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UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - UGC NET MCQ


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30 Questions MCQ Test UGC NET Mock Test Series 2024 - UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6

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UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 1

भारतीय चित्त जो आज भी 'अनधीनता' के रूप में न सोचकर 'स्वाधीनता' के रूप में सोचता है। वह किसके बंधन को आसानी से नहीं तोड़ सकता।"- नाखून क्यों बढ़ते है निबंध के आधार पर बताए?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 1

नाखून क्यों बढ़ते है निबंध के आधार पर "भारतीय चित्त जो आज भी 'अनधीनता' के रूप में न सोचकर 'स्वाधीनता' के रूप में सोचता है। वह स्व के बंधन को आसानी से नहीं तोड़ सकता।"Key Pointsनाखून क्यों बढ़ते है- 

  • रचनाकार-  आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी।
  • प्रकाशन वर्ष- 1951 ई०
  • विधा- निबंध।
  • निबंध संग्रह- कल्पलता (1951)
  • विषय वस्तु-  
    • एक ललित निबंध है।
    • जिसमें भारतीयता, उसकी महत्ता, यहां के लोगों की सामाजिक व्यवस्था, राजनीतिक चिंतन और मनुष्य की मनुष्यता का साक्षात्कार कराया गया है। 
  • प्रमुख तथ्य-   
    • नाखून का बढ़ना ऐसी ही सहजात वृत्ति है जो उस अवस्था की द्योतक है जब मनुष्य बर्बर अवस्था में रहता था ।
    • मनुष्य इस बात को आज भूल गया है कि नाखूनों का बढ़ना उसी पशुत्व का प्रमाण है।
    • उसको काट देना उस स्‍व-निर्धारित, आत्‍म-बंधन का फल है, जो उसे चरितार्थता की ओर ले जाती है।
    • बाहरी तौर पर वह पशुत्व को छोड़ चुका है लेकिन पशुत्व का चिह्न अब भी विद्यमान है जिसे वह बढ़ने पर काट देता है ।
    • नाखून बढ़ते हैं तो बढ़ें, मनुष्‍य उन्‍हें बढ़ने नहीं देगा। 

Important Pointsआचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी- 

  • जन्म- 1907 - 1979 ईo
  • हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे। 
  • निबंध संग्रह-
    • अशोक के फूल (1948)
    • कल्पलता (1951)
    • मध्यकालीन धर्म साधना (1952)
    • विचार और वितर्क (1957)
    • विचार प्रवाह (1959)
    • कुटज (1964)
    • साहित्य सहचर (1965)
    • आलोक पर्व (1972)
  • आलोचनात्मक ग्रंथ- 
    • सूर साहित्‍य (1936)
    • हिन्‍दी साहित्‍य की भूमिका (1940)
    • प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद (1952)
    • कबीर (1942)
    • हिन्‍दी साहित्‍य का आदिकाल (1952)
    • लालित्‍य तत्त्व (1962)
    • साहित्‍य सहचर (1965)
    • कालिदास की लालित्‍य योजना (1965)
    • मध्‍यकालीन बोध का स्‍वरूप (1970)
    • सहज साधना (1963)
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 2

चंदबरदाई के उस पुत्र का नाम बताएं जिसने पृथ्वीराज रासो के पूर्ण करने कार्य किया?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 2

चंदबरदाई के जल्हण पुत्र का नाम है, जिसने पृथ्वीराज रासो के पूर्ण करने कार्य किया। अन्य सभी विकल्प असंगत है। 

Key Points

  • चंदबरदाई के जल्हण पुत्र का नाम है, जिसने पृथ्वीराज रासो के पूर्ण करने कार्य किया। 
  • चंदबरदाई द्वारा अपने पुत्र जल्हण को पृथ्वीराज रासो सौंपे जाने का उल्लेख भी मिलता है -
  • आदि अंत लगि वृत्त मन, वृन्नी गुनी गुन काज। पुस्तक जल्हण हत्थ दै, चलि गज्जन नृप काज।
  • अर्थात्‌ आदि से अंत तक का सम्पूर्ण वृत्तान्त कहकर तथा राजा के गुणों का वर्णन कर कवि चंद ने जल्हण के हाथ
    पुस्तक सौंप दी और राजा के कार्य के लिए गजनी चल पड़े। अर्थात्‌ रासो के उत्तरार्ध का कुछ अंश कवि-पुत्र जल्हण
    द्वारा लिखा गया।)

Important Pointsपृथ्वीराज रासो-

  • रचनाकार - चंदबरदाई
  • विधा - काव्य (हिंदी का सबसे बड़ा)
  • प्रकाशन वर्ष - 1875 ई.
  • विषय - पृथ्वीराज चौहान के जीवन चरित्र का वर्णन किया गया है। 
    • इसमें उनके वीरतापूर्ण युद्धों और प्रेम-प्रसंगों का कथन है। 
    • 'रासो' की रचना महाराज पृथ्वीराज के युद्ध-वर्णन के लिए हुई है। 
    • 'पृथ्वीराज रासो' वीर रस का हिंदी का सर्वश्रेष्ठ काव्य है।
    • इसमें 10,000 से अधिक छंद हैं और तत्कालीन प्रचलित 6 भाषाओं का प्रयोग किया गया है।

Additional Informationजल्हण- 

  • 12वीं शताब्दी के कश्मीर के प्रख्यात संस्कृत कवि थे। 
  • ये राजपुरी के कृष्ण नामक राजा के मंत्री थे जिसने सन्‌ 1147 ई. में राज्य प्राप्त किया था। 
  • ऐतिहासिक काव्य लिखनेवालों में इनका नाम राजतरंगिणीकार कल्हण के बाद आता है।
  • 'श्रीकण्ठचरितम्' महाकाव्य के रचयिता मंखक के कथनानुसार जल्हण उसके भाई अलंकार की विद्वत्सभा के पंडित थे।
  • अलंकार कश्मीर नरेश जयसिंह के मंत्री थे जिनका समय 1129-1150 ई. है।
  • जल्हण द्वारा लिखित ग्रंथों में 'सोमपाल विलास' ऐतिहासिक महाकाव्य है।

फकीर मोहन सेनापति-

  • जन्म - 1843 - 1918 ई.
  • एक भारतीय लेखक, कवि, दार्शनिक और समाज सुधारक थे।
  • इन्हें उत्कल व्यास कवि (ओड़िशा का व्यास) भी कहा जाता है। 
  • मुख्य रचनाएँ -
    • छह माण आठ गुंठ और लछमा (उपन्यास)
    •  रेबती (1898) 
    • छह एकड़ और एक तीसरा
    • उत्कल भ्रमणम
    • आत्मा जिबाना चरित
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UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 3

चीफ की दावत' में चीफ द्वारा हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाने पर माँ ने क्या किया?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 3

'चीफ की दावत' में चीफ द्वारा हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाने पर माँ ने दोनों हाथ जोड़े। 

Key Pointsचीफ की दावत -

  • रचनाकार - भीष्म साहनी
  • प्रकाशन वर्ष - 1956 ई.
  • विधा- कहानी
  • मुख्य –
    • कहानी व्यंग्यात्मक शैली में लिखी गई है।
    • यह कहानी 'पहला पाठ' कहानी संग्रह में संकलित है।
    • "चीफ की दावत" पंजाबी परिवेश और एक स्वार्थपरक पारिवारिक ढाँचे के ऊपर आधारित कहानी है।
  • मुख्य पात्र - शामनाथ, उनकी धर्मपत्नी और उनकी माँ।
    • चौथे पात्र के रूप में आए है मिस्टर शामनाथ के बॉस। बॉस की पत्नी एवं मेहमान कहानी के गौण पात्र हैं।
    • 'चीफ की दावत'  कहानी के संबंध में प्रमुख सही कथन –
    • व्यक्ति को वस्तु के रूप में देखने वाली मानसिकता का प्रतिकार करती है।
    • मध्यवर्गीय शहरी मानसिकता के खोखलेपन को उजागर करती है।
    • निम्नमध्यवर्गीय परिवारों की संस्कृति का प्रभावी चित्रण करती है।

Important Pointsभीष्म साहनी -

  • जन्म - 8 अगस्त 1915 ई.
  • जन्म स्थान - रावलपिंडी, पाकिस्तान
  • कहानी संग्रह-
    • भाग्य रेखा (1953 ई.)
    • पहला पाठ (1957 ई.)
    • भटकती राख (1966 ई.)
    • पटरियाँ (1973 ई.)
    • वांड़चु (1978 ई.)
    • शोभायात्रा (1781 ई.)
    • निशाचर  (1983 ई.)
    • पाली (1989 ई.)
    • डायन (1998 ई.)
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 4

'कहानी का लक्ष्य अपनी कहानीपन को न खोकर जीवन की प्रस्तुति सहज रूप में करते हुए जीवन के कटु सत्यों और व्यवस्था की भ्रष्टता को उजागर करना है।"

कहानी के संदर्भ में उपर्युक्त कथन किसका है?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 4

'कहानी का लक्ष्य अपनी कहानीपन को न खोकर जीवन की प्रस्तुति सहज रूप में करते हुए जीवन के कटु सत्यों और व्यवस्था की भ्रष्टता को उजागर करना है।"

कहानी के संदर्भ में उपर्युक्त कथन अमृतराय का है। 

अमृतराय-

  • जन्म-1921-1996 ई.
  • आधुनिक कहानीकार थे।
  • अमृतराय प्रसिद्ध लेखक प्रेमचन्द के सुपुत्र है।  
  • ये प्रगतिशील साहित्यकारों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
  • अमृतराय को कलम का सिपाही नामक पुस्तक पर साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिल चुका है।
  • कृतियाँ-
    • बीज-उपन्यास 
    • तिरंगा-कहानी-संग्रह
    • कफन-कहानी-संग्रह

Important Pointsगंगा प्रसाद विमल-

  • जन्म-1939-2019 ई. 
  • कहानी संग्रह-
    • अतीत में कुछ(1972 ई.)​
    • कोई शुरुआत(1973 ई.)
    • खोई हुई थाती(1995 ई.) आदि। 

महीपसिंह-  

  • जन्म- 15 अगस्त 1930
  • विधा -हिंदी  के प्रसिद्ध लेखक, स्तम्भकार और पत्रकार।
  • 60 के दशक में हिन्दी साहित्य जगत में संचेतन कहानी के आन्दोलन की शुरुआत की।
  • कहानी संग्रह - 'सुबह के फूल', 'उजाले के उल्लू', 'घिराव', 'कुछ और कितना', 'कितने संबंध' ,'धूप की उंगलियों के निशान', 'चर्चित कहानियां', 'मेरी प्रिय कहानियां', 'इक्यावन कहानियां' आदि।
  • उपन्यास - 'यह भी नहीं', 'अभी शेष है' , 'बीच की धूप', 'धूप ढ़लने के बाद'।‘
  • ​निबंध - कुछ सोचा : कुछ समझा’, ‘गुरु गोबिंद सिंह : जीवनी और आदर्श’।

कमलेश्वर-

  • कमलेश्वर जी का पूरा नाम कमलेश्वर प्रसाद सक्‍सेना है। 
  • रचनाएं-
    • तीसरा आदमी(1976) उपन्‍यास, डाक बंगला(1959)उपन्‍यास, एक सड़क सत्तावन गलियाँ (1957)उपन्‍यास, रेगिस्‍तान(1988)उपन्‍यास .रंग बिरंगी(1983)कहानी आदि।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 5

"रस अमर है, वह काव्य का सबसे महत्वपूर्ण अंग भी है। जबज तक काव्य रहेगा, रस की सृष्टि निरंतर होती रहेगी।"

उपर्युक्त कथन रस के संदर्भ में किसका है?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 5

उपर्युक्त कथन रस के संदर्भ में रामकुमार वर्मा का है। Key Pointsरामकुमार वर्मा- 

  • जन्म- 1905 - 1990 ई.  
  • आधुनिक हिन्दी साहित्य में 'एकांकी सम्राट' के रूप में जाने जाते हैं।
  • डॉ. रामकुमार वर्मा हिन्दी भाषा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप में जाने जाते हैं।
  • रामकुमार वर्मा की हास्य और व्यंग्य दोनों विधाओं में समान रूप से पकड़ है।
  • रामकुमार वर्मा एकांकीकार, आलोचक और कवि हैं।
  • इनके काव्य में 'रहस्यवाद' और 'छायावाद' की झलक है।
  • कृतियाँ- 
    • वीर हमीर (1922 ई.)
    • चित्तौड़ की चिंता (1929 ई.)
    • साहित्य समालोचना (1929 ई.)
    • अंजलि (1930 ई.)
    • अभिशाप (1931 ई.)
    • हिन्दी गीतिकाव्य (1931 ई.)
    • निशीथ (1935 ई.)
    • चित्ररेखा (1936 ई.)
    • पृथ्वीराज की आँखें (1938 ई.)
    • कबीर पदावली (1938 ई.)
    • हिन्दी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास (1939 ई.)
    • आधुनिक हिन्दी काव्य (1939 ई.)
    • जौहर (1941 ई.)
    • रेशमी टाई (1941 ई.)
    • शिवाजी (1943 ई.)
    • चार ऐतिहासिक एकांकी (1950 ई.)
    • रूपरंग (1951 ई.)

Important Pointsआचार्य रामचंद्र शुक्ल- 

  • जन्म-  1884 - 1941 ईo
  • हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार थे।
  • उनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पुस्तक हिन्दी साहित्य का इतिहास है।
  • हिन्दी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात भी उन्हीं के द्वारा हुआ। 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास
    • जायसी ग्रंथावली (1924)
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923)
    • रसमीमांसा (1949)
    • भ्रमर गीत सार (1925 )
    • काव्य मे रहस्यवाद (1929)

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी- 

  • जन्म- 1864 - 1938 ईo
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • नैषधचरित चर्चा
    • हिंदी कालिदास की समालोचना
    • कालिदास की
    • निरंकुशता
    • आलोचनांजलि
    • समालोचना समुच्चय
    • साहित्यालाप ।

डॉ. नगेन्द्र- 

  • जन्म- 1915 - 1999 ईo
  • हिन्दी के प्रमुख आधुनिक आलोचक थे। 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • विचार और विवेचन (1944 ई.)
    • विचार और अनुभूति (1949 ई.)
    • आधुनिक हिन्दी कविता की मुख्य प्रवृत्तियाँ (1951 ई.)
    • विचार और विश्लेषण (1955 ई.)
    • अरस्तू का काव्यशास्त्र (1957 ई.)
    • अनुसंधान और आलोचना (1961 ई.)
    • रस-सिद्धांत (1964 ई.)
    • आलोचक की आस्था (1966 ई.)
    • आस्था के चरण (1969 ई.)
    • नयी समीक्षाः नये संदर्भ (1970 ई.)
    • समस्या और समाधान (1971 ई.)
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 6
सांप्रदायिक तनाव को केन्द्र में रखकर कौन - सा उपन्यास लिखा गया ?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 6

सांप्रदायिक तनाव को केन्द्र में रखकर बीच में विनय उपन्यास लिखा गया। Key Pointsबीच में विनय- 

  • रचनाकार- स्वयं प्रकाश
  • प्रकाशन वर्ष-  2002 ई०
  • विधा- उपन्यास
  • विषयवस्तु- 
    • यह उपन्यास भारत के साम्यवादी आंदोलन के पचास सालों की कारकर्दगी पर एक विचलित कर देने वाली टिप्पणी है। 
    • अपनी प्रगतिशील रचना-दृष्टि के लिए सुपरिचित कथाकार स्वयं प्रकाश की विशेषता यह है -
    • उनकी रचना पर विचारधारा आरोपित नहीं होती, बल्कि जीवन-स्थितियों के बीच से उभरती और विकसित होती है, जिसका ज्वलन्त उदाहरण है यह उपन्यास।
    • 'बीच में विनय' की कथा-भूमि एक क़स्बा है, एक ऐसा क़स्बा जो शहर की हदों को छूता है।

Important Pointsसात आसमान-

  • रचनाकार- असगर वजाहत 
  • प्रकाशन वर्ष- 1996 ई.
  • विधा- उपन्यास
  • विषयवस्तु-  
    • 'सात आसमान' भारत के सामन्ती समाज के कई युगों को उद्घाटित करता है।
    • इसके साथ-साथ हर युग के मनुष्य और उसके सरोकारों को समझना ही उपन्यास का विषय है।
    • न तो इसमें किसी को गौरवान्वित किया गया है और न किसी को निन्दनीय माना गया है।

माई- 

  • रचनाकार- गीतांजलि श्री 
  • प्रकाशन वर्ष- 1993 ई.
  • विधा- उपन्यास
  • विषयवस्तु- 
    • पुरुषसत्तात्मक समाज में स्त्री की दयनीय स्थिति का चित्रण पाठकों के सामने रखने का प्रयास किया हैं।
    • असल में अपने देखे और समझे के प्रति शक को लेकर माई की शुरुआत होती है।
    • माई को मुक्त कराने की धुन में बहन और भाई उसको उसके रूप और सन्दर्भ में देख ही नहीं पाते।
    • उनके लिए उनकी नई पीढ़ी के सोच के मुताबिक माई एक बेचारी भर है।
    • वे उसके अन्दर की रज्जो को, उसकी शक्ति को, उसके आदर्शों को उसकी 'आग' को देख ही नहीं पाते ।

हमारा शहर उस बरस- 

  • रचनाकार- गीतांजलि श्री 
  • प्रकाशन वर्ष- 1998 ई.
  • विधा- उपन्यास
  • विषयवस्तु- 
    • प्रस्तुत उपन्यास बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पर आधारित। 
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 7
मानस का हंस' उपन्यास की शैली कौनसी है ?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 7

मानस का हंस लखनवी शैली में लिखा गया हैl

Key Points लखनवी शैली-

  • अमृत लाल नागर जी ने लखनऊ के जनजीवन को ओढ़ा, बिछाया. इसको पूरी तरह से जिया. उसके पूरे इतिहास और पूरी सामाजिक संरचना को समझा और हर वर्ग से निकट संबंधित स्थापित कर तब उसे लेखन में परिणित किया उनकी मुख्य शैली रही- तस्लीम लखनवी वाली शैली, जिसमें चाैक के आस-पास के जीवित चरित्र और निम्न मध्य वर्ग की राेचक घटनाएं हैं। उन्होंने 14 उपन्यास लिखे। उन्होंने लखनऊ मुख्यत: चौक को अपने आंचलिक उपन्यास का केंद्र बनाया।

मसनवी शैली-

  • मसनवी का शाब्दिक अर्थ 'दो' होता है। यह काव्य का ऐसा रूप है, जिसके हर शेर के दोनों मिस्रे एक ही 'रदीफ़' और 'क़ाफ़िए' में होते हैं। हर शेर का रदीफ़ और क़ाफ़िया आपस में अलग-अलग भी हो सकता है।

संवाद शैली-

  • कहानी और उपन्यास में इस शैली का महत्त्व क्योंकि यह कथानक को गति प्रदान करती है इसे वार्तालाप या कथोपकथन कहा जाता है। नाटकों में जितना संवादों का महत्वपूर्ण स्थान होता है, उतना ही महत्व उपन्यास में भी है। कथा को आगे बढ़ाने के लिए तथा पात्रों के गतिविधियों को स्पष्ट करने में संवाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

पूर्वदीप्ति शैली-

  • अतीत से जुड़ी घटनाओं का वर्णन इस शैली में किया जाता है। वस्तुत:विगत की ओर उन्मुख होना ही पूर्वदीप्ति शैली है।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 8
"श्रीकांत वर्मा ने यदि 'मगध' न लिखा होता तो वे पूर्णतः आधुनिकतावादी न होते " यह कथन किस साहित्यकार का है?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 8

"श्रीकांत वर्मा ने यदि 'मगध' न लिखा होता तो वे पूर्णतः आधुनिकतावादी न होते " यह कथन डॉ० बच्चन सिंह साहित्यकार का है। Key Pointsश्रीकांत वर्मा-

  • जन्म- 1931 - 1986 ई०
  • श्रीकांत वर्मा पचास के दशक में उभरने वाले 'नई कविता आंदोलन' के प्रमुख कवियों में से एक थे।
  • काव्यसंग्रह -
    • भटका मेघ (1957)
    • मायादर्पण (1967)
    • दिनारंभ (1967)
    • जलसाघर (1973)
    • मगध (1983)
    • गरुड़ किसने देखा (1986)
  • उपन्यास -
    • दूसरी बार (1968)
  • कहानी-संग्रह -
    • झाड़ी (1964)
    • संवाद (1969)
    • घर (1981)
    • दूसरे के पैर (1984)
    • अरथी (1988)
    • ठंड (1989)
    • वास (1993)
    • साथ (1994)
  • यात्रा वृत्तांत -
    • अपोलो का रथ (1973)

Important Pointsआचार्य रामचंद्र शुक्ल-

  • जन्म- 1884 - 1941 ईo
    • हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार थे।
    • उनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पुस्तक हिन्दी साहित्य का इतिहास है।
    • हिन्दी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात भी उन्हीं के द्वारा हुआ।
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास
    • जायसी ग्रंथावली (1924)
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923)
    • रसमीमांसा (1949)
    • भ्रमर गीत सार (1925 )
    • काव्य मे रहस्यवाद (1929)

डॉ० बच्चन सिंह-

  • जन्म- 1919 - 2008 ईo
  • एक हिन्दी साहित्यकार, आलोचक एवं इतिहासकार थे।
  • रचना-
    • कांतिकारी कवि निराला (1947-48 ई.)
    • रीतिकालीन कवियों की प्रेमव्यंजना (1958 ई.)
    • हिन्दी नाटक (1958 ई.)
    • बिहारी का नया मूल्यांकन' (1960 ई.)
    • आलोचक और आलोचना' (1970 ई.)
    • समकालीन साहित्य आलोचन को चुनौती
    • हिन्दी आलोचना के बीज-शब्द (1985)

रामविलास शर्मा-

  • जन्म- 1912 - 2000 ईo
  • राम विलास शर्मा मार्क्सवादी समीक्षक हैं।
  • निबंध-
    • प्रगति और परंपरा (1949)
    • साहित्य और संस्कृति (1949)
    • भाषा, साहित्य और संस्कृति (1954)
    • प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ (1954)
    • लोक जीवन और साहित्य (1955)
    • आस्था और सौन्दर्य (1961)
    • परंपरा का मूल्यांकन (1981)
    • भाषा युग बोध और कविता (1981)
    • साहित्य : स्थायी मूल्य और मूल्यांकन (1968)
    • भारतेन्दु युग और हिन्दी भाषा की विकास परम्परा (1975)
    • विराम चिह्न (1985)

नलिन विलोचन शर्मा-

  • जन्म- 1916- 1961 ई०
  • पटना विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक, हिन्दी लेखक एवं आलोचक थे।
  • वे हिन्दी में 'नकेनवाद' आन्दोलन के तीन पुरस्कर्ताओं में से एक थे।
  • कहानी संग्रह-
    • विष के दाँत (1951ई.)
    • सत्रह असंगृहीत पूर्व छोटी कहानियाँ (1960ई.)
  • काव्य संग्रह-
    • नकेन के प्रपद्य (1956ई.)
    • नकेन-2 (1981ई.)
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 9
ये अच्छे कवि और सूत्रकार भी थे।'- रामचन्द्र शुक्ल ने ये कथन किसके लिए कहा है?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 9

"ये अच्छे कवि और सूत्रकार भी थे।'- रामचन्द्र शुक्ल ने ये कथन शारंगधर के लिए कहा है। Key Pointsशारंगधर-

  • शार्ङ्गधर मध्यकाल के एक आयुर्वेदाचार्य थे।
  • जिन्होने शार्ङ्गधरसंहिता नामक आयुर्वैदिक ग्रन्थ की रचना की।
  • शार्ङ्गधर का जन्म समय 13 वीं-14 वीं सदी के आसपास माना गया है।
  • आचार्य शार्ङ्गधर केवल चिकित्साशास्त्र के मर्मज्ञ ही नहीं थे, अपितु कवित्व शक्ति से सम्पन्न एवं विविध शास्त्रों के ज्ञाता थे।
  • आचार्य शार्ङ्गधर के नाम से दो प्रसिद्ध ग्रन्थ है-
    • शार्ङ्गधरसंहिता
    • शार्ङ्गधरपद्धति।

Important Pointsस्वयंभू -

  • स्वयंभू, अपभ्रंश भाषा के महाकवि थे।
  • स्वम्भू को अपभ्रंश का वाल्मिकी कहा जाता है |
  • हिन्दी के जैन कवियों में सबसे पहला नाम स्वयंभू देव का आता है।
  • ये अपभ्रंश भाषा के महाकवि थे।
  • किंतु इन्होंने अपना ग्रंथ 'पउम चरिउ' (पद्म चरित्र - जैन रामायण) में ऐसी अपभ्रंश भाषा का प्रयोग किया है जिसमें प्राचीन हिन्दी का रूप इंगित है।
  • स्वयंभू ने चार ग्रंथों की रचना की है-
    • पउम चरिउ - (पद्म चरित्र - जैन रामायण)
    • रिट्ठणेमि चरिउ - (अरिष्टनेमि चरित्र - हरिवंश पुराण)
    • पंचमि चरिउ - (नागकुमार चरित)
    • स्वयंभू छंद

सोमप्रभ सूरि-

  • ये एक जैन पंड़ित थे।
  • ग्रंथ - इन्होंने संवत 1241 में कुमारपालप्रततिबोध नामक गद्यपद्यमय संस्कृत-प्राकृत काव्य लिखा।
    • जिसमें समय-समय पर हेमचंद्र द्वारा कुमारपाल को अनेक प्रकार के उपदेश दिए जाने की कथाएँ लिखी है।
    • यह ग्रंथ अधिकांश प्राकृत में रचा है पर बीच-बीच में संस्कृत और अपभ्रंश के दोहे हैं।

धनपाल-

  • धनपाल धक्कड वंशी दिगम्बर जैन थे।
  • इनकी भाषा बोलचाल की अपभ्रंश के अधिक निकट मानी जाती है।
  • रचना - भविष्यत्त कहा
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 10
देवनागरी लिपि का विकास किस लिपि से हुआ है ?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 10

देवनागरी लिपि का विकास हुआ है- ब्राह्मी लिपि से। Key Pointsदेवनागरी लिपि-

  • देवनागरी का विकास ब्राह्मी लिपि से हुआ है। यह एक ध्वन्यात्मक लिपि है जो प्रचलित लिपियों (रोमन, अरबी, चीनी आदि) में सबसे अधिक वैज्ञानिक है
  • गुजरात के कुछ शिलालेखों की लिपि नागरी लिपि से बहुत मेल खाती है।
  • भारत की कई लिपियाँ देवनागरी से बहुत अधिक मिलती-जुलती हैं, जैसे- बांग्ला, गुजराती, गुरुमुखी आदि।
  • इसमें अधिकांश उच्चार व्यक्त किये जा सकते हैं| इ समें जैसा लिखा जाता है, वैसे ही पढ़ा जाता है|
  • इसमें अधिकांश उच्चार व्यक्त किये जा सकते हैं| · इसमें जैसा लिखा जाता है, वैसे ही पढ़ा जाता है|
  • देवनागरी के व्यंजनों की विशेषता इस लिपि को और वैज्ञानिक बनाती है, जिसके फलस्वरूप क,च,ट,त,प, वर्ग के स्थान पर आधारित है।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 11
इसलिए कि मेरा होना अनिवार्य रूप से तुम्हारे होने को लेकर है - ठीक वैसे ही जैसे तलवार में धार का होना सान की पूर्वकल्पना करता है।" यह उक्ति किस चरित्र को सम्बोधित कर "- कही गयी है?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 11

"इसलिए कि मेरा होना अनिवार्य रूप से तुम्हारे होने को लेकर है - ठीक वैसे ही जैसे तलवार में धार का होना सान की पूर्वकल्पना करता है।" यह उक्ति शेखर चरित्र को सम्बोधित कर कही गयी है। Key Pointsशेखर: एक जीवनी' भाग 1-

  • रचनाकार- अज्ञेय
  • विधा- उपन्यास
  • प्रकाशन- 1941
  • भाग- चार
    • उषा और ईश्वर
    • बीज और अंकुर
    • प्रकृति और पुरुष
    • पुरुष और परिस्थिति
  • खंड-
    • पहले खंड का शीर्षक उत्थान (उठना),
    • दूसरे का संघर्ष (संघर्ष) है।
  • विषय वस्तु-
    • कथावाचक एक क्रांतिकारी है जिसे मौत की सजा सुनाई गई है।
    • अपनी फाँसी से कुछ समय पहले, वह अपने जीवन पर विचार करता है।
    • वह सामाजिक विद्रोह और भावुक प्रेम की अपनी यादें याद करते हैं।
  • प्रभाव-
    • अज्ञेय ने रोमां रोलैंड के दस खंडों वाले फ्रांसीसी उपन्यास जीन-क्रिस्टोफ़ से प्रेरणा स्वीकार की ।
  • पश्चिमी विचारकों के नामों के उल्लेख-
    • अज्ञेय ने दांते गेब्रियल रॉसेटी, क्रिस्टीना रॉसेटी, एडना विंसेंट मिलय, अल्फ्रेड टेनीसन, विलियम वर्ड्सवर्थ,
    • पर्सी बिशे शेली, जॉर्ज बायरन, जॉन कीट्स और वाल्टर स्कॉट जैसे रोमांटिक और गीतात्मक कवियों का भी उद्धरण या उल्लेख किया।

Important Pointsसच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन 'अज्ञेय'-

  • जन्म- 1911 - 1987 ईo
  • प्रयोगवादी कवि है।
  • कविता संग्रह-
    • भग्नदूत (1933)
    • चिन्ता (1942)
    • इत्यलम् (1946)
    • हरी घास पर क्षण भर (1949),
    • बावरा अहेरी (1954)
    • इन्द्रधनुष रौंदे हुये ये (1957)
    • अरी ओ करुणा प्रभामय (1959)
    • आँगन के पार द्वार (1961)
    • कितनी नावों में कितनी बार (1967)
    • क्योंकि मैं उसे जानता हूँ (1970)
    • सागर मुद्रा (1970)
    • पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (1974)
    • महावृक्ष के नीचे (1977)
    • नदी की बाँक पर छाया (1981) आदि।
  • निबंध-
    • त्रिशंकु(1945)
    • सब रंग और कुछ राग (1956)
    • आत्मनेपद (1960)
    • आलबाल (1971)
    • स लिखी कागद कोरे (1972)
    • अद्यतन (1977)
    • जोग लिखी (1977)
    • स्रोत और सेतु (1978)
    • युग संधियों पर (1982)
    • धार और किनारे (1982)
    • कहाँ है द्वारका (1982)
    • केंद्र और परिधि (1984)
    • छाया का जंगल (1984)
    • सर्जना और संदर्भ (1985)
    • स्मृति छंदा (1989)
  • कहानी संग्रह-
    • विपथगा (1937)
    • परम्परा (1944)
    • कोठरी की बात (1945)
    • शरणार्थी (1948)
    • जयदोल (1951)
  • उपन्यास-
    • शेखर एक जीवनी-
      • प्रथम भाग(उत्थान) (1941)
      • द्वितीय भाग(संघर्ष) (1944)
    • नदी के द्वीप (1951)
    • अपने अपने अजनबी (1961)
  • यात्रा वृतान्त-
    • अरे यायावर रहेगा याद? (1953)
    • एक बूँद सहसा उछली (1960)
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 12

भारतीय संस्कृति का जन्म किन पहलुओं से हुआ है?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 12

इसका सही उत्तर "समृद्ध इतिहास, परंपराओं, भाषाओं और धर्मों से" है
Key Points
गद्यांश के अनुसार ,

  • भारतीय संस्कृति का जन्म और विकास वास्तव में इसके समृद्ध इतिहास, परंपराओं, भाषाओं, और धर्मों से हुआ है,
  • इस सांस्कृतिक धरोहर का निर्माण हज़ारों वर्षों की ऐतिहासिक घटनाओं, विविध भाषाई प्रवाह, अनेकविध धार्मिक मान्यताओं और पारंपरिक मूल्यों के संवहन से हुआ है।
  • ये पहलुएँ न केवल भारतीय समाज के आधारभूत स्तंभ हैं, बल्कि ये समग्र रूप से भारतीय संस्कृति की विशेषताओं को भी आकार देते हैं।

Additional Information
अन्य विकल्प :
तकनीकी विकास :

  • भले ही तकनीकी विकास ने समाज को प्रभावित किया है, लेकिन यह भारतीय संस्कृति के जन्म का प्रमुख कारक नहीं है।
  • तकनीकी आविष्कार और विकास अधिकांशतः आधुनिक काल में हुए हैं, जबकि भारतीय संस्कृति की जड़ें बहुत पहले की हैं।

वैश्विक संस्कृति से अनुकूलन :

  • भारतीय संस्कृति ने वैश्विक संस्कृति से अनुकूलन किया है और प्रभावित भी हुई है, लेकिन यह मुख्य रूप से इसके जन्म का कारण नहीं है।
  • अनुकूलन एक चलती रहने वाली प्रक्रिया है जो समय के साथ होती रहती है।

आधुनिक शिक्षा पद्धति :

  • शिक्षा पद्धतियों का आधुनिकीकरण भी संस्कृति के विकास और विस्तार में महत्वपूर्ण है, लेकिन यह भारतीय संस्कृति के जन्म का प्राथमिक स्रोत नहीं है।
  • आधुनिक शिक्षा पद्धतियाँ अधिकतर औपनिवेशिक काल के दौरान और उसके बाद की हैं।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 13

भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि को कैसे सर्वोत्तम रूप से व्याख्यायित किया जा सकता है?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 13

इसका सही उत्तर "संस्कृति की विविधता को संजोए रखने में और नई पीढ़ियों को जोड़ने की इसकी क्षमता में" है
Key Points
गद्यांश के अनुसार ,
विविधता में एकता:

  • भारतीय संस्कृति की विशेषता इसकी असीम विविधता में है, जो कि धर्म, भाषा, परंपरा, उत्सव, वेशभूषा, खानपान, और कला में प्रकट होती है।
  • यह विविधता भारत को एक अनूठा देश बनाती है।

समावेशी संस्कृति:

  • भारतीय संस्कृति समावेशी है, जो विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को सम्मिलित करती है और उनके महत्व को स्वीकार करती है।

नई पीढ़ी का संजोय:

  • भारतीय संस्कृति में नई पीढ़ियों को इसके मूल में जोड़ने और उन्हें परंपराओं के साथ अनुकूलित करने की अद्भुत क्षमता है।
  • इससे संस्कृति की निरंतरता और समृद्धि सुनिश्चित होती है।

Additional Information
अन्य विकल्प:

  • विश्व साहित्य और कला में इसके योगदान , पारंपरिक नृत्य और संगीत , और वास्तुकला और पर्यटन स्थल को भारतीय संस्कृति के एक आयाम के रूप में देखा जा सकता है,
  • लेकिन वे भारतीय संस्कृति की संपूर्णता को प्रस्तुत नहीं करते।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 14

भारतीय संस्कृति में पर्व और उत्सव का क्या महत्व है?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 14

इसका सही उत्तर "समाज को एक सूत्र में पिरोना" है
Key Points
गद्यांश के अनुसार,

  • भारतीय संस्कृति में पर्व और उत्सव का महत्व "समाज को एक सूत्र में पिरोना" है।
  • ये उत्सव विभिन्न धार्मिक पृष्ठभूमियों के लोगों को एकजुट करते हैं,
  • जो समृद्ध विविधता में एकता दिखाने वाले भारतीय समाज की पहचान है।

Additional Information
अन्य विकल्पों की संक्षिप्त व्याख्या:

केवल धार्मिक प्रथाओं का पालन करना :

  • यह व्याख्या गद्यांश के संदर्भ में पूर्ण नहीं है। भले ही भारतीय उत्सवों की जड़ें धार्मिक प्रथाओं में हों,
  • लेकिन उनका उद्देश्य केवल धार्मिक आचार संहिताओं का पालन करना नहीं है, बल्कि वे सामाजिक एकता व समरसता का उत्साह भी बढ़ाते हैं।

केवल मनोरंजन का साधन :

  • भारतीय उत्सव मनोरंजन प्रदान करते हैं, उनका मूल उद्देश्य गहन और अधिक व्यापक है।
  • वे समाज में गहरी आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों का प्रसार करते हैं।

सामाजिक स्तरीकरण को बढ़ावा देना :

  • भारतीय उत्सव सामाजिक स्तरीकरण को बढ़ावा नहीं देते, बल्कि विविधता में एकता को प्रोत्साहित करने का काम करते हैं।
  • वे विभिन्न समुदायों के बीच समरसता और समझदारी का पुल बनते हैं।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 15
अभिव्यंजनावाद को वक्रोक्ति सिद्धांत का विलायती उत्थान किसने कहा है ?
Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 15

अभिव्यंजनावाद को वक्रोक्ति सिद्धांत का विलायती उत्थान आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा है। Key Pointsआचार्य रामचंद्र शुक्ल-

  • जन्म- 1884 - 1941 ईo
  • हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
  • उनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पुस्तक हिन्दी साहित्य का इतिहास है।
  • हिन्दी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात भी उन्हीं के द्वारा हुआ।
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास(1929)
    • जायसी ग्रंथावली (1924)
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923)
    • रसमीमांसा (1949)
    • भ्रमर गीत सार (1925 )
    • काव्य मे रहस्यवाद (1929)

Important Pointsआचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी-

  • जन्म- 1907 - 1979 ईo
  • हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे।
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • सूर साहित्‍य (1936)
    • हिन्‍दी साहित्‍य की भूमिका (1940)
    • प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद (1952)
    • कबीर (1942)
    • हिन्‍दी साहित्‍य का आदिकाल (1952)
    • लालित्‍य तत्त्व (1962)
    • साहित्‍य सहचर (1965)
    • कालिदास की लालित्‍य योजना (1965)
    • मध्‍यकालीन बोध का स्‍वरूप (1970)
    • सहज साधना (1963)

डॉ. नगेन्द्र-

  • जन्म- 1915 - 1999 ईo
  • हिन्दी के प्रमुख आधुनिक आलोचक थे।
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • विचार और विवेचन (1944)
    • विचार और अनुभूति (1949)
    • आधुनिक हिंदी कविता की मुख्य प्रवृत्तियाँ (1951)
    • अनुसंधान और आलोचना' (1961)
    • रस-सिद्धांत (1964)
    • आलोचक की आस्था' (1966)
    • आस्था के चरण (1969)
    • नयी समीक्षाः नये संदर्भ (1970)
    • समस्या और समाधान (1971)

डॉ. नामवर सिंह-

  • जन्म- 1926 - 2019 ईo
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग (1952)
    • आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ (1954)
    • छायावाद (1955)
    • इतिहास और आलोचना (1957)
    • कहानी : नयी कहानी (1964)
    • कविता के नये प्रतिमान (1968)
    • दूसरी परम्परा की खोज (1982)
    • वाद विवाद संवाद (1989)
    • आलोचक के मुख से (2005)

Additional Informationअभिव्यंजनावाद-

  • अभिव्यंजनावाद का सिद्धांत इटली के विचारक बेनेदितो क्रोचे ने किया।
  • क्रोचे के अनुसार-
    • "अंतःप्रज्ञा के क्षणों में आत्मा की सहजानुभूति ही अभिव्यंजना है"।
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 16

रमेशचन्द्र शाह के उपन्यासों का सही अनुक्रम हैः

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 16

सही अनुक्रम हैः गोबर गणेश, किस्सा गुलाम, पूर्वापर, विनायंक |

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 17

प्रकाशन वर्ष के अनुसार निम्नलिखित कहानियों का सही अनुक्रम है:

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 17

एक टोकरी भर मिट्टी- माधव सप्रे द्वारा लिखित कहानी- इसे हिंदी की पहली कहानी होने का श्रेय प्राप्त है, 1901 के छत्तीसगढ मित्र नामक पत्र में प्रकाशित हुई थी| 

उसने कहा था- चंद्रधर शर्मा गुलेरी कि प्रसिद्ध कहानी ''उसने कहा था'' का प्रकाशन सरस्वती पत्रिका में जून 1915 में हुआ| 

राजा निरबंसिया- हिंदी के महान कहानीकार कमलेश्वर द्वारा लिखित कहानी है| 

परिंदे हिंदी साहित्यकार निर्मल वर्मा द्वारा लिखित कहानी है| इसका प्रकाशन सन 1956 में हुआ|

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 18

‘गिरा अरथ, जल बीचि सम कहियत भिन्न न भिन्न । बंदौ सीताराम पद जिनहि परम प्रिय खिन्न।।’ उक्त काव्य पक्तियां किस कवि की है ?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 18

गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न।

बंदउँ सीता राम पद जिन्हहि परम प्रिय खिन्न॥

भावार्थ-

जो वाणी और उसके अर्थ तथा जल और जल की लहर के समान कहने में अलग-अलग हैं, परन्तु वास्तव में अभिन्न (एक) हैं, उन श्री सीतारामजी के चरणों की मैं वंदना करता हूँ, जिन्हें दीन-दुःखी बहुत ही प्रिय है॥
उक्त काव्य पक्तियां तुलसीदास की है |

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 19

निर्देश- प्रत्येक प्रश्न में दो कथन दिए गए हैं. इनमें से एक स्थापना (A) और दूसरा तर्क (R) | है. कूट में दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए.
स्थापना (Assertion) (A) : मिथक विगत का आलेख है जिसका सम्बन्ध केवल धर्म और इतिहास से है.

तर्क (Reason) (R) : इसीलिए मिथक का प्रयोजन केवल सामाजिक व्यवस्था के संरक्षण और संचालन से है, रचनात्मक स्वतंत्रता से नहीं.

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 19

(A) गलत, (R) गलत

व्याख्या-मिथक समाज में व्याप्त एक कल्पना है मिथक का सम्बन्ध धर्म एवं इतिहास से नहीं होता है मिथक अलिखित कल्पना है जिसका पालन हमारा समाज करता है। भूतकाल में हमारे पूर्वजों द्वारा जो नियम कानून अथवा लोक प्रथाओं का प्रारम्भ हुआ है उसी को मिथक कहते हैं, मिथक का कोई साक्य या प्रमाण नहीं मिलता है, मिथक हर समाज और देश का अलग-अलग होता है, मिथक काल्पनिक होता है तथ्यात्मक नहीं होता है। मिथक का सम्बन्ध सामाजिक व्यवस्था के संरक्षण तथा संचालन से भी होता है।

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 20

'भ्रमरदूत' के रचनाकार हैं-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 20

'भ्रमरदूत' सत्यनारायण ‘कविरत्न' की रचना है. इस कृति में व्यक्तिगत प्रेम के स्थान पर देशप्रेम' तथा गोपी विरह के स्थान पर यशोदा रूपी भारतमाता के दुःख की विवशता और व्याकुलता का सजीव चित्रण हुआ है. ‘कविरत्नजी' की एक अन्य कृति 'प्रेमकली' है 

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 21

'विद्रोहिणी अम्बा' नाटक के रचयिता हैं।

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 21

विद्रोहिणी अम्बा (1935 ई.) उदयशंकर भट्ट का पौराणिक नाटक है, जो नारी अस्मिता और पुरुष शासित समाज के द्वन्द्व से प्रेरित है. उदयशंकर भट्टजी ने लगभग दो दर्जन नाट्य कृतियों की रचना की है, जिन्हें तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है (1) गीतिनाट्य, (2) पूर्णांकी नाट्य, (3) एकांकी नाट्य, विषय-वस्तु के आधार पर भट्टजी के नाटकों को पाँच वर्गों-पौराणिक, ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनैतिक और मनोवैज्ञानिक में निर्धारित किया जा सकता है.

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 22

“अष्टछाप में सूरदास के पीछे इन्हीं का नाम लेना पड़ता है. इनकी रचना भी बड़ी सरस और मधुर है. इनके सम्बन्ध में यह कहावत प्रसिद्ध है कि और कवि गढ़िया नंददास जड़िया." यह कथन किस आलोचक का है ?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 22

रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी साहित्य का इतिहास (पृष्ठ 138) में लिखा है-“अष्टछाप में सूरदासजी के पीछे इन्हीं का नाम लेना पड़ता है. इनकी रचना भी बड़ी सरस और मधुर है. इनके सम्बन्ध में कहावत प्रसिद्ध है कि “ और कवि गढ़िया, नंददास जड़िया". इनकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तक ‘रासपंचाध्यायी' है, जो रोला छंदों में लिखी गई है."

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 23

प्रकाशन वर्ष के अनुसार भीष्म साहनी के नाटकों का सही अनुक्रम है-

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 23

प्रकाशन वर्ष के अनुसार, भीष्म साहनी के प्रश्नांकित नाटकों का सही अनुक्रम है-हानूश (1977 ई.), कबिरा खड़ा बाजार में (1981 ई.), माधवी (1985 ई.), आलमगीर (1999 ई.).

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 24

स्थापना A : अष्टछाप के आठ कवियों में से चार वल्लभाचार्य के शिष्य थे और चार गोस्वामी विट्ठलनाथ के। इनमें से सूरदास बल्लभाचार्य के शिष्य थे।

तर्क R : सूरदास को पुष्टि मार्ग का जहाज वल्लभाचार्य ने कहा था।

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 24
A सही R गलत
UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 25

प्रगतिशील लेखक संघ का पहला अधिवेशन किस स्थान पर हुआ

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 25

प्रगतिशील लेखक संघ का पहला अधिवेशन लखनऊ 1936 में प्रेमचन्द की अध्यक्षता में हुआ।

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 26

ग़ांधीजी के जीवन और आधारित खण्ड काव्य ‘प्रार्थना पुरुष’ किसकी रचना है?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 26

ग़ांधीजी के जीवन और आधारित खण्ड काव्य ‘प्रार्थना पुरुष’ रचना नरेश मेहता है ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी के यशस्वी कवि श्री नरेश मेहता उन शीर्षस्थ लेखकों में हैं जो भारतीयता की अपनी गहरी दृष्टि के लिए जाने जाते हैं। नरेश मेहता ने आधुनिक कविता को नयी व्यंजना के साथ नया आयाम दिया

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 27

संत मत के अलावा 'शब्द' (सबद) का प्रचलन और किस पंथ में हुआ था ?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 27

डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल ने गोरखनाथ की रचनाओं का संग्रह ‘गोरखबानी' नाम से सम्पादित कर हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से प्रकाशित कराया था. सबदी, पद (राग सामग्री), सिष्या दरसन, प्राण साँकली, नरवैबोध, आत्मबोध, अभै मात्रा जोग, पन्द्रह तिथि, सप्तवार, मछीन्द्र-गोरखबोध, रोमावली, ग्यान तिलक, पंचमात्रा-इन तेरह रचनाओं को बड़थ्वालजी ने प्रामाणिक माना है. डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार “सबदी गोरखनाथ की सबसे प्रामाणिक रचना है.” “सबदी' या ‘सबद’ का प्रचलन नाथ पंथ में हुआ और संतमत में बहुप्रचलित रहा!

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 28

निम्नलिखित में से किस उपन्यास का सम्बन्ध आप्रवासी जीवन से है ?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 28

अभिमन्यु अनंत' को मारीशस का प्रेमचंद कहा जाता है. लाल पसीना (1977 ई.) उनका सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है. इस उपन्यास में आप्रवासी भारतीयों के दर्द भरे जीवन का चित्रण किया गया है. ‘गाँधीजी बोले थे' (1984 ई.) ‘लाल पसीना' की अगली कड़ी है. आंदोलन, एक बीघा प्यार, तीसरे किनारे पर, जम गया सूरज, शेफाली, नदी बहती रही, वह बीच का आदमी, खामोशी के चीत्कार, इंसान और मशीन इत्यादि अभिमन्यु अनंत के उपन्यास हैं.

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 29

“यद्यपि 1942 के जन-आंदोलन के समय इस गाँव में न तो फौजियों का कोई उत्पात हुआ था और न आंदोलन की लहर ही इस गाँव में पहुँच पाई थी, किन्तु जिले भर की घटनाओं की खबर अफवाहों के रूप में यहाँ तक जरूर पहुँची थी." उपर्युक्त पंक्तियाँ किस उपन्यास से

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 29

प्रश्नांकित पंक्तियाँ हिन्दी का प्रथम आँचलिक उपन्यास मैला आँचल के प्रथम खंड से उद्धृत हैं

UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 30

निम्नलिखित में से कौन ‘ब्राह्म सम्प्रदाय' का प्रवर्तक है ?

Detailed Solution for UGC NET Paper 2 Hindi Mock Test - 6 - Question 30

‘ब्राह्म सम्प्रदाय के प्रवर्तक मध्वाचार्यजी हैं. इनका दर्शन द्वैतवाद (कृष्ण भक्ति) है. शंकराचार्य ने ‘स्मार्त' (अद्वैतवाद), रामानुजाचार्य ने 'श्री सम्प्रदाय' (विशिष्टा- द्वैतवाद, रामभक्ति), निम्बार्क ने ‘सनकादि' (द्वैताद्वैतवाद, राधाकृष्ण युगल) और बल्लभाचार्य ने ‘रुद्र सम्प्रदाय (शुद्धाद्वैतवाद, पुरुषोत्तम कृष्ण) का प्रवर्तन किया.

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