प्रिय पति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है ? दुःख-जलनिधि-डूबी सहारा कहाँ है ? इन पंक्तियों में कौन सा स्थायी भाव है ?
केसव कहि न जाइ का कहिये | देखत तव रचना विचित्र अति समुझि मनहिं मन रहिये || इस काव्य-पंक्ति में है –
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उस काल कारे क्रोध के, तन कांपने उसका लगा | मानो हवा के जोर से, सोता हुआ सागर जगा || प्रस्तुत पंक्तियों में कौन -सा रस है ?
उधो मोहि ब्रज विसरत नाहीं | हंससुता की सुन्दर कगरी और द्रुमन की छन्हि || इन पंक्तियों में कौन-सा रस है ?
जहँ-तहँ मज्जा मांस रुचिर लखि परत बगारे | जित-जित छिटके हाड़, सेत कहूँ, कहूँ रतनारे || इव अवतरण में –
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