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कठपुतली
गुस्से से उबली
बोली-ये धागे
क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?
इन्हें तोड़ दो।
मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।
Q. इस कविता के रचयिता कौन हैं?
कठपुतली
गुस्से से उबली
बोली-ये धागे
क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?
इन्हें तोड़ दो।
मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।
Q. ‘कठपुतली’ का जीवन कैसा था?
कठपुतली
गुस्से से उबली
बोली-ये धागे
क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?
इन्हें तोड़ दो।
मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।
Q. कठपुतली को किनसे परेशानी थी?
कठपुतली
गुस्से से उबली
बोली-ये धागे
क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?
इन्हें तोड़ दो।
मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।
Q. ‘कठपुतली’ शब्द का अर्थ है-
मगर…
पहली कठपुतली सोचने लगी-
ये कैसी इच्छा
मेरे मन में जगी?
Q. दूसरी कठपुतलियाँ क्या बोलीं?
मगर…
पहली कठपुतली सोचने लगी-
ये कैसी इच्छा
मेरे मन में जगी?
कविता में कठपुतली किसकी प्रतीक है?
मगर…
पहली कठपुतली सोचने लगी-
ये कैसी इच्छा
मेरे मन में जगी?
Q. ‘पहली कठपुतली’ रेखांकित शब्द है-
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