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रक्त में हीमोग्लोबिन के लिए किस खनिज की आवश्यकता पड़ती है?
“लाल कण बनावट में बालशाही की तरह की होते हैं। गोल और दोनों तरफ अवतल, यानी बीच में दबे हए। रक्त की एक बूंद में इनकी संख्या लाखों में होती है। यदि हम एक मिलीमीटर रक्त लें तो उसमें हमें चालीस से पचपन लाख कण मिलेंगे। इनके कारण ही हमें रक्त लाल रंग का नज़र आता है। ये कण शरीर के लिए दिन-रात काम करते हैं। साँस लेने पर साफ़ हवा से जो ऑक्सीजन तुम प्राप्त करते हो उसे शरीर में पहुँचाने का काम इन कणों का ही है। इनका जीवनकाल लगभग चार महीने होता है। चार होते ये नष्ट हो जाते हैं, लेकिन एक साथ नहीं, धीरे-धीरे।
Q. रक्त-कणों का क्या कार्य होता है?
“लाल कण बनावट में बालशाही की तरह की होते हैं। गोल और दोनों तरफ अवतल, यानी बीच में दबे हए। रक्त की एक बूंद में इनकी संख्या लाखों में होती है। यदि हम एक मिलीमीटर रक्त लें तो उसमें हमें चालीस से पचपन लाख कण मिलेंगे। इनके कारण ही हमें रक्त लाल रंग का नज़र आता है। ये कण शरीर के लिए दिन-रात काम करते हैं। साँस लेने पर साफ़ हवा से जो ऑक्सीजन तुम प्राप्त करते हो उसे शरीर में पहुँचाने का काम इन कणों का ही है। इनका जीवनकाल लगभग चार महीने होता है। चार होते ये नष्ट हो जाते हैं, लेकिन एक साथ नहीं, धीरे-धीरे।
Q. रक्त-कण कितने दिन तक हमारे शरीर में रहते हैं?
“लाल कण बनावट में बालशाही की तरह की होते हैं। गोल और दोनों तरफ अवतल, यानी बीच में दबे हए। रक्त की एक बूंद में इनकी संख्या लाखों में होती है। यदि हम एक मिलीमीटर रक्त लें तो उसमें हमें चालीस से पचपन लाख कण मिलेंगे। इनके कारण ही हमें रक्त लाल रंग का नज़र आता है। ये कण शरीर के लिए दिन-रात काम करते हैं। साँस लेने पर साफ़ हवा से जो ऑक्सीजन तुम प्राप्त करते हो उसे शरीर में पहुँचाने का काम इन कणों का ही है। इनका जीवनकाल लगभग चार महीने होता है। चार होते ये नष्ट हो जाते हैं, लेकिन एक साथ नहीं, धीरे-धीरे।
Q. हमें रक्त लाल रंग का नजर क्यों आता है?
शरीर में हर समय नए कण बनते रहते हैं, जो नष्ट कणों का स्थान ले लेते हैं। हड़ियों के बीच के भाग मज्जा में ऐसे बहुत से कारखाने होते हैं जो रक्त-कणों के निर्माण कार्य में लगे रहते हैं। इनके लिए इन कारखानों को प्रोटीन, लौह-तत्त्व और विटामिन रूपी कच्चे माल की ज़रूरत होती है। यह पौष्टिक आहार लेते हैं। हरी सब्जी, फल, दूध, अंडा और गोश्त में ये तत्त्व उपयुक्त मात्रा में होते हैं।
यदि कोई व्यक्ति उचित आहार ग्रहण नहीं करता तो इन कारखानों को आवश्यकतानुसार कच्चा माल नहीं मिल पाता। नतीजा यह होता है कि रक्त-कण बन नहीं पाते, रक्त में इनकी कमी हो जाती है। लाल कणों की इसी कमी को एनीमिया कहते हैं।
Q. हमारे शरीर में नए रक्त-कणों का निर्माण कहाँ होता है?
शरीर में हर समय नए कण बनते रहते हैं, जो नष्ट कणों का स्थान ले लेते हैं। हड़ियों के बीच के भाग मज्जा में ऐसे बहुत से कारखाने होते हैं जो रक्त-कणों के निर्माण कार्य में लगे रहते हैं। इनके लिए इन कारखानों को प्रोटीन, लौह-तत्त्व और विटामिन रूपी कच्चे माल की ज़रूरत होती है। यह पौष्टिक आहार लेते हैं। हरी सब्जी, फल, दूध, अंडा और गोश्त में ये तत्त्व उपयुक्त मात्रा में होते हैं।
यदि कोई व्यक्ति उचित आहार ग्रहण नहीं करता तो इन कारखानों को आवश्यकतानुसार कच्चा माल नहीं मिल पाता। नतीजा यह होता है कि रक्त-कण बन नहीं पाते, रक्त में इनकी कमी हो जाती है। लाल कणों की इसी कमी को एनीमिया कहते हैं।
Q. प्रोटीन, लौह-तत्व और विटामिन हमें कहाँ से प्राप्त होते हैं?
शरीर में हर समय नए कण बनते रहते हैं, जो नष्ट कणों का स्थान ले लेते हैं। हड़ियों के बीच के भाग मज्जा में ऐसे बहुत से कारखाने होते हैं जो रक्त-कणों के निर्माण कार्य में लगे रहते हैं। इनके लिए इन कारखानों को प्रोटीन, लौह-तत्त्व और विटामिन रूपी कच्चे माल की ज़रूरत होती है। यह पौष्टिक आहार लेते हैं। हरी सब्जी, फल, दूध, अंडा और गोश्त में ये तत्त्व उपयुक्त मात्रा में होते हैं।
यदि कोई व्यक्ति उचित आहार ग्रहण नहीं करता तो इन कारखानों को आवश्यकतानुसार कच्चा माल नहीं मिल पाता। नतीजा यह होता है कि रक्त-कण बन नहीं पाते, रक्त में इनकी कमी हो जाती है। लाल कणों की इसी कमी को एनीमिया कहते हैं।
Q. ‘पौष्टिक आहार’ में विशेषण क्या है?
शरीर में हर समय नए कण बनते रहते हैं, जो नष्ट कणों का स्थान ले लेते हैं। हड़ियों के बीच के भाग मज्जा में ऐसे बहुत से कारखाने होते हैं जो रक्त-कणों के निर्माण कार्य में लगे रहते हैं। इनके लिए इन कारखानों को प्रोटीन, लौह-तत्त्व और विटामिन रूपी कच्चे माल की ज़रूरत होती है। यह पौष्टिक आहार लेते हैं। हरी सब्जी, फल, दूध, अंडा और गोश्त में ये तत्त्व उपयुक्त मात्रा में होते हैं।
यदि कोई व्यक्ति उचित आहार ग्रहण नहीं करता तो इन कारखानों को आवश्यकतानुसार कच्चा माल नहीं मिल पाता। नतीजा यह होता है कि रक्त-कण बन नहीं पाते, रक्त में इनकी कमी हो जाती है। लाल कणों की इसी कमी को एनीमिया कहते हैं।
Q. लाल कणों की कमी से कौन-सा रोग होता है?
शरीर में हर समय नए कण बनते रहते हैं, जो नष्ट कणों का स्थान ले लेते हैं। हड़ियों के बीच के भाग मज्जा में ऐसे बहुत से कारखाने होते हैं जो रक्त-कणों के निर्माण कार्य में लगे रहते हैं। इनके लिए इन कारखानों को प्रोटीन, लौह-तत्त्व और विटामिन रूपी कच्चे माल की ज़रूरत होती है। यह पौष्टिक आहार लेते हैं। हरी सब्जी, फल, दूध, अंडा और गोश्त में ये तत्त्व उपयुक्त मात्रा में होते हैं।
यदि कोई व्यक्ति उचित आहार ग्रहण नहीं करता तो इन कारखानों को आवश्यकतानुसार कच्चा माल नहीं मिल पाता। नतीजा यह होता है कि रक्त-कण बन नहीं पाते, रक्त में इनकी कमी हो जाती है। लाल कणों की इसी कमी को एनीमिया कहते हैं।
Q. रक्तों-कणों का निर्माण किससे होता है?
सफेद कण वास्तव में हमारे शरीर के वीर सिपाही हैं। जब रोगाणु शरीर पर धावा बोलने की कोशिश करते हैं तो सफेद कण उनसे डटकर मुकाबला करते हैं और जहाँ तक संभव हो पाता है रोगाणुओं को भीतर घर नहीं करने देते। बस, संक्षेप में यों मान लो कि वे बहुत से रोगों से हमारी रक्षा करते हैं।”
“और बिंबाणुओं का काम है चोट लगने पर रक्त जमाव क्रिया में मदद करना। रक्त के तरल भाग प्लाज्मा में एक विशेष किस्म की प्रोटीन होती है, जो रक्तवाहिका की कटी-फटी दीवार में मकड़ी के जाले के समान एक जाला बुन देती है। बिंबाणु इन जाले से चिपक जाते हैं और इस तरह दीवार में आई दरार भर जाती है, जिससे रक्त बाहर निकलना बंद हो जाता है।”
Q. जब रोगाणु शरीर पर धावा बोलते हैं तो रोगाणुओं का मुकाबला कौन करते हैं?
सफेद कण वास्तव में हमारे शरीर के वीर सिपाही हैं। जब रोगाणु शरीर पर धावा बोलने की कोशिश करते हैं तो सफेद कण उनसे डटकर मुकाबला करते हैं और जहाँ तक संभव हो पाता है रोगाणुओं को भीतर घर नहीं करने देते। बस, संक्षेप में यों मान लो कि वे बहुत से रोगों से हमारी रक्षा करते हैं।”
“और बिंबाणुओं का काम है चोट लगने पर रक्त जमाव क्रिया में मदद करना। रक्त के तरल भाग प्लाज्मा में एक विशेष किस्म की प्रोटीन होती है, जो रक्तवाहिका की कटी-फटी दीवार में मकड़ी के जाले के समान एक जाला बुन देती है। बिंबाणु इन जाले से चिपक जाते हैं और इस तरह दीवार में आई दरार भर जाती है, जिससे रक्त बाहर निकलना बंद हो जाता है।”
Q. चोट लगने पर रक्त का बहाव किस प्रकार रुकता है?
सफेद कण वास्तव में हमारे शरीर के वीर सिपाही हैं। जब रोगाणु शरीर पर धावा बोलने की कोशिश करते हैं तो सफेद कण उनसे डटकर मुकाबला करते हैं और जहाँ तक संभव हो पाता है रोगाणुओं को भीतर घर नहीं करने देते। बस, संक्षेप में यों मान लो कि वे बहुत से रोगों से हमारी रक्षा करते हैं।”
“और बिंबाणुओं का काम है चोट लगने पर रक्त जमाव क्रिया में मदद करना। रक्त के तरल भाग प्लाज्मा में एक विशेष किस्म की प्रोटीन होती है, जो रक्तवाहिका की कटी-फटी दीवार में मकड़ी के जाले के समान एक जाला बुन देती है। बिंबाणु इन जाले से चिपक जाते हैं और इस तरह दीवार में आई दरार भर जाती है, जिससे रक्त बाहर निकलना बंद हो जाता है।”
Q. बिंबाणु का संधि-विच्छेद होगा
सफेद कण वास्तव में हमारे शरीर के वीर सिपाही हैं। जब रोगाणु शरीर पर धावा बोलने की कोशिश करते हैं तो सफेद कण उनसे डटकर मुकाबला करते हैं और जहाँ तक संभव हो पाता है रोगाणुओं को भीतर घर नहीं करने देते। बस, संक्षेप में यों मान लो कि वे बहुत से रोगों से हमारी रक्षा करते हैं।”
“और बिंबाणुओं का काम है चोट लगने पर रक्त जमाव क्रिया में मदद करना। रक्त के तरल भाग प्लाज्मा में एक विशेष किस्म की प्रोटीन होती है, जो रक्तवाहिका की कटी-फटी दीवार में मकड़ी के जाले के समान एक जाला बुन देती है। बिंबाणु इन जाले से चिपक जाते हैं और इस तरह दीवार में आई दरार भर जाती है, जिससे रक्त बाहर निकलना बंद हो जाता है।”
Q. वीर सिपाही किन्हें कहाँ जाता है?
सफेद कण वास्तव में हमारे शरीर के वीर सिपाही हैं। जब रोगाणु शरीर पर धावा बोलने की कोशिश करते हैं तो सफेद कण उनसे डटकर मुकाबला करते हैं और जहाँ तक संभव हो पाता है रोगाणुओं को भीतर घर नहीं करने देते। बस, संक्षेप में यों मान लो कि वे बहुत से रोगों से हमारी रक्षा करते हैं।”
“और बिंबाणुओं का काम है चोट लगने पर रक्त जमाव क्रिया में मदद करना। रक्त के तरल भाग प्लाज्मा में एक विशेष किस्म की प्रोटीन होती है, जो रक्तवाहिका की कटी-फटी दीवार में मकड़ी के जाले के समान एक जाला बुन देती है। बिंबाणु इन जाले से चिपक जाते हैं और इस तरह दीवार में आई दरार भर जाती है, जिससे रक्त बाहर निकलना बंद हो जाता है।”
Q. रक्त-वाहिका का समास-विग्रह होगा
एनीमिया बहुत से कारणों से होता है, किंतु हमारे देश में इसका सबसे बड़ा कारण पौष्टिक आहार की कमी है। इसके अलावा इस रोग का एक और बड़ा कारण है-पेट में कीड़ों का हो जाना। ये कीड़े प्रायः दूषित जल और खाद्य- पदार्थों द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। अतः इनसे बचने के लिए आवश्यक है कि हम पूरी सफाई से बनाए गए खाद्य- पदार्थ ही ग्रहण करें। भोजन करने से पूर्व अच्छी तरह से हाथ धो लें और साफ पानी ही पिएँ। और हाँ, अनिल एक किस्म के कीड़े भी हैं, जिनके अंडे ज़मीन की ऊपरी सतह में पाए जाते हैं। इन अंडों से उत्पन्न हुए लार्वे त्वचा के रास्ते शरीर में प्रवेश कर आँतों में अपना घर बना लेते हैं। इनसे बचने का सहज उपाय है कि शौच के लिए हम शौचालय का ही प्रयोग करें और इधर-उधर नंगे पैर न घूमें”।
Q. दूषित जल पीने से क्या हो जाता है?
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