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CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - CTET & State TET MCQ


Test Description

30 Questions MCQ Test CTET Mock Test Series (Hindi) 2024 - CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi)

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) for CTET & State TET 2024 is part of CTET Mock Test Series (Hindi) 2024 preparation. The CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) questions and answers have been prepared according to the CTET & State TET exam syllabus.The CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) MCQs are made for CTET & State TET 2024 Exam. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises, MCQs and online tests for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) below.
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CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 1

किसी उत्पाद का इस्तेमाल करके उपभोक्ता भी बाजार में भागीदार बन जाता है। यदि उपभोक्ता नही होंगे तो किसी भी कंपनी का अस्तित्व नही होगा। जहाँ तक उपभोक्ता के अधिकार का सवाल है तो उपभोक्ता की स्थिति दयनीय ही कही जायेगी। इसको समझने के लिए आप वैसे दुकानदार का उदाहरण ले सकते है जो कम वजन तौलता है या वह कम्पनी जो अपने पैक पर झूठे वादे करती है। ज्यादातर मिठाई बेचने वाले कच्चे माल में मिलावट करके लड्डू या बर्फी बनाते है। कुछ वर्षो पहले मिलावटी सरसों तेल से फैलने वाली ड्रॉप्सी नाम की बीमारी आपको याद होगी। यदि आपने कभी ट्रेन से सफर किया होगा तो आपको पता होगा कि ट्रेन में बिकने वाले खाने पीने की ज्यादातर चीजे घटिया होती है। यहाँ तक की पैंट्री में मिलने वाला खाना भी घटिया क्वालिटी का होता है। भारत में मिलावट, कालाबाजारी, जमाखोरी, कम वजन आदि की पुरानी परम्परा रही है। 1960 के दशक से भारत में उपभोक्ता आन्दोलन शुरू हुए थे। 1970 के दशक तक उपभोक्ता आन्दोलन केवल आर्टिकल लिखने और प्रदर्शनी लगाने तक ही सीमित था। लेकिन हाल के वर्षो में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से उछाल आया है।
विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से लोगो में इतनी अधिक असंतुष्टि थी कि उपभोक्ताओं के पास अपनी आवाज उठाने के सिवा और कोई रास्ता नही बचा था। कई वर्षो के लम्बे संघर्ष के बाद सरकार को इसकी खैर लेने के लिए बाधित होना पड़ा और इसकी परिणति के रूप में 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (कोपरा) को लागू किया गया। एक उपभोक्ता को किसी उत्पाद के बारे में सही जानकारी पाने का अधिकार होता है। अब ऐसे कानून है जो किसी उत्पाद के पैक पर अवयवों और सुरक्षा के बारे में जानकारी देना अनिवार्य बनाते है। सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है। यदि कूई दुकानदार एमआरपी से अधिक चार्ज करता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है। एक उपभोक्ता को विभिन्न विकल्पों में से चुनने का अधिकार होता है। कोई भी विक्रेता केवल एक ही ब्रांड पेश नही कर सकता है। उसे अपने ग्राहक को कई विकल्प देने होगे। इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिये लागू किया जाता है।

Q. किसी चीज से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 1

उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है।
गद्यांश से

  • "सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है।"
CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 2

किसी उत्पाद का इस्तेमाल करके उपभोक्ता भी बाजार में भागीदार बन जाता है। यदि उपभोक्ता नही होंगे तो किसी भी कंपनी का अस्तित्व नही होगा। जहाँ तक उपभोक्ता के अधिकार का सवाल है तो उपभोक्ता की स्थिति दयनीय ही कही जायेगी। इसको समझने के लिए आप वैसे दुकानदार का उदाहरण ले सकते है जो कम वजन तौलता है या वह कम्पनी जो अपने पैक पर झूठे वादे करती है। ज्यादातर मिठाई बेचने वाले कच्चे माल में मिलावट करके लड्डू या बर्फी बनाते है। कुछ वर्षो पहले मिलावटी सरसों तेल से फैलने वाली ड्रॉप्सी नाम की बीमारी आपको याद होगी। यदि आपने कभी ट्रेन से सफर किया होगा तो आपको पता होगा कि ट्रेन में बिकने वाले खाने पीने की ज्यादातर चीजे घटिया होती है। यहाँ तक की पैंट्री में मिलने वाला खाना भी घटिया क्वालिटी का होता है। भारत में मिलावट, कालाबाजारी, जमाखोरी, कम वजन आदि की पुरानी परम्परा रही है। 1960 के दशक से भारत में उपभोक्ता आन्दोलन शुरू हुए थे। 1970 के दशक तक उपभोक्ता आन्दोलन केवल आर्टिकल लिखने और प्रदर्शनी लगाने तक ही सीमित था। लेकिन हाल के वर्षो में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से उछाल आया है।
विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से लोगो में इतनी अधिक असंतुष्टि थी कि उपभोक्ताओं के पास अपनी आवाज उठाने के सिवा और कोई रास्ता नही बचा था। कई वर्षो के लम्बे संघर्ष के बाद सरकार को इसकी खैर लेने के लिए बाधित होना पड़ा और इसकी परिणति के रूप में 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (कोपरा) को लागू किया गया। एक उपभोक्ता को किसी उत्पाद के बारे में सही जानकारी पाने का अधिकार होता है। अब ऐसे कानून है जो किसी उत्पाद के पैक पर अवयवों और सुरक्षा के बारे में जानकारी देना अनिवार्य बनाते है। सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है। यदि कूई दुकानदार एमआरपी से अधिक चार्ज करता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है। एक उपभोक्ता को विभिन्न विकल्पों में से चुनने का अधिकार होता है। कोई भी विक्रेता केवल एक ही ब्रांड पेश नही कर सकता है। उसे अपने ग्राहक को कई विकल्प देने होगे। इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिये लागू किया जाता है।

Q. दुकानदार से उसकी शिकायत करने पर आपको उसका क्या झेलना पडा होगा?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 2
  • उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार दुकानदार से उसकी शिकायत करने पर हमें उसका दुर्व्यवहार झेलना पड़ता है।
  • अर्थात दुकानदार की शिकायत करने पर उपभोक्ताओं को उनका दुर्व्यवहार झेलना पड़ता है।
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CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 3

किसी उत्पाद का इस्तेमाल करके उपभोक्ता भी बाजार में भागीदार बन जाता है। यदि उपभोक्ता नही होंगे तो किसी भी कंपनी का अस्तित्व नही होगा। जहाँ तक उपभोक्ता के अधिकार का सवाल है तो उपभोक्ता की स्थिति दयनीय ही कही जायेगी। इसको समझने के लिए आप वैसे दुकानदार का उदाहरण ले सकते है जो कम वजन तौलता है या वह कम्पनी जो अपने पैक पर झूठे वादे करती है। ज्यादातर मिठाई बेचने वाले कच्चे माल में मिलावट करके लड्डू या बर्फी बनाते है। कुछ वर्षो पहले मिलावटी सरसों तेल से फैलने वाली ड्रॉप्सी नाम की बीमारी आपको याद होगी। यदि आपने कभी ट्रेन से सफर किया होगा तो आपको पता होगा कि ट्रेन में बिकने वाले खाने पीने की ज्यादातर चीजे घटिया होती है। यहाँ तक की पैंट्री में मिलने वाला खाना भी घटिया क्वालिटी का होता है। भारत में मिलावट, कालाबाजारी, जमाखोरी, कम वजन आदि की पुरानी परम्परा रही है। 1960 के दशक से भारत में उपभोक्ता आन्दोलन शुरू हुए थे। 1970 के दशक तक उपभोक्ता आन्दोलन केवल आर्टिकल लिखने और प्रदर्शनी लगाने तक ही सीमित था। लेकिन हाल के वर्षो में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से उछाल आया है।
विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से लोगो में इतनी अधिक असंतुष्टि थी कि उपभोक्ताओं के पास अपनी आवाज उठाने के सिवा और कोई रास्ता नही बचा था। कई वर्षो के लम्बे संघर्ष के बाद सरकार को इसकी खैर लेने के लिए बाधित होना पड़ा और इसकी परिणति के रूप में 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (कोपरा) को लागू किया गया। एक उपभोक्ता को किसी उत्पाद के बारे में सही जानकारी पाने का अधिकार होता है। अब ऐसे कानून है जो किसी उत्पाद के पैक पर अवयवों और सुरक्षा के बारे में जानकारी देना अनिवार्य बनाते है। सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है। यदि कूई दुकानदार एमआरपी से अधिक चार्ज करता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है। एक उपभोक्ता को विभिन्न विकल्पों में से चुनने का अधिकार होता है। कोई भी विक्रेता केवल एक ही ब्रांड पेश नही कर सकता है। उसे अपने ग्राहक को कई विकल्प देने होगे। इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिये लागू किया जाता है।

Q. अधिकारों के मामले में भारतीय उपभोक्ताओं की स्थिति कैसी है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 3
  • उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार अधिकारों के मामलों में भारतीय उपभोक्ताओं की स्थिति दयनीय है।
  • अर्थात उपभोक्ताओं के पास अधिकार ना के बराबर है बाद के वर्षों में जाकर उपभोक्ता संगठन सक्रिय हुए।
CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 4

किसी उत्पाद का इस्तेमाल करके उपभोक्ता भी बाजार में भागीदार बन जाता है। यदि उपभोक्ता नही होंगे तो किसी भी कंपनी का अस्तित्व नही होगा। जहाँ तक उपभोक्ता के अधिकार का सवाल है तो उपभोक्ता की स्थिति दयनीय ही कही जायेगी। इसको समझने के लिए आप वैसे दुकानदार का उदाहरण ले सकते है जो कम वजन तौलता है या वह कम्पनी जो अपने पैक पर झूठे वादे करती है। ज्यादातर मिठाई बेचने वाले कच्चे माल में मिलावट करके लड्डू या बर्फी बनाते है। कुछ वर्षो पहले मिलावटी सरसों तेल से फैलने वाली ड्रॉप्सी नाम की बीमारी आपको याद होगी। यदि आपने कभी ट्रेन से सफर किया होगा तो आपको पता होगा कि ट्रेन में बिकने वाले खाने पीने की ज्यादातर चीजे घटिया होती है। यहाँ तक की पैंट्री में मिलने वाला खाना भी घटिया क्वालिटी का होता है। भारत में मिलावट, कालाबाजारी, जमाखोरी, कम वजन आदि की पुरानी परम्परा रही है। 1960 के दशक से भारत में उपभोक्ता आन्दोलन शुरू हुए थे। 1970 के दशक तक उपभोक्ता आन्दोलन केवल आर्टिकल लिखने और प्रदर्शनी लगाने तक ही सीमित था। लेकिन हाल के वर्षो में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से उछाल आया है।
विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से लोगो में इतनी अधिक असंतुष्टि थी कि उपभोक्ताओं के पास अपनी आवाज उठाने के सिवा और कोई रास्ता नही बचा था। कई वर्षो के लम्बे संघर्ष के बाद सरकार को इसकी खैर लेने के लिए बाधित होना पड़ा और इसकी परिणति के रूप में 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (कोपरा) को लागू किया गया। एक उपभोक्ता को किसी उत्पाद के बारे में सही जानकारी पाने का अधिकार होता है। अब ऐसे कानून है जो किसी उत्पाद के पैक पर अवयवों और सुरक्षा के बारे में जानकारी देना अनिवार्य बनाते है। सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है। यदि कूई दुकानदार एमआरपी से अधिक चार्ज करता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है। एक उपभोक्ता को विभिन्न विकल्पों में से चुनने का अधिकार होता है। कोई भी विक्रेता केवल एक ही ब्रांड पेश नही कर सकता है। उसे अपने ग्राहक को कई विकल्प देने होगे। इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिये लागू किया जाता है।

Q. विक्रेता को अपने ग्राहकों को क्या कई देने होंगे?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 4
  • उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार विक्रेता को अपने ग्राहकों को विकल्प देने होंगे।
  • इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिए लागू किया जाता है।
CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 5

फ़ैली खेतों में दूर तलक 
मखमल की कोमल हरियाली,
लिपटी जिससे रवि की किरणें 
चाँदी की सी उजली जाली।
तिनकों के हरे हरे तन पर 
हिल हरित रुधिर है रहा झलक,
श्यामल भू तल पर झुका हुआ 
नभ का चिर निर्मल नील फलक।
रोमांचित - सी लगती वसुधा 
आई जौ गेहूँ में बाली,
अरहर सनई की सोने की 
किंकिणियाँ है शोभाशाली।
उडती भीनी तैलाक्त गंध,
फूली सरसों पीली - पीली,
लो, हरित धरा से झाँक रही 
नीलम की कलि, तीसी नीली।
रंग - रंग के फूलो में रिलमिल 
हंस रही सखियाँ मटर खडी 
मखमली पेटियों सी लटकी 
छीमियाँ, छिपाए बीज लड़ी 
फिरती है रंग रंग की तितली 
रंग - रंग के फूलो पर सुंदर,
फुले फिरते हो फूल स्वयं 
उड़ - उड़ वृन्तो से वृन्तो पर।

Q. वसन्त ऋतु की मादकता में कौन मतवाली हो गई है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 5
  • उपर्युक्त पद्यांश के अनुसार वसंत ऋतु की मादकता में तितली मतवाली हो गई है।
  • फिरती है रंग रंग की तितली 
    रंग - रंग के फूलो पर सुंदर,
  • अर्थात तितली बसंत ऋतु से प्रभावित होकर खुशी से इधर-उधर रंग - रंग के फूलो पर झूम रही है।
CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 6

विषय से जुड़ी कई भाषा गतिविधियों के माध्यम से एक पाठ पढ़ाना, द्वितीय भाषा शिक्षण के किस सिद्धांत को संदर्भित करता है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 6

दृष्टिकोण की एकाधिक रेखा:

  • "मल्टीपल लाइन" शब्द का अर्थ है कि एक को कई अलग-अलग बिंदुओं से एक और एक ही छोर की ओर एक साथ आगे बढ़ना है। किसी भाषा को पढ़ाने में, इसका तात्पर्य सभी मोर्चों से समस्या पर हमला करना है।
  • इसका मतलब है कि शिक्षक द्वारा पढ़ाए जाने वाले पाठ को कई पक्षों से निपटाया जाना चाहिए। तो, यह दर्शाता है कि बहु-पंक्ति दृष्टिकोण में विभिन्न दिशाओं और साधनों से एक ही लक्ष्य तक पहुंचना शामिल है।
  • उदाहरण के लिए, पाठ्यपुस्तक में 'छुट्टियाँ' पर एक पाठ है। शिक्षक के पास विषय से जुड़ी कई भाषा गतिविधियाँ हो सकती हैं जैसे मौखिक अभ्यास, पढ़ना, वाक्य लेखन, रचना, व्याकरण, अनुवाद, भाषा अभ्यास आदि।

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि विषय से जुड़ी कई भाषा गतिविधियों के माध्यम से एक पाठ पढ़ाना, दृष्टिकोण की एकाधिक रेखा को संदर्भित करता है।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 7

फ्लैनल बोर्ड इसके लिए उपयोगी है:

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 7

फ्लैनल बोर्डों का उपयोग विभिन्न स्थितियों में कक्षाओं में किया जा सकता है।

  • फ्लैनल बोर्ड का उपयोग करने का लाभ यह है कि यह छात्रों को पढ़ाने के लिए सामग्री का उपयोग करने का लचीलापन प्रदान करता है।
  • फ्लैनल बोर्ड का उपयोग चित्रों, संदेशों को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है।
  • अंग्रेजी भाषा की कक्षा में इसका उपयोग चित्र रचना सिखाने के लिए किया जा सकता है।
  • यह बच्चों को कहानियों का पता लगाने, उनकी कल्पना को लागू करने, ठीक मोटर कौशल को बढ़ावा देने और उनकी रचनात्मकता को बढ़ाने की अनुमति देता है।
  • फ्लैनल बोर्ड बच्चे की सीखने की क्षमता को बढ़ाता है।

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि फ्लैनल बोर्ड चित्र रचना शिक्षण के लिए उपयोगी है।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 8

निर्देश: गद्यांश को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर दीजिए।
प्रेम आत्मा का भोजन है, प्रेम परमात्मा की ऊर्जा है जिससे प्रकृति का सारा सृजन होता है। आध्यात्म जगत में प्रेम से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कोई शब्द नहीं है। यही वह रसायन है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ देता है। जब आप प्रेम में उतर जाते हो तो प्रेम का प्रत्युत्तर अपने आप आना शुरू हो जाता है। आप सद्गुरु की आँखों में प्रेम से झांकते हो तो सद्गुरु की प्रेम ऊर्जा आपको ऐसे लपेटने लगती है कि आप मंत्रमुग्ध होकर उसी के हो जाते हो। सद्गुरु को पकड़ो। पकड़ने का अर्थ है – सबसे पहले वहां साष्टांग हो जाओ, झुक जाओ यानि अहंकार के विसर्जन का, प्रेम का, प्रीती का अभ्यास सद्गुरु के चरणों से शुरू करो।  एक बात और है – प्रेम करना नहीं होता, प्रेम तो स्वयं हो जाता है। लेकिन इस प्रेम के होने में बुद्धि सबसे बड़ी बाधा बन जाती है। बुद्धि सोच विचार करती है। तर्क वितर्क करती है, वह खुले ह्रदय से अनुभव नहीं करने देती है।  बुद्धि बंधन है, उसी से मुक्त होना है और उपलब्ध रहना है उन प्रेम के क्षणों में। प्रेम की भूल-भुलैया का जरा अनुभव तो करो, लेकिन बुद्धि से नहीं, ह्रदय खोलकर प्रेम का दिया बनो। प्रेम का अर्थ होता है – दूसरों को इतना अपना बना लेना कि कुछ छिपाने को बचे ही नहीं। एक कसौटी दे रहा हूँ आपको, जब आपको लगने लगे कि उससे छिपाने को कुछ भी नहीं रहा तब समझना कि आपको सच्चे अर्थों में प्रेम हो गया है। सद्गुरु ही एकमात्र व्यक्तित्व है जो निःस्वार्थ प्रेम करता है।  उसे आपसे कुछ पाना नहीं है। उसे तो अपना सब कुछ आपके ऊपर लुटाना है। उसके प्रति प्रेम करने में कठिनाई का अनुभव नहीं होना चाहिए। वह तो खूँटी है। उसी खूँटी से अभ्यास करो। ऋषियों ने कहा है, प्रकृति से प्रेम करो।  फिर धीरे-धीरे मनुष्य पर आओ। मनुष्य से आकर आप सीधे परमात्मा तक पहुंचोगे। ऋषियों ने पहाड़ों को पूजा, नदियों को पूजा, वृक्षों को पूजा, चाँद-तारों को पूजा। किसलिए? उन्होंने सन्देश दिया कि सारी पृथ्वी से प्रेम करो। विराट अस्तित्व ही परमात्मा है। सबके प्रति प्रेम से इतना भर जाओ कि आपकी लय, आपका संगीत, आपका छंद उस परमात्मा से जुड़ जाये।  जो-जो शरीर में है वह सब ब्रह्मांड में है। सारे धर्म इसी बात का विज्ञान हैं और कुछ नहीं। प्रेम की एक ही साधना है, एक ही संकल्पना है जिसके साध लेने पर आध्यात्म की सारी साधनाएँ प्रकट हो जायेंगी।

Q. 'प्रत्युत्तर' में कौन सी संधि है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 8

प्रत्युत्तर शब्द का सही संधि विच्छेद 'प्रति + उत्तर' होगा।

  • इसमें 'इ + उ' वर्णों की संधि हुई है और ‘य’ वर्ण की उत्पत्ति हुई है।
  • इसलिए यहाँ पर यण संधि होगी।
  • क्योंकि जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ के बाद कोई अन्य स्वर आता है तो ये क्रमश: य, व, र, ल् में परिवर्तन हो जाता है, यह परिवर्तन यण सन्धि का होता है।
CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 9

निर्देश: गद्यांश को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर दीजिए।
प्रेम आत्मा का भोजन है, प्रेम परमात्मा की ऊर्जा है जिससे प्रकृति का सारा सृजन होता है। आध्यात्म जगत में प्रेम से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कोई शब्द नहीं है। यही वह रसायन है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ देता है। जब आप प्रेम में उतर जाते हो तो प्रेम का प्रत्युत्तर अपने आप आना शुरू हो जाता है। आप सद्गुरु की आँखों में प्रेम से झांकते हो तो सद्गुरु की प्रेम ऊर्जा आपको ऐसे लपेटने लगती है कि आप मंत्रमुग्ध होकर उसी के हो जाते हो। सद्गुरु को पकड़ो। पकड़ने का अर्थ है – सबसे पहले वहां साष्टांग हो जाओ, झुक जाओ यानि अहंकार के विसर्जन का, प्रेम का, प्रीती का अभ्यास सद्गुरु के चरणों से शुरू करो।  एक बात और है – प्रेम करना नहीं होता, प्रेम तो स्वयं हो जाता है। लेकिन इस प्रेम के होने में बुद्धि सबसे बड़ी बाधा बन जाती है। बुद्धि सोच विचार करती है। तर्क वितर्क करती है, वह खुले ह्रदय से अनुभव नहीं करने देती है।  बुद्धि बंधन है, उसी से मुक्त होना है और उपलब्ध रहना है उन प्रेम के क्षणों में। प्रेम की भूल-भुलैया का जरा अनुभव तो करो, लेकिन बुद्धि से नहीं, ह्रदय खोलकर प्रेम का दिया बनो। प्रेम का अर्थ होता है – दूसरों को इतना अपना बना लेना कि कुछ छिपाने को बचे ही नहीं। एक कसौटी दे रहा हूँ आपको, जब आपको लगने लगे कि उससे छिपाने को कुछ भी नहीं रहा तब समझना कि आपको सच्चे अर्थों में प्रेम हो गया है। सद्गुरु ही एकमात्र व्यक्तित्व है जो निःस्वार्थ प्रेम करता है।  उसे आपसे कुछ पाना नहीं है। उसे तो अपना सब कुछ आपके ऊपर लुटाना है। उसके प्रति प्रेम करने में कठिनाई का अनुभव नहीं होना चाहिए। वह तो खूँटी है। उसी खूँटी से अभ्यास करो। ऋषियों ने कहा है, प्रकृति से प्रेम करो।  फिर धीरे-धीरे मनुष्य पर आओ। मनुष्य से आकर आप सीधे परमात्मा तक पहुंचोगे। ऋषियों ने पहाड़ों को पूजा, नदियों को पूजा, वृक्षों को पूजा, चाँद-तारों को पूजा। किसलिए? उन्होंने सन्देश दिया कि सारी पृथ्वी से प्रेम करो। विराट अस्तित्व ही परमात्मा है। सबके प्रति प्रेम से इतना भर जाओ कि आपकी लय, आपका संगीत, आपका छंद उस परमात्मा से जुड़ जाये।  जो-जो शरीर में है वह सब ब्रह्मांड में है। सारे धर्म इसी बात का विज्ञान हैं और कुछ नहीं। प्रेम की एक ही साधना है, एक ही संकल्पना है जिसके साध लेने पर आध्यात्म की सारी साधनाएँ प्रकट हो जायेंगी।

Q. ‘विज्ञान’ में कौन सा उपसर्ग है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 9

'विज्ञान' में 'वि' उपसर्ग है।
'ज्ञान' मूल शब्द में 'वि' उपसर्ग जुड़कर 'विज्ञान' शब्द बना है।
उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते है, जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 10

निर्देश: गद्यांश को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर दीजिए।
प्रेम आत्मा का भोजन है, प्रेम परमात्मा की ऊर्जा है जिससे प्रकृति का सारा सृजन होता है। आध्यात्म जगत में प्रेम से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कोई शब्द नहीं है। यही वह रसायन है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ देता है। जब आप प्रेम में उतर जाते हो तो प्रेम का प्रत्युत्तर अपने आप आना शुरू हो जाता है। आप सद्गुरु की आँखों में प्रेम से झांकते हो तो सद्गुरु की प्रेम ऊर्जा आपको ऐसे लपेटने लगती है कि आप मंत्रमुग्ध होकर उसी के हो जाते हो। सद्गुरु को पकड़ो। पकड़ने का अर्थ है – सबसे पहले वहां साष्टांग हो जाओ, झुक जाओ यानि अहंकार के विसर्जन का, प्रेम का, प्रीती का अभ्यास सद्गुरु के चरणों से शुरू करो।  एक बात और है – प्रेम करना नहीं होता, प्रेम तो स्वयं हो जाता है। लेकिन इस प्रेम के होने में बुद्धि सबसे बड़ी बाधा बन जाती है। बुद्धि सोच विचार करती है। तर्क वितर्क करती है, वह खुले ह्रदय से अनुभव नहीं करने देती है।  बुद्धि बंधन है, उसी से मुक्त होना है और उपलब्ध रहना है उन प्रेम के क्षणों में। प्रेम की भूल-भुलैया का जरा अनुभव तो करो, लेकिन बुद्धि से नहीं, ह्रदय खोलकर प्रेम का दिया बनो। प्रेम का अर्थ होता है – दूसरों को इतना अपना बना लेना कि कुछ छिपाने को बचे ही नहीं। एक कसौटी दे रहा हूँ आपको, जब आपको लगने लगे कि उससे छिपाने को कुछ भी नहीं रहा तब समझना कि आपको सच्चे अर्थों में प्रेम हो गया है। सद्गुरु ही एकमात्र व्यक्तित्व है जो निःस्वार्थ प्रेम करता है।  उसे आपसे कुछ पाना नहीं है। उसे तो अपना सब कुछ आपके ऊपर लुटाना है। उसके प्रति प्रेम करने में कठिनाई का अनुभव नहीं होना चाहिए। वह तो खूँटी है। उसी खूँटी से अभ्यास करो। ऋषियों ने कहा है, प्रकृति से प्रेम करो।  फिर धीरे-धीरे मनुष्य पर आओ। मनुष्य से आकर आप सीधे परमात्मा तक पहुंचोगे। ऋषियों ने पहाड़ों को पूजा, नदियों को पूजा, वृक्षों को पूजा, चाँद-तारों को पूजा। किसलिए? उन्होंने सन्देश दिया कि सारी पृथ्वी से प्रेम करो। विराट अस्तित्व ही परमात्मा है। सबके प्रति प्रेम से इतना भर जाओ कि आपकी लय, आपका संगीत, आपका छंद उस परमात्मा से जुड़ जाये।  जो-जो शरीर में है वह सब ब्रह्मांड में है। सारे धर्म इसी बात का विज्ञान हैं और कुछ नहीं। प्रेम की एक ही साधना है, एक ही संकल्पना है जिसके साध लेने पर आध्यात्म की सारी साधनाएँ प्रकट हो जायेंगी।

Q. परमात्मा क्या है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 10

गद्यांश के अनुसार, "विराट अस्तित्व ही परमात्मा है। सबके प्रति प्रेम से इतना भर जाओ कि आपकी लय, आपका संगीत, आपका छंद उस परमात्मा से जुड़ जाये।"
इसलिए, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि विराट अस्तित्व परमात्मा है।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 11

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और विकल्पों में से उपयुक्त उत्तर चुनिए।
जाति-प्रथा को यदि श्रम-विभाजन मान लिया जाए तो यह स्वाभाविक विभाजन नहीं है क्योंकि यह मनुष्य की रुचि पर आधारित है। कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक है कि हम व्यक्ति की क्षमता इस सीमा तक विकसित करें, जिससे वह अपने पेशे या कार्य का चुनाव स्वयं कर सके। इस सिद्धांत के विपरीत जाति-प्रथा का दूषित सिद्धांत यह है कि इससे मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा उसकी निजी क्षमता का विचार किए बिना, दूसरे ही दृष्टिकोण जैसे माता-पिता के सामाजिक स्तर के अनुसार पहले से ही अर्थात गर्भधारण के समय से ही मनुष्य का पेशा निर्धारित कर दिया जाता है।
जाति-प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्वनिर्धारण ही नहीं करती, बल्कि मनुष्य को जीवन-भर के लिए एक पेशे में बाँध भी देती है, भले ही पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखों मर जाए। आधुनिक युग में यह स्थिति प्रायः आती है क्योंकि उद्योग धंधे की प्रक्रिया व तकनीक में निरंतर विकास और कभी-कभी अकस्मात परिवर्तन हो जाता है, जिसके कारण मनुष्य को अपना पेशा बदलने की आवश्यकता पड़ सकती है और यदि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनुष्य को अपना पेशा बदलने की स्वतंत्रता न हो तो इसके लिए भूखे मरने के अलावा क्या चारा रह जाता है? हिंदू धर्म की जाति प्रथा किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती है, जो उसका पैतृक पेशा न हो, भले ही वह उसमें पारंगत है। इस प्रकार पेशा-परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति-प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है।

Q. ‘प्रतिकूल’ शब्द का विलोम है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 11

उपर्युक्त विकल्पों में से ‘प्रतिकूल’ शब्द का विपरीतार्थक शब्द ‘अनुकूल’ है। अन्य विकल्प गलत हैं।
‘प्रतिकूल’ शब्द का अर्थ – जो अनुकूल न हो, विपरीत, विरुद्ध
‘अनुकूल’ शब्द का अर्थ - मेल रखने वाला

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 12

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और विकल्पों में से उपयुक्त उत्तर चुनिए।
जाति-प्रथा को यदि श्रम-विभाजन मान लिया जाए तो यह स्वाभाविक विभाजन नहीं है क्योंकि यह मनुष्य की रुचि पर आधारित है। कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक है कि हम व्यक्ति की क्षमता इस सीमा तक विकसित करें, जिससे वह अपने पेशे या कार्य का चुनाव स्वयं कर सके। इस सिद्धांत के विपरीत जाति-प्रथा का दूषित सिद्धांत यह है कि इससे मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा उसकी निजी क्षमता का विचार किए बिना, दूसरे ही दृष्टिकोण जैसे माता-पिता के सामाजिक स्तर के अनुसार पहले से ही अर्थात गर्भधारण के समय से ही मनुष्य का पेशा निर्धारित कर दिया जाता है।
जाति-प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्वनिर्धारण ही नहीं करती, बल्कि मनुष्य को जीवन-भर के लिए एक पेशे में बाँध भी देती है, भले ही पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखों मर जाए। आधुनिक युग में यह स्थिति प्रायः आती है क्योंकि उद्योग धंधे की प्रक्रिया व तकनीक में निरंतर विकास और कभी-कभी अकस्मात परिवर्तन हो जाता है, जिसके कारण मनुष्य को अपना पेशा बदलने की आवश्यकता पड़ सकती है और यदि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनुष्य को अपना पेशा बदलने की स्वतंत्रता न हो तो इसके लिए भूखे मरने के अलावा क्या चारा रह जाता है? हिंदू धर्म की जाति प्रथा किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती है, जो उसका पैतृक पेशा न हो, भले ही वह उसमें पारंगत है। इस प्रकार पेशा-परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति-प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है।

Q. जाति-प्रथा का दोषपूर्ण पक्ष कौन - कौन से हैं?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 12

प्रस्तुत गद्यांश में जाति – प्रथा का दोषपूर्ण पक्ष बेरोजगारी है। इसलिए, विकल्प बेरोजगारी सटीक विकल्प है।
जाति प्रथा की कुछ विशेषताएँ भी हैं। श्रम विभाजन पर आधारित होने के कारण इससे श्रमिक वर्ग अपने कार्य मे निपुण होता गया क्योकि श्रम विभाजन का यह काम पीढ़ियों तक चलता रहा था। इससे भविष्य - चुनाव की समस्या और बेरोजगारी की समस्या भी दूर हो गए। तथापि जाति प्रथा मुख्यत: एक बुराई ही है। इसके कारण सामाजिक, राष्ट्रीय एकता में बाधा आती है जो कि राष्ट्रीय और आर्थिक प्रगति के लिए आवश्यक है।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 13

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और विकल्पों में से उपयुक्त उत्तर चुनिए।
जाति-प्रथा को यदि श्रम-विभाजन मान लिया जाए तो यह स्वाभाविक विभाजन नहीं है क्योंकि यह मनुष्य की रुचि पर आधारित है। कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक है कि हम व्यक्ति की क्षमता इस सीमा तक विकसित करें, जिससे वह अपने पेशे या कार्य का चुनाव स्वयं कर सके। इस सिद्धांत के विपरीत जाति-प्रथा का दूषित सिद्धांत यह है कि इससे मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा उसकी निजी क्षमता का विचार किए बिना, दूसरे ही दृष्टिकोण जैसे माता-पिता के सामाजिक स्तर के अनुसार पहले से ही अर्थात गर्भधारण के समय से ही मनुष्य का पेशा निर्धारित कर दिया जाता है।
जाति-प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्वनिर्धारण ही नहीं करती, बल्कि मनुष्य को जीवन-भर के लिए एक पेशे में बाँध भी देती है, भले ही पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखों मर जाए। आधुनिक युग में यह स्थिति प्रायः आती है क्योंकि उद्योग धंधे की प्रक्रिया व तकनीक में निरंतर विकास और कभी-कभी अकस्मात परिवर्तन हो जाता है, जिसके कारण मनुष्य को अपना पेशा बदलने की आवश्यकता पड़ सकती है और यदि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनुष्य को अपना पेशा बदलने की स्वतंत्रता न हो तो इसके लिए भूखे मरने के अलावा क्या चारा रह जाता है? हिंदू धर्म की जाति प्रथा किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती है, जो उसका पैतृक पेशा न हो, भले ही वह उसमें पारंगत है। इस प्रकार पेशा-परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति-प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है।

Q. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 13

प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक जाति प्रथा – एक सामाजिक बुराई है उचित शीर्षक है। अतः सही विकल्प जाति प्रथा – एक सामाजिक बुराई है, अन्य विकल्प असंगत हैं।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 14

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और विकल्पों में से उपयुक्त उत्तर चुनिए।
जाति-प्रथा को यदि श्रम-विभाजन मान लिया जाए तो यह स्वाभाविक विभाजन नहीं है क्योंकि यह मनुष्य की रुचि पर आधारित है। कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक है कि हम व्यक्ति की क्षमता इस सीमा तक विकसित करें, जिससे वह अपने पेशे या कार्य का चुनाव स्वयं कर सके। इस सिद्धांत के विपरीत जाति-प्रथा का दूषित सिद्धांत यह है कि इससे मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा उसकी निजी क्षमता का विचार किए बिना, दूसरे ही दृष्टिकोण जैसे माता-पिता के सामाजिक स्तर के अनुसार पहले से ही अर्थात गर्भधारण के समय से ही मनुष्य का पेशा निर्धारित कर दिया जाता है।
जाति-प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्वनिर्धारण ही नहीं करती, बल्कि मनुष्य को जीवन-भर के लिए एक पेशे में बाँध भी देती है, भले ही पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखों मर जाए। आधुनिक युग में यह स्थिति प्रायः आती है क्योंकि उद्योग धंधे की प्रक्रिया व तकनीक में निरंतर विकास और कभी-कभी अकस्मात परिवर्तन हो जाता है, जिसके कारण मनुष्य को अपना पेशा बदलने की आवश्यकता पड़ सकती है और यदि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनुष्य को अपना पेशा बदलने की स्वतंत्रता न हो तो इसके लिए भूखे मरने के अलावा क्या चारा रह जाता है? हिंदू धर्म की जाति प्रथा किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती है, जो उसका पैतृक पेशा न हो, भले ही वह उसमें पारंगत है। इस प्रकार पेशा-परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति-प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है।

Q. प्रस्तुत गद्यांश में कौन - सी शैली का प्रयोग हुआ है?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 14

प्रस्तुत गद्यांश में विचारात्मक शैली का प्रयोग हुआ है। अतः विचारात्मक शैली विकल्प सटीक है। अन्य विकल्प असंगत हैं।
विचारात्मक शैली – इसमें गंभीर विषयों पर चिंतन मनन करके लिखा जाता है | इसमें बुद्धि की प्रधानता होती है और विचार सूत्रों की प्रमुखता होती है | लेखक का हृदयपक्ष दबा रहता है उसे विचारात्मक शैली कहते है।

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 15

Direction: Read the following passage carefully and answer the questions that follow.
The morning of June 27th was clear and sunny, with the fresh warmth of a full-summer day; the flowers were blossoming profusely, and the grass was richly green. The people of the village began to gather in the square, between the post office and the bank, around ten o’clock; in some towns, there were so many people that the lottery took two days and had to be started on June 20th, but in this village, where there were only about three hundred people, the whole lottery took less than two hours so that it could begin at ten o’clock in the morning and still be through in time to allow the villagers to get home for noon dinner.
The children assembled first, of course. The school was recently over for the summer, and the feeling of liberty sat uneasily on most of them; they tended to gather together quietly for a while before they broke into boisterous play, and their talk was still of the classroom and the teacher, of books and reprimands. Bobby Martin had already stuffed his pockets full of stones, and the other boys soon followed his example, selecting the smoothest and roundest stones; Bobby and Harry Jones and Dickie Delacroix—the villagers pronounced this name “Dellacroy”—eventually made a great pile of stones in one corner of the square and guarded it against the raids of the other boys. The girls stood aside, talking among themselves, looking over their shoulders at the boys, and the tiny children rolled in the dust or clung to the hands of their older brothers or sisters.
Soon the men began to gather, surveying their own children, speaking of planting and rain, tractors and taxes. They stood together, away from the pile of stones in the corner, and their jokes were quiet, and they smiled rather than laughed. The women, wearing faded house dresses and sweaters, came shortly after their menfolk. They greeted one another and exchanged bits of gossip as they went to join their husbands. Soon the women, standing by their husbands, began to call to their children, and the children came reluctantly, having to be called four or five times. Bobby Martin ducked under his mother’s grasping hand and ran, laughing, back to the pile of stones. His father spoke up sharply, and Bobby came quickly and took his place between his father and his oldest brother.

Q. Select the segment of the sentence that contains the grammatical error. If there is no error, mark "D" as your answer.
The morning of June 27th was clear and sunny, (A)/  with the fresh warmth of a full-summer day; (B)/ the flowers were blossoming profusely, and the grass was rich green. (C)/ No Error (D)

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 15

The error lies in the usage of the adjective rich instead of the adverb richly.
An Adverb is a word that describes, modifies, or gives more information about a verb, adjective, adverb, or phrase.
Example: She smiled cheerfully.
The word green refers to the color of the grass.
In the given sentence, the word green is used as an adjective, and rich is also used as an adjective, which is grammatically wrong. 
Here, the adverb richly should be used to modify the adjective green as how much green the grass is. 
So, the correct sentence is: The morning of June 27th was clear and sunny, with the fresh warmth of a full-summer day; the flowers were blossoming profusely, and the grass was richly green.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 16

Web-casting as an educational media does not include

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 16

It does not include 'campus radio' as an educational media. This is because it gives only instructions related to their schedules.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 17

Direction: Read the following passage carefully and answer the questions that follow.
The morning of June 27th was clear and sunny, with the fresh warmth of a full-summer day; the flowers were blossoming profusely, and the grass was richly green. The people of the village began to gather in the square, between the post office and the bank, around ten o’clock; in some towns, there were so many people that the lottery took two days and had to be started on June 20th, but in this village, where there were only about three hundred people, the whole lottery took less than two hours so that it could begin at ten o’clock in the morning and still be through in time to allow the villagers to get home for noon dinner.
The children assembled first, of course. The school was recently over for the summer, and the feeling of liberty sat uneasily on most of them; they tended to gather together quietly for a while before they broke into boisterous play, and their talk was still of the classroom and the teacher, of books and reprimands. Bobby Martin had already stuffed his pockets full of stones, and the other boys soon followed his example, selecting the smoothest and roundest stones; Bobby and Harry Jones and Dickie Delacroix—the villagers pronounced this name “Dellacroy”—eventually made a great pile of stones in one corner of the square and guarded it against the raids of the other boys. The girls stood aside, talking among themselves, looking over their shoulders at the boys, and the tiny children rolled in the dust or clung to the hands of their older brothers or sisters.
Soon the men began to gather, surveying their own children, speaking of planting and rain, tractors and taxes. They stood together, away from the pile of stones in the corner, and their jokes were quiet, and they smiled rather than laughed. The women, wearing faded house dresses and sweaters, came shortly after their menfolk. They greeted one another and exchanged bits of gossip as they went to join their husbands. Soon the women, standing by their husbands, began to call to their children, and the children came reluctantly, having to be called four or five times. Bobby Martin ducked under his mother’s grasping hand and ran, laughing, back to the pile of stones. His father spoke up sharply, and Bobby came quickly and took his place between his father and his oldest brother.

Q. The whole lottery took:

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 17

The final lines of the first paragraph state, "the whole lottery took less than two hours so that it could begin at ten o’clock in the morning and still be through in time to allow the villagers to get home for noon dinner."

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 18

Continuous Comprehension evaluation is

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 18

Continuous assessment means assessing aspects of learners' language throughout their course and then producing a final evaluation result from these assessments.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 19

Directions: Choose appropriate alternative for the blank.
Her sister is ________ than his wife.

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 19

Here, we need comparative form of adjective. Option (1) is incorrect as it uses double comparatives.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 20

Based on the text related to the lesson, students find the exact meaning of the text and understand the text formed by sentences, phrases and words. Interpreting text in this way is called _________

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 20

Sub skills are essentially sub-sets or parts of a skill that has to be acquired by the learners. for example, reading is a skill, and scanning the text is known as a sub-skill.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 21

How many language skills does an educated person learn?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 21

An educated person learns four language skills. The four language skills are: Listening, Speaking, Reading and Writing.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 22

Choose the correct phrase to fill in the blank in the sentence.
She ___________ living in Chennai since 1989.

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 22

The correct sentence will be, 'She has been living in Chennai since 1989.' as it talks about the present. 'Had been' would have been appropriate if some other information had been given after 1989 referring to past.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 23

Essential Steps of Diagnostic Testing should be followed as
A. Identifying students having trouble
B. Locating the errors 
C. Discovering factors of slow learning
D. Removing learning difficulties

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 23

Learning Difficulties refers to a state when a person faces difficulty in learning. It may be due to physical limitations/disabilities such as - impairment in hearing, visual, low intellectual functioning, and inappropriate motor coordination.

  • Diagnostic evaluation/test refers to the test which helps the teachers to know the learning difficulties or gaps in learner's understanding and identifying learner's strengths, weaknesses, skills, etc.
CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 24

To be a good reader, you need to increase your student's vocabulary. Which of the following will make it possible?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 24

The core vocabulary of the first language is learned quite naturally at home. Neither the child nor his/her family has much to say about the words that must be learnt - those are given by the immediate environment and the culture. 
The vocabulary of a second language can thus be decided by the teacher, the textbook, or the school. The development of vocabulary is very important for the students.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 25

Direction: Read the following passage carefully and answer the questions that follow.
The morning of June 27th was clear and sunny, with the fresh warmth of a full-summer day; the flowers were blossoming profusely, and the grass was richly green. The people of the village began to gather in the square, between the post office and the bank, around ten o’clock; in some towns, there were so many people that the lottery took two days and had to be started on June 20th, but in this village, where there were only about three hundred people, the whole lottery took less than two hours so that it could begin at ten o’clock in the morning and still be through in time to allow the villagers to get home for noon dinner.
The children assembled first, of course. The school was recently over for the summer, and the feeling of liberty sat uneasily on most of them; they tended to gather together quietly for a while before they broke into boisterous play, and their talk was still of the classroom and the teacher, of books and reprimands. Bobby Martin had already stuffed his pockets full of stones, and the other boys soon followed his example, selecting the smoothest and roundest stones; Bobby and Harry Jones and Dickie Delacroix—the villagers pronounced this name “Dellacroy”—eventually made a great pile of stones in one corner of the square and guarded it against the raids of the other boys. The girls stood aside, talking among themselves, looking over their shoulders at the boys, and the tiny children rolled in the dust or clung to the hands of their older brothers or sisters.
Soon the men began to gather, surveying their own children, speaking of planting and rain, tractors and taxes. They stood together, away from the pile of stones in the corner, and their jokes were quiet, and they smiled rather than laughed. The women, wearing faded house dresses and sweaters, came shortly after their menfolk. They greeted one another and exchanged bits of gossip as they went to join their husbands. Soon the women, standing by their husbands, began to call to their children, and the children came reluctantly, having to be called four or five times. Bobby Martin ducked under his mother’s grasping hand and ran, laughing, back to the pile of stones. His father spoke up sharply, and Bobby came quickly and took his place between his father and his oldest brother.

Q. Which one of the following words is the most opposite in the meaning to the word "together" as used in the passage (Para 3)?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 25
  • Together: in or into one place, mass, collection, or group
    Example: Our students study together, share ideas, and seed new opportunities for future collaboration.
  • Solely: without another
    Example: You will be held solely responsible for any damage.

​Thus, "solely" is the most opposite in meaning to "together".

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 26

The subsystem of a language that deals with the rules of word order and word combinations to form phrases and sentences is known as:

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 26

Language is a symbolic, rule-governed system, shared by a group of people to express their thoughts and feelings. These rules are the set of conventions that organize their proper use and dictate how words relate to one another. Some of these rules that govern a language include phonology, syntax, morphology, semantic, etc. 

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 27

Directions: The given sentence may contain only one error in grammar usage, diction (choice of words), or idiom. The sentence may be correct. Select the lettered part that, according to you, contains the error. If there is no error, the answer is (D), i.e. No error.
While he was walking along the road, (A)/ a speeding car (B)/ knocked down to him. (C)/ No Error (D)

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 27

While he was walking along the road, a speeding car knocked him down.

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 28

Direction: Read the following passage carefully and answer the questions that follow.
The morning of June 27th was clear and sunny, with the fresh warmth of a full-summer day; the flowers were blossoming profusely, and the grass was richly green. The people of the village began to gather in the square, between the post office and the bank, around ten o’clock; in some towns, there were so many people that the lottery took two days and had to be started on June 20th, but in this village, where there were only about three hundred people, the whole lottery took less than two hours so that it could begin at ten o’clock in the morning and still be through in time to allow the villagers to get home for noon dinner.
The children assembled first, of course. The school was recently over for the summer, and the feeling of liberty sat uneasily on most of them; they tended to gather together quietly for a while before they broke into boisterous play, and their talk was still of the classroom and the teacher, of books and reprimands. Bobby Martin had already stuffed his pockets full of stones, and the other boys soon followed his example, selecting the smoothest and roundest stones; Bobby and Harry Jones and Dickie Delacroix—the villagers pronounced this name “Dellacroy”—eventually made a great pile of stones in one corner of the square and guarded it against the raids of the other boys. The girls stood aside, talking among themselves, looking over their shoulders at the boys, and the tiny children rolled in the dust or clung to the hands of their older brothers or sisters.
Soon the men began to gather, surveying their own children, speaking of planting and rain, tractors and taxes. They stood together, away from the pile of stones in the corner, and their jokes were quiet, and they smiled rather than laughed. The women, wearing faded house dresses and sweaters, came shortly after their menfolk. They greeted one another and exchanged bits of gossip as they went to join their husbands. Soon the women, standing by their husbands, began to call to their children, and the children came reluctantly, having to be called four or five times. Bobby Martin ducked under his mother’s grasping hand and ran, laughing, back to the pile of stones. His father spoke up sharply, and Bobby came quickly and took his place between his father and his oldest brother.

Q. Which of the following statement is true?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 28

The correct answer is They stood together, away from the pile of stones in the corner, and their jokes were quiet, and they smiled rather than laughed.
Let's explore the options:
Option (A) is correct as:
The second line of the last paragraph states, "They stood together, away from the pile of stones in the corner, and their jokes were quiet, and they smiled rather than laughed." 
Option (B) is incorrect as:
According to the passage, the correct statement is, "Bobby Martin had already stuffed his pockets full of stones, and the other boys soon followed his example, selecting the smoothest and roundest stones;".
Option (C) is incorrect as:
According to the passage, the correct statement is, "there were so many people that the lottery took two days and had to be started on June 20th,".
Option (D) is also incorrect as:
According to the passage, the correct statement is, "His father spoke up sharply, and Bobby came quickly and took his place between his father and his oldest brother."

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 29

Direction: Read the following passage carefully and answer the questions that follow.
The morning of June 27th was clear and sunny, with the fresh warmth of a full-summer day; the flowers were blossoming profusely, and the grass was richly green. The people of the village began to gather in the square, between the post office and the bank, around ten o’clock; in some towns, there were so many people that the lottery took two days and had to be started on June 20th, but in this village, where there were only about three hundred people, the whole lottery took less than two hours so that it could begin at ten o’clock in the morning and still be through in time to allow the villagers to get home for noon dinner.
The children assembled first, of course. The school was recently over for the summer, and the feeling of liberty sat uneasily on most of them; they tended to gather together quietly for a while before they broke into boisterous play, and their talk was still of the classroom and the teacher, of books and reprimands. Bobby Martin had already stuffed his pockets full of stones, and the other boys soon followed his example, selecting the smoothest and roundest stones; Bobby and Harry Jones and Dickie Delacroix—the villagers pronounced this name “Dellacroy”—eventually made a great pile of stones in one corner of the square and guarded it against the raids of the other boys. The girls stood aside, talking among themselves, looking over their shoulders at the boys, and the tiny children rolled in the dust or clung to the hands of their older brothers or sisters.
Soon the men began to gather, surveying their own children, speaking of planting and rain, tractors and taxes. They stood together, away from the pile of stones in the corner, and their jokes were quiet, and they smiled rather than laughed. The women, wearing faded house dresses and sweaters, came shortly after their menfolk. They greeted one another and exchanged bits of gossip as they went to join their husbands. Soon the women, standing by their husbands, began to call to their children, and the children came reluctantly, having to be called four or five times. Bobby Martin ducked under his mother’s grasping hand and ran, laughing, back to the pile of stones. His father spoke up sharply, and Bobby came quickly and took his place between his father and his oldest brother.

Q. The people of the village began to gather in the square, between the post office and the bank, around:

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 29

The initial lines of the first paragraph state, "The people of the village began to gather in the square, between the post office and the bank, around ten o’clock."

CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 30

How many sounds are there in the English language?

Detailed Solution for CTET Paper-II (Mathematics and Science) Mock Test - 9 (Hindi) - Question 30

Forty-four sounds are there in the English language. Part of what makes English difficult to learn is that each letter in the alphabet can represent more than one sound. In addition, the English alphabet only has 26 letters, yet it represents 44 sounds. Many English phonemes are represented by two or three letters working together to represent one sound.

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