CTET & State TET Exam  >  CTET & State TET Tests  >  CTET (Central Teacher Eligibility Test) Mock Test Series 2024  >  CTET Practice Test: Hindi-4 - CTET & State TET MCQ

CTET Practice Test: Hindi-4 - CTET & State TET MCQ


Test Description

20 Questions MCQ Test CTET (Central Teacher Eligibility Test) Mock Test Series 2024 - CTET Practice Test: Hindi-4

CTET Practice Test: Hindi-4 for CTET & State TET 2024 is part of CTET (Central Teacher Eligibility Test) Mock Test Series 2024 preparation. The CTET Practice Test: Hindi-4 questions and answers have been prepared according to the CTET & State TET exam syllabus.The CTET Practice Test: Hindi-4 MCQs are made for CTET & State TET 2024 Exam. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises, MCQs and online tests for CTET Practice Test: Hindi-4 below.
Solutions of CTET Practice Test: Hindi-4 questions in English are available as part of our CTET (Central Teacher Eligibility Test) Mock Test Series 2024 for CTET & State TET & CTET Practice Test: Hindi-4 solutions in Hindi for CTET (Central Teacher Eligibility Test) Mock Test Series 2024 course. Download more important topics, notes, lectures and mock test series for CTET & State TET Exam by signing up for free. Attempt CTET Practice Test: Hindi-4 | 20 questions in 20 minutes | Mock test for CTET & State TET preparation | Free important questions MCQ to study CTET (Central Teacher Eligibility Test) Mock Test Series 2024 for CTET & State TET Exam | Download free PDF with solutions
CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 1

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 

श्रद्धा एक सामाजिक भाव है, इससे अपनी श्रद्धा के बदले में हम श्रद्धेय से अपने लिए कोई बात नहीं चाहते श्रद्धा धारण करते हुए अपने को उस समाज में समझते हें जिसके किसी अंश पर चाहे हम व्यष्टि रूप में उनके अन्तर्गत न भी हों-जानबूझकर उसने कोई शुभ प्रभाव डाला श्रद्धा स्वयं ऐसे कर्मों के प्रतिकार में होती है जिनका शुभ प्रभाव अकेले हम पर नहीं, बल्कि सारे मनुष्य समाज पर पड़ सकता है श्रद्धा एक ऐसी आनंदपूर्ण कृतज्ञता है जिसे हम केवल समाज के प्रतिनिधि के रूप में प्रकट करते है सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध या घृणा प्रकट करने के लिए समाज ने प्रत्येक यक्ति को प्रतिनिधित्व प्रदान कर रखा है यह काम उसने इतना भारी समझा है कि उसका भार सारे मनुष्यों को बाँट दिया है दो-चार माननीय लोगों के ही सर पर नहीं छोड़ रखा है जिस समाज में सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध प्रकट करने के लिए जितने ही अधिक लोग तत्पर पाए जाएंगे उतना ही वह समाज जाग्रत समझा जाएगा श्रद्धा की सामाजिक विशेषता एक इसी बात से समझ लीजिए कि जिस पर हम श्रद्धा रखते हैं इस पर चाहते हैं कि और लोग भी श्रद्धा रखें पर जिस पर हमारा प्रेम होता है उससे और दस-पाँच आदमी प्रेम रखें-इसकी हमें परवा क्या इच्छा ही नहीं होती; क्योंकि हम प्रिया पर लोभवश एक प्रकार का अनन्य अधिकार इजारा चाहते हैं, श्रद्धालु अपने भाव में संसार को सम्मिलित करना चाहता है, पर प्रेमी नहीं। 

Q. उपर्युक्त गद्य अवतरण का शीर्षक हो सकता है- 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 1

‘श्रद्धा का स्वरूप’ उपर्युक्त गद्य अवतरण का शीर्षक हो सकता है।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 2

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 

श्रद्धा एक सामाजिक भाव है, इससे अपनी श्रद्धा के बदले में हम श्रद्धेय से अपने लिए कोई बात नहीं चाहते श्रद्धा धारण करते हुए अपने को उस समाज में समझते हें जिसके किसी अंश पर चाहे हम व्यष्टि रूप में उनके अन्तर्गत न भी हों-जानबूझकर उसने कोई शुभ प्रभाव डाला श्रद्धा स्वयं ऐसे कर्मों के प्रतिकार में होती है जिनका शुभ प्रभाव अकेले हम पर नहीं, बल्कि सारे मनुष्य समाज पर पड़ सकता है श्रद्धा एक ऐसी आनंदपूर्ण कृतज्ञता है जिसे हम केवल समाज के प्रतिनिधि के रूप में प्रकट करते है सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध या घृणा प्रकट करने के लिए समाज ने प्रत्येक यक्ति को प्रतिनिधित्व प्रदान कर रखा है यह काम उसने इतना भारी समझा है कि उसका भार सारे मनुष्यों को बाँट दिया है दो-चार माननीय लोगों के ही सर पर नहीं छोड़ रखा है जिस समाज में सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध प्रकट करने के लिए जितने ही अधिक लोग तत्पर पाए जाएंगे उतना ही वह समाज जाग्रत समझा जाएगा श्रद्धा की सामाजिक विशेषता एक इसी बात से समझ लीजिए कि जिस पर हम श्रद्धा रखते हैं इस पर चाहते हैं कि और लोग भी श्रद्धा रखें पर जिस पर हमारा प्रेम होता है उससे और दस-पाँच आदमी प्रेम रखें-इसकी हमें परवा क्या इच्छा ही नहीं होती; क्योंकि हम प्रिया पर लोभवश एक प्रकार का अनन्य अधिकार इजारा चाहते हैं, श्रद्धालु अपने भाव में संसार को सम्मिलित करना चाहता है, पर प्रेमी नहीं। 

Q. श्रद्धा और प्रेम में क्या अन्तर है? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 2

श्रद्धा सामाजिक है और प्रेम व्यक्तिगत हैं।

1 Crore+ students have signed up on EduRev. Have you? Download the App
CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 3

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 

श्रद्धा एक सामाजिक भाव है, इससे अपनी श्रद्धा के बदले में हम श्रद्धेय से अपने लिए कोई बात नहीं चाहते श्रद्धा धारण करते हुए अपने को उस समाज में समझते हें जिसके किसी अंश पर चाहे हम व्यष्टि रूप में उनके अन्तर्गत न भी हों-जानबूझकर उसने कोई शुभ प्रभाव डाला श्रद्धा स्वयं ऐसे कर्मों के प्रतिकार में होती है जिनका शुभ प्रभाव अकेले हम पर नहीं, बल्कि सारे मनुष्य समाज पर पड़ सकता है श्रद्धा एक ऐसी आनंदपूर्ण कृतज्ञता है जिसे हम केवल समाज के प्रतिनिधि के रूप में प्रकट करते है सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध या घृणा प्रकट करने के लिए समाज ने प्रत्येक यक्ति को प्रतिनिधित्व प्रदान कर रखा है यह काम उसने इतना भारी समझा है कि उसका भार सारे मनुष्यों को बाँट दिया है दो-चार माननीय लोगों के ही सर पर नहीं छोड़ रखा है जिस समाज में सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध प्रकट करने के लिए जितने ही अधिक लोग तत्पर पाए जाएंगे उतना ही वह समाज जाग्रत समझा जाएगा श्रद्धा की सामाजिक विशेषता एक इसी बात से समझ लीजिए कि जिस पर हम श्रद्धा रखते हैं इस पर चाहते हैं कि और लोग भी श्रद्धा रखें पर जिस पर हमारा प्रेम होता है उससे और दस-पाँच आदमी प्रेम रखें-इसकी हमें परवा क्या इच्छा ही नहीं होती; क्योंकि हम प्रिया पर लोभवश एक प्रकार का अनन्य अधिकार इजारा चाहते हैं, श्रद्धालु अपने भाव में संसार को सम्मिलित करना चाहता है, पर प्रेमी नहीं। 

Q. श्रद्धा एक आनन्दपूर्ण कृतज्ञता है, क्योंकि- 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 3

श्रद्धा एक आनन्दपूर्ण कृतज्ञता है, क्योंकि हम समाज के प्रतिनिधि के रूप में इसे प्रकट करते हैं।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 4

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 

श्रद्धा एक सामाजिक भाव है, इससे अपनी श्रद्धा के बदले में हम श्रद्धेय से अपने लिए कोई बात नहीं चाहते श्रद्धा धारण करते हुए अपने को उस समाज में समझते हें जिसके किसी अंश पर चाहे हम व्यष्टि रूप में उनके अन्तर्गत न भी हों-जानबूझकर उसने कोई शुभ प्रभाव डाला श्रद्धा स्वयं ऐसे कर्मों के प्रतिकार में होती है जिनका शुभ प्रभाव अकेले हम पर नहीं, बल्कि सारे मनुष्य समाज पर पड़ सकता है श्रद्धा एक ऐसी आनंदपूर्ण कृतज्ञता है जिसे हम केवल समाज के प्रतिनिधि के रूप में प्रकट करते है सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध या घृणा प्रकट करने के लिए समाज ने प्रत्येक यक्ति को प्रतिनिधित्व प्रदान कर रखा है यह काम उसने इतना भारी समझा है कि उसका भार सारे मनुष्यों को बाँट दिया है दो-चार माननीय लोगों के ही सर पर नहीं छोड़ रखा है जिस समाज में सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध प्रकट करने के लिए जितने ही अधिक लोग तत्पर पाए जाएंगे उतना ही वह समाज जाग्रत समझा जाएगा श्रद्धा की सामाजिक विशेषता एक इसी बात से समझ लीजिए कि जिस पर हम श्रद्धा रखते हैं इस पर चाहते हैं कि और लोग भी श्रद्धा रखें पर जिस पर हमारा प्रेम होता है उससे और दस-पाँच आदमी प्रेम रखें-इसकी हमें परवा क्या इच्छा ही नहीं होती; क्योंकि हम प्रिया पर लोभवश एक प्रकार का अनन्य अधिकार इजारा चाहते हैं, श्रद्धालु अपने भाव में संसार को सम्मिलित करना चाहता है, पर प्रेमी नहीं। 

Q. उपर्युक्त गद्यांश का निष्कर्ष है-  

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 4

उपर्युक्त गद्यांश का निष्कर्ष है- ‘श्रद्धा एक सामाजिक भाव है’।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 5

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

श्रद्धा एक सामाजिक भाव है, इससे अपनी श्रद्धा के बदले में हम श्रद्धेय से अपने लिए कोई बात नहीं चाहते श्रद्धा धारण करते हुए अपने को उस समाज में समझते हें जिसके किसी अंश पर चाहे हम व्यष्टि रूप में उनके अन्तर्गत न भी हों-जानबूझकर उसने कोई शुभ प्रभाव डाला श्रद्धा स्वयं ऐसे कर्मों के प्रतिकार में होती है जिनका शुभ प्रभाव अकेले हम पर नहीं, बल्कि सारे मनुष्य समाज पर पड़ सकता है श्रद्धा एक ऐसी आनंदपूर्ण कृतज्ञता है जिसे हम केवल समाज के प्रतिनिधि के रूप में प्रकट करते है सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध या घृणा प्रकट करने के लिए समाज ने प्रत्येक यक्ति को प्रतिनिधित्व प्रदान कर रखा है यह काम उसने इतना भारी समझा है कि उसका भार सारे मनुष्यों को बाँट दिया है दो-चार माननीय लोगों के ही सर पर नहीं छोड़ रखा है जिस समाज में सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध प्रकट करने के लिए जितने ही अधिक लोग तत्पर पाए जाएंगे उतना ही वह समाज जाग्रत समझा जाएगा श्रद्धा की सामाजिक विशेषता एक इसी बात से समझ लीजिए कि जिस पर हम श्रद्धा रखते हैं इस पर चाहते हैं कि और लोग भी श्रद्धा रखें पर जिस पर हमारा प्रेम होता है उससे और दस-पाँच आदमी प्रेम रखें-इसकी हमें परवा क्या इच्छा ही नहीं होती; क्योंकि हम प्रिया पर लोभवश एक प्रकार का अनन्य अधिकार इजारा चाहते हैं, श्रद्धालु अपने भाव में संसार को सम्मिलित करना चाहता है, पर प्रेमी नहीं। 

Q. जाग्रत समाज का क्या लक्षण है?

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 5

सदाचार पर श्रद्धा और अत्याचार पर क्रोध करना, जागृत समाज का लक्षण है।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 6

निम्नलिखित में से ‘अल्पप्राण’ वर्ण कौन-से हैं? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 6

‘क, ग’, अल्पप्राण वर्ण में आते हैं।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 7

‘पुरोहित’ में कौन सा उपसर्ग है- 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 7

‘पुरोहित’ में पुर: उपसर्ग है।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 8

निम्नलिखित में से किस वाक्य में वचन संबंधी अशुद्धि है? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 8

शुद्ध वाक्य है- ये लताएँ कमजोर हैं।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 9

‘क्ष’ वर्ण किसके योग से बना है? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 9

‘क्ष’ वर्ण क् + ष के योग से बना है।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 10

‘कुरुक्षेत्र’ किसकी रचना है? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 10

‘कुरुक्षेत्र’ रामधारी सिंह दिनकर की रचना है।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 11

निम्नलिखित अपठित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दें। 

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो 
चट्टानों की छाती से दूध निकालो। 
है रुकी जहाँ भी धार, शिलाएँ तोड़ो, 
पीयूष चंद्रमाओं को पकड़ निचोड़ो। 
चढ़ तुंग शैल-शिखरों पर सोम पियो रे। 
योगियों नहीं, विजयी के सदृश्य जियो रे। 
छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाए 
मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए। 
दो बार नहीं यमराज कंठ धरता 
मरता है जो, एक ही बार मरता है। 
नत हुए बिना जो अशनि घात सहती है 
स्वाधीन जगत में वही जाती रहती है। 

Q. कवि किसे छोड़ने की बात करता है? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 11

कवि ने वैराग्य छोड़ने की बात कही है।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 12

निम्नलिखित अपठित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दें। 

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो 
चट्टानों की छाती से दूध निकालो। 
है रुकी जहाँ भी धार, शिलाएँ तोड़ो, 
पीयूष चंद्रमाओं को पकड़ निचोड़ो। 
चढ़ तुंग शैल-शिखरों पर सोम पियो रे। 
योगियों नहीं, विजयी के सदृश्य जियो रे। 
छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाए 
मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए। 
दो बार नहीं यमराज कंठ धरता 
मरता है जो, एक ही बार मरता है। 
नत हुए बिना जो अशनि घात सहती है 
स्वाधीन जगत में वही जाती रहती है। 

Q. कवि किसके समान जीने को कहता है? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 12

कवि विजयी व्यक्तियों के समान जीने को कहता है।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 13

निम्नलिखित अपठित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दें। 

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो 
चट्टानों की छाती से दूध निकालो। 
है रुकी जहाँ भी धार, शिलाएँ तोड़ो, 
पीयूष चंद्रमाओं को पकड़ निचोड़ो। 
चढ़ तुंग शैल-शिखरों पर सोम पियो रे। 
योगियों नहीं, विजयी के सदृश्य जियो रे। 
छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाए 
मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए। 
दो बार नहीं यमराज कंठ धरता 
मरता है जो, एक ही बार मरता है। 
नत हुए बिना जो अशनि घात सहती है 
स्वाधीन जगत में वही जाती रहती है। 

Q. जो बिना झुके मुसीबतों का सामना करते हैं, वे किसका उपभोग करते हैं? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 13

जो बिना झुके मुसीबतों का सामना करते हैं वे स्वतंत्रता का उपभोग करते हैं।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 14

निम्नलिखित अपठित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दें। 

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो 
चट्टानों की छाती से दूध निकालो। 
है रुकी जहाँ भी धार, शिलाएँ तोड़ो, 
पीयूष चंद्रमाओं को पकड़ निचोड़ो। 
चढ़ तुंग शैल-शिखरों पर सोम पियो रे। 
योगियों नहीं, विजयी के सदृश्य जियो रे। 
छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाए 
मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए। 
दो बार नहीं यमराज कंठ धरता 
मरता है जो, एक ही बार मरता है। 
नत हुए बिना जो अशनि घात सहती है 
स्वाधीन जगत में वही जाती रहती है। 

Q. कौन सा शब्द ऐसा है जो हमेशा बहूवचन के रूप में प्रयुक्त होता है? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 14

‘प्राण’ का प्रयोग हमेशा बहुवचन में होता है।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 15

‘माता-पिता’ में कौन सा समास है? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 15

‘माता-पिता’ में द्वंद्व समास का प्रयोग हुआ है।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 16

‘अँगुठा चूमना’ मुहावरे का अर्थ है- 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 16

‘अँगुठा चूमना’ मुहावरे का अर्थ है- खुशामद करना।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 17

“यह शर इधर गांडीव धनुष से भिन्न जैसे ही हुआ। 
धड़ से जयद्रथ का उधर सिर छिन्न वैसे ही हुआ।“ 

Q. प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा अलंकार है? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 17

प्रस्तुत पंक्तियों में अतिशयोक्ति अलंकार का प्रयोग हुआ है।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 18

निम्नलिखित विकल्पों में से ‘सुत’ शब्द को स्त्रीवाचक बनाने के लिए किस प्रत्यय का प्रयोग किया जाएगा? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 18

‘सुत’ शब्द का अर्थ है-पुत्र। ‘सुत’ शब्द में ‘आ’ प्रत्यय जोड़ने पर ‘सुता’ शब्द बनता है जिसका अर्थ है-पुत्री।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 19

विशेषण की दृष्टि से कौन सा वाक्य अशुद्ध है? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 19

यहाँ ‘एक दूसरे से मित्र रखो’ के स्थान पर ‘एक दूसरे से मित्रता रखो’ का प्रयोग होगा।

CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 20

निम्नलिखित में से किस वाक्य में सर्वनाम का सही प्रयोग नही हुआ है? 

Detailed Solution for CTET Practice Test: Hindi-4 - Question 20

यहाँ ‘जो परिश्रम करते हैं, वह सुखी रहते हैं, के स्थान पर जो परिश्रम करते हैं, वे सुखी रहते हैं, का प्रयोग उचित है। इस वाक्य में ‘वह’ के स्थान पर ‘वे’ का प्रयोग होगा।

178 docs|90 tests
Information about CTET Practice Test: Hindi-4 Page
In this test you can find the Exam questions for CTET Practice Test: Hindi-4 solved & explained in the simplest way possible. Besides giving Questions and answers for CTET Practice Test: Hindi-4, EduRev gives you an ample number of Online tests for practice

Top Courses for CTET & State TET

Download as PDF

Top Courses for CTET & State TET