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CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - CTET & State TET MCQ


Test Description

30 Questions MCQ Test CTET Mock Test Series (Hindi) 2024 - CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi)

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CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 1

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके आधार पर दिए गए प्रश्नों) के उत्तर के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए :
विनम्रता का यह कथन बहुत ठीक है कि विनम्रता के बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं। इस बात को सब लोग मानते हैं कि आत्मसंस्कार के लिए थोड़ी बहुत मानसिक स्वतंत्रता परमावश्यक है – चाहे उस स्वतंत्रता में अभिमान और नम्रता दोनों का मेल हो और चाहे वह नम्रता ही से उत्पन्न हो। यह बात तो निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है उसके लिए वह गुण अनिवार्य है, जिससे आत्मनिर्भरता आती है और जिससे अपने पैरों के बल खड़ा होना आता है। युवा को यह सदा स्मरण रखना चाहिए कि वह बहुत कम बातें जानता है, अपने ही आदर्श से वह बहुत नीचे है और उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यता से कहीं बढ़ी हुई हैं। उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बड़ों का सम्मान करे, छोटे और बराबर वालों से कोमलता का व्यवहार करे, ये बातें आत्म-मर्यादा के लिए आवश्यक हैं। यह सारा संसार, जो कुछ हम हैं और जो कुछ हमारा है – हमारा शरीर, हमारी आत्मा, - हमारे कर्म, हमारे भोग, हमारे घर और बाहर की दशा हमारे बहुत से अवगुण, और थोड़े गुण सब इसी बात की आवश्यकता प्रकट करते हैं कि हमें अपनी आत्मा को नम्र रखना चाहिए। नम्रता से मेरा अभिप्राय दब्बूपन से नहीं है जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुँह ताकता है जिससे उसका संकल्प क्षीण और उसकी प्रज्ञा मंद हो जाती है, जिसके कारण बढ़ने के समय भी पीछे रहता है और अवसर पड़ने पर झट से किसी बात का निर्णय नहीं कर सकता। मनुष्य का बेड़ा उसके अपने ही हाथ में है, उसे वह चाहे जिधर ले जाए। सच्ची आत्मा वही है जो प्रत्येक दशा में प्रत्येक स्थिति के बीच अपनी राह आप निकालती है।

Q. दब्बूपन होने से मनुष्य का क्या क्षीण हो जाता है ?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 1

दब्बूपन होने से मनुष्य का संकल्प क्षीण हो जाता है। 
गद्यांश के अनुसार:-

  • ​नम्रता से मेरा अभिप्राय दब्बूपन से नहीं है जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुँह ताकता है
  • जिससे उसका संकल्प क्षीण और उसकी प्रज्ञा मंद हो जाती है,
  • जिसके कारण बढ़ने के समय भी पीछे रहता है और अवसर पड़ने पर झट से किसी बात का निर्णय नहीं कर सकता। 
CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 2

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके आधार पर दिए गए प्रश्नों) के उत्तर के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए :
विनम्रता का यह कथन बहुत ठीक है कि विनम्रता के बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं। इस बात को सब लोग मानते हैं कि आत्मसंस्कार के लिए थोड़ी बहुत मानसिक स्वतंत्रता परमावश्यक है – चाहे उस स्वतंत्रता में अभिमान और नम्रता दोनों का मेल हो और चाहे वह नम्रता ही से उत्पन्न हो। यह बात तो निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है उसके लिए वह गुण अनिवार्य है, जिससे आत्मनिर्भरता आती है और जिससे अपने पैरों के बल खड़ा होना आता है। युवा को यह सदा स्मरण रखना चाहिए कि वह बहुत कम बातें जानता है, अपने ही आदर्श से वह बहुत नीचे है और उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यता से कहीं बढ़ी हुई हैं। उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बड़ों का सम्मान करे, छोटे और बराबर वालों से कोमलता का व्यवहार करे, ये बातें आत्म-मर्यादा के लिए आवश्यक हैं। यह सारा संसार, जो कुछ हम हैं और जो कुछ हमारा है – हमारा शरीर, हमारी आत्मा, - हमारे कर्म, हमारे भोग, हमारे घर और बाहर की दशा हमारे बहुत से अवगुण, और थोड़े गुण सब इसी बात की आवश्यकता प्रकट करते हैं कि हमें अपनी आत्मा को नम्र रखना चाहिए। नम्रता से मेरा अभिप्राय दब्बूपन से नहीं है जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुँह ताकता है जिससे उसका संकल्प क्षीण और उसकी प्रज्ञा मंद हो जाती है, जिसके कारण बढ़ने के समय भी पीछे रहता है और अवसर पड़ने पर झट से किसी बात का निर्णय नहीं कर सकता। मनुष्य का बेड़ा उसके अपने ही हाथ में है, उसे वह चाहे जिधर ले जाए। सच्ची आत्मा वही है जो प्रत्येक दशा में प्रत्येक स्थिति के बीच अपनी राह आप निकालती है।

Q. 'परमावश्यक' का संधि-विच्छेद है -

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 2

'परमावश्यक' का संधि-विच्छेद है - 'परम + आवश्यक'

  • परम + आवश्यक =  परमावश्यक (अ + आ = आ)
  • परमावश्यक शब्द में दीर्घ संधि है।
  • परमावश्यक - अति अनिवार्य; बहुत ज़रूरी; (नेसेसरी)।
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CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 3

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके आधार पर दिए गए प्रश्नों) के उत्तर के लिए सबसे उचित विकल्प चुनिए :
विनम्रता का यह कथन बहुत ठीक है कि विनम्रता के बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं। इस बात को सब लोग मानते हैं कि आत्मसंस्कार के लिए थोड़ी बहुत मानसिक स्वतंत्रता परमावश्यक है – चाहे उस स्वतंत्रता में अभिमान और नम्रता दोनों का मेल हो और चाहे वह नम्रता ही से उत्पन्न हो। यह बात तो निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है उसके लिए वह गुण अनिवार्य है, जिससे आत्मनिर्भरता आती है और जिससे अपने पैरों के बल खड़ा होना आता है। युवा को यह सदा स्मरण रखना चाहिए कि वह बहुत कम बातें जानता है, अपने ही आदर्श से वह बहुत नीचे है और उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यता से कहीं बढ़ी हुई हैं। उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बड़ों का सम्मान करे, छोटे और बराबर वालों से कोमलता का व्यवहार करे, ये बातें आत्म-मर्यादा के लिए आवश्यक हैं। यह सारा संसार, जो कुछ हम हैं और जो कुछ हमारा है – हमारा शरीर, हमारी आत्मा, - हमारे कर्म, हमारे भोग, हमारे घर और बाहर की दशा हमारे बहुत से अवगुण, और थोड़े गुण सब इसी बात की आवश्यकता प्रकट करते हैं कि हमें अपनी आत्मा को नम्र रखना चाहिए। नम्रता से मेरा अभिप्राय दब्बूपन से नहीं है जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुँह ताकता है जिससे उसका संकल्प क्षीण और उसकी प्रज्ञा मंद हो जाती है, जिसके कारण बढ़ने के समय भी पीछे रहता है और अवसर पड़ने पर झट से किसी बात का निर्णय नहीं कर सकता। मनुष्य का बेड़ा उसके अपने ही हाथ में है, उसे वह चाहे जिधर ले जाए। सच्ची आत्मा वही है जो प्रत्येक दशा में प्रत्येक स्थिति के बीच अपनी राह आप निकालती है।

Q. 'अभिमान' शब्द में उपसर्ग का कौन-सा विकल्प सही है ?

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'अभिमान' शब्द में उपसर्ग का विकल्प सही है - 'अभि + मान'

  • अभि + मान = अभिमान
  • 'अभि' (पास) उपसर्ग और 'मान' (प्रतिष्ठा) मूल शब्द 
  • अर्थ: अपनी प्रतिष्ठा या मर्यादा एवं सत्ता की अनुचित धारणा, अहंकार, घमंड।
  • विलोम शब्द - 'नम्रता'
CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 4

अभिभावक शिक्षक बैठक से पहले, दौरान या बाद में एक शिक्षक के रूप में किन बातों का पालन करना चाहिए?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 4

शिक्षकों को ध्यान में रखते हुए कई बच्चे अपना समय और ध्यान देने की मांग करते हैं; एक अच्छा सम्मेलन एक व्यस्त शिक्षक को इस बात पर ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकता है कि आपके बच्चे को क्या चाहिए। रिपोर्ट की समीक्षा करें और पिछले सम्मेलनों से अपनी फाइलों की जांच करके देखें कि क्या वे आपको उन महत्वपूर्ण विषयों की याद दिलाते हैं जिन्हें आप याद कर सकते हैं। प्रत्येक बच्चे की खूबियों, कमजोरियों और उचित लक्ष्यों के बारे में अपने मन में स्पष्ट रहें।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 5

पाठ्यचर्या में शामिल पाठ्यपुस्तकों में निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता होनी चाहिए?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 5

पाठ्यपुस्तक वह क्षेत्र है जिसमें प्रस्तुत की जाने वाली भाषा सामग्री शिक्षण और सीखने के लिए निर्धारित है। एक अच्छी पाठ्यपुस्तक न केवल सिखाती है बल्कि परीक्षा भी लेती है। पुस्तक की सामग्री बहुत स्पष्ट होनी चाहिए, शिक्षार्थियों को आगामी सामग्री के लिए तैयार करने के लिए एक उचित शुरुआत की आवश्यकता होती है और संपूर्ण शिक्षा को इकट्ठा करने के लिए एक सही निष्कर्ष की आवश्यकता होती है।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 6

अपारदर्शी शीट पर सामग्री को ________ हार्डवेयर की मदद से प्रक्षेपित किया जाता है।

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 6

अपारदर्शी प्रोजेक्टर, एपिडियोस्कोप, एपिडायस्कोप या एपिस्कोप एक ऐसा उपकरण है जो ऊपर से वस्तु पर एक उज्ज्वल दीपक चमकाकर अपारदर्शी सामग्री प्रदर्शित करता है। दर्पण, प्रिज्म और/या इमेजिंग लेंस की एक प्रणाली का उपयोग सामग्री की एक छवि को देखने वाली स्क्रीन पर केंद्रित करने के लिए किया जाता है।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 7

निर्देश: गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न में सबसे उचित विकल्प को चुनिए।
प्राचीन भारत में शिक्षा, ज्ञान प्राप्ति का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता था। व्यक्ति के जीवन को सन्तुलित और श्रेष्ठ बनाने तथा एक नई दिशा प्रदान करने में शिक्षा का महत्त्वपूर्ण योगदान था। सामाजिक बुराइयों को उसकी जड़ों से निर्मूल करने और त्रुटिपूर्ण जीवन में सुधार करने के लिए शिक्षा की नितान्त आवश्यकता थी। यह एक ऐसी व्यवस्था थी, जिसके द्वारा सम्पूर्ण जीवन ही परिवर्तित किया जा सकता था। व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व का विकास करने, वास्तविक ज्ञान को प्राप्त करने और अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए शिक्षा पर निर्भर होना पड़ता था। आधुनिक युग की भाँति प्राचीन भारत में भी मनुष्य के चरित्र का उत्थान शिक्षा से ही सम्भव था। सामाजिक उत्तरदायित्वों को निष्ठापूर्वक वहन करना प्रत्येक मानव का परम उद्देश्य माना जाता है। इसके लिए भी शिक्षित होना नितान्त अनिवार्य है। जीवन की वास्तविकता को समझने में शिक्षा का उल्लेखनीय योगदान रहता है। भारतीय मनीषियों ने इस ओर अपना ध्यान केन्द्रित करके शिक्षा को समाज की आधारशिला के रूप में स्वीकार किया। विद्या का स्थान किसी भी वस्तु से बहुत ऊँचा बताया गया। प्रखर बुद्धि एवं सही विवेक के लिए शिक्षा की उपयोगिता को स्वीकार किया गया। यह माना गया कि शिक्षा ही मनुष्य की व्यावहारिक कर्तव्यों का पाठ पढ़ाने और सफल नागरिक बनाने में सक्षम है। इसके माध्यम से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अर्थात् सर्वांगीण विकास सम्भव है। शिक्षा ने ही प्राचीन संस्कृति को संरक्षण दिया और इसके प्रसार में मदद की। विद्या का आरम्भ ‘उपनयन संस्कार’ द्वारा होता था। उपनयन संस्कार के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए मनुस्मृति में उल्लेख मिलता है कि गर्भाधान संस्कार द्वारा तो व्यक्ति का शरीर उत्पन्न होता है पर उपनयन संस्कार द्वारा उसका आध्यात्मिक जन्म होता है। प्राचीन काल में बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आचार्य के पास भेजा जाता था। शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, जो ब्रह्मचर्य ग्रहण करता है। वह लम्बी अवधि की यज्ञावधि ग्रहण करता है। छान्दोग्योपनिषद् में उल्लेख मिलता है कि आरुणि ने अपने पुत्र श्वेतकेतु को ब्रह्मचारी रूप से वेदाध्ययन के लिए गुरु के पास जाने को प्रेरित किया था। आचार्य के पास रहते हुए ब्रह्मचारी को तप और साधना का जीवन बिताते हुए विद्याध्ययन में तल्लीन रहना पड़ता था। इस अवस्था में बालक जो ज्ञानार्जन करता था उसका लाभ उसको जीवन भर  मिलता था। गुरु गृह में निवास करते हुए विद्यार्थी समाज के निकट सम्पर्क में आता था। गुरु के लिए समिधा, जल का लाना तथा गृह-कार्य करना उसका कर्त्तव्य माना जाता था। गृहस्थ धर्म की शिक्षा के साथ-साथ वह श्रम और सेवा का पाठ पढ़ता था। शिक्षा केवल सैद्धान्तिक और पुस्तकीय न होकर जीवन की वास्तविकताओं के निकट होती थी।

Q. प्राचीन भारत में शिक्षा ________ होती थी।

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 7

प्राचीन भारत में शिक्षा जीवन की वास्तविकताओं से परिपूर्ण होती थी। दिए गए गद्यांश के अनुसार, आधुनिक युग की भाँति प्राचीन भारत में भी मनुष्य के चरित्र का उत्थान शिक्षा से ही सम्भव था। सामाजिक उत्तरदायित्वों को निष्ठापूर्वक वहन करना प्रत्येक मानव का परम उद्देश्य माना जाता है। इसके लिए भी शिक्षित होना अनिवार्य है। जीवन की वास्तविकता को समझने में शिक्षा का उल्लेखनीय योगदान रहता है। भारतीय मनीषियों ने इस ओर अपना ध्यान केन्द्रित करके शिक्षा को समाज की आधारशिला के रूप में स्वीकार किया।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 8

निर्देश: गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न में सबसे उचित विकल्प को चुनिए।
प्राचीन भारत में शिक्षा, ज्ञान प्राप्ति का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता था। व्यक्ति के जीवन को सन्तुलित और श्रेष्ठ बनाने तथा एक नई दिशा प्रदान करने में शिक्षा का महत्त्वपूर्ण योगदान था। सामाजिक बुराइयों को उसकी जड़ों से निर्मूल करने और त्रुटिपूर्ण जीवन में सुधार करने के लिए शिक्षा की नितान्त आवश्यकता थी। यह एक ऐसी व्यवस्था थी, जिसके द्वारा सम्पूर्ण जीवन ही परिवर्तित किया जा सकता था। व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व का विकास करने, वास्तविक ज्ञान को प्राप्त करने और अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए शिक्षा पर निर्भर होना पड़ता था। आधुनिक युग की भाँति प्राचीन भारत में भी मनुष्य के चरित्र का उत्थान शिक्षा से ही सम्भव था। सामाजिक उत्तरदायित्वों को निष्ठापूर्वक वहन करना प्रत्येक मानव का परम उद्देश्य माना जाता है। इसके लिए भी शिक्षित होना नितान्त अनिवार्य है। जीवन की वास्तविकता को समझने में शिक्षा का उल्लेखनीय योगदान रहता है। भारतीय मनीषियों ने इस ओर अपना ध्यान केन्द्रित करके शिक्षा को समाज की आधारशिला के रूप में स्वीकार किया। विद्या का स्थान किसी भी वस्तु से बहुत ऊँचा बताया गया। प्रखर बुद्धि एवं सही विवेक के लिए शिक्षा की उपयोगिता को स्वीकार किया गया। यह माना गया कि शिक्षा ही मनुष्य की व्यावहारिक कर्तव्यों का पाठ पढ़ाने और सफल नागरिक बनाने में सक्षम है। इसके माध्यम से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अर्थात् सर्वांगीण विकास सम्भव है। शिक्षा ने ही प्राचीन संस्कृति को संरक्षण दिया और इसके प्रसार में मदद की। विद्या का आरम्भ ‘उपनयन संस्कार’ द्वारा होता था। उपनयन संस्कार के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए मनुस्मृति में उल्लेख मिलता है कि गर्भाधान संस्कार द्वारा तो व्यक्ति का शरीर उत्पन्न होता है पर उपनयन संस्कार द्वारा उसका आध्यात्मिक जन्म होता है। प्राचीन काल में बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आचार्य के पास भेजा जाता था। शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, जो ब्रह्मचर्य ग्रहण करता है। वह लम्बी अवधि की यज्ञावधि ग्रहण करता है। छान्दोग्योपनिषद् में उल्लेख मिलता है कि आरुणि ने अपने पुत्र श्वेतकेतु को ब्रह्मचारी रूप से वेदाध्ययन के लिए गुरु के पास जाने को प्रेरित किया था। आचार्य के पास रहते हुए ब्रह्मचारी को तप और साधना का जीवन बिताते हुए विद्याध्ययन में तल्लीन रहना पड़ता था। इस अवस्था में बालक जो ज्ञानार्जन करता था उसका लाभ उसको जीवन भर  मिलता था। गुरु गृह में निवास करते हुए विद्यार्थी समाज के निकट सम्पर्क में आता था। गुरु के लिए समिधा, जल का लाना तथा गृह-कार्य करना उसका कर्त्तव्य माना जाता था। गृहस्थ धर्म की शिक्षा के साथ-साथ वह श्रम और सेवा का पाठ पढ़ता था। शिक्षा केवल सैद्धान्तिक और पुस्तकीय न होकर जीवन की वास्तविकताओं के निकट होती थी।

Q. किस शब्द में दो प्रत्ययों का प्रयोग हुआ है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 8

वास्तविकता शब्द - वास्तव + इक + ता (वास्तविकता शब्द में "प्रत्ययों इक और ता" है।
वास्तविकता शब्द में दो प्रत्यय (इक और ता) का प्रयोग हुआ है। वास्तव में इक प्रत्यय जोड़ने पर वास्तविक तथा वास्तविक में ता प्रत्यय जोड़ने पर वास्तविकता शब्द बनता है।
अन्य विकल्प -
ज्ञानवान - ज्ञान + वान
विशेषता - विशेष + ता
विचारधारा - विचार + धारा
अन्य तथ्य -
प्रत्यय - प्रत्यय दो शब्दों से बना है- प्रति+अय। 'प्रति' का अर्थ 'साथ में, 'पर बाद में' है और 'अय' का अर्थ 'चलने वाला' है।
प्रत्यय = मूल शब्द + प्रत्यय शब्द = नया शब्द
उदाहरण – मनुष्यता = मनुष्य + ता
प्रत्यय के भेद - प्रत्यय के दो प्रकार है -
(1) कृत् प्रत्यय
(2) तद्धित प्रत्यय

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 9

निर्देश: गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न में सबसे उचित विकल्प को चुनिए।
प्राचीन भारत में शिक्षा, ज्ञान प्राप्ति का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता था। व्यक्ति के जीवन को सन्तुलित और श्रेष्ठ बनाने तथा एक नई दिशा प्रदान करने में शिक्षा का महत्त्वपूर्ण योगदान था। सामाजिक बुराइयों को उसकी जड़ों से निर्मूल करने और त्रुटिपूर्ण जीवन में सुधार करने के लिए शिक्षा की नितान्त आवश्यकता थी। यह एक ऐसी व्यवस्था थी, जिसके द्वारा सम्पूर्ण जीवन ही परिवर्तित किया जा सकता था। व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व का विकास करने, वास्तविक ज्ञान को प्राप्त करने और अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए शिक्षा पर निर्भर होना पड़ता था। आधुनिक युग की भाँति प्राचीन भारत में भी मनुष्य के चरित्र का उत्थान शिक्षा से ही सम्भव था। सामाजिक उत्तरदायित्वों को निष्ठापूर्वक वहन करना प्रत्येक मानव का परम उद्देश्य माना जाता है। इसके लिए भी शिक्षित होना नितान्त अनिवार्य है। जीवन की वास्तविकता को समझने में शिक्षा का उल्लेखनीय योगदान रहता है। भारतीय मनीषियों ने इस ओर अपना ध्यान केन्द्रित करके शिक्षा को समाज की आधारशिला के रूप में स्वीकार किया। विद्या का स्थान किसी भी वस्तु से बहुत ऊँचा बताया गया। प्रखर बुद्धि एवं सही विवेक के लिए शिक्षा की उपयोगिता को स्वीकार किया गया। यह माना गया कि शिक्षा ही मनुष्य की व्यावहारिक कर्तव्यों का पाठ पढ़ाने और सफल नागरिक बनाने में सक्षम है। इसके माध्यम से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अर्थात् सर्वांगीण विकास सम्भव है। शिक्षा ने ही प्राचीन संस्कृति को संरक्षण दिया और इसके प्रसार में मदद की। विद्या का आरम्भ ‘उपनयन संस्कार’ द्वारा होता था। उपनयन संस्कार के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए मनुस्मृति में उल्लेख मिलता है कि गर्भाधान संस्कार द्वारा तो व्यक्ति का शरीर उत्पन्न होता है पर उपनयन संस्कार द्वारा उसका आध्यात्मिक जन्म होता है। प्राचीन काल में बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आचार्य के पास भेजा जाता था। शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, जो ब्रह्मचर्य ग्रहण करता है। वह लम्बी अवधि की यज्ञावधि ग्रहण करता है। छान्दोग्योपनिषद् में उल्लेख मिलता है कि आरुणि ने अपने पुत्र श्वेतकेतु को ब्रह्मचारी रूप से वेदाध्ययन के लिए गुरु के पास जाने को प्रेरित किया था। आचार्य के पास रहते हुए ब्रह्मचारी को तप और साधना का जीवन बिताते हुए विद्याध्ययन में तल्लीन रहना पड़ता था। इस अवस्था में बालक जो ज्ञानार्जन करता था उसका लाभ उसको जीवन भर  मिलता था। गुरु गृह में निवास करते हुए विद्यार्थी समाज के निकट सम्पर्क में आता था। गुरु के लिए समिधा, जल का लाना तथा गृह-कार्य करना उसका कर्त्तव्य माना जाता था। गृहस्थ धर्म की शिक्षा के साथ-साथ वह श्रम और सेवा का पाठ पढ़ता था। शिक्षा केवल सैद्धान्तिक और पुस्तकीय न होकर जीवन की वास्तविकताओं के निकट होती थी।

Q. प्रस्तुत गद्यांश में निम्नलिखित में से किस ग्रन्थ का उल्लेख नहीं है?

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प्रस्तुत गद्यांश में कठोपनिषद् ग्रन्थ का उल्लेख नहीं है।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 10

निर्देश: दिए गए पद्यांश को पढकर निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प छाँटिएI
क्या रोकेंगे प्रलय मेघ ये, क्या विद्युत-धन के नर्तन,
मुझे न साथी रोक सकेंगे, सागर के गर्जन-तर्जन।
मैं अविराम पथिक अलबेला रुके न मेरे कभी चरण,
शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने मित्र चयन।
मैं विपदाओं में मुसकाता नव आशा के दीप लिए
फिर मुझको क्या रोक सकेंगे जीवन के उत्थान-पतन,
मैं अटका कब, कब विचलित में, सतत डगर मेरी संबल
रोक सकी पगले कब मुझको यह युग की प्राचीर निबल
आँधी हो, ओले-वर्षा हों, राह सुपरिचित है मेरी,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे ये जग के खंडन-मंडन।
मुझे डरा पाए कब अंधड़, ज्वालामुखियों के कंपन,
मुझे पथिक कब रोक सके हैं अग्निशिखाओं के नर्तन।
मैं बढ़ता अविराम निरंतर तन-मन में उन्माद लिए,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल-विद्युत नर्तन।

Q. 'उन्मूलन' का विलोम शब्द क्या होगा?

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उन्मूलन' का विपरीतार्थक शब्द 'रोपण' होगाI

  • उन्मूलन का अर्थ: जड़ से उखाड़ना; समूल नष्ट करना; मटियामेट करना; ध्वस्त करना
  • रोपण का अर्थ: लगाना, स्थापित करना

विलोम/विपरीतार्थक शब्द: विपरीत (उल्टा) अर्थ बताने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं। विलोम शब्दों को विपर्यायवाची, प्रतिलोमार्थक और विपरीतार्थक शब्द भी कहते हैं।उदाहरण:  ऊपर-नीचे, सीधा-उल्टा

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 11

निम्नलिखित में से कौन सा कौशल भाषा कौशल की उत्पादक श्रेणी के अंतर्गत आता है?

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सुनना और पढ़ना ग्रहणशील श्रेणी में आता है जबकि बोलना और लिखना भाषा कौशल की उत्पादक श्रेणी के अंतर्गत आता है।

  • बोलना और लिखना भाषा कौशल की उत्पादक श्रेणी के अंतर्गत आता है क्योंकि ये मौखिक और लिखित रूप में आउटपुट उत्पन्न करते हैं। यही कारण है कि इन्हें उत्पादक कौशल के रूप में जाना जाता है।
  • सुनना और पढ़ना ग्रहणशील श्रेणी के अंतर्गत आता है क्योंकि शिक्षार्थी शिक्षक द्वारा दिए गए इनपुट को प्राप्त करता है। यही कारण है कि इन्हें ग्रहणशील कौशल के रूप में जाना जाता है।

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि बोलना और लिखना भाषा कौशल की उत्पादक श्रेणी के अंतर्गत आता है।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 12

भाषा कौशल को बेहतर तरीके से सीखा जा सकता है:

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 12

भाषा कौशल को एकीकृत तरीके से बेहतर तरीके से सीखा जा सकता है क्योंकि यह सभी कौशलों का फायदा उठाता है। उदाहरण के लिए, जब हम बोलते हैं, हम एक साथ सुनते भी हैं, जब हम लिखते हैं तो हम पढ़ भी रहे होते हैं।
भाषा के साथ यह जुड़ाव हमें भाषा की अंतर्निहित व्याकरणिकता को आंतरिक करने में सक्षम बनाता है। यह भाषा सीखने की ओर जाता है।
इसलिए उपर्युक्त बिन्दुओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि भाषा कौशल को बेहतर ढंग से सीखा जा सकता है यदि उन्हें एकीकृत तरीके से पढ़ाया जाए।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 13

व्याकरण के शिक्षण से शिक्षार्थियों को ________ में मदद मिलेगी।

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 13

व्याकरण के शिक्षण से शिक्षार्थियों को अच्छी संवादी कौशल प्राप्त करने में मदद मिलेगी क्योंकि प्रत्येक भाषा सीखने वाले का अंतिम उद्देश्य भाषा को सही ढंग से बोलने और लिखने की क्षमता हासिल करना है।

  • ऐसा करने के लिए उसे किसी न किसी रूप में व्याकरण के ज्ञान की आवश्यकता होती है।
  • इसलिए, भाषा शिक्षण में कोई भी पाठ्यक्रम व्याकरण को एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करता है।
  • जितना अधिक हम इस बात से अवगत होंगे कि यह कैसे काम करता है, उतना ही हम जिस तरह से हम और अन्य लोग भाषा का उपयोग करते हैं, उसके अर्थ और प्रभावशीलता की निगरानी कर सकते हैं।

उपरोक्त से, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि व्याकरण के शिक्षण से शिक्षार्थियों को अच्छा संवाद कौशल प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 14

निम्नलिखित में से किस विधि का सिद्धांत व्याकरण के नियमों को याद रखना है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 14

व्याकरण-अनुवाद विधि:

  • किसी भाषा को सीखने की व्याकरण-अनुवाद विधि उसके व्याकरण के विस्तृत अध्ययन के माध्यम से होती है।
  • इस विधि में, शिक्षार्थी पहले व्याकरणिक नियमों को सीखता है और फिर उन नियमों को लक्षित भाषा से मातृभाषा में वाक्यों का अनुवाद करने में लागू करता है।
  • शिक्षार्थियों को व्याकरण के नियम सिखाने के लिए मुख्य रूप से मातृभाषा या मातृभाषा का प्रयोग किया जाता है ताकि अनुवाद आसान हो जाए।
  • शब्दावली द्विभाषी शब्द सूचियों का उपयोग करके बनाई गई है, अर्थात मातृभाषा में और लक्ष्य भाषा में शब्दों के अर्थ को सिखाने के लिए।
  • जब व्याकरण के नियमों को सीखने की बात आती है तो रटना या याद रखना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इसलिए, व्याकरण-अनुवाद विधि का सिद्धांत व्याकरण के नियमों को याद रखना है।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 15

उपचारात्मक शिक्षण एक है:

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 15

उपचारात्मक शिक्षण: सीखने के दौरान, बच्चा स्वेच्छा से-अनिच्छा से या कुछ वैकल्पिक अवधारणाओं के कारण गलतियाँ करता है। एक शिक्षक का काम छात्रों को निदान के बाद उन गलतियों को सुधारने में मदद करना है। इस प्रकार अपनाई जाने वाली विधि को उपचारात्मक शिक्षण के रूप में जाना जाता है। इसकी निम्नलिखित विशेषताएं हैं:

  • इसका उपयोग भाषा कौशल में सुधार के लिए किया जा सकता है।
  • किसी विशेष समस्या क्षेत्र को ठीक करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र 'no' और 'know' के उच्चारण में उलझन में है, उसे मूक अक्षरों की अवधारणा सिखाई जा सकती है।
  • यह छात्रों के सामने आने वाली समस्याओं और चुनौतियों की पहचान के बाद किया जाता है।
  • इस पद्धति को लागू करने के लिए एक शिक्षक को छात्रों की ताकत और कमजोरियों से अच्छी तरह अवगत होना चाहिए।
  • यह एक व्यवस्थित प्रक्रिया है क्योंकि शिक्षक पहले छात्रों की समस्या का निदान करता है और फिर उपयुक्त उपचारात्मक विधियों को लागू करता है।

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि उपचारात्मक शिक्षण एक व्यवस्थित प्रक्रिया है।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 16

Directions: Read the passage given below and answer the question that follows.
Africa was once filled with an abundance of wild animals. But, that is changing fast. One of these animals, the black rhinoceros, lives on the plains of Africa. It has very poor eyesight and a very bad temper! Even though the black rhino is powerful, and can be dangerous, its strength cannot always help it to escape hunters. Some people think that the rhino’s horn has magical powers and many hunters kill rhinos for their valuable horns. This has caused the black rhino to be placed on the endangered species list. The elephant seems to represent all that is strong and wild in Africa. It once had no natural enemies, but is now endangered—killed for its ivory tusks. Wherever people are careless about the land, there are endangered species. Grizzly bears like to wander great distances. Each bear needs up to 1,500 square miles of territory to call its homeland. Today, because forests have been cleared to make room for people, the grizzly’s habitat is shrinking and the grizzly is disappearing. It joins other endangered North American animals, such as the red wolf and the American crocodile.
In South America, destruction of the rain forest threatens many animals. Unusual mammals, such as the howler monkey and the three-toed sloth, are endangered. Beautiful birds like the great green macaw and the golden parakeet are also becoming extinct. They are losing their homes in the rain forest and thousands die when they are caught and shipped off to be sold as exotic pets. The giant panda of Asia is a fascinating and unique animal. Yet, there are only about 1,000 still living in the wild. The giant panda’s diet consists mainly of the bamboo plant, so when the bamboo forests die, so does the panda. China is now making an effort to protect these special creatures from becoming extinct. Unfortunately, it is people who cause many of the problems that animals face. We alter and pollute their habitats. We hunt them for skins, tusks, furs and horns. We destroy animals that get in the way of farming or building. And we remove them from their natural habitats and take them home as pets.

Q. Which of the following questions is not a valid question?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 16

Option (1) is the correct answer as the passage is about the destruction of habitat and threatened animals. It does not discuss wildlife in general. So, this question is invalid.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 17

Directions: Read the passage given below and answer the question that follows.
Africa was once filled with an abundance of wild animals. But, that is changing fast. One of these animals, the black rhinoceros, lives on the plains of Africa. It has very poor eyesight and a very bad temper! Even though the black rhino is powerful, and can be dangerous, its strength cannot always help it to escape hunters. Some people think that the rhino’s horn has magical powers and many hunters kill rhinos for their valuable horns. This has caused the black rhino to be placed on the endangered species list. The elephant seems to represent all that is strong and wild in Africa. It once had no natural enemies, but is now endangered—killed for its ivory tusks. Wherever people are careless about the land, there are endangered species. Grizzly bears like to wander great distances. Each bear needs up to 1,500 square miles of territory to call its homeland. Today, because forests have been cleared to make room for people, the grizzly’s habitat is shrinking and the grizzly is disappearing. It joins other endangered North American animals, such as the red wolf and the American crocodile.
In South America, destruction of the rain forest threatens many animals. Unusual mammals, such as the howler monkey and the three-toed sloth, are endangered. Beautiful birds like the great green macaw and the golden parakeet are also becoming extinct. They are losing their homes in the rain forest and thousands die when they are caught and shipped off to be sold as exotic pets. The giant panda of Asia is a fascinating and unique animal. Yet, there are only about 1,000 still living in the wild. The giant panda’s diet consists mainly of the bamboo plant, so when the bamboo forests die, so does the panda. China is now making an effort to protect these special creatures from becoming extinct. Unfortunately, it is people who cause many of the problems that animals face. We alter and pollute their habitats. We hunt them for skins, tusks, furs and horns. We destroy animals that get in the way of farming or building. And we remove them from their natural habitats and take them home as pets.

Q. Which of the following can be a suitable title for the passage?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 17

The passage mainly talks about the endangered species. So, option (1) is the correct answer. Option (2) is incorrect as 'progress' is nowhere mentioned in the passage. Option (3) is incorrect as animals are not fighting with man, they are not retaliating. Option (4) is incorrect as option (1) is more appropriate title for the passage.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 18

In a language question paper, how much weightage may be given to knowledge?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 18

Knowledge may have a weightage of 80%.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 19

Directions: Read the following passage carefully and answer the questions given below it. 
Nature is an infinite source of beauty. Sunrise and sunset, mountains and rivers, lakes and glaciers, forests and fields provide joy and bliss to the human mind and heart for hours together. Everything in nature is splendid and divine. Every day and every season of the year has a peculiar beauty to unfold. Only one should have eyes to behold it and a heart to feel it like the English poet William Wordsworth who after seeing daffodils said: And then my heart with pleasure fills and dances with the daffodils?
Nature is a great teacher. Early man was thrilled with the beauty and wonders of nature. The Aryans worshipped nature. One can learn lessons in the vast school of nature. Unfortunately, the strife, the stress and the tension of modern life have made people immune to the beauties of nature. Their life is so full of care that they have no time to stand and stare. They cannot enjoy the beauty of lowing rivers, swinging trees, flying birds and majestic mountains and hills. There is, however, a cry to go back to the village from the concrete and artificial jungle of cities. Hence the town planners of today pay special attention to providing enough natural scenic spots in town planning To develop a balanced personality, one needs to have a healthy attitude which can make us appreciate and enjoy the beauty of nature. There is another balm to soothe our tired souls and listless minds than the infinite nature all around us. We should enjoy it fully to lead a balanced and harmonious life, full of peace and tranquility.

Q. According to the author of the passage, Nature:
(a) is the ultimate salvation of man
(b) is the creator of this universe
(c) is abundantly glorious and divine
(d) maintains homeostasis in human beings

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 19
  • You will find the following lines when you read the  1st paragraph of the given passage.
    Nature is an infinite source of beauty. Sunrise and sunset, mountains and rivers, lakes and glaciers, forests and fields provide joy and bliss to the human mind and heart for hours together. Everything in nature is splendid and divine. Every day and every season of the year has a peculiar beauty to unfold. Only one should have eyes to behold it and a heart to feel it like the English poet William Wordsworth who after seeing daffodils said: And then my heart with pleasure fills and dances with the daffodils?

Thus, a, b and d are not among the motives of the passage.
Hence, the correct answer is "is abundantly glorious and divine"

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 20

Directions: Read the following passage carefully and answer the questions given below it. 
Nature is an infinite source of beauty. Sunrise and sunset, mountains and rivers, lakes and glaciers, forests and fields provide joy and bliss to the human mind and heart for hours together. Everything in nature is splendid and divine. Every day and every season of the year has a peculiar beauty to unfold. Only one should have eyes to behold it and a heart to feel it like the English poet William Wordsworth who after seeing daffodils said: And then my heart with pleasure fills and dances with the daffodils?
Nature is a great teacher. Early man was thrilled with the beauty and wonders of nature. The Aryans worshipped nature. One can learn lessons in the vast school of nature. Unfortunately, the strife, the stress and the tension of modern life have made people immune to the beauties of nature. Their life is so full of care that they have no time to stand and stare. They cannot enjoy the beauty of lowing rivers, swinging trees, flying birds and majestic mountains and hills. There is, however, a cry to go back to the village from the concrete and artificial jungle of cities. Hence the town planners of today pay special attention to providing enough natural scenic spots in town planning To develop a balanced personality, one needs to have a healthy attitude which can make us appreciate and enjoy the beauty of nature. There is another balm to soothe our tired souls and listless minds than the infinite nature all around us. We should enjoy it fully to lead a balanced and harmonious life, full of peace and tranquility.

Q. What are the town planners doing today?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 20

When you the 2nd paragraph of the given passage, you will find the following lines:
Nature is a great teacher. Early man was thrilled with the beauty and wonders of nature. The Aryans worshipped nature. One can learn lessons in the vast school of nature. Unfortunately, the strife, the stress and the tension of modern life have made people immune to the beauties of nature. Their life is so full of care that they have no time to stand and stare. They cannot enjoy the beauty of lowing rivers, swinging trees, flying birds and majestic mountains and hills. There is, however, a cry to go back to the village from the concrete and artificial jungle of cities. Hence the town planners of today pay special attention to providing enough natural scenic spots in town planning 
The highlighted sentences show that town planners provide something to feel like nature, which means they are providing facilities for enjoying nature. 
Hence, the correct sentence is "option 1"

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 21

Directions: Read the following passage carefully and answer the questions given below it. 
Nature is an infinite source of beauty. Sunrise and sunset, mountains and rivers, lakes and glaciers, forests and fields provide joy and bliss to the human mind and heart for hours together. Everything in nature is splendid and divine. Every day and every season of the year has a peculiar beauty to unfold. Only one should have eyes to behold it and a heart to feel it like the English poet William Wordsworth who after seeing daffodils said: And then my heart with pleasure fills and dances with the daffodils?
Nature is a great teacher. Early man was thrilled with the beauty and wonders of nature. The Aryans worshipped nature. One can learn lessons in the vast school of nature. Unfortunately, the strife, the stress and the tension of modern life have made people immune to the beauties of nature. Their life is so full of care that they have no time to stand and stare. They cannot enjoy the beauty of lowing rivers, swinging trees, flying birds and majestic mountains and hills. There is, however, a cry to go back to the village from the concrete and artificial jungle of cities. Hence the town planners of today pay special attention to providing enough natural scenic spots in town planning To develop a balanced personality, one needs to have a healthy attitude which can make us appreciate and enjoy the beauty of nature. There is another balm to soothe our tired souls and listless minds than the infinite nature all around us. We should enjoy it fully to lead a balanced and harmonious life, full of peace and tranquility.

Q. In the sentence, "Their life is so full of care that they have no time to stand and stare," what is the part of speech of 'care'?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 21
  • In the sentence, "Their life is so full of care that they have no time to stand and stare," the part of speech of 'care' is a noun.
  • Here, the word "care" refers to a state or condition of being worried or concerned. It is a noun that functions as the object of the preposition "of" and modifies the noun "life."
  • If "care" were a verb, the sentence would be structured differently.
    For example, "Their life is so full of caring that they have no time to stand and stare."
    In this sentence, "caring" is a gerund (a verb form that functions as a noun) and serves as the object of the preposition "of."
  • Therefore, in the original sentence, "care" is a noun that describes the quality of their life, not an action they are taking.
CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 22

Directions: Read the following passage carefully and answer the questions given below it. 
Nature is an infinite source of beauty. Sunrise and sunset, mountains and rivers, lakes and glaciers, forests and fields provide joy and bliss to the human mind and heart for hours together. Everything in nature is splendid and divine. Every day and every season of the year has a peculiar beauty to unfold. Only one should have eyes to behold it and a heart to feel it like the English poet William Wordsworth who after seeing daffodils said: And then my heart with pleasure fills and dances with the daffodils?
Nature is a great teacher. Early man was thrilled with the beauty and wonders of nature. The Aryans worshipped nature. One can learn lessons in the vast school of nature. Unfortunately, the strife, the stress and the tension of modern life have made people immune to the beauties of nature. Their life is so full of care that they have no time to stand and stare. They cannot enjoy the beauty of lowing rivers, swinging trees, flying birds and majestic mountains and hills. There is, however, a cry to go back to the village from the concrete and artificial jungle of cities. Hence the town planners of today pay special attention to providing enough natural scenic spots in town planning To develop a balanced personality, one needs to have a healthy attitude which can make us appreciate and enjoy the beauty of nature. There is another balm to soothe our tired souls and listless minds than the infinite nature all around us. We should enjoy it fully to lead a balanced and harmonious life, full of peace and tranquility.

Q. Choose the word which is most OPPOSITE in meaning of the word unfold as used in the passage:

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 22

Let's look at the meaning of the words; given and marked: 

  • Unfold- make (something) visible by uncovering it.
    Example: Nature unfolds his creativity in helping me get success. 
  • Conceal- to hide
    Example: He tried to conceal the money when his mother came.
  • "Conceal" is the opposite of "unfold".

Hence, the correct answer is "option 2"

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 23

The reading skill of skimming is used

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 23

Reading sub-skill refers to the well-planned reading approach which helps the learners to comprehend and perceive the meaning of the text effectively. There are different kinds of reading sub-skill and 'Skimming' is one of them.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 24

In the Constructivist Approach, language is taught by 

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 24

The existing English language teaching methodologies have inherent problems in that they ignore the innate ability of children to acquire language and instead focus on rigid practice-based programs.

  • The constructivist approach, on the other hand, is a movement away from learning to acquisition with new perspectives of looking at language, language acquisition, the learners, teacher, teaching materials, and so on. The output and success are measured by the discourse that the students are able to construct.
  • The constructivist approach of language teaching gives primacy to collaborative learning by involving learners in discussions and projects. In the Constructivist Approach, language is taught by enabling students to create new knowledge based on past experiences and engaging in various activities as it:
    • Emphasizes collaboration with others for learning. 
    • Ensures the active involvement of learners and promotes peer tutoring. 
    • Allows learners to foster their own strategy of learning to perform a task. 
    • Provides ample opportunities to learners to make them work at their own pace. 
    • Views learners as makers of meaning and creators of knowledge through social interaction. 
    • Prepares students to create new knowledge​, draw conclusions, and compare their findings.

Hence, it could be concluded that in the Constructivist Approach, language is taught by enabling students to create new knowledge based on past experiences and engaging in various activities.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 25

A language learning textbook for the first grade begins first with the alphabet, two-letter words, three letter words, and then stories and poems. Which method has been followed in this textbook?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 25

There are many strategies or processes of reading in a fashion which makes reading an interesting and productive activity and 'Bottom-up approach' is one of them.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 26

A language teacher asked the students to read a short story and to tell the summary of it by concluding the main idea of the story while decoding the meaning of the story. Which of the following reading activity is encouraged by the teacher?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 26

Intensive reading includes the reading that is being done in-depth to grasp the meaning and comprehend the written text. It is also known as in-depth reading. Intensive reading includes short texts (short stories, articles, blogs, etc.), then the reader organized them in an order to make a conclusion to decode the meaning of it. The reader here reads to achieve certain aims and objectives. A language teacher asked the students to read a short story and to tell the summary of it by concluding the main idea of the story while decoding the meaning of the story.
Therefore, it could be concluded that the reading activity encouraged by the teacher is intensive reading.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 27

The basic skills for learning a language are:
(i) Listening and speaking skill
(ii) Phonetic and word skill
(iii) Phonic and phrase skill
(iv) Reading and writing skill

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 27

People generally learn these four skills in the following order:

  • Listening: While learning a new language you first hear it. It is the first step since it is acquired merely by interacting with the surroundings and requires little effort for a child. It is re-productive in nature and requires passive command
  • Speaking: Eventually, you need to try the repetition of what you hear from others. This is the second step that he acquires usually by observing and imitating. It is productive in nature and requires action in nature.
  • Reading: Later, you see the spoken language depicted symbolically in print. This is the third step and is acquired by drill and practice using textbooks, newspapers, etc. It is also re-productive in nature and requires passive command.
  • Writing: Finally, you reproduce these symbols on paper. It is the last and the most challenging step since it requires a lot of effort like reviewing, editing, etc. It is also productive in nature and requires action in nature.

Therefore, we can conclude that basic language skills are Listening, Speaking, Reading, Writing.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 28

Direction: ​Read the given passages carefully and answer the question that follows.
Everything that men do or think concerns either the satisfaction of the needs they feel or the need to escape from pain. This must be kept in mind when we seek to understand spiritual or intellectual movements and the way in which they develop, for feeling and longing are the motive forces of all human striving and productivity – however nobly these latter may display themselves to us.
What, then, are the feelings and the needs which have brought mankind to religious thought and to faith in the widest sense? A moment’s consideration shows that the most varied emotions stand at the cradle of religious thought and experience.
In primitive people, it is, first of all, fear that awakens religious ideas – fear of hunger, of wild animals, of illness, and of death. Since the understanding of causal connections is usually limited on this level of existence, the human soul forges a being, more or less like itself, on whose will and activities depend the experiences which it fears. One hopes to win the favor of this being, by deeds and sacrifices, which according to the tradition of the race are supposed to appease the being or to make him well disposed to man. I call this the religion of fear.
This religion is considerably established, though not caused, by the formation of priestly caste which claims to mediate between the people and the being they fear and so attains a position of power. Often a leader or despot will combine the function of the priesthood with its own temporal rule for the sake of greater security, or an alliance may exist between the interests of political power and the priestly caste.
Identify the part of speech of the underlined word:

Q. I call this the religion of fear.

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 28

Noun: A noun is a word that refers to a thing (book), a person (Betty Crocker), an animal (cat), a place (Omaha), a quality (softness), an idea (justice), or an action (yodeling).
Religion here refers to the belief in and worship of a superhuman controlling power, especially a personal God or gods.
Thus, the part of speech of the underlined word is noun.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 29

Direction: ​Read the given passages carefully and answer the question that follows.
Everything that men do or think concerns either the satisfaction of the needs they feel or the need to escape from pain. This must be kept in mind when we seek to understand spiritual or intellectual movements and the way in which they develop, for feeling and longing are the motive forces of all human striving and productivity – however nobly these latter may display themselves to us.
What, then, are the feelings and the needs which have brought mankind to religious thought and to faith in the widest sense? A moment’s consideration shows that the most varied emotions stand at the cradle of religious thought and experience.
In primitive people, it is, first of all, fear that awakens religious ideas – fear of hunger, of wild animals, of illness, and of death. Since the understanding of causal connections is usually limited on this level of existence, the human soul forges a being, more or less like itself, on whose will and activities depend the experiences which it fears. One hopes to win the favor of this being, by deeds and sacrifices, which according to the tradition of the race are supposed to appease the being or to make him well disposed to man. I call this the religion of fear.
This religion is considerably established, though not caused, by the formation of priestly caste which claims to mediate between the people and the being they fear and so attains a position of power. Often a leader or despot will combine the function of the priesthood with its own temporal rule for the sake of greater security, or an alliance may exist between the interests of political power and the priestly caste.

Q. What motivates man’s actions or thinking?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 29

According to the line mentioned in the passage, Everything that men do or think concerns either the satisfaction of the needs they feel or the need to escape from pain.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 30

Direction: ​Read the given passages carefully and answer the question that follows.
Everything that men do or think concerns either the satisfaction of the needs they feel or the need to escape from pain. This must be kept in mind when we seek to understand spiritual or intellectual movements and the way in which they develop, for feeling and longing are the motive forces of all human striving and productivity – however nobly these latter may display themselves to us.
What, then, are the feelings and the needs which have brought mankind to religious thought and to faith in the widest sense? A moment’s consideration shows that the most varied emotions stand at the cradle of religious thought and experience.
In primitive people, it is, first of all, fear that awakens religious ideas – fear of hunger, of wild animals, of illness, and of death. Since the understanding of causal connections is usually limited on this level of existence, the human soul forges a being, more or less like itself, on whose will and activities depend the experiences which it fears. One hopes to win the favor of this being, by deeds and sacrifices, which according to the tradition of the race are supposed to appease the being or to make him well disposed to man. I call this the religion of fear.
This religion is considerably established, though not caused, by the formation of priestly caste which claims to mediate between the people and the being they fear and so attains a position of power. Often a leader or despot will combine the function of the priesthood with its own temporal rule for the sake of greater security, or an alliance may exist between the interests of political power and the priestly caste.

Q. Choose the antonym for 'latter'.

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 7 (Hindi) - Question 30

The word 'Former' is the opposite in meaning of word 'latter'.
​The word Latter(adjective) means- "near or towards the end of something".
E.g: In the latter stages of the fight he began to tire.​
​The antonyms of the given word Latter are-  'Former', 'foremost', 'starting', 'primary, etc.
The word Former(adjective) means- "of or in an earlier time; before the present time or in the past".
E.g: A former employer.

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