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हेलेन केलर प्रकृति की चीजों को किस प्रकार पहचानती हैं?
जिन लोगों के पास आँखें हैं, वे सचमुच बहुत कम देखते हैं-हेलेन केलर ने ऐसा क्यों कहा?
लेखिका क्या परखने के लिए अपने मित्रों की परीक्षा लेती है?
लेखिका की मित्र ने उनके किस प्रश्न के उत्तर में कहा-“कुछ खास तो नहीं”।
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर दिये गये। प्रश्न के उत्तर लिखिए
क्या यह संभव है कि भला कोई जंगल में घंटाभर घूमे और फिर भी कोई विशेष चीज़ न देखे? मुझे जिसे कुछ भी दिखाई नहीं देता-सैकड़ों रोचक चीज़ मिलती हैं, जिन्हें मैं छूकर पहचान लेती हूँ। मैं भोज-पत्र के पेड़ की चिकनी छाल और चीड़ की खुरदरी छाल को स्पर्श से पहचान लेती हूँ। वसंत के दौरान मैं टहनियों में नई कलियाँ खोजती हूँ। मुझे फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह छूने और उनकी घुमावदार बनावट महसूस करने में अपार आनंद मिलता है। इस दौरान मुझे प्रकृति के जादू का कुछ अहसास होता है। कभी, जब मैं खुशनसीब होती हूँ, तो टहनी पर हाथ रखते ही किसी चिड़िया के मधुर स्वर कानों में गूंजने लगते हैं। अपनी अंगुलियों के बीच झरने के पानी को बहते हुए महसूस कर मैं आनंदित हो उठती हूँ।
लेखिका किस मौसम में नई कलियाँ खोजती है?
लेखिका ने फूलों की पंखुड़ियों की सतह को कैसा बताया है?
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