Class 10 Exam  >  Class 10 Tests  >  CBSE Sample Papers For Class 10  >  Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Class 10 MCQ

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Class 10 MCQ


Test Description

30 Questions MCQ Test CBSE Sample Papers For Class 10 - Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22)

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) for Class 10 2024 is part of CBSE Sample Papers For Class 10 preparation. The Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) questions and answers have been prepared according to the Class 10 exam syllabus.The Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) MCQs are made for Class 10 2024 Exam. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises, MCQs and online tests for Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) below.
Solutions of Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) questions in English are available as part of our CBSE Sample Papers For Class 10 for Class 10 & Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) solutions in Hindi for CBSE Sample Papers For Class 10 course. Download more important topics, notes, lectures and mock test series for Class 10 Exam by signing up for free. Attempt Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) | 54 questions in 90 minutes | Mock test for Class 10 preparation | Free important questions MCQ to study CBSE Sample Papers For Class 10 for Class 10 Exam | Download free PDF with solutions
Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 1

नीचे दो अपठित गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए
अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, बाल श्रम को इस प्रकार परिभाषित किया गया है-"वह काम जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी क्षमता और उनकी गरिमा से वंचित करता है, और जो शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हानिकारक है।" एक सामाजिक बुराई के रूप में सन्दर्भित, भारत में बाल श्रम एक अनिवार्य मुद्दा है जिससे देश वर्षों से निपट रहा है। लोगों का मानना है कि बाल-श्रम जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने का दायित्व सिर्फ सरकार का है। यदि सरकार चाहे तो कानून का पालन न करने वालों एवं कानून भंग करने वालों को सजा देकर बाल-श्रम को समाप्त कर सकती है, किन्तु वास्तव में ये केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसे सभी सामाजिक संगठनों, मालिकों, और अभिभावकों द्वारा भी समाधित करना चाहिए। हमारे घरों में, ढाबों में, होटलों में, खानों, कारखानों में अनेक बाल-श्रमिक मिल जाएँगे, जो कड़ाके की ठंड और तपती धूप की परवाह किए बिना काम करते हैं। विकासशील देशों में गरीबी और उच्च स्तर की बेरोजगारी बाल श्रम का मुख्य कारण है। बाल मजदूरी इंसानियत के लिये अपराध है जो समाज के लिये श्राप बनती जा रही है तथा जो देश की वृद्धि और विकास में बाधक के रूप में बड़ा मुद्दा है। हमें सोचना होगा कि सभ्य समाज में यह अभिशाप क्यों मौजूद है? जिस उम्र में बच्चों को सही शिक्षा मिलनी चाहिए, खेल-कूद के माध्यम से अपने मस्तिष्क का विकास करना चाहिए उस उम्र में बच्चों से काम करवाने से बच्चों का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और सामाजिक विकास रुक जाता है। शिक्षा का अधिकार मूल अधिकार होता है। शिक्षा से किसी भी बच्चे को वंचित रखना अपराध माना जाता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि सरकारी स्तर से लेकर व्यक्तिगत् स्तर तक सभी लोग इसके प्रति सजग रहें और बाल-श्रम के कारण बच्चों का बचपन न छिन जाए, इसके लिए कुछ सार्थक पहल करें। आम आदमी को भी बाल मजदूरी के विषय में जागरूक होना चाहिए और अपने समाज में इसे होने से रोकना चाहिए। बालश्रम को खत्म करना केवल सरकार का ही कर्तव्य नहीं है हमारा भी कर्त्तव्य है कि हम इस अभियान में सरकार का पूरा साथ दें।

प्रश्न. गद्यांश के आधार पर बताइए कि बाल-श्रम जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के लिए लोगों की सोच कैसी

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 2

नीचे दो अपठित गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए
अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, बाल श्रम को इस प्रकार परिभाषित किया गया है-"वह काम जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी क्षमता और उनकी गरिमा से वंचित करता है, और जो शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हानिकारक है।" एक सामाजिक बुराई के रूप में सन्दर्भित, भारत में बाल श्रम एक अनिवार्य मुद्दा है जिससे देश वर्षों से निपट रहा है। लोगों का मानना है कि बाल-श्रम जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने का दायित्व सिर्फ सरकार का है। यदि सरकार चाहे तो कानून का पालन न करने वालों एवं कानून भंग करने वालों को सजा देकर बाल-श्रम को समाप्त कर सकती है, किन्तु वास्तव में ये केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसे सभी सामाजिक संगठनों, मालिकों, और अभिभावकों द्वारा भी समाधित करना चाहिए। हमारे घरों में, ढाबों में, होटलों में, खानों, कारखानों में अनेक बाल-श्रमिक मिल जाएँगे, जो कड़ाके की ठंड और तपती धूप की परवाह किए बिना काम करते हैं। विकासशील देशों में गरीबी और उच्च स्तर की बेरोजगारी बाल श्रम का मुख्य कारण है। बाल मजदूरी इंसानियत के लिये अपराध है जो समाज के लिये श्राप बनती जा रही है तथा जो देश की वृद्धि और विकास में बाधक के रूप में बड़ा मुद्दा है। हमें सोचना होगा कि सभ्य समाज में यह अभिशाप क्यों मौजूद है? जिस उम्र में बच्चों को सही शिक्षा मिलनी चाहिए, खेल-कूद के माध्यम से अपने मस्तिष्क का विकास करना चाहिए उस उम्र में बच्चों से काम करवाने से बच्चों का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और सामाजिक विकास रुक जाता है। शिक्षा का अधिकार मूल अधिकार होता है। शिक्षा से किसी भी बच्चे को वंचित रखना अपराध माना जाता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि सरकारी स्तर से लेकर व्यक्तिगत् स्तर तक सभी लोग इसके प्रति सजग रहें और बाल-श्रम के कारण बच्चों का बचपन न छिन जाए, इसके लिए कुछ सार्थक पहल करें। आम आदमी को भी बाल मजदूरी के विषय में जागरूक होना चाहिए और अपने समाज में इसे होने से रोकना चाहिए। बालश्रम को खत्म करना केवल सरकार का ही कर्तव्य नहीं है हमारा भी कर्त्तव्य है कि हम इस अभियान में सरकार का पूरा साथ दें।

प्रश्न. घरों में, ढाबों में, होटलों में, खानों, कारखानों में अनेक बाल-श्रमिकों को काम करता देखकर भी हम उदासीन क्यों बने रहते हैं?

1 Crore+ students have signed up on EduRev. Have you? Download the App
Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 3

नीचे दो अपठित गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए
अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, बाल श्रम को इस प्रकार परिभाषित किया गया है-"वह काम जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी क्षमता और उनकी गरिमा से वंचित करता है, और जो शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हानिकारक है।" एक सामाजिक बुराई के रूप में सन्दर्भित, भारत में बाल श्रम एक अनिवार्य मुद्दा है जिससे देश वर्षों से निपट रहा है। लोगों का मानना है कि बाल-श्रम जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने का दायित्व सिर्फ सरकार का है। यदि सरकार चाहे तो कानून का पालन न करने वालों एवं कानून भंग करने वालों को सजा देकर बाल-श्रम को समाप्त कर सकती है, किन्तु वास्तव में ये केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसे सभी सामाजिक संगठनों, मालिकों, और अभिभावकों द्वारा भी समाधित करना चाहिए। हमारे घरों में, ढाबों में, होटलों में, खानों, कारखानों में अनेक बाल-श्रमिक मिल जाएँगे, जो कड़ाके की ठंड और तपती धूप की परवाह किए बिना काम करते हैं। विकासशील देशों में गरीबी और उच्च स्तर की बेरोजगारी बाल श्रम का मुख्य कारण है। बाल मजदूरी इंसानियत के लिये अपराध है जो समाज के लिये श्राप बनती जा रही है तथा जो देश की वृद्धि और विकास में बाधक के रूप में बड़ा मुद्दा है। हमें सोचना होगा कि सभ्य समाज में यह अभिशाप क्यों मौजूद है? जिस उम्र में बच्चों को सही शिक्षा मिलनी चाहिए, खेल-कूद के माध्यम से अपने मस्तिष्क का विकास करना चाहिए उस उम्र में बच्चों से काम करवाने से बच्चों का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और सामाजिक विकास रुक जाता है। शिक्षा का अधिकार मूल अधिकार होता है। शिक्षा से किसी भी बच्चे को वंचित रखना अपराध माना जाता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि सरकारी स्तर से लेकर व्यक्तिगत् स्तर तक सभी लोग इसके प्रति सजग रहें और बाल-श्रम के कारण बच्चों का बचपन न छिन जाए, इसके लिए कुछ सार्थक पहल करें। आम आदमी को भी बाल मजदूरी के विषय में जागरूक होना चाहिए और अपने समाज में इसे होने से रोकना चाहिए। बालश्रम को खत्म करना केवल सरकार का ही कर्तव्य नहीं है हमारा भी कर्त्तव्य है कि हम इस अभियान में सरकार का पूरा साथ दें।

प्रश्न. गद्यांश के आधार पर बताइए कि बाल-श्रम को रोकने के लिए सार्थक प्रयास क्यों किए जाने चाहिए ?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 4

नीचे दो अपठित गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए
अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, बाल श्रम को इस प्रकार परिभाषित किया गया है-"वह काम जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी क्षमता और उनकी गरिमा से वंचित करता है, और जो शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हानिकारक है।" एक सामाजिक बुराई के रूप में सन्दर्भित, भारत में बाल श्रम एक अनिवार्य मुद्दा है जिससे देश वर्षों से निपट रहा है। लोगों का मानना है कि बाल-श्रम जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने का दायित्व सिर्फ सरकार का है। यदि सरकार चाहे तो कानून का पालन न करने वालों एवं कानून भंग करने वालों को सजा देकर बाल-श्रम को समाप्त कर सकती है, किन्तु वास्तव में ये केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसे सभी सामाजिक संगठनों, मालिकों, और अभिभावकों द्वारा भी समाधित करना चाहिए। हमारे घरों में, ढाबों में, होटलों में, खानों, कारखानों में अनेक बाल-श्रमिक मिल जाएँगे, जो कड़ाके की ठंड और तपती धूप की परवाह किए बिना काम करते हैं। विकासशील देशों में गरीबी और उच्च स्तर की बेरोजगारी बाल श्रम का मुख्य कारण है। बाल मजदूरी इंसानियत के लिये अपराध है जो समाज के लिये श्राप बनती जा रही है तथा जो देश की वृद्धि और विकास में बाधक के रूप में बड़ा मुद्दा है। हमें सोचना होगा कि सभ्य समाज में यह अभिशाप क्यों मौजूद है? जिस उम्र में बच्चों को सही शिक्षा मिलनी चाहिए, खेल-कूद के माध्यम से अपने मस्तिष्क का विकास करना चाहिए उस उम्र में बच्चों से काम करवाने से बच्चों का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और सामाजिक विकास रुक जाता है। शिक्षा का अधिकार मूल अधिकार होता है। शिक्षा से किसी भी बच्चे को वंचित रखना अपराध माना जाता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि सरकारी स्तर से लेकर व्यक्तिगत् स्तर तक सभी लोग इसके प्रति सजग रहें और बाल-श्रम के कारण बच्चों का बचपन न छिन जाए, इसके लिए कुछ सार्थक पहल करें। आम आदमी को भी बाल मजदूरी के विषय में जागरूक होना चाहिए और अपने समाज में इसे होने से रोकना चाहिए। बालश्रम को खत्म करना केवल सरकार का ही कर्तव्य नहीं है हमारा भी कर्त्तव्य है कि हम इस अभियान में सरकार का पूरा साथ दें।

प्रश्न. बच्चों को बाल-श्रम के लिए क्यों विवश किया जाता है?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 5

नीचे दो अपठित गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए
अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, बाल श्रम को इस प्रकार परिभाषित किया गया है-"वह काम जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी क्षमता और उनकी गरिमा से वंचित करता है, और जो शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हानिकारक है।" एक सामाजिक बुराई के रूप में सन्दर्भित, भारत में बाल श्रम एक अनिवार्य मुद्दा है जिससे देश वर्षों से निपट रहा है। लोगों का मानना है कि बाल-श्रम जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने का दायित्व सिर्फ सरकार का है। यदि सरकार चाहे तो कानून का पालन न करने वालों एवं कानून भंग करने वालों को सजा देकर बाल-श्रम को समाप्त कर सकती है, किन्तु वास्तव में ये केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि इसे सभी सामाजिक संगठनों, मालिकों, और अभिभावकों द्वारा भी समाधित करना चाहिए। हमारे घरों में, ढाबों में, होटलों में, खानों, कारखानों में अनेक बाल-श्रमिक मिल जाएँगे, जो कड़ाके की ठंड और तपती धूप की परवाह किए बिना काम करते हैं। विकासशील देशों में गरीबी और उच्च स्तर की बेरोजगारी बाल श्रम का मुख्य कारण है। बाल मजदूरी इंसानियत के लिये अपराध है जो समाज के लिये श्राप बनती जा रही है तथा जो देश की वृद्धि और विकास में बाधक के रूप में बड़ा मुद्दा है। हमें सोचना होगा कि सभ्य समाज में यह अभिशाप क्यों मौजूद है? जिस उम्र में बच्चों को सही शिक्षा मिलनी चाहिए, खेल-कूद के माध्यम से अपने मस्तिष्क का विकास करना चाहिए उस उम्र में बच्चों से काम करवाने से बच्चों का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और सामाजिक विकास रुक जाता है। शिक्षा का अधिकार मूल अधिकार होता है। शिक्षा से किसी भी बच्चे को वंचित रखना अपराध माना जाता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि सरकारी स्तर से लेकर व्यक्तिगत् स्तर तक सभी लोग इसके प्रति सजग रहें और बाल-श्रम के कारण बच्चों का बचपन न छिन जाए, इसके लिए कुछ सार्थक पहल करें। आम आदमी को भी बाल मजदूरी के विषय में जागरूक होना चाहिए और अपने समाज में इसे होने से रोकना चाहिए। बालश्रम को खत्म करना केवल सरकार का ही कर्तव्य नहीं है हमारा भी कर्त्तव्य है कि हम इस अभियान में सरकार का पूरा साथ दें।

प्रश्न. बाल-श्रम जैसे सामाजिक अभिशाप से देश को क्या नुकसान होता है?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 6

नीचे दो अपठित गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए
निसंदेह सहजता से हर एक दिन भिन्न-भिन्न भूमिकाएँ जीते हुए, महिलाएँ किसी भी समाज का स्तम्भ हैं। लेकिन आज भी दुनिया के कई हिस्सों में समाज उनकी भूमिका को नजर अंदाज़ करता है। इसके चलते महिलाओं को बड़े पैमाने पर असमानता, उत्पीड़न, वित्तीय निर्भरता और अन्य सामाजिक बुराइयों का खामियाजा सहन करना पड़ता है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता के बहुत से कारण सामने आते हैं। प्राचीन काल की अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी। जितना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में दिया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान घटने लगा था। आधुनिक युग में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्त्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं है। ग्रामीण महिलाएँ सदियों से घर तथा खेतों में पुरुषों के बराबर ही काम करती आई हैं, लेकिन वहाँ उन्हें सामंती सोच के कारण दूसरे दर्जे का नागरिक ही माना जाता रहा है। अब ग्रामीण समाज की सोच बदलने का वक्त आ गया है। सामाजिक असमानता, पारिवारिक हिंसा, अत्याचार और आर्थिक अनिर्भरता इन सभी से महिलाओं को छुटकारा पाना है तो जरूरत है महिला सशक्तिकरण की। महिला सशक्तिकरण से महिलाएँ आत्मनिर्भर और शक्तिशाली बनती हैं। जिससे वे अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार और समाज में अपना स्थान बनाती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक क्षेत्रों में बराबर का भागीदार बनाया जाए। भारतीय महिलाओं का सशक्तिकरण बहुत हद तक भौगोलिक (शहरी और ग्रामीण), शैक्षणिक योग्यता, और सामाजिक एकता के ऊपर निर्भर करता है। महिला सशक्तिकरण से महिलाएँ केवल आर्थिक रूप से सुदृढ़ ही नहीं हुई हैं, अपितु परिवार और समाज की सोच में भी सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देने लगे हैं। वर्तमान समय में लोग बेटियों को बोझ समझकर दुनिया में आने से पहले ही मारें नहीं, इसलिए विकास की मुख्यधारा में महिलाओं को लाने के लिये भारत सरकार के द्वारा कई योजनाएँ चलाई गई हैं।

प्रश्न. गद्यांश के आधार पर बताइए कि महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों महसूस की गई?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 7

नीचे दो अपठित गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए
निसंदेह सहजता से हर एक दिन भिन्न-भिन्न भूमिकाएँ जीते हुए, महिलाएँ किसी भी समाज का स्तम्भ हैं। लेकिन आज भी दुनिया के कई हिस्सों में समाज उनकी भूमिका को नजर अंदाज़ करता है। इसके चलते महिलाओं को बड़े पैमाने पर असमानता, उत्पीड़न, वित्तीय निर्भरता और अन्य सामाजिक बुराइयों का खामियाजा सहन करना पड़ता है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता के बहुत से कारण सामने आते हैं। प्राचीन काल की अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी। जितना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में दिया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान घटने लगा था। आधुनिक युग में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्त्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं है। ग्रामीण महिलाएँ सदियों से घर तथा खेतों में पुरुषों के बराबर ही काम करती आई हैं, लेकिन वहाँ उन्हें सामंती सोच के कारण दूसरे दर्जे का नागरिक ही माना जाता रहा है। अब ग्रामीण समाज की सोच बदलने का वक्त आ गया है। सामाजिक असमानता, पारिवारिक हिंसा, अत्याचार और आर्थिक अनिर्भरता इन सभी से महिलाओं को छुटकारा पाना है तो जरूरत है महिला सशक्तिकरण की। महिला सशक्तिकरण से महिलाएँ आत्मनिर्भर और शक्तिशाली बनती हैं। जिससे वे अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार और समाज में अपना स्थान बनाती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक क्षेत्रों में बराबर का भागीदार बनाया जाए। भारतीय महिलाओं का सशक्तिकरण बहुत हद तक भौगोलिक (शहरी और ग्रामीण), शैक्षणिक योग्यता, और सामाजिक एकता के ऊपर निर्भर करता है। महिला सशक्तिकरण से महिलाएँ केवल आर्थिक रूप से सुदृढ़ ही नहीं हुई हैं, अपितु परिवार और समाज की सोच में भी सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देने लगे हैं। वर्तमान समय में लोग बेटियों को बोझ समझकर दुनिया में आने से पहले ही मारें नहीं, इसलिए विकास की मुख्यधारा में महिलाओं को लाने के लिये भारत सरकार के द्वारा कई योजनाएँ चलाई गई हैं।

प्रश्न. ग्रामीण सोच में परिवर्तन लाने के लिए क्या किया जा सकता है?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 8

नीचे दो अपठित गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए
निसंदेह सहजता से हर एक दिन भिन्न-भिन्न भूमिकाएँ जीते हुए, महिलाएँ किसी भी समाज का स्तम्भ हैं। लेकिन आज भी दुनिया के कई हिस्सों में समाज उनकी भूमिका को नजर अंदाज़ करता है। इसके चलते महिलाओं को बड़े पैमाने पर असमानता, उत्पीड़न, वित्तीय निर्भरता और अन्य सामाजिक बुराइयों का खामियाजा सहन करना पड़ता है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता के बहुत से कारण सामने आते हैं। प्राचीन काल की अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी। जितना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में दिया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान घटने लगा था। आधुनिक युग में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्त्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं है। ग्रामीण महिलाएँ सदियों से घर तथा खेतों में पुरुषों के बराबर ही काम करती आई हैं, लेकिन वहाँ उन्हें सामंती सोच के कारण दूसरे दर्जे का नागरिक ही माना जाता रहा है। अब ग्रामीण समाज की सोच बदलने का वक्त आ गया है। सामाजिक असमानता, पारिवारिक हिंसा, अत्याचार और आर्थिक अनिर्भरता इन सभी से महिलाओं को छुटकारा पाना है तो जरूरत है महिला सशक्तिकरण की। महिला सशक्तिकरण से महिलाएँ आत्मनिर्भर और शक्तिशाली बनती हैं। जिससे वे अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार और समाज में अपना स्थान बनाती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक क्षेत्रों में बराबर का भागीदार बनाया जाए। भारतीय महिलाओं का सशक्तिकरण बहुत हद तक भौगोलिक (शहरी और ग्रामीण), शैक्षणिक योग्यता, और सामाजिक एकता के ऊपर निर्भर करता है। महिला सशक्तिकरण से महिलाएँ केवल आर्थिक रूप से सुदृढ़ ही नहीं हुई हैं, अपितु परिवार और समाज की सोच में भी सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देने लगे हैं। वर्तमान समय में लोग बेटियों को बोझ समझकर दुनिया में आने से पहले ही मारें नहीं, इसलिए विकास की मुख्यधारा में महिलाओं को लाने के लिये भारत सरकार के द्वारा कई योजनाएँ चलाई गई हैं।

प्रश्न. अब लोग बेटियों को बोझ नहीं समझते, यह समाज की किस सोच का परिणाम है?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 9

नीचे दो अपठित गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए
निसंदेह सहजता से हर एक दिन भिन्न-भिन्न भूमिकाएँ जीते हुए, महिलाएँ किसी भी समाज का स्तम्भ हैं। लेकिन आज भी दुनिया के कई हिस्सों में समाज उनकी भूमिका को नजर अंदाज़ करता है। इसके चलते महिलाओं को बड़े पैमाने पर असमानता, उत्पीड़न, वित्तीय निर्भरता और अन्य सामाजिक बुराइयों का खामियाजा सहन करना पड़ता है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता के बहुत से कारण सामने आते हैं। प्राचीन काल की अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी। जितना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में दिया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान घटने लगा था। आधुनिक युग में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्त्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं है। ग्रामीण महिलाएँ सदियों से घर तथा खेतों में पुरुषों के बराबर ही काम करती आई हैं, लेकिन वहाँ उन्हें सामंती सोच के कारण दूसरे दर्जे का नागरिक ही माना जाता रहा है। अब ग्रामीण समाज की सोच बदलने का वक्त आ गया है। सामाजिक असमानता, पारिवारिक हिंसा, अत्याचार और आर्थिक अनिर्भरता इन सभी से महिलाओं को छुटकारा पाना है तो जरूरत है महिला सशक्तिकरण की। महिला सशक्तिकरण से महिलाएँ आत्मनिर्भर और शक्तिशाली बनती हैं। जिससे वे अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार और समाज में अपना स्थान बनाती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक क्षेत्रों में बराबर का भागीदार बनाया जाए। भारतीय महिलाओं का सशक्तिकरण बहुत हद तक भौगोलिक (शहरी और ग्रामीण), शैक्षणिक योग्यता, और सामाजिक एकता के ऊपर निर्भर करता है। महिला सशक्तिकरण से महिलाएँ केवल आर्थिक रूप से सुदृढ़ ही नहीं हुई हैं, अपितु परिवार और समाज की सोच में भी सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देने लगे हैं। वर्तमान समय में लोग बेटियों को बोझ समझकर दुनिया में आने से पहले ही मारें नहीं, इसलिए विकास की मुख्यधारा में महिलाओं को लाने के लिये भारत सरकार के द्वारा कई योजनाएँ चलाई गई हैं।

प्रश्न. महिला सशक्तिकरण से परिवार की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव दिखाई दिया?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 10

नीचे दो अपठित गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए
निसंदेह सहजता से हर एक दिन भिन्न-भिन्न भूमिकाएँ जीते हुए, महिलाएँ किसी भी समाज का स्तम्भ हैं। लेकिन आज भी दुनिया के कई हिस्सों में समाज उनकी भूमिका को नजर अंदाज़ करता है। इसके चलते महिलाओं को बड़े पैमाने पर असमानता, उत्पीड़न, वित्तीय निर्भरता और अन्य सामाजिक बुराइयों का खामियाजा सहन करना पड़ता है। भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता के बहुत से कारण सामने आते हैं। प्राचीन काल की अपेक्षा मध्य काल में भारतीय महिलाओं के सम्मान स्तर में काफी कमी आयी। जितना सम्मान उन्हें प्राचीन काल में दिया जाता था, मध्य काल में वह सम्मान घटने लगा था। आधुनिक युग में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्त्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य हैं और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं है। ग्रामीण महिलाएँ सदियों से घर तथा खेतों में पुरुषों के बराबर ही काम करती आई हैं, लेकिन वहाँ उन्हें सामंती सोच के कारण दूसरे दर्जे का नागरिक ही माना जाता रहा है। अब ग्रामीण समाज की सोच बदलने का वक्त आ गया है। सामाजिक असमानता, पारिवारिक हिंसा, अत्याचार और आर्थिक अनिर्भरता इन सभी से महिलाओं को छुटकारा पाना है तो जरूरत है महिला सशक्तिकरण की। महिला सशक्तिकरण से महिलाएँ आत्मनिर्भर और शक्तिशाली बनती हैं। जिससे वे अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार और समाज में अपना स्थान बनाती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक क्षेत्रों में बराबर का भागीदार बनाया जाए। भारतीय महिलाओं का सशक्तिकरण बहुत हद तक भौगोलिक (शहरी और ग्रामीण), शैक्षणिक योग्यता, और सामाजिक एकता के ऊपर निर्भर करता है। महिला सशक्तिकरण से महिलाएँ केवल आर्थिक रूप से सुदृढ़ ही नहीं हुई हैं, अपितु परिवार और समाज की सोच में भी सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देने लगे हैं। वर्तमान समय में लोग बेटियों को बोझ समझकर दुनिया में आने से पहले ही मारें नहीं, इसलिए विकास की मुख्यधारा में महिलाओं को लाने के लिये भारत सरकार के द्वारा कई योजनाएँ चलाई गई हैं।

प्रश्न. क्या महिलाओं के सशक्तिकरण का पक्ष मात्र आर्थिक रूप से सशक्त होना ही है?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 11

नीचे दो काव्यांश दिए गए हैं। किसी एक काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए
देश के आजाद होने पर बिता लम्बी अवधि
अब असह्य इस दर्द से हैं धमनियाँ फटने लगी
व्यर्थ सीढ़ीदार खेतों में कड़ी मेहनत किए
हो गया हूँ और जर्जर, बोझ ढोकर थक गया
अब मरूँगा तो जलाने के लिए मुझको,
अरे! दो लकड़ियाँ भी नहीं होंगी सुलभ इन जंगलों से।
वन कहाँ हैं, जब कुल्हाड़ों की तृषा है बढ़ रही
काट डाले जा रहे हैं मानवों के बन्धु तरुवर
फूल से, फल से, दलों से, मूल से, तरु-छाल से
सर्वस्व देकर जो मनुज को लाभ पहुँचाते सदा
कट रहे हैं ये सभी वन,
पर्वतों की दिव्य शोभा हैं निरन्तर हो रही विद्रूप,
ऋतुएँ रो रहीं गगनचुम्बी वन सदा जिनके हृदय से
फूटते झरने, नदी बहती सुशीतल नीर की
हर पहर नित चहकते हैं कूकते रहते विहग
फूल पृथ्वी का सहज शृंगार करते हैं जहाँ।

प्रश्न. 'अब असह्य इस दर्द से'-में असह्य दर्द का कारण क्या है?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 12

नीचे दो काव्यांश दिए गए हैं। किसी एक काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए
देश के आजाद होने पर बिता लम्बी अवधि
अब असह्य इस दर्द से हैं धमनियाँ फटने लगी
व्यर्थ सीढ़ीदार खेतों में कड़ी मेहनत किए
हो गया हूँ और जर्जर, बोझ ढोकर थक गया
अब मरूँगा तो जलाने के लिए मुझको,
अरे! दो लकड़ियाँ भी नहीं होंगी सुलभ इन जंगलों से।
वन कहाँ हैं, जब कुल्हाड़ों की तृषा है बढ़ रही
काट डाले जा रहे हैं मानवों के बन्धु तरुवर
फूल से, फल से, दलों से, मूल से, तरु-छाल से
सर्वस्व देकर जो मनुज को लाभ पहुँचाते सदा
कट रहे हैं ये सभी वन,
पर्वतों की दिव्य शोभा हैं निरन्तर हो रही विद्रूप,
ऋतुएँ रो रहीं गगनचुम्बी वन सदा जिनके हृदय से
फूटते झरने, नदी बहती सुशीतल नीर की
हर पहर नित चहकते हैं कूकते रहते विहग
फूल पृथ्वी का सहज शृंगार करते हैं जहाँ।

प्रश्न. 'जब कुल्हाड़ों की तृषा है बढ़ रही'-कथन से क्या तात्पर्य है?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 13

नीचे दो काव्यांश दिए गए हैं। किसी एक काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए
देश के आजाद होने पर बिता लम्बी अवधि
अब असह्य इस दर्द से हैं धमनियाँ फटने लगी
व्यर्थ सीढ़ीदार खेतों में कड़ी मेहनत किए
हो गया हूँ और जर्जर, बोझ ढोकर थक गया
अब मरूँगा तो जलाने के लिए मुझको,
अरे! दो लकड़ियाँ भी नहीं होंगी सुलभ इन जंगलों से।
वन कहाँ हैं, जब कुल्हाड़ों की तृषा है बढ़ रही
काट डाले जा रहे हैं मानवों के बन्धु तरुवर
फूल से, फल से, दलों से, मूल से, तरु-छाल से
सर्वस्व देकर जो मनुज को लाभ पहुँचाते सदा
कट रहे हैं ये सभी वन,
पर्वतों की दिव्य शोभा हैं निरन्तर हो रही विद्रूप,
ऋतुएँ रो रहीं गगनचुम्बी वन सदा जिनके हृदय से
फूटते झरने, नदी बहती सुशीतल नीर की
हर पहर नित चहकते हैं कूकते रहते विहग
फूल पृथ्वी का सहज शृंगार करते हैं जहाँ।

प्रश्न. अंत्येष्टि के लिए लकड़ियाँ सलभ न होने का कारण है

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 14

नीचे दो काव्यांश दिए गए हैं। किसी एक काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए
देश के आजाद होने पर बिता लम्बी अवधि
अब असह्य इस दर्द से हैं धमनियाँ फटने लगी
व्यर्थ सीढ़ीदार खेतों में कड़ी मेहनत किए
हो गया हूँ और जर्जर, बोझ ढोकर थक गया
अब मरूँगा तो जलाने के लिए मुझको,
अरे! दो लकड़ियाँ भी नहीं होंगी सुलभ इन जंगलों से।
वन कहाँ हैं, जब कुल्हाड़ों की तृषा है बढ़ रही
काट डाले जा रहे हैं मानवों के बन्धु तरुवर
फूल से, फल से, दलों से, मूल से, तरु-छाल से
सर्वस्व देकर जो मनुज को लाभ पहुँचाते सदा
कट रहे हैं ये सभी वन,
पर्वतों की दिव्य शोभा हैं निरन्तर हो रही विद्रूप,
ऋतुएँ रो रहीं गगनचुम्बी वन सदा जिनके हृदय से
फूटते झरने, नदी बहती सुशीतल नीर की
हर पहर नित चहकते हैं कूकते रहते विहग
फूल पृथ्वी का सहज शृंगार करते हैं जहाँ।

प्रश्न. पेड़ों को मानव-बन्धु क्यों कहा गया है?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 15

नीचे दो काव्यांश दिए गए हैं। किसी एक काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए
देश के आजाद होने पर बिता लम्बी अवधि
अब असह्य इस दर्द से हैं धमनियाँ फटने लगी
व्यर्थ सीढ़ीदार खेतों में कड़ी मेहनत किए
हो गया हूँ और जर्जर, बोझ ढोकर थक गया
अब मरूँगा तो जलाने के लिए मुझको,
अरे! दो लकड़ियाँ भी नहीं होंगी सुलभ इन जंगलों से।
वन कहाँ हैं, जब कुल्हाड़ों की तृषा है बढ़ रही
काट डाले जा रहे हैं मानवों के बन्धु तरुवर
फूल से, फल से, दलों से, मूल से, तरु-छाल से
सर्वस्व देकर जो मनुज को लाभ पहुँचाते सदा
कट रहे हैं ये सभी वन,
पर्वतों की दिव्य शोभा हैं निरन्तर हो रही विद्रूप,
ऋतुएँ रो रहीं गगनचुम्बी वन सदा जिनके हृदय से
फूटते झरने, नदी बहती सुशीतल नीर की
हर पहर नित चहकते हैं कूकते रहते विहग
फूल पृथ्वी का सहज शृंगार करते हैं जहाँ।

प्रश्न. इस कविता में क्या प्रेरणा दी गई है?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 16

नीचे दो काव्यांश दिए गए हैं। किसी एक काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए
मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी।
नन्दन वन-सी फूल उठी यह छोटी-सी कुटिया मेरी।।
'माँ ओ' कहकर बुला रही थी मिट्टी खाकर आई थीं।
कुछ मुँह में कुछ लिए हाथ में मुझे खिलाने लाई थी।।
पुलक रहे थे अंग, दृगों में कौतुहल था छलक रहा।
मुँह पर थी आहृलाद-लालिमा विजय-गर्व था झलक रहा।।
मैंने पूछा 'यह क्या लाई'? बोल उठी वह 'माँ, काओ'।
हुआ प्रफुल्लित हृदय खुशी से मैंने कहा-'तुम्ही खाओ'।।
पाया मैंने बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया।
उसकी मंजुल मूर्ति देखकर मुझ में नवजीवन आया।।
मैं भी उसके साथ खेलती खाती हूँ, तुतलाती हूँ।
मिलकर उसके साथ स्वयं मैं भी बच्ची बन जाती हूँ।।
जिसे खोजती थी बरसों से अब जाकर उसको पाया।
भाग गया था मुझे छोड़कर वह बचपन फिर से आया।।

प्रश्न. काव्यांश के आधार पर बताइए कि कवयित्री ने अपने बचपन को किस रूप में पुनः पाया?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 17

नीचे दो काव्यांश दिए गए हैं। किसी एक काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए
मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी।
नन्दन वन-सी फूल उठी यह छोटी-सी कुटिया मेरी।।
'माँ ओ' कहकर बुला रही थी मिट्टी खाकर आई थीं।
कुछ मुँह में कुछ लिए हाथ में मुझे खिलाने लाई थी।।
पुलक रहे थे अंग, दृगों में कौतुहल था छलक रहा।
मुँह पर थी आहृलाद-लालिमा विजय-गर्व था झलक रहा।।
मैंने पूछा 'यह क्या लाई'? बोल उठी वह 'माँ, काओ'।
हुआ प्रफुल्लित हृदय खुशी से मैंने कहा-'तुम्ही खाओ'।।
पाया मैंने बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया।
उसकी मंजुल मूर्ति देखकर मुझ में नवजीवन आया।।
मैं भी उसके साथ खेलती खाती हूँ, तुतलाती हूँ।
मिलकर उसके साथ स्वयं मैं भी बच्ची बन जाती हूँ।।
जिसे खोजती थी बरसों से अब जाकर उसको पाया।
भाग गया था मुझे छोड़कर वह बचपन फिर से आया।।

प्रश्न. कवयित्री वर्षों से किसे खोज रहीं थीं?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 18

नीचे दो काव्यांश दिए गए हैं। किसी एक काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए
मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी।
नन्दन वन-सी फूल उठी यह छोटी-सी कुटिया मेरी।।
'माँ ओ' कहकर बुला रही थी मिट्टी खाकर आई थीं।
कुछ मुँह में कुछ लिए हाथ में मुझे खिलाने लाई थी।।
पुलक रहे थे अंग, दृगों में कौतुहल था छलक रहा।
मुँह पर थी आहृलाद-लालिमा विजय-गर्व था झलक रहा।।
मैंने पूछा 'यह क्या लाई'? बोल उठी वह 'माँ, काओ'।
हुआ प्रफुल्लित हृदय खुशी से मैंने कहा-'तुम्ही खाओ'।।
पाया मैंने बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया।
उसकी मंजुल मूर्ति देखकर मुझ में नवजीवन आया।।
मैं भी उसके साथ खेलती खाती हूँ, तुतलाती हूँ।
मिलकर उसके साथ स्वयं मैं भी बच्ची बन जाती हूँ।।
जिसे खोजती थी बरसों से अब जाकर उसको पाया।
भाग गया था मुझे छोड़कर वह बचपन फिर से आया।।

प्रश्न. कवयित्री की बेटी के चेहरे पर किस कारण विजय-गर्व झलक रहा था?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 19

नीचे दो काव्यांश दिए गए हैं। किसी एक काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए
मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी।
नन्दन वन-सी फूल उठी यह छोटी-सी कुटिया मेरी।।
'माँ ओ' कहकर बुला रही थी मिट्टी खाकर आई थीं।
कुछ मुँह में कुछ लिए हाथ में मुझे खिलाने लाई थी।।
पुलक रहे थे अंग, दृगों में कौतुहल था छलक रहा।
मुँह पर थी आहृलाद-लालिमा विजय-गर्व था झलक रहा।।
मैंने पूछा 'यह क्या लाई'? बोल उठी वह 'माँ, काओ'।
हुआ प्रफुल्लित हृदय खुशी से मैंने कहा-'तुम्ही खाओ'।।
पाया मैंने बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया।
उसकी मंजुल मूर्ति देखकर मुझ में नवजीवन आया।।
मैं भी उसके साथ खेलती खाती हूँ, तुतलाती हूँ।
मिलकर उसके साथ स्वयं मैं भी बच्ची बन जाती हूँ।।
जिसे खोजती थी बरसों से अब जाकर उसको पाया।
भाग गया था मुझे छोड़कर वह बचपन फिर से आया।।

प्रश्न. मिट्टी खिलाने आई बेटी की छवि कैसी थी?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 20

नीचे दो काव्यांश दिए गए हैं। किसी एक काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए
मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी।
नन्दन वन-सी फूल उठी यह छोटी-सी कुटिया मेरी।।
'माँ ओ' कहकर बुला रही थी मिट्टी खाकर आई थीं।
कुछ मुँह में कुछ लिए हाथ में मुझे खिलाने लाई थी।।
पुलक रहे थे अंग, दृगों में कौतुहल था छलक रहा।
मुँह पर थी आहृलाद-लालिमा विजय-गर्व था झलक रहा।।
मैंने पूछा 'यह क्या लाई'? बोल उठी वह 'माँ, काओ'।
हुआ प्रफुल्लित हृदय खुशी से मैंने कहा-'तुम्ही खाओ'।।
पाया मैंने बचपन फिर से बचपन बेटी बन आया।
उसकी मंजुल मूर्ति देखकर मुझ में नवजीवन आया।।
मैं भी उसके साथ खेलती खाती हूँ, तुतलाती हूँ।
मिलकर उसके साथ स्वयं मैं भी बच्ची बन जाती हूँ।।
जिसे खोजती थी बरसों से अब जाकर उसको पाया।
भाग गया था मुझे छोड़कर वह बचपन फिर से आया।।

प्रश्न. बेटी और माँ के बीच क्या संवाद हुआ?

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 21

'एक साल पहले बने कॉलेज में शीला अग्रवाल की नियुक्ति हुई थी।' संयुक्त वाक्य में बदलिए।

Detailed Solution for Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 21

इसमें दो सरल वाक्य समानाधिकरण समुच्चयबोधक 'और' से जुड़े हुए हैं।

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 22

'जो व्यक्ति साहसी हैं उनके लिए कोई कार्य असंभव नहीं है।' सरल वाक्य में बदलिए।

Detailed Solution for Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 22

विकल्प (ग) भी सरल वाक्य है लेकिन उसमें काल परिवर्तित हो जाने के कारण वह सही नहीं है। अन्य विकल्पों में दो वाक्य समुच्चयबोधक अव्यवों द्वारा आपस में जुड़े हैं।

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 23

'सवार का संतुलन बिगड़ा और वह गिर गया।' मिश्र वाक्य में बदलिए।

Detailed Solution for Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 23

क्योंकि इसे 'जैसे-वैसे' व्यधिकरण समुच्चय बोधक से जोड़ा है। इसमें एक प्रधान उपवाक्य तथा एक आश्रित उपवाक्य है।

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 24

'केवट ने कहा कि बिना पाँव भोए आपको नाव पर नहीं चढ़ाऊँगा।' आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए।

Detailed Solution for Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 24

चूँकि आश्रित उपवाक्य मुख्य उपवाक्य की | विशेषता बता रहा है। इसलिए विशेषण उपवाक्य है।

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 25

'कठोर बनो परन्तु सहृदय रहो।' रचना के आभार पर वाक्य है

Detailed Solution for Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 25

इसमें दो सरल वाक्य हैं तथा समानाधिकरण समुच्चयबोधक 'परन्तु' से आपस में जुड़े हैं।

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 26

'कुछ छोटे भूरे पक्षियों द्वारा मंच सम्हाल लिया जाता है।' कर्तृवाच्य में बदलिए।

Detailed Solution for Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 26

विकल्प (ग) व्याकरणिक दृष्टि से अशुद्ध वाक्य है। विकल्प (घ) में वाक्य का भेद विधानवाचक से संदेह वाचक में परिवर्तित हो जाने से सही नहीं है।

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 27

निम्न में से भाववाच्य है

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 28

'इसके द्वारा सात सुरों को गजब की विविभता के साथ प्रस्तुत किया गया।' वाक्य में वाच्य है

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 29

निम्न में से कर्मवाच्य है

Detailed Solution for Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 29

विकल्प (ख), (ग), (घ) कर्तृवाच्य हैं। क्रिया कर्ता के अनुसार होने के कारण ये तीनों सही नहीं हैं।

Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) - Question 30

'मेरे मित्र से चला नहीं जाता' कर्तृवाच्य में बदलिए।

View more questions
303 docs|7 tests
Information about Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) Page
In this test you can find the Exam questions for Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22) solved & explained in the simplest way possible. Besides giving Questions and answers for Test: Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term I (2021-22), EduRev gives you an ample number of Online tests for practice

Top Courses for Class 10

Download as PDF

Top Courses for Class 10