UGC NET Exam  >  UGC NET Tests  >  UGC NET Mock Test Series 2024  >  UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - UGC NET MCQ

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - UGC NET MCQ


Test Description

30 Questions MCQ Test UGC NET Mock Test Series 2024 - UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 for UGC NET 2024 is part of UGC NET Mock Test Series 2024 preparation. The UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 questions and answers have been prepared according to the UGC NET exam syllabus.The UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 MCQs are made for UGC NET 2024 Exam. Find important definitions, questions, notes, meanings, examples, exercises, MCQs and online tests for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 below.
Solutions of UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 questions in English are available as part of our UGC NET Mock Test Series 2024 for UGC NET & UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 solutions in Hindi for UGC NET Mock Test Series 2024 course. Download more important topics, notes, lectures and mock test series for UGC NET Exam by signing up for free. Attempt UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 | 100 questions in 120 minutes | Mock test for UGC NET preparation | Free important questions MCQ to study UGC NET Mock Test Series 2024 for UGC NET Exam | Download free PDF with solutions
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 1

‘सीढ़ियों पर धूप में’ कविता - संग्रह किस कवि का है ? 

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 1

‘सीढ़ियों पर धूप में’ कविता - संग्रह रघुवीर सहाय का है।  Key Pointsरघुवीर सहाय --

  • जन्म --1929 - 1990 ई.
  • दूसरे सप्तक के कवि  है।  
  • कविता संग्रह - 
    • आत्महत्या के विरुद्ध
    • हँसो हँसो जल्दी हँसो
    • लोग भूल गए हैं
    • कुछ पत्ते और चिट्टियां 
    • एक समय था

Important Pointsअज्ञेय --

  • जन्म --  1911- 1987 ई.
  • काव्य संग्रह - 
    • भग्नदूत (1933)
    • चिन्ता (1942)
    • इत्यलम् (1946)
    • हरी घास पर क्षण भर (1949)
    • बावरा अहेरी (1954)
    • इन्द्रधनुष रौंदे हुये ये (1957)
    • आँगन के पार द्वार (1961)
    • कितनी नावों में कितनी बार (1967)
    • पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (1974)
    • नदी की बाँक पर छाया (1981)

धूमिल --

  • जन्म --  1936 - 1975 ई.
  • काव्य संग्रह - 
    • संसद से सड़क तक (1972)
    • कल सुनना मुझे (1976)
    • सुदामा पांडे का प्रजातंत्र ( 1984)

मुक्तिबोध -- 

  • जन्म --  1917 - 1964 ई.
  • काव्य संग्रह - 
    • चांद का मुंह टेढ़ा है (1964)
    • भूरी भूरी खाक धूल(1980)
  • मुक्तिबोध की चर्चित कविताएं - 
    • अंधेरे में
    •  ब्रह्मराक्षस
    • भूल गलती
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 2

सरदार पूर्ण सिंह की रचना है? 

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 2

सरदार पूर्ण सिंह की प्रसिद्ध रचना 1- आचरण की सभ्यता है।

Key Points

  • सरदार पूर्ण सिंह, द्विवेदी युग के श्रेष्‍ठ तथासफल निबन्‍धकार हैं। वे हिन्‍दी गद्य-साहितय के प्रचार-प्रसार में संलग्‍न अद्वितीय निबन्‍धकार है। उन्‍हाेंने भावात्‍मक एवं लाक्षणिक शेैली के बनबन्‍धों की रचना की।
  • हिंदी में पूर्णसिंह के केवल छह निबंध हैं। सच्ची वीरता, कन्यादान, पवित्रता, आचरण की सभ्यता, मजदूरी और प्रेम और अमरीका का मस्ताना योगी वाल्ट व्हिटमैन। ये निबंध सरस्वती में प्रकाशित हुए थे और इनके कारण ही सरदार पूर्णसिंह ने हिंदी के निबंधकारों में अपना विशेष स्थान बना लिया है।
  • सरदार पूर्ण सिंह ने 'आचरण की सभ्यता' निबंध में विद्या, कला, कविता, साहित्य, धन, और राजस्व सभी से अधिक शुद्ध आचरण को महत्व दिया है। आचरण की सभ्‍यतामय भाषा सदा मौन रहती है। आचरण का विकास जीवन का परमोद्देश्‍य है। 

Additional Information

  • 'गेहूं और गुलाब' - 
    • गेहूँ और गुलाब' रामवृक्ष बेनीपुरी का प्रसिद्ध एवं प्रतीकात्मक निबन्ध है। इस निबन्ध में लेखक ने गेहूँ को भौतिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रगति का प्रतीक माना है तथा गुलाब को मानसिक एवं सांस्कृतिक प्रगति का मानव प्राचीन काल से ही सौन्दर्य प्रेमी रहा है।
  • 'नाखून क्यों बढ़ते है'-
    • 'नाखून क्यों बढ़ते है',निबंध हज़ारीप्रसाद द्विवेदी के कल्पलता निबंध-संग्रह में है। कल्पलता निबन्ध संग्रह 1951ई. में लिखा गया। यह विचार-प्रधान व्यक्तिनिष्ठ निबन्ध है।
  • श्रद्धा और भक्ति-
    • आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिन्दी निबंध परम्मरा के केन्द्रीय रचनाकार है। उन्होंने हिन्दी निबंध को परिपक्वता के स्तर तक पहुँचाया हैं ‘श्रद्धा-भक्ति’ में उनके परिपक्व निंबंध शैली का दर्शन होता है। आचार्य शुक्ल की निबंध शैली निगमनात्मक है। 
    • श्रद्धा भक्ति में उनकी यह शैली देखी जा सकती है। 
1 Crore+ students have signed up on EduRev. Have you? Download the App
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 3

मैं इस सिद्धांत का समर्थक हूँ कि संसार में छोटे - बड़े हमेशा रहेंगे और उन्हें हमेशा रहना चाहिए। इसे मिटाने की चेष्टा करना मानव जाति के सर्वनाश का कारण होगा" यह कथन गोदान के किस पात्र का है?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 3

सही उत्तर है- "डॉ. मेहता"। अन्य विकल्प असंगत है। 

  • "मैं इस सिद्धांत का समर्थक हूँ कि संसार में छोटे - बड़े हमेशा रहेंगे और उन्हें हमेशा रहना चाहिए।
  • इसे मिटाने की चेष्टा करना मानव जाति के सर्वनाश का कारण होगा" यह कथन गोदान के पात्र डॉ. मेहता का है। 

Key Pointsगोदान-

  • रचनाकार- प्रेमचंद्र 
  • प्रकाशन वर्ष- 1936 ईo
  • विधा- उपन्यास
  • अध्याय- 36 
  • ग्राम- सेमरी, बेलारी 
  • विषय वस्तु-
    • किसानों की दूर्व्यवस्था पर आधारित है।
    • ये बड़े-बड़े जमीदारों द्वारा किसानों के शोषण पर केंद्रित उपन्यास है।
    • इस उपन्यास में कृषक जीवन के समस्याओं का चित्रण प्रमुख हैं।
    • सामंती जीवन की बुराइयों, प्रेम विवाह, दहेज प्रथा, भ्रष्टाचार आदि का चित्रण है।
  • मुख्य पात्र-
    • होरी- नायक।
    • धनिया- नायिका ।
    • गोबर- होरी का पुत्र
    • झूनिया- गोबर की पत्नी।
    • रायासाहब- जमींदार।
    • मेहता- दर्शन शास्त्र के प्रफेसर।
    • मालती- आधुनिक नारी व डॉक्टर।
    • सरोज- मालती की बहन।
    • भोला- झुनिया के पिता।
    • सोना और रूपा- होरी के पुत्री।
    • खन्ना- मिल मालिक ।
    • गोविंदी- खन्ना के पत्नी ।
    • सिलिया- दलित चमार स्त्री।
    • मातादीन और दतादीन- ब्राह्मण।
    • ओंकारनाथ- संपादक।
  • अन्य पात्र- झिंगुरी सिंह, पटेश्वरीलाल, नोहरी, पुनिया, मिर्जा खुसेद।
  • महत्वपूर्ण तथ्य- 
    • होरी की जो जीवन भर मेहनत करता है, अनेक कष्ट सहता है, केवल इसलिए कि उसकी मर्यादा की रक्षा हो सके। 
    • इसीलिए वह दूसरों को प्रसन्न रखने का प्रयास भी करता है,
    • किंतु उसे इसका फल नहीं मिलता और अंत में मजबूर होना पड़ता है, फिर भी अपनी मर्यादा नहीं बचा पाता।

Important Pointsप्रेमचंद्र-

  • जन्म- 1880 -  1936 ईo 
  • उपन्यास-
    • प्रेमा (1907)
    • सेवा सदन (1918)
    • वरदान (1921) 
    • प्रेमाश्रम (1922 )
    • रंगभूमि (1925 )
    • कायाकल्प (1926)
    • निर्मला (1927)
    • गबन (1931)
    • कर्मभूमि (1932)
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 4

प्रकाशन वर्ष के अनुसार पहले से बाद के क्रम में नाटकों को लगाएं-

A. लहरों के राजहंस  

B. आलमगीर  

C. मादा कैक्टस  

D. सेतुबंध  

E. कोर्ट मार्शल  

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन करें-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 4

सही उत्तर है- C, A, D, E, B

Key Points

Important Pointsमोहन राकेश- 

  • जन्म- 1925 - 1972 ईo
  • नाटक-
    • लहरों के राजहंस(1963 ई.)
    • आधे-अधूरे(1969 ई.) आदि। ​

लक्ष्मीनारायण लाल-

  • जन्म-1927-1987ई.
  • हिन्दी नाटककार,एकांकीकार एवं समीक्षक होने के साथ-साथ कहानीकार एवं उपन्यासकार भी थे।
  • मुख्य नाटक-
    • अंधा कुआँ(1955ई.)
    • मादा कैक्टस(1959ई.)
    • सूखा सरोवर(1960ई.)
    • सूर्यमुख(1968 ई.)
    • मिस्टर अभिमन्यु(1971ई.)
    • कर्फ्यू(1972ई.)
    • दूसरा दरवाजा(1972ई.) आदि।

सुरेन्द्र वर्मा-

  • जन्म-1941-2021 ई. 
  • नाटक-
    • सूर्य की अंतिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक(1972 ई.)
    • द्रौपदी(1972 ई.)
    • नायक खलनायक विदूषक(1972 ई.)
    • आठवाँ सर्ग(1976 ई.)
    • छोटे सैयद बड़े सैयद(1978 ई.)
    • क़ैद-ए-हयात(1983 ई.)
    • शकुंतला की अंगूठी(1990 ई.) आदि।

भीष्म साहनी-

  • नाटक-
    • हानूश (1977)
    • कबिरा खड़ा बजार में (1981)
    • माधवी (1985)
    • मुआवज़े (1993)
    • रंग दे वसंती चोला (1998)
    • आलमगीर (1999) आदि।

स्वदेश दीपक-

  • नाटक -
    • बाल भगवान (1989) 
    • कोर्ट मार्शल (1991) 
    • जलता हुआ रथ (1998) 
    • सबसे उदास कविता (1998) 
    • काल कोठरी (1999) आदि। 
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 5

सही युग्म का चयन कीजिए-

A. रामचंद्राभरण - गोप कवि 

B. अलंकारमाला - रामसहाय 

C. काव्य विलास- प्रताप साहि 

D. नवरस तरंग- राम सिंह 

E. रसभूषण- याकूब खाँ 

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 5

सही उत्तर है- केवल A, C, E

  • रामचंद्राभरण (1716ई.) - गोप कवि 
  • काव्य विलास (1829ई.)- प्रताप साहि 
  •  रसभूषण (1718 ई.)- याकूब खाँ 
  • अलंकारमाला(1709 ई.) - सुरति मिश्र 
  • नवरस तरंग (1817 ई.)- बेनी प्रवीन 

Key Pointsगोप कवि-

  • इनका समय काल 1716 ई. के आस पास माना जाता है।
  • ओरछा नरेश पृथ्वी सिंह इनके आश्रयदाता थे।
  • इनकी मुख्य रचना रामचन्द्राभरण है जो अलंकारनिरूपक ग्रन्थ है।
  • अन्य ग्रन्थ- रामालंकार, रामचन्द्रभूषण 

प्रताप साहि-

  • ये रतनसेन बंदीजन के पुत्र थे और चरखारी (बुदेलखंड) के महाराज विक्रमसाहि के यहाँ रहते थे।
  • इन्होंने 1825 ई.  में "व्यंग्वार्थ-कौमुदी" और 1829 ई.  में "काव्य-विलास" की रचना की।
  • अन्य रचनाएँ-
    • जयसिंह प्रकाश 
    • शृंगार-मंज
    • शृंगार शिरोमणि
    • अलंकार-चिंतामणि
    • काव्य-विनोद

याकूब खां-

  • ये रीतिबध्द काव्यधारा के कवि हैं 
  • इनकी एक मात्र रचना रसभूषण है। 

Additional Information

सुरति मिश्र-

  • जन्मकाल- 1683 ई० 
  • पिता- सिंहमनि 
  • काव्य-गुरु- 'गंगेस' 
  • आश्रयदाता- दिल्ली के बादशाह मुहम्मदशाह, जोधपुर के दीवान अमर सिंह, बीकानेर के राजा जोरावर सिंह तथा नसरुल्लाखाँ के आश्रय में रहे।
  • सुरति मिश्र के निम्नलिखित ग्रंथ कहे जाते हैं-
  • ‘काव्य सिद्धांत’, 'अलंकार-माला', 'रस रत्नाकर', 'शृंगारसार', 'रसरत्न माल', 'नखशिख', 'प्रबोधचंद्रोदय नाटक', ‘भक्त-विनोद’, ‘बैताल पचीसी’,।

बेनी प्रवीन- 

  • ये लखनऊ के वाजपेयी थे और लखनऊ के बादशाह गाजीउद्दीन हैदर के दीवान राजा दयाकृष्ण कायस्थ के पुत्र नवल कृष्ण उर्फ ललनजी के आश्रय में रहते थे
  • जिनकी आज्ञा से 1817 ई. में इन्होंने 'नवरस-तरंग' नामक ग्रंथ की रचना की।
  • इसके पहले 'शृंगार-भूषण' नामक एक ग्रंथ ये रच चुके थे।
  • उनके नाम पर "नानाराव प्रकाश" नामक अलंकार का एक बड़ा ग्रंथ कविप्रिया के ढंग पर लिखा था।
  • खेद है इनका कोई ग्रंथ अब तक प्रकाशित न हुआ। इनके फुटकल कवित्त इधर उधर बहुत कुछ संगृहीत और उद्धृत मिलते है।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 6

निम्नलिखित सिद्धांतों को  उनके विचारकों के  साथ सुमेलित कीजिये 
 

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 6

सिद्धांत तथा उनके विचारक - a - iv, b - iii, c - ii, d - i
Key Points 

Important Points 
मनोविश्लेषणवाद -

  •  विचारक -  जुग( यूंग) (1875 -1961 ई.)-
  •  जुंग ने ' लिबिडो' शब्द का अधिक विस्तृत अर्थ लिया जिसमें फ्रायड की 'कामवृति' और एडलर की 'आस्थापन प्रवृत्ति' दोनों ही समन्वित है वह उसे जीवन की वह प्रारंभिक और सामान्य प्रेरक शक्ति मानते हैं जो मानव के सभी व्यवहारों में व्यक्त होती है। 

 अस्तित्ववाद -

  • विचारक - ज्यां पाल सार्त्र (1905 ई.)
  • अस्तित्व आदि विचारधारा का आधारभूत शब्द अस्तित्व है इस विचारधारा के अनुयायियों का मत है कि व्यक्ति का अस्तित्व भी प्रमुख है उसके विचार या सिद्धांत गौण है।
  • अस्तित्व आदि मानते हैं कि हर व्यक्ति को अपने सिद्धांत स्वयं खोजना चाहिए दूसरे द्वारा प्रतिपादित या निर्मित सिद्धांतों को स्वीकार करना आवश्यक नहीं है।

 उत्पत्तिवाद -

  •  आचार्य - भट्ट लोल्लट
  •  दर्शन  - मीमांसा दर्शन है।
    • इन्होंने उत्पत्तिवाद या आराेपवाद की व्याख्या की।
    •  इनका संयोग संबंध - उत्पाद्य - उत्पादक भाव संबंध, गम्य -  गमक भाव संबंध, पोष्य - पोष्यक  भाव संबंधv
    • उनके अनुसार रस की अवस्थिति अनुकार्य (वास्तविक रामदि )में। 

 अभिव्यक्तिवाद

  •  आचार्य - अभिनवगुप्त
  • दर्शन - शैव दर्शन
    •  उनके अनुसार अभिव्यंजना व्यंग्य -व्यंजन भाव है।
    • निष्पत्ति अभिव्यक्ति में होती है।
    •  रस की अवस्थिति सामाजिक सह्रदय में होती है। 

Additional Information
मनोविश्लेषणवाद  के अन्य  विचारक -

  • सिगमंड फ्रायड (1856 -1939 ई.)
  •  एडलर (1870 - 1937 ई.)

 अस्तित्ववाद के अन्य विचारक-

  •  जर्मनी के विद्वान नीत्शे, हैडेगर, जेस्पर्स तथा फ्रांस के विचारक ग्रोवियल मार्शल , अलबर्ट कामु आदि अस्तित्ववादी विचारकों में प्रमुख है।
  • भट्ट लोल्लट और अभिनव गुप्त ने रसनिष्पत्ति का सिद्धांत दिया।
  •  इस सिद्धांत के अन्य आचार्य श्री शंकुक और भट्टनायक है।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 7
मैं ईश्वर को नहीं मानता, मैं पाप को नहीं मानता, मैं दया को नहीं समझ सकता, मैं उस लोक में विश्वास नहीं करता' - 'आकाशदीप' कहानी में यह कथन किसका है?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 7

'मैं ईश्वर को नहीं मानता, मैं पाप को नहीं मानता, मैं दया को नहीं समझ सकता, मैं उस लोक में विश्वास नहीं करता' - 'आकाशदीप' कहानी में यह कथन "बुद्धगुप्त" का है। Key Pointsआकाशदीप-

  • रचनाकार- जयशंकर प्रसाद
  • प्रकाशन वर्ष- 1929 ईo 
  • विधा- कहानी
  • उद्देश्य- 
    • आकाशदीप’ एक रोमांटिक-प्रणय-प्रधान कहानी है।
    • जयशंकर प्रसाद जी आकाशदीप कहानी के माध्यम से कर्तव्य पथ पर हमेशा आगे बढ़ते रहने का सन्देश देते हैं।
    • अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए प्रेम का बलिदान देना कहानी के उद्देश्य को दर्शाता है।
    • आदर्श प्रेम की स्थापना तथा प्रेम और कर्तव्य के द्वंद्व में कर्तव्य विजय को दिखाना इस कहानी का लक्ष्य है।
    • कहानी की नायिका ‘चंपा’ अकेले आकाशदीप जलाकर बुद्ध गुप्त की तरह भटके लोगों को मार्ग दर्शन कराती है।
    • इस कहानी के माध्यम से जयशंकर प्रसाद जी ने प्रेम, सत्य, कर्तव्यनिष्ठ, इमानदारी, सेवा और नैतिकता जैसे शाश्वत मूल्यों को स्थापित किया है।
  • कहानी के पात्र-
    • बुद्धगुप्त- ताम्रलिप्ति का एक क्षत्रिय/ महानाविक, कहानी का नायक। बहादुर और वीर पुरुष है। जो चंपा और खुद को मणिभद्र के चंगुल से आजाद करवाता है।
    • चंपा- एक क्षत्रिय बालिका, कहानी की नायिका। जलदस्यु की कैदी। बुद्धगुप्त की प्रेमिका।
    • मणिभद्र- पोताध्यक्ष्य, कहानी का खलनायक जिसने चंपा और बुद्धगुप्त को बंदी बनाकर रखा है।
    • जया- सेविका, जंगल में निवास करने वाली युवती।
  • ताम्रलिप्ति-
    • बंगाल की खाड़ी में स्थित एक प्राचीन नगर था।
    • विद्वानों का मत है कि वर्तमान तामलुक ही प्राचीन ताम्रलिप्ति था।
    • भारतवर्ष में कलिंग, ताम्रलिप्ति आदि प्राचीन बंदरगाहों से भारतवासियों के जहाज बराबर सिंहल, सुमात्रा, जावा आदिद्वीपों की ओर जाते थे।
  • पहला भाग- 
    • समुंद में पोत पर और दूसरा भाग पाँच वर्ष बाद चंपा द्वीप पर घटित होती है।
  • दूसरा भाग- 
    • कहानी में लेखक यह बताना चाहते हैं, कि मानव के आचरण और व्यवहार को प्रेम और त्याग से बहुत कुछ बदला जा सकता है।
    • यह कहानी प्रेम और कर्म के द्वंद्व पर आधारित है।
    • अंत में कर्तव्य भावना का समर्थन करती है।
    • नायिका चंपा कर्तव्य के आगे अपने प्रेम का बलिदान कर देती है।
    • नारी के त्याग और कल्याण की भावना इस कहानी में मुखरित होती है।
    • आकाशदीप कहानी की शुरुआत दो बंदी ‘चंपा’ और ‘बुद्धगुप्त’ को बंधन से आजाद करवाने से शुरू होती है।

Important Pointsजयशंकर प्रसाद- 

  • जन्म- 1889 - 1937 ईo 
  • कहानी संग्रह-
    • छाया(1912)
    • प्रतिध्वनि (1926)
    • आकाशदीप (1929)
    • आँधी(1931)
    • इंद्रजाल(1936)
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 8
नव अभिजात्यवाद' का उत्थान कहाँ हुआ था ?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 8

नव अभिजात्यवाद' का उत्थान फ्रांस हुआ था। Key Pointsनव अभिजात्यवाद- 

  • सही अर्थ में नव्य - शास्त्रवाद का विकास सत्रहवीं शताब्दी में फ्रांस में हुआ ।
  • नव्य- आभिजात्ववाद में भी प्राचीन अभिजात साहित्य की तरह वैशिष्ट्य (एक्सिलेंस) और चिरंतनता (परमानेंस) को ही साहित्य का शाश्वत मूल्य माना गया।
  • नव्य- आभिजात्यवाद में कला तथा साहित्य में संतुलन, संयम, अनुशासन, व्यवस्था तथा तर्क- संगति पर बल दिया गया।
  • फ्रांसीसी साहित्य के प्रभाव से इंग्लैण्ड की साहित्यिक रचनाएँ यूनानी - रोमी, विशेष रूप से रोमी, काव्य - रूढ़ियों से जकड़ी जाने लगीं। अठाहरवीं सदी में यह प्रभाव अधिक मुखर है।
  • इसीलिए इंग्लैण्ड में अठारहवीं सदी को 'नव्यशास्त्रवाद' की संज्ञा दी जाती है।
  • इंगलैंड में सत्रहवीं शताब्दी में ही नव्य- आभिजात्यवाद का प्रभाव दिखाई पड़ने लगा था।
  • सत्रहवीं से अठारहवीं शताब्दी तक बेन जॉनसन (1573-1637 ), जान ड्राइडन ( 1631-1700), अलेक्जेंडर पोप (1688-1744 ),
  • तथा सैमुअल जॉनसन (1740-95 ) आदि रचनाकारों ने इस प्रवृत्ति का पोषण किया ।
  • सत्रहवीं -अठारहवीं शताब्दी में बेन जॉनसन, पोप आदि ने साहित्य में गरिमा, संतुलन तथा अनुशासन लाने के लिए जिस नव्य- आभिजात्यवादी दृष्टि को अपनाया था,
  • वह अब रूढ़ परंपरा मात्र होकर रह गई थी।

Important Pointsअस्तित्ववाद- 

प्रवर्तक- कीर्केगार्ड
अस्तित्ववाद के प्रमुख सिद्धांत-

  • व्यक्ति का अस्तित्व बाह्य सत्ता के अधीन नहीं।
  • व्यक्ति को अपनी अंतरात्मा के अनुसार जीवन जीना चाहिये।
  • ज्ञान-विज्ञान को महत्त्वहीन मानना 
  • सुख की निरर्थकता।
  • अस्तित्व का बोध दुःख, त्रास व मृत्यु के क्षणों में ही संभव।
  • दुःख, वेदना, अराजकता, विज्ञान-विरोध, नास्तिकता, असामाजिकता,
  • यौन- उन्मुक्तता की प्रधानता ।
  • निराशा, पीड़ा, दु:ख, संत्रास, यातना, एकाकीपन, आत्मनिर्वाचन आदि ही मनुष्य की अनिवार्य स्थिति।
  • मृत्यु को मानवीय स्थिति की सीमा मानना।
  • जीवन के प्रति विद्रोह अथवा जीवन की निरर्थकता के प्रति
  • विद्रोह से तात्पर्य जीवन के परंपरागत मूल्यों, समाज, धर्म आदि के प्रति विद्रोह से है।

प्रमुख अस्तित्ववाद विचारक-

  • कार्ल जेस्पर्स
  • मार्टिन हाइडेगर,
  • गेब्रियल मार्शल
  • सार्त्र
  • कामू
  • सिमोन द बउआ
  • दोस्तोयेव्स्की
  • फ्रांज
  • काफ्का आदि प्रमुख हैं।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 9

जयशंकर प्रसाद को प्रथम एकांकीकर मानने वाले विद्वान हैं-

A. डॉ. नगेन्द्र 

B. सामेनाथ गुप्त 

C. अज्ञेय 

D. रामनाथ सुमन 

E. डॉ. सतेन्द्र 

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 9

सही उत्तर है- केवल A, B, CKey Points

  • जयशंकर प्रसाद को प्रथम एकांकीकर मानने वाले विद्वान हैं-
    • डॉ. नगेन्द्र 
    • सामेनाथ गुप्त 
    • अज्ञेय 

एकांकी- 

  • एक अंक वाले नाटकों को एकांकी कहते हैं।
  • अंग्रेजी के 'वन ऐक्ट प्ले' शब्द के लिए हिंदी में 'एकांकी नाटक' और 'एकांकी' दोनों ही शब्दों का समान रूप से व्यवहार होता है।
  • हिंदी साहित्य के इतिहासकार एकांकी का प्रारंभ भारतेंदुयुग से मानते हैं।
  • एकांकी के दूसरे युग में जयशंकर प्रसाद का 'एक घूँट' लिखा गया जिसपर संस्कृत का भी प्रभाव है और बँगला के माध्यम से आए पाश्चात्य एकांकी शिल्प का भी।
  • प्रसाद जी ने इसी बीच 'कल्याणी परिणय' भी लिखा, पर वह अभी तक अप्रकाशित है।

Important Pointsजयशंकर प्रसाद- 

  • जन्म- 1889 - 1937 ईo 
  • नाटक-  
    • सज्जन (1910 ईo)
    • कल्याणी परिणय (1912 ईo)
    • करुणालय (1912 ईo)
    • प्रायश्चित (1913 ईo)
    • राज्यश्री (1915 ईo)
    • अजातशत्रु (1922 ईo)
    • जनमेजय का नागयज्ञ (1926 ईo)
    • कामना (1927 ईo)
    • स्कंदगुप्त (1928 ईo)
    • चंद्रगुप्त (1931 ईo)
    • ध्रुवस्वामिनी (1933 ईo)
  • काव्य कृतियाँ-
    • उर्वशी (1909 ई०)
    • वन मिलन (1909 ई०)
    • प्रेमराज्य (1909 ई०)
    • अयोध्या का उद्धार (1910 ई०)
    • शोकोच्छ्वास (1910 ई०)
    • बभ्रुवाहन (1911 ई०)
    • कानन कुसुम (1913 ई०)
    • प्रेम पथिक (1914 ई०)
    • महाराणा का महत्व (1914 ई०)
    • चित्राधार (1918 ई०)
    • झरना (1918 ई०)
    • आँसू (1925 ई०)
    • लहर (1933 ई०)
    • कामायनी (1935 ई०)
  • कहानी संग्रह-
    • छाया(1912)
    • प्रतिध्वनि (1926)
    • आकाशदीप (1929)
    • आँधी(1931)
    • इंद्रजाल(1936)
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 10
साहित्य का प्रयोजन', 'साहित्य के सरोकार' और 'रीति विज्ञान' किसकी आलोचनात्मक रचनाएं है?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 10

'साहित्य का प्रयोजन', 'साहित्य के सरोकार' और 'रीति विज्ञान' विद्यानिवास मिश्र की आलोचनात्मक रचनाएं है। Key Pointsविद्यानिवास मिश्र- 

  • जन्म- 1905 - 2005 ईo
  • ये शुक्लोत्तर युग के ललित निबंधकार थे। 
  • निबंध- 
    • छितवन की छाँह (1953)
    • कदम की फूली डाल (1956)
    • आँगन का पंछी और बनजारा मन (1963)
    • मैंने सिल पहुँचाई (1966)
    • बसंत आ गया पर कोई उत्कंठा नहीं (1972)
    • मेरे राम का मुकुट भीग रहा है (1974)
    • कँटीले तारों के आर-पार  (1976 ई०)
    • परंपरा कोई बन्धन नहीं (1976)
    • तमाल के झरोखे से (1981)
    • लागो रंग हरी  (1985 ई०)
    • शेफाली झर रही है (1989)​
    • शिरीष की याद आई (1995 ई०)
    • कितने मोरचे ( 2007 ई०)

Important Pointsरामकुमार वर्मा- 

  • जन्म- 1905 - 1990 ई.  
  • आधुनिक हिन्दी साहित्य में 'एकांकी सम्राट' के रूप में जाने जाते हैं।
  • डॉ. रामकुमार वर्मा हिन्दी भाषा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप में जाने जाते हैं।
  • रामकुमार वर्मा की हास्य और व्यंग्य दोनों विधाओं में समान रूप से पकड़ है।
  • रामकुमार वर्मा एकांकीकार, आलोचक और कवि हैं।
  • इनके काव्य में 'रहस्यवाद' और 'छायावाद' की झलक है।
  • कृतियाँ- 
    • वीर हमीर (1922 ई.)
    • चित्तौड़ की चिंता (1929 ई.)
    • साहित्य समालोचना (1929 ई.)
    • अंजलि (1930 ई.)
    • अभिशाप (1931 ई.)
    • हिन्दी गीतिकाव्य (1931 ई.)
    • निशीथ (1935 ई.)
    • चित्ररेखा (1936 ई.)
    • पृथ्वीराज की आँखें (1938 ई.)
    • कबीर पदावली (1938 ई.)
    • हिन्दी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास (1939 ई.)
    • आधुनिक हिन्दी काव्य (1939 ई.)
    • जौहर (1941 ई.)
    • रेशमी टाई (1941 ई.)
    • शिवाजी (1943 ई.)
    • चार ऐतिहासिक एकांकी (1950 ई.)
    • रूपरंग (1951 ई.)

नंददुलारे वाजपेयी-

  • जन्म- 1906 - 1967 ईo
  • शुक्लोत्तर युग के समीक्षक हैं। 
  • निबंध- 
    • आधुनिक साहित्य (1950)
    • नया साहित्य नये प्रश्न (1955)
    • राष्ट्रभाषा की कुछ समस्याएँ (1961)
    • हिंदी साहित्य का आधुनिक युग (1978)
    • आधुनिक साहित्यः सृजन और समीक्षा (1978)

प्रकाश चंद्र गुप्ता-

  • जन्म- 1908-1970 ई० 
  • रचना-
  • हिन्दी साहित्य की जनवादी परम्परा
  • नया हिन्दी साहित्य - एक दृष्टि
  • इक्कीसवीं सदी की स्त्री-कविता 
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 11
राजभाषा के लिए गठित संसद की समिति में कितने सदस्य होते हैं?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 11

राजभाषा समिति में कुल तीस सदस्य होते हैं, जिसमें 20 लोक सभा के और 10 राज्य सभा के सदस्य सम्मिलित होते हैंl

Key Points संसदीय राजभाषा समिति-

  • संसदीय राजभाषा समिति का गठन राजभाषा अधिनियम, 1963 के अधीन वर्ष 1976 में किया गया था।
  • यह उच्चाधिकार प्राप्त संसदीय समिति है।
  • इसमें 30 संसद सदस्य हैं, 20 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से।
  • माननीय गृह मंत्री जी इस समिति के अध्यक्ष हैं।
  • इस समिति का मुख्य उद्देश्य सरकार के कामकाज में राजभाषा हिन्दी के प्रयोग की प्रगति की समीक्षा करना है।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 12

सुख दुःख की भावावेशमयी अवस्था विशेष का गिने चुने शब्दों' में स्वर - साधना के उपयुक्त चित्रण कर देना ही गीत है। यह परिभाषा किसकी है ?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 12

यह कथन महादेवी वर्मा का है।यह यामा काव्य संग्रह से ली गयी पंक्तियाँ हैं।

Key Points गीतिकाव्य-

  • गीतिकाव्य ऐसा काव्य जो गीति प्रधान अथवा गेय हो और आत्मपरक हो
  • गीतिकाव्य के प्रमुख तत्व -
    • संगीतात्मकता 
    • आत्माभिव्यक्ति 
    • कोमलकांत पदावली 
    • संक्षिप्तता 
    • एकरसता 

Important Points

महादेवी वर्मा -

  • समयकाल -26 मार्च 1907 -11 सितम्बर 1987
  • जन्म स्थान- फ़र्रुख़ाबाद 
  • माता- पिता- हेमरानी देवी,  श्री गोविंद प्रसाद वर्मा
  • ​कविता संग्रह-
    • नीहार (1930), रश्मि (1932), नीरजा (1934), सांध्यगीत (1936), दीपशिखा (1942), सप्तपर्णा (1959), प्रथम आयाम (1974), अग्निरेखा (1990 )

रामकुमार वर्मा- 

  • समयकाल-15 सितम्बर, 1905 - 1990
  • जन्म स्थान- मध्य प्रदेश के सागर जिला
  • माता- पिता-लक्ष्मी प्रसाद वर्मा (डिप्टी कलैक्टर) , श्रीमती राजरानी देवी 
  • मुख्य रचनायें-
    • वीर हमीर (1922 ई.), चित्तौड़ की चिन्ता (1929 ई.), अंजलि (1930 ई.), अभिशाप (1931 ई.), हिन्दी गीतिकाव्य ( 1931 ई.), निशीथ ( 1935 ई.), चित्ररेखा (1936 ई.)

हजारीप्रसाद द्विवेदी-

  • समयकाल-19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979
  • जन्म स्थान-  उत्तर प्रदेश के बलिया जिला
  • माता पिता- अनमोल द्विवेदी , श्रीमती ज्योतिष्मती 
  • मुख्य रचनाएँ-
  • आलोचनात्मक-

    • सूर साहित्‍य (1936), हिन्‍दी साहित्‍य की भूमिका (1940), कबीर (1942), नाथ संप्रदाय (1950), हिन्‍दी साहित्‍य का आदिकाल (1952), आधुनिक हिन्‍दी साहित्‍य पर विचार (1949) 
  • निबन्ध संग्रह

    • अशोक के फूल (1950), कल्‍पलता (1951), विचार और वितर्क (1957
  • उपन्‍यास

    • बाणभट्ट की आत्‍मकथा (1946), चारु चंद्रलेख(1963), पुनर्नवा(1973), अनामदास का पोथा(1976)

डॉ. देवराज-

  • जन्म -1917
  • जन्म स्थान- रामपुर, उत्तर प्रदेश 
  • मुख्य रचनाएँ-
    • 'पथ की खोज' (उपन्यास, 1951)'अजय की डायरी' (उपन्यास, 1960)'मैं वे और आप' (उपन्यास, 1969)
    • 'इतिहास पुरुष' (कविता संग्रह, 1965)
    • 'साहित्य-चिंता''आधुनिक समीक्षा' (1954)'छायावाद का पतन' (1948)'सहित्य और संस्कृति' (1958)'संस्कृति का दार्शनिक विवेचन' (1966)'प्रतिक्रियाएँ' (1966)
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 13
मोहन राकेश किस पत्रिका के संपादक थे?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 13

मोहन राकेश सारिका पत्रिका के संपादक थे। Key Pointsसारिका पत्रिका-

  • सारिका, हिंदी मासिक पत्रिका थी जो पूर्णतया गद्य साहित्य के कहानी विधा को समर्पित थी।
  • कमलेश्वर इस पत्रिका के संपादक थे।
  • 1970 से करीब 1985 तक यह पत्रिका प्रकाशित होती रही।
  • इस पत्रिका के अंतिम समय इसका संपादन कमलेश्वर जी ने छोड़ दिया था।
  • कुछ वर्षों तक मोहन राकेश ने हिंदी की पत्रिका 'सारिका' का भी संपादन किया ।

अन्य विकल्प-

  • पराग पत्रिका-
    • संपादक - डॉ कन्हैयालाल नंदन
    • प्रकार- बाल पत्रिका
    • पराग बच्चों की एक हिन्दी पत्रिका है जो प्रति मास प्रकाशित होती है।
    • पराग पत्रिका अपने प्रकाशन के दौरान 'नन्हे मुन्नों के लिए' शीर्षक के अंतर्गत इस वर्ग के बच्चों का साहित्य प्रकाशित किया करती थी।
    • जिसे पाठकों से अपने नन्हें भाई–बहनों को सुनाने का आग्रह भी होता था।
  • आजकल पत्रिका-
    • यह पत्रिका मृणाल पाण्डे, राजेन्द्र अवस्थी के संपादन में प्रकाशित होती है।
    • आजकल भारत सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा लम्बे समय तक हिन्दी एवं उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित होने वाली पत्रिका का नाम है।
    • यह पत्रिका हिन्दी भाषा में भारत सरकार के प्रकाशन विभाग, पटियाला हाउस, नई दिल्ली से प्रकाशित होती है।
  • नई कविता पत्रिका-
    • नयी कविता हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में प्रयोगवाद से कुछ भिन्नताओं के साथ विकसित हिन्दी कविता की नवीन धारा का प्रतिनिधित्व करने वाली अर्द्धवार्षिक पत्रिका थी।
    • इसे नयी कविता आंदोलन के 'मुखपत्र' की तरह माना जाता है। इसका प्रकाशन 1954 में आरंभ हुआ।
    • संपादक- जगदीश गुप्त

Important Pointsमोहन राकेश-

  • जन्म- 1925 - 1972 ईo
  • उपन्यास-
    • अँधेरे बंद कमरे (1961)
    • अन्तराल (1972)
    • न आने वाला कल (1968)
  • नाटक-
    • लहरों के राजहंस (1963 ईo)
    • आषाढ़ का एक दिन (1958 ईo)
    • आधे-अधूरे (1969 ईo)
    • पैर तले की जमीन (अधुरा कमलेश्वर जी ने पूरा किया 1975 ईo)
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 14

हिंदी आंदोलन के संदर्भ में, वह कौन सा प्रमुख विचार है जिसे लेखकों और बुद्धिजीवियों ने अपनाया था ताकि वे इसे सामान्य हिंदीभाषी जनता के आंदोलन के रूप में देख सकें?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 14

सही उत्तर है: व्यापक जन आंदोलन के सक्रिय सहायक के रूप में मिल-जुल कर काम करना।
Key Points

  • हिंदी आंदोलन में लेखकों और बुद्धिजीवियों ने न केवल अपने आप को एक प्रमुख वर्ग के रूप में पहचान करने की सोच को छोड़ दिया, बल्कि उन्होंने सामान्य हिंदीभाषी जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर व्यापक जन आंदोलन का हिस्सा बनने का निर्णय लिया।
  • यह दृष्टिकोण हिंदी आंदोलन के व्यापक स्वरूप को प्रमाणित करता है और दिखाता है कि यह समाज के एक विशेष वर्ग की पहल नहीं, बल्कि सामान्य जनता के आंदोलन के रूप में उदय हुआ।

Additional Informationअन्य विकल्पों की संक्षेप में व्याख्या:

  • विरोध के रूप में लेखन - यह इंगित करता है कि लेखकों ने अपनी लेखनी के माध्यम से विरोध प्रकट किया, लेकिन यह नहीं बताता कि वे सामान्य जनता के साथ कैसे संबंधित हुए।
  • समाज के लिए अपने विशेष वर्ग की भूमिका को समर्थन - यह विकल्प लेखकों और बुद्धिजीवियों की समाज में विशेष भूमिका पर जोर देता है, लेकिन इसे व्यापक जन आंदोलन में उनके समर्थन के रूप में नहीं देखा जा सकता।
  • विशेष वर्ग के रूप में आत्म-संलग्नता - यह विकल्प सुझाव देता है कि लेखक और बुद्धिजीवी अपने आपको सामान्य जनता से अलग एक विशेष वर्ग के रूप में देखते हैं, जो कि हिंदी आंदोलन के सामूहिक संबंध के विपरीत है।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 15

विचार गोष्ठी का प्रमुख फोकस किस विषय पर था, और विद्वानों ने किस प्रमुख चुनौती का समाधान देखा?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 15

सही उत्तर है: हिंदी भाषा का शिक्षा में समावेश; पारिभाषिक शब्दों की उपलब्धता।
Key Points

  • विचार गोष्ठी का प्रमुख फोकस हिंदी भाषा को शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक समाविष्ट करने पर था, जिसमें विशेषकर विज्ञान और तकनीकी विषयों में पारिभाषिक शब्दावली की उपलब्धता को महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में देखा गया।
  • विद्वानों ने इस समस्या के समाधान के तौर पर हिंदी में विशेषज्ञ शब्दावली के विकास और स्थापना पर जोर दिया।

Additional Information

अन्य विकल्पों की संक्षेप में व्याख्या:

  • स्थानीय भाषाओं का संरक्षण; भाषाई विविधता में संतुलन - इसमें स्थानीय भाषाओं के संरक्षण और भाषाई विविधता बनाए रखने के महत्व को समझाया जाता है।
  • अंग्रेजी भाषा की प्रधानता; गुणवत्ता में असमानता - इस विकल्प में शिक्षा में अंग्रेजी भाषा के प्रमुख किरदार और इसके परिणामस्वरूप गुणवत्ता में असमानताओं पर चर्चा की गई।
  • डिजिटल शिक्षा; तकनीकी पहुँच में विषमता - यह डिजिटल शिक्षा के विकास और इसे सभी तक पहुँचाने में आने वाली विषमताओं को संबोधित करता है।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 16

लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष ने भारत में हिंदी भाषा की भविष्यवाणी के संदर्भ में क्या कहा था?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 16

इसका सही उत्तर है: अंग्रेजी के स्तर में निरंतर गिरावट आएगी और हिंदी अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगी।
Key Points

  • लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष का मानना था कि भविष्य में, अंग्रेजी का प्रभाव और प्राथमिकता में गिरावट आती जाएगी और हिंदी भाषा और भी अधिक महत्वपूर्ण बन जाएगी।
  • उन्होंने भारत में बढ़ती हिंदी की स्वीकार्यता और विस्तार की ओर संकेत किया, जिससे हिंदी का महत्व और भी बढ़ेगा।

Additional Informationअन्य विकल्पों की संक्षेप में व्याख्या:

  • अंग्रेजी की प्राथमिकता बढ़ने की अपेक्षा है - यह विकल्प अंग्रेजी की बढ़ती प्राथमिकता का संकेत देता है, जिसके लिए कोई मजबूत संकेत नहीं दिया गया था।
  • हिंदी और अंग्रेजी के बीच सह-अस्तित्व बना रहेगा - इस विकल्प में हिंदी और अंग्रेजी के बीच सहजीवन की वकालत की गई है, लेकिन इसका जिक्र लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष द्वारा किए गए उत्तर में नहीं है।
  • क्षेत्रीय भाषाएँ हिंदी और अंग्रेजी दोनों को प्रतिस्थापित कर देंगी - यह विकल्प क्षेत्रीय भाषाओं की बढ़ती प्रासंगिकता का संकेत दे रहा है, लेकिन वर्तमान संदर्भ में लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के द्वारा की गई भविष्यवाणी का यह हिस्सा नहीं था।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 17

निम्न रचनाओं में से काव्यरूप के अनुसार प्रबंध काव्य है-

A. कीर्तिलता

B. खुमाणरासो

C. जयमयंक जस चंद्रिका

D. परमालरासो

E. विजयपालरासो

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 17

सही उत्तर है- केवल A, B, C

  • उपर्युक्त रचनाओं में से काव्यरूप के अनुसार प्रबंध काव्य है-
    • A. कीर्तिलता
    • B. खुमाणरासो
    • C. जयमयंक जस चंद्रिका

Key Pointsकीर्तिलता -

  • रचनाकार- विद्यापति
  • विधा- प्रबंध काव्य
  • भाषा- अवहट्ट
  • समय- 14 वी शताब्दी
  • विषय वस्तु-
    • इसमे महाराज कीर्ति सिंह के वीर उदार जीवन का वर्णन किया गया है।

अन्य विकल्प-

  • खुमाणरासो-
    • रचनाकार- दलपत विजय
    • विधा- प्रबंध काव्य
    • भाषा- राजस्थानी हिंदी
    • समय- नवीं शताब्दी
    • विषय वस्तु-
      • इसमें नवीं शती के चित्तौड़ नरेश खुमाण के युद्धों का चित्रण है।
  • जयमयंक जस चंद्रिका-
    • रचनाकार- मधुकर कवि
    • विधा- प्रबंध काव्य
    • भाषा- राजस्थानी हिंदी
    • समय- 12 वी शताब्दी
    • विषय वस्तु-
      • जयचंद्र के शोर्य का वर्णन।

Important Points- परमालरासो-

  • रचनाकार- जगनिक
  • विधा- वीरगाथात्मक रासोकाव्य (आल्ह खंड)
  • समय- 12वीं शताब्दी
  • विषय वस्तु-
    • आल्ह खंड में महोबा के दो प्रसिद्ध वीरों आल्हा और ऊदल के वीर चरित का विस्तृत वर्णन किया गया था।

विजयपालरासो-

  • रचनाकार- नल्लसिंह भाट
  • विधा- वीरगीत
  • समय- 14 वीं शताब्दी
  • विषय वस्तु-
    • इस काव्य में राजा पंग और विजयपाल के बीच युद्ध का वर्णन है।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 18
निम्न में से कौनसा कवि अकबर का दरबारी नहीं है ?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 18

अकबर का दरबारी नहीं है :- बलभद्र मिश्र

अकबर के दरबारी कवि -

  • अबुल फजल
  • फ़ैज़ी
  • तानसेन
  • बीरबल
  • राजा टोडरमल
  • राजा मानसिंह
  • रहीमदास
  • मुल्लाह दो पियाजा
  • कवि गंग
  • नरहरिदास

Key Points

बलभद्र मिश्र -

  • प्रसिद्धि - रीतिकाल के कवि एवं केशवदास के अग्रज।
  • अकबर के समकालीन।
  • प्रमुख ग्रन्थ -
    • शिखनद
    • बलभद्री व्याकरण
    • गोवर्धन सतसई
    • हनुमन्नाटक
    • दूषण विचार

Additional Informationगंगाप्रसाद (गंग) -

  • प्रसिद्धि - रीतिकालीन कवि एवं अकबर के दरबारी कवि
  • प्रमुख रचनाएं -
    • चंद छंद बरनन की महिमा
    • गंग पदावली
    • गंग पचीसी
    • गंग रत्नावली

नरहरिदास -

  • प्रसिद्धि - भक्तिपरम्परा के ब्रजभाषी कवि
  • प्रमुख रचनाएं -
    • रुक्मणि मंगल
    • छप्पय नीति
    • कवित्त संग्रह
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 19
प्रकाशन वर्ष के आधार पर 'गाँधी' पर लिखित जीवनियों का सही कालक्रम है
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 19

प्रकाशन वर्ष के आधार पर 'गाँधी' पर लिखित जीवनियों का सही कालक्रम है- बापू, बापू की झाँकियाँ, बापू के कदमों में, अकाल पुरुष गाँधी

Key Points बापू-

  • रचनाकार- घनश्यामदास बिड़ला
  • प्रकाशन वर्ष- 1940 ई.

बापू की झाँकियाँ-

  • रचनाकार- दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर
  • प्रकाशन वर्ष-

बापू के कदमों में-

  • रचनाकार- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
  • प्रकाशन वर्ष-

अकाल पुरुष गाँधी-

  • रचनाकार- जैनेन्द्र
  • प्रकाशन वर्ष- 1968 ई.

Important Points

जीवनी

  • जीवनी साहित्य की महत्वपूर्ण विधा है. किसी व्यक्ति के जीवन का चरित्र चित्रण करना अर्थात किसी व्यक्ति विशेष के सम्पूर्ण जीवन वृतांत को जीवनी कहते है. जीवनी का अंग्रेजी अर्थ “बायोग्राफी” हैI
  • .जीवनी के अनेक भेद होते जैसे आत्मीय जीवनी, लोकप्रिय जीवनी, ऐतिहासिक जीवनी, मनोवैज्ञानिक जीवनी, व्यक्तिगत जीवनी, कलात्मक जीवनी इत्यादिI
  • .बाबू गुलाबराय "जीवनी घटनाओ का अंकन नहीं वरन चित्रण है. वह साहित्य की विधा है और उसमे साहित्य और काव्य के सभी गुण है. वह एक मनुष्य के अंतर और बाहर स्वरूप का कलात्मक निरूपण हैI".
  • मुख्य जीवनियाँ-
    • घनश्यामदास बिङला(1940 ई.)- बापू
    • सुशीला नायर(1949 ई.)- बापू के कारावास की कहानी
    • रामचन्द्र वर्मा(1919 ई.)- महात्मा गाँधी
    • शिवरानी देवी(1944ई.)- प्रेमचन्द घर में
    • अमृत राय(1962 ई.) -कलम का सिपाही
    • मदन गोपाल(1964 ई.)- कलम का मजदूर
    • विष्णु प्रभाकर (1974 ई.)- आवारा मसीहा (शरत चन्द्र)
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 20
कृष्ण चंदर कृत उपन्यास नहीं हैं-
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 20

कृष्ण चंदर कृत उपन्यास नहीं हैं- यूकेलिप्ट्स की डाली

यूकेलिप्ट्स-

  • नीलगिरी (यूकेलिप्टस) मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया और तस्मानिया में पाया जाने वाला पौधा है।
  • इसके अलावा भारत, उत्तरी और दक्षिणी अफ्रीका और दक्षिणी यूरोप में भी नीलगिरी के पौधों की खेती की जाती है।
  • इसकी पत्तियों से प्राप्त होने वाले तेल का उपयोग औषधि और अन्य रूप में किया जाता है।

Key Pointsयूकेलिप्ट्स की डाली -

  • रचनाकार- कृष्ण चंदर
  • विधा- कहानी

Mistake Pointsमेरी यादों के किनारे-

  • रचनाकार- कृष्ण चंदर
  • विधा- उपन्यास

कागज की नाव-​​​

  • रचनाकार- कृष्ण चंदर
  • विधा- उपन्यास
  • मुख्य पात्र- एक दस रुपए का नोट
  • विषय-
    • इस उपन्यास में समाज के विभिन्न पक्षों के विभिन्न अंगों का चित्र बड़ी सरसता एवं स्पष्टता से खींचा है।

बावन पत्ते-

  • रचनाकार- कृष्ण चंदर
  • विधा- उपन्यास

Important Pointsकृष्ण चंदर -

  • जन्म-1914-1977 ई.
  • यह भारत के प्रसिद्ध कथाकार है।
  • अन्य उपन्यास :-
    • एक गधा नेफ़ा में
    • रेत का महल
    • यादों के चिनार
    • मिट्टी के सनम
    • चांदी का घाव दिल
    • आसमान रोशन है आदि।
  • अन्य कहानियाँ:-
    • नज्जारे
    • ज़िंदगी के मोड़ पर
    • टूटे हुए तारे
    • अन्नदाता
    • तीन गुंडे
    • समुन्दर दूर है आदि।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 21
साकेत के नवम सर्ग में उर्मिला किसको संबोधित करके 'मुझे फूल मत मारो' कहती है ?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 21

साकेत के नवम सर्ग में उर्मिला कामदेव को संबोधित करके 'मुझे फूल मत मारो' कहती है।
साकेत-

  • रचनाकार- मैथिलीशरण गुप्त
  • प्रकाशन वर्ष- 1931 ई.
  • विधा- महाकाव्य
  • विषय-
    • उर्मिला प्रधान चरित्र है।
    • उसका अपने पति लक्ष्मण से वियोग एवं वियोग में उसकी अधीरता का चित्रण है।
    • साकेत पालि का शब्द है जिसका अर्थ अयोध्या होता है।
    • रचना 12 सर्गों में विभक्त है।
    • नगेन्द्र ने इसे जनवादी काव्य कहा है।
  • साकेत लिखने की प्रेरणा इन्हें सन 1908 में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा छद्म नाम 'भुजंग भूषण भट्टाचार्य' से लिखे 'कवियों की उर्मिला विषयक उदासीनता' शीर्षक लेख से मिली।

Key Pointsमैथिलीशरण गुप्त-

  • जीवनकाल- 1886-1964 ई.
  • उपाधि -राष्ट्रकवि (गाँधी जी द्वारा)
  • ब्रजभाषा में रसिकेन्द्र नाम से कविता लिखते थे।
  • रचनाएँ-
    • रंग में भंग (1909
    • भारत भारती (1912)
    • किसान (1917)
    • पंचवटी (1925)
    • हिंदू (1927)
    • गुरुकुल (1929)
    • साकेत (1931)
    • यशोधरा (1932)
    • द्वापर (1936)
    • विष्णुप्रिया (1957)

Important Points

  • गुप्त जी के संबंध में रामचंद्र शुक्ल लिखा है-
    • "गुप्त जी वास्तव में सामंजस्यवादी कवि हैं, प्रतिक्रिया या प्रदर्शन करने वाले अथवा मध्य में झूमने(या झीमने) वाले कवि नहीं। सब प्रकार की उच्चता से प्रभावित होने वाला हृदय उन्हें प्राप्त है। प्राचीन के प्रति पूज्य भाव और नवीन के प्रति उत्साह दोनों इनमें है।"
  • साकेत की महत्वपूर्ण पंक्तियाँ-
    • "ब्रह्म की हैं चार जैसी स्फूर्तियाँ,
      ठीक वैसी चार माया-मूर्त्तियाँ,
      धन्य दशरथ-जनक-पुण्योत्कर्ष है;
      धन्य भगवद्भूमि-भारतवर्ष है!"
  • "जागरण है स्वप्न से अच्छा कहीं!"
  • "प्रेम में कुछ भी बुरा होता नहीं!"
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 22

प्रकाशन वर्ष के अनुसार निम्नलिखित नाटकों का सही अनुक्रम है-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 22

प्रकाशन वर्ष की दृष्टि से प्रश्नांकित नाटकों का सही अनुक्रम इस प्रकार है-'नारद की वीणा'–लक्ष्मी नारायणमिश्र (1946 ई.), 'कोणार्क'-जगदीश चंद्र माथुर (1951ई.), 'अंधा कुआँ'-लक्ष्मी नारायण लाल (1955 ई.),‘बकरी'-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (1974 ई.).

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 23

स्थापना A : राम की शक्ति पूजा में राम सत्य और न्याय के प्रतीक है जबकि रावण अन्याय और अत्याचार का।।

तर्क R : राम की शक्ति पूजा में कवि के व्यक्ति जीवन का सत्य भी मुखत हुआ है।

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 23

A और R दोनों सही।

राम की शक्ति पूजा में कवि के व्यक्ति जीवन का सत्य भी मुखत हुआ है।राम की शक्ति पूजा में राम सत्य और न्याय के प्रतीक है जबकि रावण अन्याय और अत्याचार का।।

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 24

भक्ति मार्ग को महत्व देने वाले महाराष्ट्र के प्रसिद्ध भक्त निम्न में से है -

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 24

महाराष्ट्र के प्रसिद्ध भक्त नामदेव ने भक्ति मार्ग को महत्व दिया।

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 25

प्रबल मनोभावों का सहज उच्छलन ही कविता है, किसकी काव्य परिभाषा है -

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 25

वर्डसवर्थ के अनुसार प्रबल मनोभावों का सहज उच्छलन ही कविता है।

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 26

धनवान और निर्धन के मध्य गललफहमी उत्पन्न होने का मुख्य कारण यह है कि-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 26

धनी व्यक्ति निर्धनों को रोजगार देने का प्रयास नहीं करते।

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 27

परिश्रमी धनवान व्यक्ति भिखारी से चिढ़ता है, क्योंकि-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 27

वह भिक्षावृत्ति के अलावा कोई अन्य काम करने का प्रयास नहीं करता।

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 28

‘देहाती दुनिया' के लेखक हैं-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 28

‘देहाती दुनिया' (1926 ई.) उपन्यास के लेखक | शिवपूजन सहाय है. यह आँचलिक उपन्यास है. इस उपन्यास के केन्द्र में बिहार का रामसहर नामक एक छोटा सा गाँव है जो अपनी निर्धनता, अज्ञान, रूढ़ियों और अंधविश्वासों की मार सहता हुआ चित्रित है. इसमें व्यंग्य और बिम्बों के मेल से बनी भाषा द्वारा चरित्रांकन की जो पद्धति अपनाई गई है वह उपन्यास की विशिष्ट पहचान है.

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 29

“सारे देववृन्द से खिंचकर देवराज के नयन हजार, कामदेव पर बड़े चाव से आकर पड़े ही बार । पंक्तियों के रचयिता है?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 29

“सारे देववृन्द से खिंचकर देवराज के नयन हजार, कामदेव पर बड़े चाव से आकर पड़े ही बार के रचयिता महावीर प्रसाद है | महावीरप्रसाद द्विवेदी हिन्दी के पहले लेखक थे, जिन्होंने केवल अपनी जातीय परंपरा का गहन अध्ययन ही नहीं किया था, बल्कि उसे आलोचकीय दृष्टि से भी देखा था। उन्होने अनेक विधाओं में रचना की। कविता, कहानी, आलोचना, पुस्तक समीक्षा, अनुवाद, जीवनी आदि विधाओं के साथ उन्होंने अर्थशास्त्र, विज्ञान, इतिहास आदि अन्य अनुशासनों में न सिर्फ विपुल मात्रा में लिखा, बल्कि अन्य लेखकों को भी इस दिशा में लेखन के लिए प्रेरित किया। द्विवेदी जी केवल कविता, कहानी, आलोचना आदि को ही साहित्य मानने के विरुद्ध थे

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 30

निम्नलिखित काव्य ग्रंथों का प्रकाशन वर्ष के अनुसार सही क्रम है-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 - Question 30

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की काव्य-कृतियों का प्रकाशन वर्ष के अनुसार सही क्रम है-‘युगांत'–प्रगतिवादी (1936 ई.), ‘स्वर्णधूलि'– अंतश्चेतनावादी (1947 ई.), ‘लोकायतन'- नवमानवता- वादी महाकाव्य (1964 ई.) ‘सत्यकाम'- खंडकाव्य (1975 ई.)

View more questions
16 docs|120 tests
Information about UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 Page
In this test you can find the Exam questions for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1 solved & explained in the simplest way possible. Besides giving Questions and answers for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 1, EduRev gives you an ample number of Online tests for practice

Top Courses for UGC NET

Download as PDF

Top Courses for UGC NET