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गवरा था तनिक समझदार, इसलिए शक्की।जबकि गवरइया थी जिददी और धुन की पक्की। ठान लिया सो ठान लिया, उसको ही जीवन का लक्ष्य मान लिया। कहा गया है—जहाँ चाह वहाँ राह। मामूल के मुताबिक अगले दिन दोना घूरे पर चुगने निकले। चुगते-चुगते उसे रुई का एक फाहा मिला। ‘‘मिल गया ... मिल गया ... मिल गया ...’’ गवरइया मारे खुशी के घूरे पर लोटने लगी।
प्रश्न :गवरा शक्की स्वभाव का था, क्योंकि वह ... था।
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गवरा था तनिक समझदार, इसलिए शक्की।जबकि गवरइया थी जिददी और धुन की पक्की। ठान लिया सो ठान लिया, उसको ही जीवन का लक्ष्य मान लिया। कहा गया है—जहाँ चाह वहाँ राह। मामूल के मुताबिक अगले दिन दोना घूरे पर चुगने निकले। चुगते-चुगते उसे रुई का एक फाहा मिला। ‘‘मिल गया ... मिल गया ... मिल गया ...’’ गवरइया मारे खुशी के घूरे पर लोटने लगी।
प्रश्न :गवरइया अपने जीवन का लक्ष्य किसे बना लेती थी?
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गवरा था तनिक समझदार, इसलिए शक्की।जबकि गवरइया थी जिददी और धुन की पक्की। ठान लिया सो ठान लिया, उसको ही जीवन का लक्ष्य मान लिया। कहा गया है—जहाँ चाह वहाँ राह। मामूल के मुताबिक अगले दिन दोना घूरे पर चुगने निकले। चुगते-चुगते उसे रुई का एक फाहा मिला। ‘‘मिल गया ... मिल गया ... मिल गया ...’’ गवरइया मारे खुशी के घूरे पर लोटने लगी। प्रश्न : रूई का फाहा पाकर गवरइया इतनी खुश क्यों हुई?
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गवरा था तनिक समझदार, इसलिए शक्की।जबकि गवरइया थी जिददी और धुन की पक्की। ठान लिया सो ठान लिया, उसको ही जीवन का लक्ष्य मान लिया। कहा गया है—जहाँ चाह वहाँ राह। मामूल के मुताबिक अगले दिन दोना घूरे पर चुगने निकले। चुगते-चुगते उसे रुई का एक फाहा मिला। ‘‘मिल गया ... मिल गया ... मिल गया ...’’ गवरइया मारे खुशी के घूरे पर लोटने लगी।.
प्रश्न :‘जहाँ चाह वहीं राह’ का आशय है
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गवरा था तनिक समझदार, इसलिए शक्की।जबकि गवरइया थी जिददी और धुन की पक्की। ठान लिया सो ठान लिया, उसको ही जीवन का लक्ष्य मान लिया। कहा गया है—जहाँ चाह वहाँ राह। मामूल के मुताबिक अगले दिन दोना घूरे पर चुगने निकले। चुगते-चुगते उसे रुई का एक फाहा मिला। ‘‘मिल गया ... मिल गया ... मिल गया ...’’ गवरइया मारे खुशी के घूरे पर लोटने लगी।
प्रश्न : ‘जीवन’ का विपरीतार्थक ;विलोम शब्द है