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बियरिंग का चुनाव करते समय कौनसे कारक महत्वपूर्ण होते हैं?
ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण कारक:
(1) विमीय सीमाएँ: बियरिंग के लिए स्वीकार्य स्थान सामान्यतः सीमित होता है।
(2) आरोपित भार: भार की विशेषताएँ, परिमाण और दिशा महत्वपूर्ण होती हैं।
(3) घूर्णन गति: यह बियरिंग के प्रकार, आकार, सहिष्णुता, केज़ प्रकार, भार स्नेहन और प्रशीतन स्थिति पर निर्भर करती है
(4) बियरिंग सहिष्णुता
(5) दृढ़ता
(6) आंतरिक और बाह्य रेस का असंरेखन
(7) शोर और बलाघूर्ण स्तर
(8) वियोजन का अधिष्ठापन
बल के अनुप्रयोग की दिशा में रिवेट की दो समानांतर पंक्तियों के बीच की दुरी को पिच कहा जाता है। न्यूनतम पिच कुल व्यास के 2.5 गुना होती है।
न्यूनतम पिच, रिवेट के नाममात्र व्यास के 2.5 गुना से कम नहीं होनी चाहिए।
मुख्य नियम के अनुसार, रिवेट के नाममात्र व्यास के 3 गुना मान के बराबर के पिच को अपनाया जाता है।
अधिकतम पिच बाह्य पतले पट्ट की चौड़ाई के 32 गुना या 300 मिमी, जो भी मान न्यून है, से अधिक नहीं होनी चाहिए।
शंकु क्लच के द्वारा स्थानांतरित किया गया घर्षण बलाघूर्ण किसके समान होता है?
एकल पंक्ति डीप ग्रूव बॉल बियरिंग में, केव इस बात को सुनिश्चित करती हैं कि गेंदें एक ही बिंदु पर जमा न हो जाएँ (अर्थात गेंदों के बीच कुछ नियत दुरी बनी रहे) और यह समुचित सापेक्ष कोणीय गति भी बनी रहे।
एक सपाट पुली का 'क्राउनिंग' सामान्यत: किस कारण से किया जाता है?
सपाट पट्ट चालन की पुली के रिम पट्ट को पुली से उतरने से बचाने के लिए किनारों में हलका मोड़ा जाता है।
एक डबल स्टार्ट चूड़ी की पिच 4 mm है। चूड़ी का लीड क्या होगा?
Lead = pitch×no of start = 4×2 = 8mm
वह की जिसके निचले भाग को शाफ्ट से मैच करवाने के लिए वक्रीय किया जाता है, किस नाम से जानी जाती है?
संक की का आधा भाग शाफ्ट के की-वे में जाता है और आधा भाग पुली के बॉस या हब के की-वे में जाता है।
जोड़ी के एक सदस्य से जुड़ने वाली और सापेक्ष अक्षीय गति की अनुमति देने वाली "की" फेदर की कहलाती है। यह एक विशेष प्रकार की समानांतर की होती है जो कि मोड़ आघूर्ण को स्थानांतरित करती है और अक्षीय गति को अनुमति देती है।
सपाट सैडल की एक तिर्यक की होती है जो कि हब के की-वे में फिट होती है और शाफ्ट पर सपाट होती है। भार के अंतर्गत इसकी शाफ्ट से फिसलने की प्रवृत्ति होती है। इसलिए इसे अपेक्षाकृत हल्के भार के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
खोखली सैडल की एक तिर्यक की होती है जो कि हब के की-वे में फिट होती है और की का निचला भाग शाफ्ट पर ठीक प्रकार से बैठाने के लिए वक्रीय किया जाता है। चूँकि, खोखली सैडल की घर्षण के द्वारा रूकती है, इसलिए ये हल्के भार के लिए उपयुक्त होती है। इसे सामान्यतः उत्केंद्रित, कैम इत्यादि के अस्थायी जोड़ के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
एक्मे चूड़ी के लिए
चूड़ी की ऊंचाई = 1/2 पिच
चूड़ी कोण या समाविष्ट कोण = 290
यह सामान्यतः चूड़ी-कटाव खराद में प्रयुक्त होते हैं।
डायनेमोमीटर एक यंत्र है जो चलित यंत्र को संचालित करने के लिए आवश्यक बलाघूर्ण और ब्रेक शक्ति का मापन करता है। यह घर्षण प्रतिरोध मापने का यंत्र है।
इंजन की ब्रेक शक्ति मापने के लिए निम्न दो प्रकार के डायनेमोमीटर उपलब्ध हैं:
1. अवशोषक डायनेमोमीटर: इंजन द्वारा उत्पादित सम्पूर्ण ऊर्जा या शक्ति ब्रेक के घर्षण प्रतिरोध द्वारा अवशोषित होती है, और मापन की प्रक्रिया के दौरान यह उष्मा में परिवर्तित हो जाती है।
उदाहरण: प्रोनी ब्रेक डायनेमोमीटर, रोप ब्रेक डायनेमोमीटर, हाइड्रोलिक डायनेमोमीटर
2. प्रेषण डायनेमोमीटर: ऊर्जा को घर्षण में व्यर्थ नहीं जाने दिया जाता है पर कार्य करने के लिए प्रयुक्त कर लिया जाता है। इंजन के द्वारा पैदा की गयी ऊर्जा डायनेमोमीटर से होकर किसी अन्य यंत्र में स्थानांतरित की जाती है जहाँ उत्पादित शक्ति समुचित तरीके से मापित की जा सकती है।
उदाहरण: एपीसाइक्लिक ट्रेन डायनेमोमीटर, पट्ट स्थानान्तरण डायनेमोमीटर, टॉर्शन डायनेमोमीटर।
निचे दिए गए आरेख में दिखाए गए बोयलर उपकरण का शीर्ष किस प्रकार का है?
समलम्बाकार चूड़ी प्रारूप वे चूड़ी हैं जिनकी बाह्य रेखा समलम्बाकार होती है। यह अग्रगामी चूड़ी (शक्ति चूड़ी) के रूप में प्रयुक्त सबसे सामान्य प्रकार की चूड़ी होती हैं। यह उच्च मजबूती देते हैं और इनका निर्माण आसान होता है। ये विशेषकर उच्च भार में प्रयुक्त होती हैं| एक्मे चूड़ी समलम्बाकार चूड़ी होती है।
निम्नलिखित में से कौनसी की भार के अंतर्गत अपरूपण की जगह संपीडन में होती है?
की एक यांत्रिक सदस्य होती है जो कि दो वृत्तीय अनुप्रस्थ काट के मेल और फीमेल सदस्यों के मिलने वाले जोड़े के अन्तरापृष्ठ पर इनकी सापेक्ष कोणीय गति को रोकने के लिए लगाई जाती है। की जुड़ने वाले भागों में बने की-वे में फिट हो जाती है और की में अपरूपण के द्वारा बलाघूर्ण को स्थानांतरित करती है।
बार्थ की, आयताकार की का संशोधन है जिसमें दो असमकोणित सतहें होती हैं। असमकोणित सतहें यह सुनिश्चित करती हैं कि, की ठीक प्रकार फिट होगी। यह की सामान्यतः अपरूपण की जगह संपीडन में होती है।
बॉल बियरिंग प्रकार के स्क्रू किस अनुप्रयोग में पाए जाते हैं?
बॉल स्क्रू को बॉल बियरिंग स्क्रू या पुनः परिचालित बॉल स्क्रू भी कहा जाता है। यह यांत्रिक रेखीय प्रवर्तक होता है जो घूर्णी गति को रेखीय गति में कुछ घर्षण के साथ बदल देता है। इसमें एक स्क्रू स्पिंडल, एक नट, बॉल और एकीकृत बॉल वापसी तंत्र होता है।
बॉल स्क्रू, हवाई जहाज और मिसाइलों में नियंत्रित सतह को गति करवाने के लिए प्रयुक्त होता है और स्वचालित वाहनों में स्टीयरिंग तंत्र में विद्युत् मोटर से प्राप्त घूर्णी गति को स्टीयरिंग रैक की रेखीय गति में परिवर्तित करने में प्रयुक्त होता है। यह यांत्रिक उपकरणों, रोबोट और परिशुद्धता असेम्बली उपकरणों में भी प्रयुक्त होते हैं।
स्क्रू चूड़ी विशिष्ट अनुप्रस्थ काट के सर्पिल खांचे होते हैं जिन्हें बाह्य या आंतरिक भाग में बनाया जाता है। बेलन में बनाई गई स्क्रू चूड़ी सीधी या समानांतर स्क्रू चूड़ी कहलाती है जबकि, शंकु या छिन्नक पर बनाई गई स्क्रू चूड़ी तिर्यक स्क्रू चूड़ी कहलाती है।
क्रेस्ट: पेंच का सबसे ऊँचा भाग जो की दो किनारों को जोड़ता है।
रूट: दो फ्लेंक के बीच खांचे का सबसे निचले भाग को रूट कहते हैं।
पिच: अक्ष के समानांतर और समान अक्षीय तल में और अक्ष के समान ओर एक चूड़ी के एक बिंदु और अगली चूड़ी के समान बिंदु तक की दुरी पिच कहलाती है।
वृहद् व्यास: यह चूड़ी का एक काल्पनिक अधिकतम व्यास होता है जो कि बाह्य या आंतरिक चूड़ी के शीर्ष को छूते हुए निकलता है। इसे शीर्ष व्यास भी कहते हैं।
निम्न व्यास: यह चूड़ी का एक काल्पनिक न्यूनतम व्यास होता है जो कि बाह्य चूड़ी के रूट को छूते हुए निकलता है।
पिच व्यास: यह स्क्रू चूड़ी के वृहद् और निम्न व्यास के मध्य का एक काल्पनिक व्यास है।
कौन सी की केवल घर्षण के द्वारा शक्ति स्थानांतरित करती है?
सैडल की एक ऐसी की है जो कि केवल हब में फिट होती है। इस स्थिति में शाफ्ट में कोई भी की-वे नहीं दिया जाता है और केवल शाफ़्ट, की और हब के बीच का घर्षण ही शाफ़्ट और हब के बीच की सापेक्ष गति को रोकता है और केवल घर्षण के द्वारा ही शक्ति स्थानान्तरण किया जाता है।
प्लेट क्लच में अक्षीय बल 4 किलो न्यूटन है। सपर्श सतह की आंतरिक त्रिज्या 50 मिमी है और बाह्य त्रिज्या 100 मिमी है। एकसमान दाब के लिए घर्षण सतह की माध्य त्रिज्या क्या होगी?
एकसमान दाब सिद्धांत के लिए,
एकसमान वियर संकल्पना में घर्षण सतह की माध्य त्रिज्या निम्न प्रकार दी जाती है,
एक पंक्ति में रखे दो क्रमागत रिवेटों के केंद्र से केंद्र तक की दुरी क्या कहलाती है?
पिच: यह एक पंक्ति में रखे दो क्रमागत कीलकों के केंद्र से केंद्र तक की दुरी होती है
बैक पिच: यह बहु रिवेट जोड़ में दो क्रमागत पंक्तिओं के बीच की न्यूनतम दुरी होती है।
विकर्णीय पिच: यह ज़िगज़ैग रिवेट जोड़ की आसन्न पंक्तिओं के रिवेटों के केंद्र के बीच की दुरी है।
मार्जिन और मार्जिनल पिच: यह कीलक छिद्र के केंद्र की, पट्ट के निकटतम किनारे तक की दुरी होती है।
बायलर में लम्बवत जोड़ों के लिए किस प्रकार का जोड़ प्रयुक्त किया जाता है?
बायलर खोल में लम्बवत जोड़ सामान्यतः द्वि आवरण पट्ट के साथ बट जोड़ होता है। यह जोड़ लैप जोड़ से अधिक दक्ष होता है। यह अधिक कड़ा होता है और खोल की वृत्तीयता बनाये रखने में सहायता करता है।
हुक संयोजन सामान्यतः युनिवर्सल जोड़ के नाम से जाना जाता है, जिसे दो असमानंतर प्रतिच्छेदी शाफ्ट को जोड़ने हेतु प्रयुक्त किया जाता है। इसे कोणीय रूप से असंरेखित शाफ़्ट के साथ भी प्रयुक्त किया जाता है। इसका एक सामान्य अनुप्रयोग स्वचालित वाहनों में देखा जाता है, जहाँ इसे इंजन के गियर बॉक्स से पार्श्व एक्सल तक शक्ति स्थानान्तरण के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
यदि इस्पात पिनियन के लिए BHN 350 है, तो लोड तनाव कारक का मान ज्ञात कीजिए।