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दो अनंत समानांतर धातु प्लेटों को समान ध्रुवीयता के समकक्ष सतह आवेश घनत्व के साथ आवेशित किया जाता है। तो प्लेटों के बीच के अंतर में विद्युत क्षेत्र क्या होता है?
दो अनंत समानांतर धातु प्लेटों को समान ध्रुवीयता के समकक्ष सतह आवेश घनत्व के साथ आवेशित किया जाता है। समकक्ष सतह आवेश घनत्व में समान आवेश होते हैं, जो या तो धनात्मक या ऋणात्मक होते हैं। समान आवेश एक दूसरे से विकर्षित होते हैं, इसलिए प्लेटों के बीच के अंतर में परिणामी विद्युत क्षेत्र शून्य होता है।
चुम्बकीय क्षेत्र में कौन स्थिर आवेश का अनुभव करता है?
चुंबकीय क्षेत्र केवल विद्युत क्षेत्र को बदलकर उत्पादित किया जाता है। जब कोई आवेश स्थिर होता है, तो उसके विद्युत क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं होता है और इसलिए कोई चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न नहीं होता है।
1 cm त्रिज्या का एक पृथक वृत्त वायु में रखा जाता है, तो उसकी धारिता ज्ञात करें।
एक पृथक वृत्त की धारिता इस प्रकार से दी जाती है,
C = 4πε0R = 4π×8.854×10−12×1×10−2 = 1.11pF
निम्नलिखित में से कौन सी विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण की इकाई है?
विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण धनात्मक और ऋणात्मक विद्युत आवेशों को अलग करने का माप होता है। इसमें दो समान और विपरीत आवेश होते हैं जो असीमित रूप से एक साथ संवृत्त होते हैं। इसका परिमाण आवेश और आवेशों के बीच की दूरी के गुणनफल के बराबर होता है और यह आवेशों के बीच की रेखा के साथ ऋणात्मक और धनात्मक आवेश की दिशा में होते हैं।
p = qd
विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण की एस.आई. इकाई कूलम्ब-मीटर है।
निम्नलिखित में से किसका प्रयोग सामान्यतौर पर स्थायी चुंबक बनाने के लिए किया जाता है?
ऐसे पदार्थ जिन्हें चुंबकीय बनाया जा सकता है, जो एक चुंबक (लौहचौम्बिक) से दृढ़ता से आकर्षित होते हैं, वे स्थायी चुंबक बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
कोबाल्ट इस्पात में लगभग 35% कोबाल्ट होता है। इसका चुंबकीय गुण बहुत अच्छा होता है, इसलिए इसका उपयोग स्थायी चुंबक बनाने के लिए किया जाता है।
कॉपर, चाँदी, हीरा विषम चुंबकीय पदार्थ के उदहारण हैं।
विषम चुंबकीय पदार्थो को चुंबकीय क्षेत्र से न्यून मात्रा में विकर्षित होते हैं और बाह्य चुंबकीय क्षेत्र हटा दिए जाने पर पदार्थ चुंबकीय गुणों को बनाए नहीं रखते हैं।
50 हर्ट्ज़ की आवृत्ति पर रबर की पारद्युतिक मजबूती 30000 वोल्ट/मिमी है। तो विभंग को बनाये रखने के लिए 33 किलो वोल्ट के विद्युतीय चालक पर विद्युतरोधन की आवश्यक मोटाई क्या है?
दिया गया है कि,
विद्युत क्षेत्र (E) = 30000 वोल्ट/मिमी
विभंग वोल्टेज (V) = 33 किलो वोल्ट
एक कुण्डल का फ्लक्स ग्रंथन λ है और I कुण्डल के माध्यम से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा है, तो कुण्डल का प्रेरकत्व क्या है?
कुण्डल का प्रेरकत्व L = λ/I है
जहाँ, λ वेबर-कुंडली में फ्लक्स ग्रंथन है।
I एम्पेयर में विद्युत धारा है।
निचे दिखाए गए आरेख में दिए गए परिपथ के धारा अनुपात (i2/i) को ज्ञात कीजिए।
धारा विभाजन के अनुसार,
चालक से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के चारों ओर बल की चुंबकीय रेखाओं की दिशा को कैसे ज्ञात किया जा सकता है?
दाहिने हाथ की मुट्ठी के नियम के अनुसार, कल्पना कीजिए कि आपने अपने दाहिने हाथ में विद्युत धारा प्रवाहित होने वाली तार पकड़ी हुई है ताकि अंगूठा विद्युत धारा की दिशा को इंगित करे, तो तार पर लिपटी हुई अंगुलियाँ धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा बताती हैं।
पारगम्यता एक पदार्थ अन्दर चुंबकीय क्षेत्र के गठन के समर्थन के लिए पदार्थ की क्षमता का माप है। यह चुंबकीकरण का परिमाण होता है जो एक पदार्थ पर लागू चुंबकीय क्षेत्र के प्रत्युत्तर में प्राप्त होता है।
यह समानुपातिकता का स्थिरांक है जो चुंबकीय फ्लक्स घनत्व और चुंबकीय क्षेत्र तीव्रता के बीच होता है।
B = μH
चुंबकीय पारगम्यता की इकाई हेनरी प्रति मीटर है।
0.8 मिली हेनरी के एक कुण्डल जिसमें 2 एम्पियर की विद्युत धारा प्रवाहित होती है और यह 0.4 सेकेंड में विपरीत दिशा में हो जाती है, तो इसमें प्रेरित इ.एम.एफ क्या है?
दिया गया है कि,
कुण्डल में प्रेरकत्व (L) = 0.8 मिली हेनरी
विद्युत धारा (I) = 2 एम्पेयर
विद्युत धारा में बदलाव = 2 – (–2) = 4
श्रेणी संयोजन में जुड़े दो कुण्डलों के अवकल युग्मन में 2 मिली हेनरी, 4 मिली हेनरी के स्वः-प्रेरकत्व है और 0.15 मिली हेनरी का परस्पर प्रेरकत्व है। तो संयोजन के समतुल्य क्या है?
दिया गया है कि, L1 = 2 मिली हेनरी, L2 = 4 मिली हेनरी, M = 0.15 मिली हेनरी
अवकल युग्मन के लिए श्रेणी संयोजन में दो कुण्डलों का समतुल्य इस प्रकार है
Leq = L1 + L2 - 2M = 2 + 4 – 2 (0.15) = 5.7 मिली हेनरी
पदार्थ का प्रतिधारण का गुण निम्न में से किस के निर्माण के लिए उपयोगी है?
लागू चुंबकत्व को हटा दिए जाने के बाद चुंबकत्व की यह शक्ति को पदार्थ का प्रतिधारण कहा जाता है।
पदार्थों को उनके चुंबकत्व को बनाए रखने के लिए उच्च संवेदनशीलता की आवश्यकता होती है और ऐसे पदार्थों को स्थायी चुंबक बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
कुण्डल का स्वः प्रेरकत्व कुण्डल में स्वः प्रेरित इ.एम.एफ. और विद्युत धारा के बदलाव की दर के अनुपात के रूप में परिभाषित होता है।
कुण्डल का स्वः प्रेरकत्व उच्च होने पर इसके माध्यम से स्थिर धारा स्थापित करने में विलम्ब होता है।
चुंबकीय परिपथ में वायु अंतराल का प्रभाव क्या होता है?
चुंबकीय परिपथ में वायु अंतराल का अर्थ है चुंबकीय प्रतिरोध अर्थात् चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व के प्रति प्रतिष्टम्भ होना। इसलिए वायु अंतराल प्रतिष्टम्भ में वृद्धि दर्शाता है।
चुंबकीय ध्रुव शक्ति मात्रा की एम.के.एस. तर्कसंगत इकाई क्या है?
चुंबकीय ध्रुव शक्ति एक चुंबक के एक मुख द्वारा दूसरे चुंबक के मुख पर लगाए गए बल का माप होता है जब दोनों चुंबक समान और विपरीत ध्रुवों द्वारा दर्शाए जाते हैं।
वेबर चुंबकीय ध्रुव शक्ति के मात्रा की एम.के.एस. के तर्कसंगत इकाई होती है।
जब एक कुण्डल में 0.05 सेकेंड में विद्युत धारा 1 A से 4 A में बदलती है और कुण्डल में प्रेरित इ.एम.एफ. 8 वोल्ट है। तो कुण्डल का स्वः प्रेरकत्व क्या है?
दिया गया है कि,
विद्युत धारा (I) = 2 A से 4 A में बदलती है
विद्युत धारा में बदलाव = 2 A
समय (t) = 0.05
इ.एम.एफ. (e) = 8 वोल्ट
दिए गए परिपथ में प्रेरकत्व L1 और L2 हैं, यदि L1 = 2L2 और Leq, 0.7 हेनरी है, तो
दिए गए परिपथ से,
नरम चुंबकीय पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जो आसानी से चुंबकित और विचुंबकित हो जाते हैं।
पारगम्यता एक पदार्थ अन्दर चुंबकीय क्षेत्र के गठन के समर्थन के लिए पदार्थ की क्षमता का माप है। यह चुंबकीकरण का परिमाण होता है जो एक पदार्थ पर लागू चुंबकीय क्षेत्र के प्रत्युत्तर में प्राप्त होता है। यह चुंबकीकरण का परिमाण होता है जो एक पदार्थ पर लागू चुंबकीय क्षेत्र के प्रत्युत्तर में प्राप्त होता है। इसलिए यह नरम चुंबकीय सामग्री के लिए उच्च होना चाहिए।
अवपीड़क क्षेत्र या अवपीड़क बल, एक लौहचौम्बिक पदार्थ की क्षमता का एक परिमाण होता है जो बिना किसी विचुंबकन के बाहरी चुंबकीय क्षेत्र का सामना कर सकता है। इसलिए यह नरम चुंबकीय सामग्री के लिए कम होना चाहिए।
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