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1922 में म.प्र. के होशंगाबाद में।
सन् 1995 में हरिशंकर परसाई जी का निधन हुआ।
प्रेमचंद ने यह फोटो अपनी पत्नी के साथ खिंचवाया था।
‘नेम’ का तत्सम ‘नियम’ है।
हरिशंकर परसाई मूलतः ……………… हैं। सही विकल्प से रिक्त स्थान से पूर्ति कीजिए।
हरिशकर परसाई एक व्यंग्यकार हैं।
लेखक यह क्यों सोचता है कि उस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी
गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न
मुझे लगता है. तुम किसी सख्त चीज को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परम-पर-परम सदियों से जम गयी है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाह लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया। तुम उसे बचाकर, उनके बगल से भी तो निकल सकते थे। टीलों से समझौता भी तो हो जाता है। सभी नदियाँ पहाड़ थोड़े ही फोड़ती हैं, कोई रास्ता बदलकर, घूमकर भी तो चली जाती हैं।
‘कोई चीज जो परम-पर-परम सदियों से जम गई है, उससे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाड़ लिया।’ इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
प्रेमचंद जी ने अपने साहित्य के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने का बीड़ा उठाया है
शोषण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करना
इस गद्यांश को जिस पाठ से लिया गया है, उसके लेखक का नाम बताइए।
निम्नलिखित में से कौन-सी रचना हरिशंकर परसाई जी की नहीं है?
गोदान मुंशी प्रेमचंद की रचना है।
‘प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ में लेखक ने प्रेमचंद का कैसा चित्रण किया है?
इस पाठ में प्रेमचंद जी का यथार्थ चित्रण है।
लेखक ने इस पाठ में भक्ति काल के किस कवि का वर्णन किया है।
कुभनदास जी का वर्णन किया है।
उपहास में ‘उप’ उपसर्ग है।
प्रेमचंद यथार्थवादी साहित्यकार थे।
‘टीलों से समझौता भी हो जाता है। यहाँ टीलों का क्या अर्थ है?
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