंगल को जलाकर उसकी राख में की जाती है और जब एक स्थान की उर्वरता तथा जंगल समाप्त हो जाता है तब वहाँ से हटकर दूसरे स्थान को चुन लेते हैं। किंतु सरकारी निषेध के कारण यह प्रथा बहुत कम हो गई है। अनेक गोंड लंबे समय से हिन्दू धर्म तथा संस्कृति के प्रभाव में हैं और कितनी ही जातियों तथा कबीलों ने बहुत से हिन्दू विश्वासों, देवी देवताओं, रीति रिवाजों तथा वेशभूषा को अपना लिया है। पुरानी प्रथा के अनुसार मृतकों को दफनाया जाता है, किंतु बड़े और धनी लोगों के शव को जलाया जाने लगा है। स्त्रियाँ तथा बच्चे दफनाए जाते हैं। 

Q. गोंड जनजाति के क्षेत्रों पर किसने अधिकार कर लिया था? 

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 16
  • भारत के कटि प्रदेश- विंध्यपर्वत, सिवान, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान में दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम - में गोदावरी नदी तक फैले हुए पहाड़ों और जंगलों में रहने वाली आस्ट्रोलायड नस्ल तथा द्रविड़ परिवार की एक जनजाति है। 
  • मुग़ल शासकों और मराठा शासकों ने इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया।  
CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 17

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
काल को हम बांध नहीं सकते। वह स्वत: नियंत्रित है, अबाध है। देवों का आह्वान करते हुए हम सकल कामना सिद्धि का संकल्प व्यक्त करते हुए और फिर विदा करते हुए कहते हैं- 'गच्छ-गच्छ सुरश्रेष्ठ पुनरागमनाय च'। जिसका अर्थ 'हे देव, आप स्वस्थान को तो जाएं, परंतु फिर आने के लिए' है। कितनी सकारात्मक हमारी संस्कृति है, जिसका मूल है- जो मानव मात्र के लिए हितकारी हो, कल्याणकारी हो, वह पुन:-पुन: हमारे जीवन में आए। गत वर्ष के लिए भी क्या ऐसी विदाई देना हमारे लिए संभव नहीं ? यह प्रश्न अनुत्तरित है। यह आना-जाना, आगमन-प्रस्थान सब क्या है ? एक उत्तर है कि ये काल द्वारा नियंत्रित क्रिया- प्रतिक्रियाएं हैं। जो आया है, वह जाएगा। फिर जो गया है, वह भी आएगा। यह हमारी संस्कृति की मान्यता है। हाल ही में एक विद्वान से उनके परिवार में हुई मृत्यु पर शोक संवेदना में कहा- 'गत आत्मा को शांति प्राप्त हो'। उन्होंने तुरंत ही टोकते हुए कहा- शांति प्राप्ति की बात तो पश्चिमी संस्कृति-सभ्यता की बात है। भारतीय परंपरा में तो उचित है- 'गत आत्मा को सद्गति प्राप्त हो'। इसके पीछे का गूढ़ भाव नए वर्ष के आगमन और पुराने वर्ष की विदाई की वेला को पूरी सार्थकता प्रदान करता है। शब्द और अर्थ मिलकर ही काल का, काल की गति का अर्थात् परिवर्तन का बोध कराते हैं। काल (समय) निराकार है, अबूझ है। मानव ने समय को बांधने का बहुत प्रयास किया- पल, घड़ी, घंटा, दिन, सप्ताह, महीना, साल, मन्वन्तर... फिर भी समय कभी बंधा नहीं, कहीं ठहरता नहीं। 'कालोस्मि भरतर्षभ' कहकर कृष्ण ने काल की सार्वकालिक सत्ता को प्रतिपादित किया। इस सत्ता के आगे नत भाव से, साहचर्य के भाव से हम नया वर्ष मनाते हैं। काल ने जो दिया था, उसे स्वीकार करें और नए वर्ष में जो मिलेगा, उसको अंगीकार-स्वीकार करने के लिए हम पूरी तैयारी, पूरे जोश से तैयार रहें। इसी में पुरातन और नववर्ष के सन्धिकाल की सार्थकता है। यह सत्य है कि परिणाम पर मनुष्य का कोई नियंत्रण या दखल नहीं, पर नया साल भी पुराना होगा। इसलिए मनुष्य एक साल की अवधि के लिए अपने जीवन के कुछ नियामक लक्ष्य तो तय कर सकता है। नए साल का सूरज यही प्रेरणा लेकर आया है। जीवन के चरम लक्ष्य पीछे छूटते जा रहे हैं, खोते जा रहे हैं। ऐसे में नए वर्ष की शुरुआत अपने लक्ष्य निर्धारित करने का अच्छा अवसर है, आत्म निरीक्षण का अचूक मौका है यह। काल शाश्वत है। नए साल का आगमन और पुराने की विदाई यह हमारा कालबोध ही तो है। आगत का स्वागत भारतीय परम्परा के मूल में है। जो आया है, अतिथि है उसे अपना लो। काल के साथ, समय के साथ चलना मनुष्य की नियति है, परंतु काल के कपाल पर कुछ अंकित करने का संकल्प मनुष्य की जिजीविषा का मूल है।

Q. भारतीय परम्परा के मूल में क्या है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 17

गद्यांश के अनुसार, "आगत का स्वागत भारतीय परम्परा के मूल में है। जो आया है, अतिथि है उसे अपना लो।"
इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भारतीय परम्परा के मूल में आगत का स्वागत है।

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 18

Directions: Identify the correct statement in English language teaching.
Oral presentation must be followed by

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 18

In a live oral presentation, the audience cannot re-read or skip ahead. There are some students who learn by reading or are visual learners. If they cannot read the things that have been presented to them, their attention will wander and it will be hard to get it back. So, oral presentation must be followed by reading off the blackboard.

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 19

Considering students' learning styles broadens the approaches taken to help language-related problems. An example of a learning style is

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 19

This is the correct option because analysing the child's learning style can give invaluable information to help you understand how best to support the child's learning. One method of describing that learning style is the Visual - Auditory - Kinaesthetic - Print-Orientated - Interactive (VAK POINT) model developed by Glenn Capelli.

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 20

One of the criteria of selection of 'grammatical items' for teaching is 'Range'. A 'structure' which has greater range means that -

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 20

In order to effectively teach grammar to language learners, selecting appropriate grammatical items is crucial. One important criterion to consider during the selection process is "Range.

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 21

While checking the notebooks the teacher observed that a child has repeatedly made some errors in writing such as reverse images as b – d, m – w. The child is showing the signs of _____.

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 21

While checking the notebooks the teacher observed that a child has repeatedly made some errors in writing such as reverse images as b – d, m – w. The child is showing signs of learning disability.
Learning disability refers to a neurological disorder that causes cognitive impairment.
Dyslexia is the most common learning disability which results in reverse or mirror images of the alphabet. It is a learning disability that makes learners:

  • unable to read and interpret letters and words.
  • confuse with the same shapes and sounds of the alphabet.
  • bewilder in identifying and relating speech sounds with letters and words.
CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 22

Direction: ​Read the given passages carefully and answer the question that follows.
Everything that men do or think concerns either the satisfaction of the needs they feel or the need to escape from pain. This must be kept in mind when we seek to understand spiritual or intellectual movements and the way in which they develop, for feeling and longing are the motive forces of all human striving and productivity – however nobly these latter may display themselves to us.
What, then, are the feelings and the needs which have brought mankind to religious thought and to faith in the widest sense? A moment’s consideration shows that the most varied emotions stand at the cradle of religious thought and experience.
In primitive people, it is, first of all, fear that awakens religious ideas – fear of hunger, of wild animals, of illness, and of death. Since the understanding of causal connections is usually limited on this level of existence, the human soul forges a being, more or less like itself, on whose will and activities depend the experiences which it fears. One hopes to win the favor of this being, by deeds and sacrifices, which according to the tradition of the race are supposed to appease the being or to make him well disposed to man. I call this the religion of fear.
This religion is considerably established, though not caused, by the formation of priestly caste which claims to mediate between the people and the being they fear and so attains a position of power. Often a leader or despot will combine the function of the priesthood with its own temporal rule for the sake of greater security, or an alliance may exist between the interests of political power and the priestly caste.
Q. What feeling promoted primitive man to create religion?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 22

According to the line mentioned in the passage, In primitive people, it is, first of all, fear that awakens religious ideas – fear of hunger, of wild animals, of illness, and of death.
Therefore, it is directly mentioned in the passage that 'fear' promoted primitive man to create religion.

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 23

Directions: Choose the correct option.
How do you disagree with the negative statement given below?
Didn't you receive my e-mail yesterday?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 23

"No, I didn't" will be the correct answer because this is the negative statement and because it is in the past, so we have used "didn't".

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 24

The abrupt change between languages one knows in order to maximize communication efficiency is called?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 24

Translanguaging is the act performed by bilinguals of accessing different linguistic features or various modes of what are described as autonomous languages, in order to maximize communicative potential.

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 25

Directions: Choose the word which is most opposite in meaning of the word given below.
Reveal

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 25

It is the correct option. Antonym of 'reveal' is 'conceal'. 'Reveal' means 'make (previously unknown or secret information) known to others', whereas 'conceal' means 'prevent (something) from being known; keep secret'.

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 26

The activity that offers the most 'experience' while learning is

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 26

The activity that offers the most 'experience' while learning is production of a short documentary. A documentary film is a nonfictional motion picture intended to document some aspect of reality, primarily for the purposes of instruction, education, or maintaining a historical record.

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 27

Which of the following activity is suggested to improve one’s spelling?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 27

When one reads at the top of one’s voice, usually to make other people in the vicinity hear what is being read, is known as loud reading. It is also known as oral reading. This process helps students develop vocabulary and improve pronunciation. It also develops confidence among students. It increases your imagination power and also improves your spellings.

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 28

Remedial teaching is ________. 

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 28

Remedial teaching refers to the method of teaching that helps the teacher to provide learners with the necessary help and guidance to overcome the problems which are determined through diagnosing them.

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 29

If the students feel shy to interact or speak with other students. In this situation, what teacher will do:

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 29

Shy children can present challenges for teachers aiming at inclusive classrooms. Their educational attainments can be lower than their peers, they may have difficulties in adjustment to school and they can be at risk of meeting clinical criteria for social anxiety disorder.

CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 30

She said to him, "Are you coming with me or not?"
If you report the above sentence correctly, you will get

Detailed Solution for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 - Question 30

Since it is a question, 'said to' changes to 'asked' and 'you' refers the boy (he).

View more questions
30 tests
Information about CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 Page
In this test you can find the Exam questions for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7 solved & explained in the simplest way possible. Besides giving Questions and answers for CTET Paper-II (Social Studies/Social Science) Mock Test - 7, EduRev gives you an ample number of Online tests for practice

Top Courses for CTET & State TET

Download as PDF

Top Courses for CTET & State TET