निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
कवि वाणी के प्रसार से हम संसार के सूख-दुःख, आनंद, क्लेश आदि का शुद्ध स्वार्थमुक्त रूप में अनुभव करते हैं। इस प्रकार के अनुभव के अभ्यास से हृदय का बंधन खुलता है और मनुष्यता की उच्च भूमि की प्राप्ति होती है, किसी अर्थपिशाप-कृपण को देखिए जिसने केवल अर्थ लोभ के वशीभूत होकर क्रोध, दया, श्रृद्धा, भक्ति, आत्माभिमान आदि भावों को एकदम दबा दिया है और संसार के मार्मिक पक्ष से मुँह मोड़ लिया है न सृष्टि के किसी रूपमाधुर्य को देखकर वह पैसों का हिसाब-किताब भूल, कभी मुग्ध होता है, न किसी दीन-दुनिया को देख कभी करूणा से द्रवीभूत होता है, न कोई अपमानसूचक बात सूनकर क्रुद्ध या क्षुब्ध होता है। यदि उससे किसी लोमहर्षक अत्याचार की बात कही जाए तो वह मनुष्य धर्मानुसार क्रोध या घृणा प्रकट करने के स्थान पर रूखाई के साथ कहेगा कि ‘‘जाने दो, हमसे क्या मतलब; चलो अपना काम देखें’ यह महाभयानक मानसिक रोग है, इससे मनुष्य आधा मर जाता है।
Q. कविता मनुष्य के हृदय को उदार बनाती है-
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
कवि वाणी के प्रसार से हम संसार के सूख-दुःख, आनंद, क्लेश आदि का शुद्ध स्वार्थमुक्त रूप में अनुभव करते हैं। इस प्रकार के अनुभव के अभ्यास से हृदय का बंधन खुलता है और मनुष्यता की उच्च भूमि की प्राप्ति होती है, किसी अर्थपिशाप-कृपण को देखिए जिसने केवल अर्थ लोभ के वशीभूत होकर क्रोध, दया, श्रृद्धा, भक्ति, आत्माभिमान आदि भावों को एकदम दबा दिया है और संसार के मार्मिक पक्ष से मुँह मोड़ लिया है न सृष्टि के किसी रूपमाधुर्य को देखकर वह पैसों का हिसाब-किताब भूल, कभी मुग्ध होता है, न किसी दीन-दुनिया को देख कभी करूणा से द्रवीभूत होता है, न कोई अपमानसूचक बात सूनकर क्रुद्ध या क्षुब्ध होता है। यदि उससे किसी लोमहर्षक अत्याचार की बात कही जाए तो वह मनुष्य धर्मानुसार क्रोध या घृणा प्रकट करने के स्थान पर रूखाई के साथ कहेगा कि ‘‘जाने दो, हमसे क्या मतलब; चलो अपना काम देखें’ यह महाभयानक मानसिक रोग है, इससे मनुष्य आधा मर जाता है।
Q. लोभी व्यक्ति का भाव-जगत् संकुचित हो जाता है-
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निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
कवि वाणी के प्रसार से हम संसार के सूख-दुःख, आनंद, क्लेश आदि का शुद्ध स्वार्थमुक्त रूप में अनुभव करते हैं। इस प्रकार के अनुभव के अभ्यास से हृदय का बंधन खुलता है और मनुष्यता की उच्च भूमि की प्राप्ति होती है, किसी अर्थपिशाप-कृपण को देखिए जिसने केवल अर्थ लोभ के वशीभूत होकर क्रोध, दया, श्रृद्धा, भक्ति, आत्माभिमान आदि भावों को एकदम दबा दिया है और संसार के मार्मिक पक्ष से मुँह मोड़ लिया है न सृष्टि के किसी रूपमाधुर्य को देखकर वह पैसों का हिसाब-किताब भूल, कभी मुग्ध होता है, न किसी दीन-दुनिया को देख कभी करूणा से द्रवीभूत होता है, न कोई अपमानसूचक बात सूनकर क्रुद्ध या क्षुब्ध होता है। यदि उससे किसी लोमहर्षक अत्याचार की बात कही जाए तो वह मनुष्य धर्मानुसार क्रोध या घृणा प्रकट करने के स्थान पर रूखाई के साथ कहेगा कि ‘‘जाने दो, हमसे क्या मतलब; चलो अपना काम देखें’ यह महाभयानक मानसिक रोग है, इससे मनुष्य आधा मर जाता है।
Q. अत्याचार की बात सुनकर क्या करना चाहिए ?
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
कवि वाणी के प्रसार से हम संसार के सूख-दुःख, आनंद, क्लेश आदि का शुद्ध स्वार्थमुक्त रूप में अनुभव करते हैं। इस प्रकार के अनुभव के अभ्यास से हृदय का बंधन खुलता है और मनुष्यता की उच्च भूमि की प्राप्ति होती है, किसी अर्थपिशाप-कृपण को देखिए जिसने केवल अर्थ लोभ के वशीभूत होकर क्रोध, दया, श्रृद्धा, भक्ति, आत्माभिमान आदि भावों को एकदम दबा दिया है और संसार के मार्मिक पक्ष से मुँह मोड़ लिया है न सृष्टि के किसी रूपमाधुर्य को देखकर वह पैसों का हिसाब-किताब भूल, कभी मुग्ध होता है, न किसी दीन-दुनिया को देख कभी करूणा से द्रवीभूत होता है, न कोई अपमानसूचक बात सूनकर क्रुद्ध या क्षुब्ध होता है। यदि उससे किसी लोमहर्षक अत्याचार की बात कही जाए तो वह मनुष्य धर्मानुसार क्रोध या घृणा प्रकट करने के स्थान पर रूखाई के साथ कहेगा कि ‘‘जाने दो, हमसे क्या मतलब; चलो अपना काम देखें’ यह महाभयानक मानसिक रोग है, इससे मनुष्य आधा मर जाता है।
Q. उदासीनता किस प्रकार का रोग है?
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
कवि वाणी के प्रसार से हम संसार के सूख-दुःख, आनंद, क्लेश आदि का शुद्ध स्वार्थमुक्त रूप में अनुभव करते हैं। इस प्रकार के अनुभव के अभ्यास से हृदय का बंधन खुलता है और मनुष्यता की उच्च भूमि की प्राप्ति होती है, किसी अर्थपिशाप-कृपण को देखिए जिसने केवल अर्थ लोभ के वशीभूत होकर क्रोध, दया, श्रृद्धा, भक्ति, आत्माभिमान आदि भावों को एकदम दबा दिया है और संसार के मार्मिक पक्ष से मुँह मोड़ लिया है न सृष्टि के किसी रूपमाधुर्य को देखकर वह पैसों का हिसाब-किताब भूल, कभी मुग्ध होता है, न किसी दीन-दुनिया को देख कभी करूणा से द्रवीभूत होता है, न कोई अपमानसूचक बात सूनकर क्रुद्ध या क्षुब्ध होता है। यदि उससे किसी लोमहर्षक अत्याचार की बात कही जाए तो वह मनुष्य धर्मानुसार क्रोध या घृणा प्रकट करने के स्थान पर रूखाई के साथ कहेगा कि ‘‘जाने दो, हमसे क्या मतलब; चलो अपना काम देखें’ यह महाभयानक मानसिक रोग है, इससे मनुष्य आधा मर जाता है।
Q. कवि वाणी द्वारा जीवन निर्वाह करना कहाँ तक सम्भव है?
‘जो ढका हुआ न हो’ इस वाक्यांश के लिए एक शब्द का चयन कीजिए।
निम्नलिखित अपठित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दें।
बहुत दिनों के बाद
अबकी मैंने जी भर देखी
पकी – सुनहली फसलों की मुसकान,
बहुत दिनों के बाद ।
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैं जी भर सुन पाया ।
धान कूटती किशोरियों की कोकिल कुंठी तान ।
बहुत दिनों के बाद ।
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैंने जी भर सूँघे
मौलसिरी के ढेर – ढेर से ताजे – टपके फूल
बहुत दिनों के बाद।
Q. कवि ने बहुत दिनों के बाद क्या देखा ?
निम्नलिखित अपठित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दें।
बहुत दिनों के बाद
अबकी मैंने जी भर देखी
पकी – सुनहली फसलों की मुसकान,
बहुत दिनों के बाद ।
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैं जी भर सुन पाया ।
धान कूटती किशोरियों की कोकिल कुंठी तान ।
बहुत दिनों के बाद ।
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैंने जी भर सूँघे
मौलसिरी के ढेर – ढेर से ताजे – टपके फूल
बहुत दिनों के बाद।
Q. कवि ने बहुत दिनों के बाद क्या सुना ?
निम्नलिखित अपठित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दें।
बहुत दिनों के बाद
अबकी मैंने जी भर देखी
पकी – सुनहली फसलों की मुसकान,
बहुत दिनों के बाद ।
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैं जी भर सुन पाया ।
धान कूटती किशोरियों की कोकिल कुंठी तान ।
बहुत दिनों के बाद ।
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैंने जी भर सूँघे
मौलसिरी के ढेर – ढेर से ताजे – टपके फूल
बहुत दिनों के बाद।
Q. कवि ने क्या सूँघा?
निम्नलिखित अपठित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दें।
बहुत दिनों के बाद
अबकी मैंने जी भर देखी
पकी – सुनहली फसलों की मुसकान,
बहुत दिनों के बाद ।
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैं जी भर सुन पाया ।
धान कूटती किशोरियों की कोकिल कुंठी तान ।
बहुत दिनों के बाद ।
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैंने जी भर सूँघे
मौलसिरी के ढेर – ढेर से ताजे – टपके फूल
बहुत दिनों के बाद।
Q. ‘निषिद्ध’ का विलोम, नीचे दिए गए विकल्पों में से चुनें।
कबिरा सोई पीर है, जे जाने पर पीर।
जे पर पीर जा जानई. सो काफिर बेपीर।।
Q. प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?
किस वाक्य में ‘अच्छा’ शब्द का प्रयोग विशेषण के रूप में हुआ है?
निम्नलिखित विकल्पों में से एक संज्ञा शब्द ऐसा है जिसमे ‘आलु’ प्रत्यय जोड़ने से विशेषण शब्द बनता है। उस शब्द का चयन कीजिए।
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