अगले दिन अस्पताल पहुँचकर अनिल ने डॉक्टर दीदी के कमरे के दरवाजे पर दस्तक दी। भीतर से आवाज़ आई, “आ जाओ।” अनिल ने कमरे में प्रवेश किया तो पाया, डॉक्टर दीदी सूक्ष्मदर्शी द्वारा एक स्लाइड की जाँच कर रही थीं। दीदी के इशारे से वह पास रखी एक कुरसी पर बैठ गया। स्लाइड की जाँच पूरी होने पर डॉक्टर दीदी ने साबुन से हाथ धोए और तौलिए से पोंछती हुई बोली, “अनिल, दिव्या को एनीमिया है। चिंता की बात नहीं, कुछ दिन दवा लेगी तो ठीक हो जाएगी।”
Q. कमरे में डॉक्टर दीदी क्या कर रही थी?
अगले दिन अस्पताल पहुँचकर अनिल ने डॉक्टर दीदी के कमरे के दरवाजे पर दस्तक दी। भीतर से आवाज़ आई, “आ जाओ।” अनिल ने कमरे में प्रवेश किया तो पाया, डॉक्टर दीदी सूक्ष्मदर्शी द्वारा एक स्लाइड की जाँच कर रही थीं। दीदी के इशारे से वह पास रखी एक कुरसी पर बैठ गया। स्लाइड की जाँच पूरी होने पर डॉक्टर दीदी ने साबुन से हाथ धोए और तौलिए से पोंछती हुई बोली, “अनिल, दिव्या को एनीमिया है। चिंता की बात नहीं, कुछ दिन दवा लेगी तो ठीक हो जाएगी।”
Q. एनीमिया क्या है?
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अगले दिन अस्पताल पहुँचकर अनिल ने डॉक्टर दीदी के कमरे के दरवाजे पर दस्तक दी। भीतर से आवाज़ आई, “आ जाओ।” अनिल ने कमरे में प्रवेश किया तो पाया, डॉक्टर दीदी सूक्ष्मदर्शी द्वारा एक स्लाइड की जाँच कर रही थीं। दीदी के इशारे से वह पास रखी एक कुरसी पर बैठ गया। स्लाइड की जाँच पूरी होने पर डॉक्टर दीदी ने साबुन से हाथ धोए और तौलिए से पोंछती हुई बोली, “अनिल, दिव्या को एनीमिया है। चिंता की बात नहीं, कुछ दिन दवा लेगी तो ठीक हो जाएगी।”
Q. स्लाइड की जाँच के बाद डॉक्टर दीदी ने क्या किया?
अगले दिन अस्पताल पहुँचकर अनिल ने डॉक्टर दीदी के कमरे के दरवाजे पर दस्तक दी। भीतर से आवाज़ आई, “आ जाओ।” अनिल ने कमरे में प्रवेश किया तो पाया, डॉक्टर दीदी सूक्ष्मदर्शी द्वारा एक स्लाइड की जाँच कर रही थीं। दीदी के इशारे से वह पास रखी एक कुरसी पर बैठ गया। स्लाइड की जाँच पूरी होने पर डॉक्टर दीदी ने साबुन से हाथ धोए और तौलिए से पोंछती हुई बोली, “अनिल, दिव्या को एनीमिया है। चिंता की बात नहीं, कुछ दिन दवा लेगी तो ठीक हो जाएगी।”
Q. ‘कुछ दिन दवा लेगी तो ठीक हो जाएगी’-
रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए-
अगले दिन अस्पताल पहुँचकर अनिल ने डॉक्टर दीदी के कमरे के दरवाजे पर दस्तक दी। भीतर से आवाज़ आई, “आ जाओ।” अनिल ने कमरे में प्रवेश किया तो पाया, डॉक्टर दीदी सूक्ष्मदर्शी द्वारा एक स्लाइड की जाँच कर रही थीं। दीदी के इशारे से वह पास रखी एक कुरसी पर बैठ गया। स्लाइड की जाँच पूरी होने पर डॉक्टर दीदी ने साबुन से हाथ धोए और तौलिए से पोंछती हुई बोली, “अनिल, दिव्या को एनीमिया है। चिंता की बात नहीं, कुछ दिन दवा लेगी तो ठीक हो जाएगी।”
Q. अगले दिन किसने दस्तक दी?
एक मिलीलीटर रक्त में लाल कणों की संख्या कितनी होती है?
बिंबाणु (प्लेटलैट कणों) की कमी से कौन-सी बीमारी होती है?
देखने में त लाल द्रव के समान दिखता है, किंतु इसे सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखें तो यह भानुमती के पिटारे से कम नहीं। मोटे तौर पर इसके दो भाग होते हैं-एक भाग वह जो तरल है, जिसे हम प्लाज्मा कहते हैं। दूसरा वह जिसमें छोटे-बड़े कई तरह के कण होते हैं…कुछ लाल, कुछ सफेद और कुछ ऐसे जिनका कोई रंग नहीं, जिन्हें बिंबाणु (प्लेटलैट कण) कहते हैं। ये कण प्लाज्मा में तैरते रहते हैं।” इतना कहकर डॉक्टर दीदी ने सूक्ष्मदर्शी के नीचे एक स्लाइड लगाई, उसे फोकस किया और बोलीं, “देखो अनिल, सूक्ष्मदर्शी द्वारा जो कण तुम्हें दिखाई दे रहे हैं, ये हैं लाल रक्त-कण।
Q. देखने में रक्त कैसा दिखाई देता है?
देखने में त लाल द्रव के समान दिखता है, किंतु इसे सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखें तो यह भानुमती के पिटारे से कम नहीं। मोटे तौर पर इसके दो भाग होते हैं-एक भाग वह जो तरल है, जिसे हम प्लाज्मा कहते हैं। दूसरा वह जिसमें छोटे-बड़े कई तरह के कण होते हैं…कुछ लाल, कुछ सफेद और कुछ ऐसे जिनका कोई रंग नहीं, जिन्हें बिंबाणु (प्लेटलैट कण) कहते हैं। ये कण प्लाज्मा में तैरते रहते हैं।” इतना कहकर डॉक्टर दीदी ने सूक्ष्मदर्शी के नीचे एक स्लाइड लगाई, उसे फोकस किया और बोलीं, “देखो अनिल, सूक्ष्मदर्शी द्वारा जो कण तुम्हें दिखाई दे रहे हैं, ये हैं लाल रक्त-कण।
Q. रक्त के तरल भाग को क्या कहा जाता है?
देखने में त लाल द्रव के समान दिखता है, किंतु इसे सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखें तो यह भानुमती के पिटारे से कम नहीं। मोटे तौर पर इसके दो भाग होते हैं-एक भाग वह जो तरल है, जिसे हम प्लाज्मा कहते हैं। दूसरा वह जिसमें छोटे-बड़े कई तरह के कण होते हैं…कुछ लाल, कुछ सफेद और कुछ ऐसे जिनका कोई रंग नहीं, जिन्हें बिंबाणु (प्लेटलैट कण) कहते हैं। ये कण प्लाज्मा में तैरते रहते हैं।” इतना कहकर डॉक्टर दीदी ने सूक्ष्मदर्शी के नीचे एक स्लाइड लगाई, उसे फोकस किया और बोलीं, “देखो अनिल, सूक्ष्मदर्शी द्वारा जो कण तुम्हें दिखाई दे रहे हैं, ये हैं लाल रक्त-कण।
Q. अनिल ने किस यंत्र से लाल रक्त-कणों को देखा?
देखने में त लाल द्रव के समान दिखता है, किंतु इसे सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखें तो यह भानुमती के पिटारे से कम नहीं। मोटे तौर पर इसके दो भाग होते हैं-एक भाग वह जो तरल है, जिसे हम प्लाज्मा कहते हैं। दूसरा वह जिसमें छोटे-बड़े कई तरह के कण होते हैं…कुछ लाल, कुछ सफेद और कुछ ऐसे जिनका कोई रंग नहीं, जिन्हें बिंबाणु (प्लेटलैट कण) कहते हैं। ये कण प्लाज्मा में तैरते रहते हैं।” इतना कहकर डॉक्टर दीदी ने सूक्ष्मदर्शी के नीचे एक स्लाइड लगाई, उसे फोकस किया और बोलीं, “देखो अनिल, सूक्ष्मदर्शी द्वारा जो कण तुम्हें दिखाई दे रहे हैं, ये हैं लाल रक्त-कण।
Q. जिन रक्त-कणों का कोई रंग नहीं होता, उन्हें क्या कहते हैं?
देखने में त लाल द्रव के समान दिखता है, किंतु इसे सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखें तो यह भानुमती के पिटारे से कम नहीं। मोटे तौर पर इसके दो भाग होते हैं-एक भाग वह जो तरल है, जिसे हम प्लाज्मा कहते हैं। दूसरा वह जिसमें छोटे-बड़े कई तरह के कण होते हैं…कुछ लाल, कुछ सफेद और कुछ ऐसे जिनका कोई रंग नहीं, जिन्हें बिंबाणु (प्लेटलैट कण) कहते हैं। ये कण प्लाज्मा में तैरते रहते हैं।” इतना कहकर डॉक्टर दीदी ने सूक्ष्मदर्शी के नीचे एक स्लाइड लगाई, उसे फोकस किया और बोलीं, “देखो अनिल, सूक्ष्मदर्शी द्वारा जो कण तुम्हें दिखाई दे रहे हैं, ये हैं लाल रक्त-कण।
Q. सूक्ष्मदर्शी से देखने पर रक्त कैसा लगता है?
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