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नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए-
अच्छा नागरिक बनने के लिए भारत के प्राचीन विचारकों ने कुछ नियमों का प्रावधान किया है। इन नियमों में वाणी और व्यवहार की शुद्धि, कर्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह, शुद्धतम पारस्परिक सद्भाव, सहयोग और सेवा की भावना आदि विषय बहुत महत्त्वपूर्ण माने गए हैं। ये सभी नियम यदि एक व्यक्ति के चारित्रिक गुणों के रूप में भी अनिवार्य माने जाएँ तो उसका अपना जीवन भी सुखी और आनंदमय हो सकता है। इन सभी गुणों का विकास एक बालक में यदि उसकी बाल्यावस्था से ही किया जाए तो बड़ा होकर वह अपने देश का एक आदर्श नागरिक बन सकता है। इन गुणों के कारण वह अपने परिवार, आस-पड़ोस, विद्यालय में अपने सहपाठियों एवं अध्यापकों के प्रति यथोचित व्यवहार कर सकेगा। वाणी और व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक होती है एवं समाज में हार्दिक सद्भाव की वृद्धि करती है, किन्तु अहंकारहीन व्यक्ति ही स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार का उपयोग कर सकता है। अहंकारी व्यक्ति सदा अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी होता है। उसके व्यवहार से समाज में शांति और सौहार्द्र का वातावरण नहीं बनता। जिस प्रकार एक व्यक्ति समाज में रहकर अपने व्यवहार से कर्तव्य और अधिकार के प्रति सजग रहता है, उसी प्रकार राष्ट्र के प्रति भी उसका व्यवहार कर्तव्य और अधिकार की भावना से भरा होना चाहिए। उसका कर्तव्य हो जाता है कि वह न तो स्वयं कोई ऐसा कार्य करे और न ही दूसरों को करने दे, जिससे उसके देश के सम्मान, संपत्ति और स्वाभिमान को ठेस पहुँचे।
प्रश्न. एक आदर्श नागरिक बनने के लिए व्यक्ति में किन गुणों का समावेश होना चाहिए?
नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए-
अच्छा नागरिक बनने के लिए भारत के प्राचीन विचारकों ने कुछ नियमों का प्रावधान किया है। इन नियमों में वाणी और व्यवहार की शुद्धि, कर्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह, शुद्धतम पारस्परिक सद्भाव, सहयोग और सेवा की भावना आदि विषय बहुत महत्त्वपूर्ण माने गए हैं। ये सभी नियम यदि एक व्यक्ति के चारित्रिक गुणों के रूप में भी अनिवार्य माने जाएँ तो उसका अपना जीवन भी सुखी और आनंदमय हो सकता है। इन सभी गुणों का विकास एक बालक में यदि उसकी बाल्यावस्था से ही किया जाए तो बड़ा होकर वह अपने देश का एक आदर्श नागरिक बन सकता है। इन गुणों के कारण वह अपने परिवार, आस-पड़ोस, विद्यालय में अपने सहपाठियों एवं अध्यापकों के प्रति यथोचित व्यवहार कर सकेगा। वाणी और व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक होती है एवं समाज में हार्दिक सद्भाव की वृद्धि करती है, किन्तु अहंकारहीन व्यक्ति ही स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार का उपयोग कर सकता है। अहंकारी व्यक्ति सदा अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी होता है। उसके व्यवहार से समाज में शांति और सौहार्द्र का वातावरण नहीं बनता। जिस प्रकार एक व्यक्ति समाज में रहकर अपने व्यवहार से कर्तव्य और अधिकार के प्रति सजग रहता है, उसी प्रकार राष्ट्र के प्रति भी उसका व्यवहार कर्तव्य और अधिकार की भावना से भरा होना चाहिए। उसका कर्तव्य हो जाता है कि वह न तो स्वयं कोई ऐसा कार्य करे और न ही दूसरों को करने दे, जिससे उसके देश के सम्मान, संपत्ति और स्वाभिमान को ठेस पहुँचे।
प्रश्न. किसकी मधुरता सब के लिए सुखदायी होती है?
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अच्छा नागरिक बनने के लिए भारत के प्राचीन विचारकों ने कुछ नियमों का प्रावधान किया है। इन नियमों में वाणी और व्यवहार की शुद्धि, कर्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह, शुद्धतम पारस्परिक सद्भाव, सहयोग और सेवा की भावना आदि विषय बहुत महत्त्वपूर्ण माने गए हैं। ये सभी नियम यदि एक व्यक्ति के चारित्रिक गुणों के रूप में भी अनिवार्य माने जाएँ तो उसका अपना जीवन भी सुखी और आनंदमय हो सकता है। इन सभी गुणों का विकास एक बालक में यदि उसकी बाल्यावस्था से ही किया जाए तो बड़ा होकर वह अपने देश का एक आदर्श नागरिक बन सकता है। इन गुणों के कारण वह अपने परिवार, आस-पड़ोस, विद्यालय में अपने सहपाठियों एवं अध्यापकों के प्रति यथोचित व्यवहार कर सकेगा। वाणी और व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक होती है एवं समाज में हार्दिक सद्भाव की वृद्धि करती है, किन्तु अहंकारहीन व्यक्ति ही स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार का उपयोग कर सकता है। अहंकारी व्यक्ति सदा अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी होता है। उसके व्यवहार से समाज में शांति और सौहार्द्र का वातावरण नहीं बनता। जिस प्रकार एक व्यक्ति समाज में रहकर अपने व्यवहार से कर्तव्य और अधिकार के प्रति सजग रहता है, उसी प्रकार राष्ट्र के प्रति भी उसका व्यवहार कर्तव्य और अधिकार की भावना से भरा होना चाहिए। उसका कर्तव्य हो जाता है कि वह न तो स्वयं कोई ऐसा कार्य करे और न ही दूसरों को करने दे, जिससे उसके देश के सम्मान, संपत्ति और स्वाभिमान को ठेस पहुँचे।
प्रश्न. मधुर वाणी और शिष्ट व्यवहार का उपयोग कौन व्यक्ति कर सकता है?
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अच्छा नागरिक बनने के लिए भारत के प्राचीन विचारकों ने कुछ नियमों का प्रावधान किया है। इन नियमों में वाणी और व्यवहार की शुद्धि, कर्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह, शुद्धतम पारस्परिक सद्भाव, सहयोग और सेवा की भावना आदि विषय बहुत महत्त्वपूर्ण माने गए हैं। ये सभी नियम यदि एक व्यक्ति के चारित्रिक गुणों के रूप में भी अनिवार्य माने जाएँ तो उसका अपना जीवन भी सुखी और आनंदमय हो सकता है। इन सभी गुणों का विकास एक बालक में यदि उसकी बाल्यावस्था से ही किया जाए तो बड़ा होकर वह अपने देश का एक आदर्श नागरिक बन सकता है। इन गुणों के कारण वह अपने परिवार, आस-पड़ोस, विद्यालय में अपने सहपाठियों एवं अध्यापकों के प्रति यथोचित व्यवहार कर सकेगा। वाणी और व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक होती है एवं समाज में हार्दिक सद्भाव की वृद्धि करती है, किन्तु अहंकारहीन व्यक्ति ही स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार का उपयोग कर सकता है। अहंकारी व्यक्ति सदा अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी होता है। उसके व्यवहार से समाज में शांति और सौहार्द्र का वातावरण नहीं बनता। जिस प्रकार एक व्यक्ति समाज में रहकर अपने व्यवहार से कर्तव्य और अधिकार के प्रति सजग रहता है, उसी प्रकार राष्ट्र के प्रति भी उसका व्यवहार कर्तव्य और अधिकार की भावना से भरा होना चाहिए। उसका कर्तव्य हो जाता है कि वह न तो स्वयं कोई ऐसा कार्य करे और न ही दूसरों को करने दे, जिससे उसके देश के सम्मान, संपत्ति और स्वाभिमान को ठेस पहुँचे।
प्रश्न. एक आदर्श नागरिक का व्यवहार समाज तथा राष्ट्र के प्रति कैसा होना चाहिए?
नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए-
अच्छा नागरिक बनने के लिए भारत के प्राचीन विचारकों ने कुछ नियमों का प्रावधान किया है। इन नियमों में वाणी और व्यवहार की शुद्धि, कर्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह, शुद्धतम पारस्परिक सद्भाव, सहयोग और सेवा की भावना आदि विषय बहुत महत्त्वपूर्ण माने गए हैं। ये सभी नियम यदि एक व्यक्ति के चारित्रिक गुणों के रूप में भी अनिवार्य माने जाएँ तो उसका अपना जीवन भी सुखी और आनंदमय हो सकता है। इन सभी गुणों का विकास एक बालक में यदि उसकी बाल्यावस्था से ही किया जाए तो बड़ा होकर वह अपने देश का एक आदर्श नागरिक बन सकता है। इन गुणों के कारण वह अपने परिवार, आस-पड़ोस, विद्यालय में अपने सहपाठियों एवं अध्यापकों के प्रति यथोचित व्यवहार कर सकेगा। वाणी और व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक होती है एवं समाज में हार्दिक सद्भाव की वृद्धि करती है, किन्तु अहंकारहीन व्यक्ति ही स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार का उपयोग कर सकता है। अहंकारी व्यक्ति सदा अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी होता है। उसके व्यवहार से समाज में शांति और सौहार्द्र का वातावरण नहीं बनता। जिस प्रकार एक व्यक्ति समाज में रहकर अपने व्यवहार से कर्तव्य और अधिकार के प्रति सजग रहता है, उसी प्रकार राष्ट्र के प्रति भी उसका व्यवहार कर्तव्य और अधिकार की भावना से भरा होना चाहिए। उसका कर्तव्य हो जाता है कि वह न तो स्वयं कोई ऐसा कार्य करे और न ही दूसरों को करने दे, जिससे उसके देश के सम्मान, संपत्ति और स्वाभिमान को ठेस पहुँचे।
प्रश्न. एक आदर्श नागरिक को क्या नहीं करना चाहिए?
नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए-
गंगा भारत की एक अत्यंत पवित्र नदी है। इसका जल काफी दिनों तक रखने के बावजूद भी अशुद्ध नहीं होता जबकि साधारण जल कुछ ही दिनों में सड़ जाता है। गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री या गोमुख है। गोमुख से भागीरथी नदी निकलती है और देवप्रयाग नामक स्थान पर अलकनंदा नदी से मिलकर आगे गंगा के रूप में प्रवाहित होती है। भागीरथी के देवप्रयाग तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुल जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो उसके पानी को सड़ने नहीं देती । हर नदी के जल में कुछ खास तरह के पदार्थ घुले रहते हैं जो उसकी विशिष्ट जैविक संरचना के लिए उत्तरदायी होते हैं। वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि गंगा के पानी में भी ऐसे बैक्टीरिया हैं, जो उसके पानी में सड़न पैदा करने वाले कीटाणुओं को पनपने ही नहीं देते इसलिए गंगा का पानी काफी लंबे समय तक खराब नहीं होता और पवित्र माना जाता है। हमारा मन भी गंगा के पानी की तरह ही होना चाहिए तभी वह निर्मल माना जाएगा। जिस प्रकार पानी को सड़ने से रोकने के लिए उसमें उपयोगी बैक्टीरिया की उपस्थिति अनिवार्य है, उसी प्रकार मन में विचारों के प्रदूषण को रोकने के लिए सकारात्मक विचारों के निरंतर प्रवाह की भी आवश्यकता है। हम अपने मन को सकारात्मक विचारों रूपी बैक्टीरिया द्वारा आप्लावित करके ही गलत विचारों को प्रविष्ट होने से रोक सकते हैं। जब भी कोई नकरात्मक विचार उत्पन्न हो, सकारात्मक विचार द्वारा उसे समाप्त कर दीजिए।
प्रश्न. गंगा-जल की क्या विशेषता है?
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गंगा भारत की एक अत्यंत पवित्र नदी है। इसका जल काफी दिनों तक रखने के बावजूद भी अशुद्ध नहीं होता जबकि साधारण जल कुछ ही दिनों में सड़ जाता है। गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री या गोमुख है। गोमुख से भागीरथी नदी निकलती है और देवप्रयाग नामक स्थान पर अलकनंदा नदी से मिलकर आगे गंगा के रूप में प्रवाहित होती है। भागीरथी के देवप्रयाग तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुल जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो उसके पानी को सड़ने नहीं देती । हर नदी के जल में कुछ खास तरह के पदार्थ घुले रहते हैं जो उसकी विशिष्ट जैविक संरचना के लिए उत्तरदायी होते हैं। वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि गंगा के पानी में भी ऐसे बैक्टीरिया हैं, जो उसके पानी में सड़न पैदा करने वाले कीटाणुओं को पनपने ही नहीं देते इसलिए गंगा का पानी काफी लंबे समय तक खराब नहीं होता और पवित्र माना जाता है। हमारा मन भी गंगा के पानी की तरह ही होना चाहिए तभी वह निर्मल माना जाएगा। जिस प्रकार पानी को सड़ने से रोकने के लिए उसमें उपयोगी बैक्टीरिया की उपस्थिति अनिवार्य है, उसी प्रकार मन में विचारों के प्रदूषण को रोकने के लिए सकारात्मक विचारों के निरंतर प्रवाह की भी आवश्यकता है। हम अपने मन को सकारात्मक विचारों रूपी बैक्टीरिया द्वारा आप्लावित करके ही गलत विचारों को प्रविष्ट होने से रोक सकते हैं। जब भी कोई नकरात्मक विचार उत्पन्न हो, सकारात्मक विचार द्वारा उसे समाप्त कर दीजिए।
प्रश्न. गंगा का उद्गम स्थल कहाँ है?
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गंगा भारत की एक अत्यंत पवित्र नदी है। इसका जल काफी दिनों तक रखने के बावजूद भी अशुद्ध नहीं होता जबकि साधारण जल कुछ ही दिनों में सड़ जाता है। गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री या गोमुख है। गोमुख से भागीरथी नदी निकलती है और देवप्रयाग नामक स्थान पर अलकनंदा नदी से मिलकर आगे गंगा के रूप में प्रवाहित होती है। भागीरथी के देवप्रयाग तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुल जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो उसके पानी को सड़ने नहीं देती । हर नदी के जल में कुछ खास तरह के पदार्थ घुले रहते हैं जो उसकी विशिष्ट जैविक संरचना के लिए उत्तरदायी होते हैं। वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि गंगा के पानी में भी ऐसे बैक्टीरिया हैं, जो उसके पानी में सड़न पैदा करने वाले कीटाणुओं को पनपने ही नहीं देते इसलिए गंगा का पानी काफी लंबे समय तक खराब नहीं होता और पवित्र माना जाता है। हमारा मन भी गंगा के पानी की तरह ही होना चाहिए तभी वह निर्मल माना जाएगा। जिस प्रकार पानी को सड़ने से रोकने के लिए उसमें उपयोगी बैक्टीरिया की उपस्थिति अनिवार्य है, उसी प्रकार मन में विचारों के प्रदूषण को रोकने के लिए सकारात्मक विचारों के निरंतर प्रवाह की भी आवश्यकता है। हम अपने मन को सकारात्मक विचारों रूपी बैक्टीरिया द्वारा आप्लावित करके ही गलत विचारों को प्रविष्ट होने से रोक सकते हैं। जब भी कोई नकरात्मक विचार उत्पन्न हो, सकारात्मक विचार द्वारा उसे समाप्त कर दीजिए।
प्रश्न. इस नदी को गंगा नाम कब मिलता है?
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गंगा भारत की एक अत्यंत पवित्र नदी है। इसका जल काफी दिनों तक रखने के बावजूद भी अशुद्ध नहीं होता जबकि साधारण जल कुछ ही दिनों में सड़ जाता है। गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री या गोमुख है। गोमुख से भागीरथी नदी निकलती है और देवप्रयाग नामक स्थान पर अलकनंदा नदी से मिलकर आगे गंगा के रूप में प्रवाहित होती है। भागीरथी के देवप्रयाग तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुल जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो उसके पानी को सड़ने नहीं देती । हर नदी के जल में कुछ खास तरह के पदार्थ घुले रहते हैं जो उसकी विशिष्ट जैविक संरचना के लिए उत्तरदायी होते हैं। वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि गंगा के पानी में भी ऐसे बैक्टीरिया हैं, जो उसके पानी में सड़न पैदा करने वाले कीटाणुओं को पनपने ही नहीं देते इसलिए गंगा का पानी काफी लंबे समय तक खराब नहीं होता और पवित्र माना जाता है। हमारा मन भी गंगा के पानी की तरह ही होना चाहिए तभी वह निर्मल माना जाएगा। जिस प्रकार पानी को सड़ने से रोकने के लिए उसमें उपयोगी बैक्टीरिया की उपस्थिति अनिवार्य है, उसी प्रकार मन में विचारों के प्रदूषण को रोकने के लिए सकारात्मक विचारों के निरंतर प्रवाह की भी आवश्यकता है। हम अपने मन को सकारात्मक विचारों रूपी बैक्टीरिया द्वारा आप्लावित करके ही गलत विचारों को प्रविष्ट होने से रोक सकते हैं। जब भी कोई नकरात्मक विचार उत्पन्न हो, सकारात्मक विचार द्वारा उसे समाप्त कर दीजिए।
प्रश्न. गंगा का जल क्यों नहीं सड़ता?
नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए-
गंगा भारत की एक अत्यंत पवित्र नदी है। इसका जल काफी दिनों तक रखने के बावजूद भी अशुद्ध नहीं होता जबकि साधारण जल कुछ ही दिनों में सड़ जाता है। गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री या गोमुख है। गोमुख से भागीरथी नदी निकलती है और देवप्रयाग नामक स्थान पर अलकनंदा नदी से मिलकर आगे गंगा के रूप में प्रवाहित होती है। भागीरथी के देवप्रयाग तक आते-आते इसमें कुछ चट्टानें घुल जाती हैं जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो उसके पानी को सड़ने नहीं देती । हर नदी के जल में कुछ खास तरह के पदार्थ घुले रहते हैं जो उसकी विशिष्ट जैविक संरचना के लिए उत्तरदायी होते हैं। वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि गंगा के पानी में भी ऐसे बैक्टीरिया हैं, जो उसके पानी में सड़न पैदा करने वाले कीटाणुओं को पनपने ही नहीं देते इसलिए गंगा का पानी काफी लंबे समय तक खराब नहीं होता और पवित्र माना जाता है। हमारा मन भी गंगा के पानी की तरह ही होना चाहिए तभी वह निर्मल माना जाएगा। जिस प्रकार पानी को सड़ने से रोकने के लिए उसमें उपयोगी बैक्टीरिया की उपस्थिति अनिवार्य है, उसी प्रकार मन में विचारों के प्रदूषण को रोकने के लिए सकारात्मक विचारों के निरंतर प्रवाह की भी आवश्यकता है। हम अपने मन को सकारात्मक विचारों रूपी बैक्टीरिया द्वारा आप्लावित करके ही गलत विचारों को प्रविष्ट होने से रोक सकते हैं। जब भी कोई नकरात्मक विचार उत्पन्न हो, सकारात्मक विचार द्वारा उसे समाप्त कर दीजिए।
प्रश्न. गद्यांश में मन को निर्मल रखने का क्या उपाय बताया है?
कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है। रेखांकित में पदबंध है-
इस पदबंध द्वारा स्थान संबंधी विशेषता बताने के कारण यह स्थान वाचक क्रिया विशेषण पदबंध है।
बराबर के कमरे में रहने वाला आदमी छत से गिर गया। रेखांकित में पदबंध है-
इस पदबंध द्वारा संज्ञा अर्थात ‘आदमी’ की विशेषता बताई जा रही है।
दशरथ पुत्र राम ने रावण को मार गिराया। रेखांकित में पदबंध है-
यह पद समूह सर्वनाम संज्ञा ‘राम’ का ही विस्तार है। अर्थात दशरथ के पुत्र राम।
चोट खाए हुए तुम भला क्या खेलोगे? रेखांकित में पदबंध का नाम है-
यह पद समूह सर्वनाम शब्द ‘तुम’ का ही विस्तार है।
वह पुस्तक पढ़ते-पढ़ते सो गया। रेखांकित में पदबंध है-
यह पूरा शब्द समूह वाक्य की मुख्य / समापिका क्रिया ‘सो गया’ के विषय में ही बता रहा है। अतः यह क्रिया पदबंध है।
निम्नलिखित में से मिश्र वाक्य चुनकर लिखिए-
इस वाक्य में एक प्रधान वाक्य और एक आश्रित उपवाक्य ‘जो आज भी दोहराई जाती है’, अतः यह मिश्र वाक्य है।
‘ठण्डी बयार समुद्र से चल रही थी और तताँरा को छू रही थी।’ वाक्य-रचना की दृष्टि से है-
इसमें दो स्वतंत्र वाक्य ‘और’ योजक द्वारा जुड़े हैं।
‘वह खाना खाकर स्वूळल जाता है।’ वाक्य-रचना की दृष्टि से है-
इस वाक्य में एक उदेश्य यानी कर्ता और एक मुख्य या समापिका क्रिया है।
निम्नलिखित में से सरल वाक्य है-
इस वाक्य में एक मुख्य या समापिका क्रिया है।
अतः यह सरल वाक्य है।
संयुक्त वाक्य कहलाते हैं-
संयुक्त वाक्य में दो या अधिक स्वतंत्र वाक्य योजक शब्दों द्वारा जुड़े रहते है।
लंबोदर’ समस्त पद में कौन-सा समास है?
यहाँ दोनों पद अर्थात लम्बा और उदर प्रधान नहीं हैं बल्कि ये दोनों मिलकर तीसरे पद लंबोदर अर्थात गणेश की ओर संकेत कर रहे हैं अतः यह बहुव्रीहि समास है।
‘महानायक’ समस्त पद में कौन-सा समास है?
‘महानायक’ का विग्रह होगा महान है नायक जो अतः यह कर्मधारय समास है।
‘नीलगगन’ के लिए उचित समास कौन-सा है?
नीलगगन का विग्रह होगा ‘नीला है गगन जो’ अतः यह कर्मधारस समास है।
‘‘तन-मन-धन’ समस्त पद में कौन-सा समास है?
यहाँ तीनों पद समान रुप से प्रधान हैं और सामासिक पद बनाते समय ‘और’ विभक्ति हटाकर सामासिक चिन्ह (-) लगाया गया है। अतः यह द्वंद्व समास है।
किस समास का पूर्व पद प्रधान व अव्यय होता है?
अव्ययीभाव समास में पूर्व-पद प्रधान और अव्यय होता है।
‘तुलसीकृत’ का समास -विग्रह होगा
यह तत्पुरुष समास का उदाहरण है। इसमें दूसरा पद प्रधान है और समास बनाते समय ‘द्वारा’ (से) विभक्ति का लोप हुआ।
एक दिवसीय क्रिकेट प्रतियोगिता में हार के बाद विरोधी टीम के सदस्यों के ................. गए हैं। रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए उचित मुहावरा है
भारतीय सैनिकों ने पलक झपकते ही शत्रु सैनिकों का ............... कर दिया। रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए उचित मुहावरा है
हमारे सैनिक इतने बहादुर हैं कि अपने शत्रुओं के ........... देते हैं। रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए उचित मुहावरा है-
प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर रोहन के माता-पिता की ...............। रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए उचित मुहावरा है-
‘दाल में कुछ काला होना’ मुहावरे का अर्थ है-
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए-
स्याम म्हाने चाकर राखो जी,
गिरधारी लाल म्हाँने चाकर राखोजी।
चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ।
बिन्दरावन री कुंज गली में, गोविन्द लीला गास्यूँ।
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।
मोर मुगट पीताम्बर सौहे, गल वैजन्ती माला।
बिन्दरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला।
ऊँचा ऊँचा महल बणावं बिच बिच राखूँ बारी।
साँवरिया रा दरसण पास्यूँ, पहर कुसुम्बी साड़ी।
आधी रात प्रभु दरसण, दीज्यो जमनाजी रे तीरां।
मीराँ रा प्रभु गिरधर नागर, हिवड़ो घणो अधीराँ।।
प्रश्न. मीरा किसकी चाकरी करना चाहती हैं?
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए-
स्याम म्हाने चाकर राखो जी,
गिरधारी लाल म्हाँने चाकर राखोजी।
चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ।
बिन्दरावन री कुंज गली में, गोविन्द लीला गास्यूँ।
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।
मोर मुगट पीताम्बर सौहे, गल वैजन्ती माला।
बिन्दरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला।
ऊँचा ऊँचा महल बणावं बिच बिच राखूँ बारी।
साँवरिया रा दरसण पास्यूँ, पहर कुसुम्बी साड़ी।
आधी रात प्रभु दरसण, दीज्यो जमनाजी रे तीरां।
मीराँ रा प्रभु गिरधर नागर, हिवड़ो घणो अधीराँ।।
प्रश्न. मीरा श्रीकृष्ण का साथ पाने के लिए क्या-क्या करने को तैयार हैं?
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए-
स्याम म्हाने चाकर राखो जी,
गिरधारी लाल म्हाँने चाकर राखोजी।
चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ।
बिन्दरावन री कुंज गली में, गोविन्द लीला गास्यूँ।
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।
मोर मुगट पीताम्बर सौहे, गल वैजन्ती माला।
बिन्दरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला।
ऊँचा ऊँचा महल बणावं बिच बिच राखूँ बारी।
साँवरिया रा दरसण पास्यूँ, पहर कुसुम्बी साड़ी।
आधी रात प्रभु दरसण, दीज्यो जमनाजी रे तीरां।
मीराँ रा प्रभु गिरधर नागर, हिवड़ो घणो अधीराँ।।
प्रश्न. मीरा श्रीकृष्ण के दर्शन किस रंग की साड़ी पहनकर करना चाहती हैं?
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए-
स्याम म्हाने चाकर राखो जी,
गिरधारी लाल म्हाँने चाकर राखोजी।
चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ।
बिन्दरावन री कुंज गली में, गोविन्द लीला गास्यूँ।
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।
मोर मुगट पीताम्बर सौहे, गल वैजन्ती माला।
बिन्दरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला।
ऊँचा ऊँचा महल बणावं बिच बिच राखूँ बारी।
साँवरिया रा दरसण पास्यूँ, पहर कुसुम्बी साड़ी।
आधी रात प्रभु दरसण, दीज्यो जमनाजी रे तीरां।
मीराँ रा प्रभु गिरधर नागर, हिवड़ो घणो अधीराँ।।
प्रश्न. मीरा श्रीकृष्ण से आधी रात को कहाँ मिलने जाना चाहती हैं?
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए-
मैं छोटा था, वह बड़े थे। मेरी उम्र नौ साल की थी, वह चौदह साल के थे। उन्हें मेरी तम्बीह और निगरानी का पूरा और जन्मसिद्ध अधिकार था और मेरी शालीनता इसी में थी कि उनके हुक्म को कानून समझूँ ।
वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे। हरदम किताब खोले बैठे रहते और शायद दिमाग को आराम देने के लिए कभी कॉपी पर, किताब के हाशियों पर, चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते थे। कभी-कभी एक ही नाम या शब्द या वाक्य दस-बार लिख डालते। कभी एक शेर को बार-बार सुंदर अक्षरों में नकल करते। कभी ऐसे शब्द-रचना करते, जिसमें न कोई अर्थ होता, न कोई सामंजस्य। मसलन एक बार उनकी कॉपी पर मैंने यह इबारत देखी-स्पेशल, अमीना, भाइयों-भाइयों, दरअसल, भाई-भाई। राधेश्याम, श्रीयुत, राधेश्याम, एक घण्टे तक; इसके बाद एक आदमी का चेहरा बना हुआ था। मैंने बहुत चेष्टा की कि इस पहेली का कोई अर्थ निकालूँ, लेकिन असफल रहा और उनसे पूछने का साहस न हुआ। वह नौवीं जमात में थे, मैं पाँचवी में। उनकी रचनाओं को समझना मेरे लिए छोटा मुँह बड़ी बात थी।
प्रश्न. बड़े भाई साहब की तथा लेखक की उम्र में कितने वर्षों का अंतर था?
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए-
मैं छोटा था, वह बड़े थे। मेरी उम्र नौ साल की थी, वह चौदह साल के थे। उन्हें मेरी तम्बीह और निगरानी का पूरा और जन्मसिद्ध अधिकार था और मेरी शालीनता इसी में थी कि उनके हुक्म को कानून समझूँ ।
वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे। हरदम किताब खोले बैठे रहते और शायद दिमाग को आराम देने के लिए कभी कॉपी पर, किताब के हाशियों पर, चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते थे। कभी-कभी एक ही नाम या शब्द या वाक्य दस-बार लिख डालते। कभी एक शेर को बार-बार सुंदर अक्षरों में नकल करते। कभी ऐसे शब्द-रचना करते, जिसमें न कोई अर्थ होता, न कोई सामंजस्य। मसलन एक बार उनकी कॉपी पर मैंने यह इबारत देखी-स्पेशल, अमीना, भाइयों-भाइयों, दरअसल, भाई-भाई। राधेश्याम, श्रीयुत, राधेश्याम, एक घण्टे तक; इसके बाद एक आदमी का चेहरा बना हुआ था। मैंने बहुत चेष्टा की कि इस पहेली का कोई अर्थ निकालूँ, लेकिन असफल रहा और उनसे पूछने का साहस न हुआ। वह नौवीं जमात में थे, मैं पाँचवी में। उनकी रचनाओं को समझना मेरे लिए छोटा मुँह बड़ी बात थी।
प्रश्न. बड़े भाई साहब स्वभाव से कैसे थे?
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए-
मैं छोटा था, वह बड़े थे। मेरी उम्र नौ साल की थी, वह चौदह साल के थे। उन्हें मेरी तम्बीह और निगरानी का पूरा और जन्मसिद्ध अधिकार था और मेरी शालीनता इसी में थी कि उनके हुक्म को कानून समझूँ ।
वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे। हरदम किताब खोले बैठे रहते और शायद दिमाग को आराम देने के लिए कभी कॉपी पर, किताब के हाशियों पर, चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते थे। कभी-कभी एक ही नाम या शब्द या वाक्य दस-बार लिख डालते। कभी एक शेर को बार-बार सुंदर अक्षरों में नकल करते। कभी ऐसे शब्द-रचना करते, जिसमें न कोई अर्थ होता, न कोई सामंजस्य। मसलन एक बार उनकी कॉपी पर मैंने यह इबारत देखी-स्पेशल, अमीना, भाइयों-भाइयों, दरअसल, भाई-भाई। राधेश्याम, श्रीयुत, राधेश्याम, एक घण्टे तक; इसके बाद एक आदमी का चेहरा बना हुआ था। मैंने बहुत चेष्टा की कि इस पहेली का कोई अर्थ निकालूँ, लेकिन असफल रहा और उनसे पूछने का साहस न हुआ। वह नौवीं जमात में थे, मैं पाँचवी में। उनकी रचनाओं को समझना मेरे लिए छोटा मुँह बड़ी बात थी।
प्रश्न. बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए-
मैं छोटा था, वह बड़े थे। मेरी उम्र नौ साल की थी, वह चौदह साल के थे। उन्हें मेरी तम्बीह और निगरानी का पूरा और जन्मसिद्ध अधिकार था और मेरी शालीनता इसी में थी कि उनके हुक्म को कानून समझूँ ।
वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे। हरदम किताब खोले बैठे रहते और शायद दिमाग को आराम देने के लिए कभी कॉपी पर, किताब के हाशियों पर, चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते थे। कभी-कभी एक ही नाम या शब्द या वाक्य दस-बार लिख डालते। कभी एक शेर को बार-बार सुंदर अक्षरों में नकल करते। कभी ऐसे शब्द-रचना करते, जिसमें न कोई अर्थ होता, न कोई सामंजस्य। मसलन एक बार उनकी कॉपी पर मैंने यह इबारत देखी-स्पेशल, अमीना, भाइयों-भाइयों, दरअसल, भाई-भाई। राधेश्याम, श्रीयुत, राधेश्याम, एक घण्टे तक; इसके बाद एक आदमी का चेहरा बना हुआ था। मैंने बहुत चेष्टा की कि इस पहेली का कोई अर्थ निकालूँ, लेकिन असफल रहा और उनसे पूछने का साहस न हुआ। वह नौवीं जमात में थे, मैं पाँचवी में। उनकी रचनाओं को समझना मेरे लिए छोटा मुँह बड़ी बात थी।
प्रश्न. किसको समझना लेखक के लिए छोटा मुँह बड़ी बात थी?
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए-
मैं छोटा था, वह बड़े थे। मेरी उम्र नौ साल की थी, वह चौदह साल के थे। उन्हें मेरी तम्बीह और निगरानी का पूरा और जन्मसिद्ध अधिकार था और मेरी शालीनता इसी में थी कि उनके हुक्म को कानून समझूँ ।
वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे। हरदम किताब खोले बैठे रहते और शायद दिमाग को आराम देने के लिए कभी कॉपी पर, किताब के हाशियों पर, चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते थे। कभी-कभी एक ही नाम या शब्द या वाक्य दस-बार लिख डालते। कभी एक शेर को बार-बार सुंदर अक्षरों में नकल करते। कभी ऐसे शब्द-रचना करते, जिसमें न कोई अर्थ होता, न कोई सामंजस्य। मसलन एक बार उनकी कॉपी पर मैंने यह इबारत देखी-स्पेशल, अमीना, भाइयों-भाइयों, दरअसल, भाई-भाई। राधेश्याम, श्रीयुत, राधेश्याम, एक घण्टे तक; इसके बाद एक आदमी का चेहरा बना हुआ था। मैंने बहुत चेष्टा की कि इस पहेली का कोई अर्थ निकालूँ, लेकिन असफल रहा और उनसे पूछने का साहस न हुआ। वह नौवीं जमात में थे, मैं पाँचवी में। उनकी रचनाओं को समझना मेरे लिए छोटा मुँह बड़ी बात थी।
प्रश्न. पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए
अंदमान द्वीपसमूह का अंतिम दक्षिणी द्वीप है- लिटिल अंदमान। यह पोर्ट ब्लेयर से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित है। इसके बाद निकोबार द्वीपसमूह की शृंखला आरंभ होती है जो निकोबारी जनजाति की आदिम संस्कृति के केंद्र हैं। निकोबार द्वीपसमूह का पहला प्रमुख द्वीप है कार-निकोबार जो लिटिल अंदमान से 96 कि.मी. दूर है। निकोबारियों का विश्वास है कि प्राचीन काल में ये दोनों द्वीप एक ही थे। इनके विभक्त होने की एक लोककथा है जो आज भी दोहराई जाती है। सदियों पूर्व, जब लिटिल अंदमान और कार-निकोबार आपस में जुड़े हुए थे तब वहाँ एक सुंदर-सा गाँव था। पास में एक सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। उसका नाम था तताँरा। निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे।
प्रश्न. निकोबार द्वीप समूह की श्रंखला किसके बाद आरंभ होती है?
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए
अंदमान द्वीपसमूह का अंतिम दक्षिणी द्वीप है- लिटिल अंदमान। यह पोर्ट ब्लेयर से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित है। इसके बाद निकोबार द्वीपसमूह की शृंखला आरंभ होती है जो निकोबारी जनजाति की आदिम संस्कृति के केंद्र हैं। निकोबार द्वीपसमूह का पहला प्रमुख द्वीप है कार-निकोबार जो लिटिल अंदमान से 96 कि.मी. दूर है। निकोबारियों का विश्वास है कि प्राचीन काल में ये दोनों द्वीप एक ही थे। इनके विभक्त होने की एक लोककथा है जो आज भी दोहराई जाती है। सदियों पूर्व, जब लिटिल अंदमान और कार-निकोबार आपस में जुड़े हुए थे तब वहाँ एक सुंदर-सा गाँव था। पास में एक सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। उसका नाम था तताँरा। निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे।
प्रश्न. निकोबार द्वीप समूह का पहला प्रमुख द्वीप कौन-सा है?
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए
अंदमान द्वीपसमूह का अंतिम दक्षिणी द्वीप है- लिटिल अंदमान। यह पोर्ट ब्लेयर से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित है। इसके बाद निकोबार द्वीपसमूह की शृंखला आरंभ होती है जो निकोबारी जनजाति की आदिम संस्कृति के केंद्र हैं। निकोबार द्वीपसमूह का पहला प्रमुख द्वीप है कार-निकोबार जो लिटिल अंदमान से 96 कि.मी. दूर है। निकोबारियों का विश्वास है कि प्राचीन काल में ये दोनों द्वीप एक ही थे। इनके विभक्त होने की एक लोककथा है जो आज भी दोहराई जाती है। सदियों पूर्व, जब लिटिल अंदमान और कार-निकोबार आपस में जुड़े हुए थे तब वहाँ एक सुंदर-सा गाँव था। पास में एक सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। उसका नाम था तताँरा। निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे।
प्रश्न. तताँरा-वामीरो कहाँ की कथा है?
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए
अंदमान द्वीपसमूह का अंतिम दक्षिणी द्वीप है- लिटिल अंदमान। यह पोर्ट ब्लेयर से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित है। इसके बाद निकोबार द्वीपसमूह की शृंखला आरंभ होती है जो निकोबारी जनजाति की आदिम संस्कृति के केंद्र हैं। निकोबार द्वीपसमूह का पहला प्रमुख द्वीप है कार-निकोबार जो लिटिल अंदमान से 96 कि.मी. दूर है। निकोबारियों का विश्वास है कि प्राचीन काल में ये दोनों द्वीप एक ही थे। इनके विभक्त होने की एक लोककथा है जो आज भी दोहराई जाती है। सदियों पूर्व, जब लिटिल अंदमान और कार-निकोबार आपस में जुड़े हुए थे तब वहाँ एक सुंदर-सा गाँव था। पास में एक सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। उसका नाम था तताँरा। निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे।
प्रश्न. निकोबारी किसे बेहद प्रेम करते थे?
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्न के उत्तर उचित विकल्प छाँटकर दीजिए
अंदमान द्वीपसमूह का अंतिम दक्षिणी द्वीप है- लिटिल अंदमान। यह पोर्ट ब्लेयर से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित है। इसके बाद निकोबार द्वीपसमूह की शृंखला आरंभ होती है जो निकोबारी जनजाति की आदिम संस्कृति के केंद्र हैं। निकोबार द्वीपसमूह का पहला प्रमुख द्वीप है कार-निकोबार जो लिटिल अंदमान से 96 कि.मी. दूर है। निकोबारियों का विश्वास है कि प्राचीन काल में ये दोनों द्वीप एक ही थे। इनके विभक्त होने की एक लोककथा है जो आज भी दोहराई जाती है। सदियों पूर्व, जब लिटिल अंदमान और कार-निकोबार आपस में जुड़े हुए थे तब वहाँ एक सुंदर-सा गाँव था। पास में एक सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। उसका नाम था तताँरा। निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे।
प्रश्न. यह किस प्रकार की कहानी है?
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