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माझी ईश्वर के लिए प्रयोग हुआ है।
वाणी को वाख कहते हैं
रस्ती का प्रयोग प्राणों के उस सहारे के लिए हुआ है जो हमें ईश्वर तक ले जाता है
सुषुम रूपी सेतु’ रूपक अलंकार।।
‘भव रूपी सागर’ रूपक अलंकार।
वाख कहा जाता है।
कश्मीर स्थित पाम्पोर के सिमरा गाँव में
काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न
रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।
जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार ।।
पानी टपके कच्चे सकारे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।
जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है परे ।।
कच्चा धागा किसका प्रतीक है?
कमजोर और नाशवान् सहारे का
आत्मा का परमात्मा से मिलन परमात्मा के घर
जीवन रूपी डोर के लिए
प्रज्ञा चक्षुओं का खुल जाना जिससे व्यक्ति ज्ञानवान हो जाता है।
जेब टटोलने का अर्थ आत्मावलोकन करना है।
यमक अलंकार क्यों एक सम का अर्थ शमन करना तथा दूसरे सम का अर्थ समानता का भाव।
सभी प्राणियों के साथ समभाव रखना
सन् 1320 में।
उन्होंने नाशवान चीजों का सहारा लिया है
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