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मल प्रवाह के जैव रासायनिक उपचार के दौरान निम्न में से कौन सी प्रक्रिया होती है?
मल प्रवाह का जैव रासायनिक उपचार मूल रूप से एक ऑक्सीकरण और अपचयन की प्रक्रिया है यह केवल इस बात पर निर्भर करता है कि यह उपचार वायवीय है या अवायवीय।
वायवीय प्रक्रिया में: नाइट्रोजनी कार्बनिक पदार्थों को ऑक्सीकरण प्रक्रिया द्वारा NH3 में परिवर्तित किया जाता है।
अवायवीय प्रक्रिया में: नाइट्रोजनी कार्बनिक पदार्थों को अपचयन द्वारा अम्ल, अल्कोहल गैसों में परिवर्तित किया जाता है।
भारत में उपयोग किए जाने वाले पीने योग्य पानी की विघटित ठोस पदार्थ सामग्री (mg/1) के लिए स्वीकार्य सीमा कितनी है?
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) पेयजल में कुल विघटित ठोस पदार्थ (TDS) की ऊपरी सीमा को 500 ppm पर तय करता है। एक विपरीत परासरण (RO) जल निस्पंदक आपको 50 ppm के आसपास की कुल विघटित ठोस पदार्थ की जल समाग्री निर्गत के रूप में प्रदान करता है। दीर्घकालिक प्रत्यक्ष खपत के लिए 35 - 175 ppm के एक कुल विघटित ठोस पदार्थ (TDS) की सिफारिश की जाती है।
आम तौर पर नगर पालिका सीवेज का विशिष्ट गुरुत्व 1.2 से 1.4 के बीच होता है जो 1 से थोड़ा अधिक है।
घरेलू जल निकासी प्रणालियों में जाल का उपयोग किस वजह से किया जाता है?
जाल एक उपकरण है जिसका आकार इस प्रकार होता है कि यह झुकाव पथ का उपयोग पानी को रोकने के लिए और नाले के गैसों को इमारतों में प्रवेश करने से रोकने के लिए एवं अपशिष्ट पदार्थों को इसमें से गुजारने के लिए किया जाता है। जाल गैर-अवशोषक सामग्री से बना होना चाहिए। आकार के आधार पर, जाल को इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है:
1. P - प्रकार
2. Q - प्रकार
3. S - प्रकार
रसोई और स्नानघर में, छत की नाली और अन्य नाली के संधि-स्थल पर एक गली जाल बनाया जाता है।
जल वितरण प्रणाली में निम्नलिखित वाल्वों पर विचार करें।
A. चेक वाल्व
B. दाब घटाने वाला वाल्व
C. वायु निर्मुक्त करने वाले वाल्व
D. परिमार्जन वाल्व
E. जलद्वार वाल्व
इनमें से कौन सा स्वचालित रूप से कार्य करता है?
चेक वाल्व: इन वाल्वों का उपयोग विपरीत दिशा में पानी के प्रवाह की जांच के लिए किया जाता है। यह आमतौर पर पंप की वितरण करने वाले पक्ष पर प्रदान किए जाते हैं। यह वाल्व स्वचालित रूप से काम करते हैं।
दाब कम करने वाले वाल्व: हाइड्रोलिक में, दाब को कम करने वाले वाल्व, संपीड़ित वायु प्रणाली के "दाब नियामक" के समान कार्यरत होते हैं। यह हाइड्रोलिक परिपथ के लिए उपलब्ध विभिन्न दबाव नियंत्रण वाल्वों में से एक है। यह हमेशा शाखा परिपथो में प्रयोग किया जाता है, व पूर्ण पंप प्रवाह में इसका प्रयोग कभी नहीं किया जाता।
वायु निर्मुक्त करने वाले वाल्व: यह एक प्रकार का सुरक्षा वाल्व है जो किसी प्रणाली में दबाव को नियंत्रित या सीमित करने के लिए उपयोग किया जाता है, अन्यथा दबाव बढ़ सकता है और पूरी प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न कर सकता है, यंत्र अथवा उपकरण को खराब कर सकता है अथवा आग लगने का कारण भी बन सकता है। प्रणाली से दाब वाले तरल को सहायक मार्ग से निकलने दिया जाता है और इस प्रकार दाब निर्मुक्त होता है।
परिमार्जन वाल्व: इस वाल्व का उपयोग पाइप प्रणाली से पानी निकालने के लिए किया जाता है।
जलद्वार वाल्व: इन वाल्वों का उपयोग अनुभागों की संख्या में विभाजन करके पाइप प्रणाली में पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
10,000 लोगों की एक बस्ती कि जिसका मल प्रवाह दर 200 लीटर/प्रति व्यक्ति/प्रतिदिन है, 300 mg/L जैव रासायनिक ऑक्सीजन खपत है एवं 300 किलो/दिन/हेक्टेयर की जैविक लोडिंग है, बस्ती के मल के उपचार के लिए आवश्यक ऑक्सीकरण तालाब क्षेत्रफल क्या होगा?
तालाब का निर्वहन डिज़ाइन (Qo) = (10000 × 200)
Qo = 2 × 106 लीटर/दिन
जैविक लोडिंग दर = 300 किलो/प्रतिदिन/हेक्टेयर
प्रयुक्त जैव रासायनिक ऑक्सीजन (So) = 300 मिलीग्राम/लीटर = 300 × 10-6
ऑक्सीकरण तालाब का वांछित क्षेत्रफल =
कंक्रीट के नालों का संक्षारण _______ के कारण होता है।
कंक्रीट के नालों में संक्षारण मुख्य रूप से हाइड्रोजन सल्फाइड गैस के कारण होता है जो वाहित मल के अवायवीय अपघटन से बनता है। वाहित मल में रहे अम्लों के अवायवीय अपघटन के दौरान अल्कोहल एवं गैस बनती है एवं हाइड्रोजन सल्फाइड यहाँ बनने वाली गैसों में से एक गैस है।
"जैक्सन टर्बिडिमीटर" निम्नलिखित में से किस सिद्धांत के आधार पर मैलेपन को मापता है?
यह प्रयोगशाला विधि है, जिस में जल के नमूने को धातु के पात्र में रखा जाता है जिसका तल कांच का होता है जो जलती हुई लौ के ऊपर रखा जाता है और पात्र में जल की ऊंचाई, जहाँ लौ का प्रतिबिम्ब दिखाई देना बंद हो जाता है, उसे लिख लिया जाता है, यह उस जल नमूने का मैलापन है जो मानक इकाइयों में मापा जाता है। इस विधि में उपयोग किया जाने वाला सिद्धांत अवशोषण का सिद्धांत है जिसमें प्रकाश द्वारा तय किए गए पथ की लंबाई अगर अधिक होती है तो मैलापन कम होगा अथवा यदि प्रकाश द्वारा तय किए गए पथ की लंबाई कम है तो मैलापन अधिक होगा।
निम्नलिखित में से किस मल उपचार विधि में गंध, पोंडिंग और मक्खी के उपद्रव जैसी समस्याएं निहित हैं?
मानक दर ट्रिकलिंग निस्पंदक में परिचालन समस्याएं निम्न रूप से हैं:
1. मक्खी का उपद्रव: निस्पंदक माध्यम में मक्खी की उपस्थिति के कारण पूरा यंत्र मक्खियों से भर जाता है जो निस्पंदक के संचालन को मुश्किल कर देता है। इसके अतिरिक्त ये मक्खियाँ निस्पंदक यंत्र के अपशिष्ट जल के साथ प्रवाहित हो जाती हैं जिसके कारण निस्पंदक अवरुद्ध हो जाता है जिससे ट्रिकलिंग निस्पंदक का कार्य प्रभावित होता है।
2. पोंडिंग समस्या: निस्पंदक यंत्र की रिक्तियों में शैवाल और कवक के विकास के कारण निस्पंदक यंत्र पर अपशिष्ट जल का तालाब बन जाता है।
3. गंध की समस्या: आमतौर पर यह समस्या तब पाई जाती है जब जल वितरण की स्प्रे नोजल विधि को अपनाया जाता है।
जलजनित रोग वे परिस्थितियां हैं जो रोगजनक सूक्ष्म जीवों के कारण होती हैं जो पानी में फैलती हैं। यह बोमारियाँ संक्रमित पानी द्वारा स्नान करने, धोने या संक्रमित पानी पीने से या संक्रमित पानी के सम्पर्क में आने वाले भोजन को खाने से फ़ैल सकती है।
1. हैज़ा: कोलेरा एक पानी की बीमारी है और प्रकृति में अतिसारजनक होती है।
2. आंत्र ज्वर: यह एक और बीमारी है जो 'सैल्मोनेले टाइफी बैक्टीरिया' वाहक दूषित पानी पीने से फैलती है।
3. दस्त: दस्त सबसे आम जलजनित बिमारीयों में से एक है जो ज्यादातर 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को प्रभावित करती है।
4. हेपेटाइटिस A: यह एक और प्रकार की जलजनित बीमारी है और यह हेपेटाइटिस A विषाणु के कारण होती है, जो यकृत को प्रभावित करती है।
5. मलेरिया: मलेरिया मच्छर से उत्पन्न संक्रामक बीमारी है जो मनुष्यों और अन्य जानवरों को प्रभावित करती है जो प्लाज्मोडियम प्रकार से संबंधित परजीवी प्रोटोज़ोआ के कारण होती हैं।
जल में क्षारीयता प्रति लीटर मिलीग्राम _______ के समतुल्य व्यक्त की जाती है।
क्षारीयता उन पदार्थों की कुल मात्रा है जो जल में मौजूद OH- आयनों की सांद्रता को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ाती है। यह अम्लों को उदासीन करने की जल की क्षमता है। जल में विभिन्न प्रकार की क्षारीयता मौजूद होती है जिसे संगृहित रूप से देखना मुश्किल होता है, इसलिए सभी अलग-अलग प्रकार की क्षारीयता को एक ही तरीके से व्यक्त करने के लिए, हम इसे कैल्शियम कार्बोनेट (CaCo3) के समतुल्य व्यक्त करते हैं।
नाले में घुलनशील कार्बनिक तत्वों में से निम्न में से क्या शामिल है?
घुलनशील कार्बनिक तत्व ऐसे जीवाणु हैं जो कुछ जैविक प्रशोधन क्रियाओं में कार्यशील हैं, जो घुले हुए ऑक्सीजन के उपयोग द्वारा माइक्रोबियल अपघटन पर निर्भर होते हैं। इनमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और लिपोइड शामिल हैं।
ध्वनि का दबाव निर्धारित करने के लिए निम्न में से सन्दर्भ दबाव के रूप में किस का उपयोग किया जाता है?
सबसे मंद ध्वनि, जो कि एक स्वस्थ इंसान सुन सकता है, का दबाव लगभग 20 μPa होता है। अत: इस दबाव को सन्दर्भ दबाव के रूप में उपयोग किया जाता है।
एक शहर की प्रति दिन 15000 घन मीटर पानी की आपूर्ति को 0.5 पीपीएम के क्लोरीन की मात्रा के साथ उपचारित किया जाता है। इस उद्देश्य के लिए 25% ब्लीचिंग पाउडर की प्रति दिन की आवश्यकता निम्न में से कितनी होगी?
शहर के लिए आवश्यक क्लोरीन = मात्रा × निर्वहन
वह नाला जो उपचार स्थान तक मल का अपवाहन करता है, उसे क्या कहा जाता है?
वह नाला जो उपचार स्थान तक मल का अपवाहन करता है, उसे आउट फॉल नाला कहा जाता है।
10 से 100 μm आकार की शुष्क धूल के आसान पृथ्थकरण के लिए प्रयुक्त उपकरण को _______ कहा जाता है।
10 से 100 माइक्रोन आकार की शुष्क धूल के पृथ्थकरण के लिए, वेट स्क्रबर का उपयोग किया जाता है।
प्रति लीटर 0.1008 ग्राम H+ आयन वाले पानी के नमूने का pH क्या होता है?
एक नदी का ऑक्सीजन झुकाव वक्र किसे निर्दिष्ट करता है?
एक सेप्टिक टैंक की न्यूनतम चौड़ाई निम्न में से कितनी ली जाती है?
आई एस 2470 (भाग 1) - 1985, धारा 3.4.5.1 के तहत
सेप्टिक टैंक की न्यूनतम चौड़ाई 750 mm होगी, पानी के नीचे न्यूनतम गहराई एक मीटर और न्यूनतम तरल क्षमता 1000 लीटर की होगी।
जब अपशिष्ट जल को किसी चलती धारा में निष्काषित किया जाता है, तब चार क्षेत्र बनते हैं। निम्नलिखित क्षेत्रों में से किस में घुले हुए ऑक्सीजन का न्यूनतम स्तर पाया जाता है?
प्रदुषण के क्षेत्र: स्वयं-शुद्धिकरण से गुजरती किसी एक प्रदूषित धारा में प्रदूषण के निम्नलिखित चार अलग-अलग क्षेत्र प्रदर्शित होते हैं:-
(1) अधोगति क्षेत्र: यह आमतौर पर निकासी नाले के नीचे उत्पन्न होता है, जब वह अपनी सामग्री धारा में प्रवाहित करता है। इस क्षेत्र को, तल पर कीचड़ जमां होने के कारण काले और गंदे हुए पानी से परिभाषित किया जाता है। घुला हुआ ऑक्सीजन 40% तक कम हो जाता है।
(2) सक्रिय अपघटन क्षेत्र: यह अत्यंत प्रदूषित क्षेत्र होता है। इसे ऑक्सीजन की अनुपस्थिति द्वारा वर्णित किया जाता है; पानी धुंधला और गहरे रंग का होता है जिसमें अवायवीय जैविक अपघटन सक्रीय होता है और साथ ही कीचड़ से गाद बनती रहती है और मीथेन (CH4), हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और नाइट्रोजन (N2) बुलबुलों के रूप में सतह तक आती रहती हैं। मछली जीवन अनुपस्थित होता है, फफुंद और कीटाणु नहीं रहते। जैसे ही जैविक अपघटन धीमा होता है, अभिक्रिया चालू हो जाता है और डी.ओ. पुन: अपने पूर्व स्तर तक पहुँच जाता है (जो कि 40% होता है)।
(3) प्रतिलाभ क्षेत्र: इस क्षेत्र में धारा अपनी पुरानी रुपरेखा पुन: प्राप्त करने की कोशिश करती है। अधिकांश जैविक पदार्थ कीचड़ के रूप में स्थापित हो चुके होते हैं, बी.ओ.डी. में गिरावट आती है और डी.ओ. 40% से ऊपर हो जाता है, सूक्ष्म जल जीवन पुन: पनपने लगता है। खनिजन सक्रीय होता है और नाइट्रेट्स, सल्फेट्स और कार्बोनेट्स जैसे पदार्थ बनते हैं।
(4) साफ़ पानी का क्षेत्र: इस में कुदरती धारा की स्थिति का पुन: स्थापन हो जाता है, डी.ओ बी., ओ.डी से अधिक होता है, ऑक्सीजन संतुलन प्राप्त हो चुका होता है और पुन: स्थापना पूर्ण हो जाती है। पानी दिखने में आकर्षक हो जाता है। हालांकि कुछ रोगजनक जीव शायद मौजूद हो सकते हैं।