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Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Class 7 MCQ


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15 Questions MCQ Test Online MCQ Tests for Class 7 - Test: चिड़िया की बच्ची- 1

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Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 1

सोने का मूल्य सीखने के लिए तुझे बहुत सीखना है। बस, यह जान ले कि सेठ माधवदास तुझसे बात कर रहा है। जिससे मैं बात तक कर लेता हूँ उसकी किस्मत खुल जाती है। तू अभी जग का हाल नहीं जानती। मेरी कोठियों पर कोठियाँ हैं, बगीचों पर बगीचे हैं। दास-दासियों की संख्या नहीं है। पर तुझसे मेरा चित्त प्रसन्न हुआ है। ऐसा वरदान कब किसी को मिलता है? री चिड़िया! तू इस बात को समझती क्यों नहीं?”

चिड़िया, “सेठ, मैं नादान हूँ। मैं कुछ समझती नहीं। पर, मुझे देर हो रही है। माँ मेरी बाट देखती होगी।” सेठ, “ठहर-ठहर, इस अपने पास के फूल को तूने देखा? यह एक है। ऐसे अनगिनती फूल हैं। ऐसे अनगिनती फूल मेरे बगीचों में हैं। वे भाँति-भाँति के रंग के हैं। तरह-तरह की उनकी खुशबू हैं। चिड़िया, तैंने मेरा चित्त प्रसन्न किया है और वे सब फूल तेरे लिए खिला करेंगे। वहाँ घोंसले में तेरी माँ है, पर माँ क्या है? इस बहार के सामने तेरी माँ क्या है? वहाँ तेरे घोंसले में कुछ भी नहीं है। तू अपने को नहीं देखती? कैसी सुंदर तेरी गरदन। कैसी रंगीन देह! तू अपने मूल्य को क्यों नहीं देखती? मैं तुझे सोने से मढ़कर तेरे मूल्य को चमका दूँगा। तैंने मेरे चित्त को प्रसन्न किया है। तू मत जा, यहीं रह।”

Q. चिड़िया अपने आपको क्या कहती है?

Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 2

सोने का मूल्य सीखने के लिए तुझे बहुत सीखना है। बस, यह जान ले कि सेठ माधवदास तुझसे बात कर रहा है। जिससे मैं बात तक कर लेता हूँ उसकी किस्मत खुल जाती है। तू अभी जग का हाल नहीं जानती। मेरी कोठियों पर कोठियाँ हैं, बगीचों पर बगीचे हैं। दास-दासियों की संख्या नहीं है। पर तुझसे मेरा चित्त प्रसन्न हुआ है। ऐसा वरदान कब किसी को मिलता है? री चिड़िया! तू इस बात को समझती क्यों नहीं?”

चिड़िया, “सेठ, मैं नादान हूँ। मैं कुछ समझती नहीं। पर, मुझे देर हो रही है। माँ मेरी बाट देखती होगी।” सेठ, “ठहर-ठहर, इस अपने पास के फूल को तूने देखा? यह एक है। ऐसे अनगिनती फूल हैं। ऐसे अनगिनती फूल मेरे बगीचों में हैं। वे भाँति-भाँति के रंग के हैं। तरह-तरह की उनकी खुशबू हैं। चिड़िया, तैंने मेरा चित्त प्रसन्न किया है और वे सब फूल तेरे लिए खिला करेंगे। वहाँ घोंसले में तेरी माँ है, पर माँ क्या है? इस बहार के सामने तेरी माँ क्या है? वहाँ तेरे घोंसले में कुछ भी नहीं है। तू अपने को नहीं देखती? कैसी सुंदर तेरी गरदन। कैसी रंगीन देह! तू अपने मूल्य को क्यों नहीं देखती? मैं तुझे सोने से मढ़कर तेरे मूल्य को चमका दूँगा। तैंने मेरे चित्त को प्रसन्न किया है। तू मत जा, यहीं रह।”

Q. माधवदास क्या चाहता है?

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Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 3

सोने का मूल्य सीखने के लिए तुझे बहुत सीखना है। बस, यह जान ले कि सेठ माधवदास तुझसे बात कर रहा है। जिससे मैं बात तक कर लेता हूँ उसकी किस्मत खुल जाती है। तू अभी जग का हाल नहीं जानती। मेरी कोठियों पर कोठियाँ हैं, बगीचों पर बगीचे हैं। दास-दासियों की संख्या नहीं है। पर तुझसे मेरा चित्त प्रसन्न हुआ है। ऐसा वरदान कब किसी को मिलता है? री चिड़िया! तू इस बात को समझती क्यों नहीं?”

चिड़िया, “सेठ, मैं नादान हूँ। मैं कुछ समझती नहीं। पर, मुझे देर हो रही है। माँ मेरी बाट देखती होगी।” सेठ, “ठहर-ठहर, इस अपने पास के फूल को तूने देखा? यह एक है। ऐसे अनगिनती फूल हैं। ऐसे अनगिनती फूल मेरे बगीचों में हैं। वे भाँति-भाँति के रंग के हैं। तरह-तरह की उनकी खुशबू हैं। चिड़िया, तैंने मेरा चित्त प्रसन्न किया है और वे सब फूल तेरे लिए खिला करेंगे। वहाँ घोंसले में तेरी माँ है, पर माँ क्या है? इस बहार के सामने तेरी माँ क्या है? वहाँ तेरे घोंसले में कुछ भी नहीं है। तू अपने को नहीं देखती? कैसी सुंदर तेरी गरदन। कैसी रंगीन देह! तू अपने मूल्य को क्यों नहीं देखती? मैं तुझे सोने से मढ़कर तेरे मूल्य को चमका दूँगा। तैंने मेरे चित्त को प्रसन्न किया है। तू मत जा, यहीं रह।”

Q. निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द सोने का पर्याय नहीं है?

Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 4

सोने का मूल्य सीखने के लिए तुझे बहुत सीखना है। बस, यह जान ले कि सेठ माधवदास तुझसे बात कर रहा है। जिससे मैं बात तक कर लेता हूँ उसकी किस्मत खुल जाती है। तू अभी जग का हाल नहीं जानती। मेरी कोठियों पर कोठियाँ हैं, बगीचों पर बगीचे हैं। दास-दासियों की संख्या नहीं है। पर तुझसे मेरा चित्त प्रसन्न हुआ है। ऐसा वरदान कब किसी को मिलता है? री चिड़िया! तू इस बात को समझती क्यों नहीं?”

चिड़िया, “सेठ, मैं नादान हूँ। मैं कुछ समझती नहीं। पर, मुझे देर हो रही है। माँ मेरी बाट देखती होगी।” सेठ, “ठहर-ठहर, इस अपने पास के फूल को तूने देखा? यह एक है। ऐसे अनगिनती फूल हैं। ऐसे अनगिनती फूल मेरे बगीचों में हैं। वे भाँति-भाँति के रंग के हैं। तरह-तरह की उनकी खुशबू हैं। चिड़िया, तैंने मेरा चित्त प्रसन्न किया है और वे सब फूल तेरे लिए खिला करेंगे। वहाँ घोंसले में तेरी माँ है, पर माँ क्या है? इस बहार के सामने तेरी माँ क्या है? वहाँ तेरे घोंसले में कुछ भी नहीं है। तू अपने को नहीं देखती? कैसी सुंदर तेरी गरदन। कैसी रंगीन देह! तू अपने मूल्य को क्यों नहीं देखती? मैं तुझे सोने से मढ़कर तेरे मूल्य को चमका दूँगा। तैंने मेरे चित्त को प्रसन्न किया है। तू मत जा, यहीं रह।”

Q. माधवदास के पास निम्नलिखित में से क्या-क्या चीज़ नहीं है?

Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 5

सोने का मूल्य सीखने के लिए तुझे बहुत सीखना है। बस, यह जान ले कि सेठ माधवदास तुझसे बात कर रहा है। जिससे मैं बात तक कर लेता हूँ उसकी किस्मत खुल जाती है। तू अभी जग का हाल नहीं जानती। मेरी कोठियों पर कोठियाँ हैं, बगीचों पर बगीचे हैं। दास-दासियों की संख्या नहीं है। पर तुझसे मेरा चित्त प्रसन्न हुआ है। ऐसा वरदान कब किसी को मिलता है? री चिड़िया! तू इस बात को समझती क्यों नहीं?”

चिड़िया, “सेठ, मैं नादान हूँ। मैं कुछ समझती नहीं। पर, मुझे देर हो रही है। माँ मेरी बाट देखती होगी।” सेठ, “ठहर-ठहर, इस अपने पास के फूल को तूने देखा? यह एक है। ऐसे अनगिनती फूल हैं। ऐसे अनगिनती फूल मेरे बगीचों में हैं। वे भाँति-भाँति के रंग के हैं। तरह-तरह की उनकी खुशबू हैं। चिड़िया, तैंने मेरा चित्त प्रसन्न किया है और वे सब फूल तेरे लिए खिला करेंगे। वहाँ घोंसले में तेरी माँ है, पर माँ क्या है? इस बहार के सामने तेरी माँ क्या है? वहाँ तेरे घोंसले में कुछ भी नहीं है। तू अपने को नहीं देखती? कैसी सुंदर तेरी गरदन। कैसी रंगीन देह! तू अपने मूल्य को क्यों नहीं देखती? मैं तुझे सोने से मढ़कर तेरे मूल्य को चमका दूँगा। तैंने मेरे चित्त को प्रसन्न किया है। तू मत जा, यहीं रह।”

Q. माधवदास चिड़िया से किसका मूल्य पहचानने को कहता है?

Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 6

‘चिड़िया की बच्ची’ पाठ के लेखक कौन है?

Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 7

चिड़िया की गरदन का रंग कैसा था?

Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 8

माधवदास चिड़िया को किसका प्रलोभन दे रहे थे।

Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 9

समय भी उनके पास काफ़ी है। शाम को जब दिन की गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का हो जाता है तब कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठते हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं। इनमें मानो उसके मन को तृप्ति मिलती है। मित्र हुए तो उनसे विनोद-चर्चा करते हैं, नहीं तो पास रखे हुए फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए खयाल ही खयाल में संध्या को स्वप्न की भाँति गुज़ार देते हैं।

Q. शाम के वातावरण में क्या-क्या परिवर्तन होता है-

Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 10

समय भी उनके पास काफ़ी है। शाम को जब दिन की गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का हो जाता है तब कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठते हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं। इनमें मानो उसके मन को तृप्ति मिलती है। मित्र हुए तो उनसे विनोद-चर्चा करते हैं, नहीं तो पास रखे हुए फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए खयाल ही खयाल में संध्या को स्वप्न की भाँति गुज़ार देते हैं।

Q. गद्यांश और उसके लेखक का नाम विकल्पों में से बताएँ-

Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 11

समय भी उनके पास काफ़ी है। शाम को जब दिन की गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का हो जाता है तब कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठते हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं। इनमें मानो उसके मन को तृप्ति मिलती है। मित्र हुए तो उनसे विनोद-चर्चा करते हैं, नहीं तो पास रखे हुए फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए खयाल ही खयाल में संध्या को स्वप्न की भाँति गुज़ार देते हैं।

Q. माधवदास के पास समय-

Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 12

शाम के वातावरण में क्या-क्या परिवर्तन हो जाता है-

Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 13

माधवदास ने अपनी संगमरमर की नयी कोठी बनवाई है। उसके सामने बहुत सुहावना बगीचा भी लगवाया है। उनको कला से बहुत प्रेम है। धन की कमी नहीं है और कोई व्यसन छू नहीं गया है। सुंदर अभिरुचि के आदमी हैं। फूल-पौधे, रकाबियों से हौज़ों में लगे फव्वारों में उछलता हुआ पानी उन्हें बहुत अच्छा लगता है। समय भी उनके पास काफ़ी है। शाम को जब दिन की गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का हो जाता है तब कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठते हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं। इनमें मानो उनके मन को तृप्ति मिलती है। मित्र हुए तो उनसे विनोद-चर्चा करते हैं, नहीं तो पास रखे हुए फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए खयाल ही खयाल में संध्या को स्वार की भाँति गुज़ार देते हैं।

Q. माधवदास कैसे थे?

Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 14

माधवदास ने अपनी संगमरमर की नयी कोठी बनवाई है। उसके सामने बहुत सुहावना बगीचा भी लगवाया है। उनको कला से बहुत प्रेम है। धन की कमी नहीं है और कोई व्यसन छू नहीं गया है। सुंदर अभिरुचि के आदमी हैं। फूल-पौधे, रकाबियों से हौज़ों में लगे फव्वारों में उछलता हुआ पानी उन्हें बहुत अच्छा लगता है। समय भी उनके पास काफ़ी है। शाम को जब दिन की गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का हो जाता है तब कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठते हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं। इनमें मानो उनके मन को तृप्ति मिलती है। मित्र हुए तो उनसे विनोद-चर्चा करते हैं, नहीं तो पास रखे हुए फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए खयाल ही खयाल में संध्या को स्वार की भाँति गुज़ार देते हैं।

Q. माधवदास की तृप्ति किन चीजों से मिलती थी?

Test: चिड़िया की बच्ची- 1 - Question 15

माधवदास ने अपनी संगमरमर की नयी कोठी बनवाई है। उसके सामने बहुत सुहावना बगीचा भी लगवाया है। उनको कला से बहुत प्रेम है। धन की कमी नहीं है और कोई व्यसन छू नहीं गया है। सुंदर अभिरुचि के आदमी हैं। फूल-पौधे, रकाबियों से हौज़ों में लगे फव्वारों में उछलता हुआ पानी उन्हें बहुत अच्छा लगता है। समय भी उनके पास काफ़ी है। शाम को जब दिन की गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का हो जाता है तब कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठते हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं। इनमें मानो उनके मन को तृप्ति मिलती है। मित्र हुए तो उनसे विनोद-चर्चा करते हैं, नहीं तो पास रखे हुए फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए खयाल ही खयाल में संध्या को स्वार की भाँति गुज़ार देते हैं।

Q. माधवदास खयालों में खोए हुए किसको स्वण की भाँति गुजार देते हैं?

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