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Test: वाख- 2 - Class 9 MCQ


Test Description

10 Questions MCQ Test Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij) - Test: वाख- 2

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Test: वाख- 2 - Question 1

वाख’ किसे कहते हैं?

Detailed Solution for Test: वाख- 2 - Question 1

वाणी को वाख कहते हैं

Test: वाख- 2 - Question 2

कवयित्री के दुख का कारण क्या है?

Detailed Solution for Test: वाख- 2 - Question 2

कवयित्री के दुख का कारण यह है कि ईश्वरीय मिलन में बाधा उत्पन्न हो रही है। इस वजह से कवयित्री को भगवान से मिलने में कठिनाई हो रही है, जिससे उसका दुख बढ़ रहा है। यह बाधा उसकी साधना और प्रयासों के बावजूद भी उसे ईश्वर से दूर रख रही है।

कवयित्री का दर्द इस बात से जुड़ा हुआ है कि वह पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ ईश्वर से मिलना चाहती है, लेकिन कुछ कारणों से यह मिलन संभव नहीं हो पा रहा है। यह भाव उसकी कविताओं में गहराई से व्यक्त होता है और उसके दुख का मुख्य कारण बनता है।

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Test: वाख- 2 - Question 3

कवयित्री कच्चे धागे की रस्सी किसे कहती हैं?

Detailed Solution for Test: वाख- 2 - Question 3

कवयित्री कच्चे धागे की रस्सी को जीवन कहती हैं। यह एक प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है जो दर्शाती है कि जीवन कितना नाजुक और अस्थिर होता है। जैसे कच्चे धागे की रस्सी कमजोर होती है और ज्यादा खींचने पर टूट सकती है, वैसे ही जीवन भी नाजुक है और छोटी-छोटी कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने पर टूट सकता है।

कवयित्री इस तुलना के माध्यम से यह बताना चाहती हैं कि जीवन में कठिनाइयाँ और समस्याएँ आ सकती हैं जो हमारे प्रयासों को विफल कर सकती हैं। इस प्रतीक का उपयोग करते हुए, वे जीवन की अस्थिरता और नाजुकता को स्पष्ट करती हैं।

Test: वाख- 2 - Question 4

कवयित्री कैसा जीवन अपनाने को कहती है?

Detailed Solution for Test: वाख- 2 - Question 4

कवयित्री त्याग और तपस्या का जीवन अपनाने को कहती हैं। यह जीवन सादगी, समर्पण, और आत्मसंयम पर आधारित होता है, जो ईश्वर की प्राप्ति और सच्चे सुख का मार्ग है।

Test: वाख- 2 - Question 5

वाख में ललद्यद सांकल शब्द का प्रयोग करती है। बताइए यह सांकल किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग में लायी गई होगी?

Detailed Solution for Test: वाख- 2 - Question 5

वाख में ललद्यद सांकल शब्द का प्रयोग मोह-माया के बंधनों के प्रतीक स्वरूप करती हैं। यह दर्शाता है कि सांसारिक इच्छाएं और लालच इंसान को बांधकर रखते हैं और आत्मिक उन्नति में बाधा बनते हैं।

Test: वाख- 2 - Question 6

हमें जीवन में किसके बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए?

Detailed Solution for Test: वाख- 2 - Question 6

हमें जीवन में भोग और त्याग के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए। इससे हम न तो केवल भौतिक सुखों में लिप्त होते हैं और न ही पूरी तरह से उन्हें त्यागते हैं, बल्कि एक मध्यमार्ग अपनाते हैं जो संतुलित जीवन जीने में मदद करता है।

Test: वाख- 2 - Question 7

किसे पहचानने के लिए आत्मज्ञान का होना आवश्यक है?

Detailed Solution for Test: वाख- 2 - Question 7

ईश्वर को पहचानने के लिए आत्मज्ञान का होना आवश्यक है। आत्मज्ञान से हम अपने भीतर की सच्चाई और दिव्यता को समझते हैं, जिससे ईश्वर का सही ज्ञान प्राप्त होता है।

Test: वाख- 2 - Question 8

कविता में कैसी जीवन-शैली अपनाते हुए प्रभु को पाने का भाव व्यक्त हुआ है?

Detailed Solution for Test: वाख- 2 - Question 8

कविता में प्रभु को पाने के लिए सहज जीवन-शैली अपनाने का भाव व्यक्त हुआ है। इसका मतलब है कि जीवन को सरल और स्वाभाविक रूप से जीना चाहिए।

Test: वाख- 2 - Question 9

भोग और त्याग के बीच के मार्ग को अपनाने वाले को क्या कहते हैं?अहमभावी

Detailed Solution for Test: वाख- 2 - Question 9

भोग और त्याग के बीच के मार्ग को अपनाने वाले को समभावी कहते हैं। यह व्यक्ति जीवन में संतुलन और मध्यम मार्ग अपनाता है।

Test: वाख- 2 - Question 10

तपस्या का जीवन जीने से मनुष्य के मन में क्या पैदा होता है?

Detailed Solution for Test: वाख- 2 - Question 10

तपस्या का जीवन जीने से मनुष्य के मन में त्याग पैदा होता है।

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