निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें तथा दिए गए प्रश्न का सही उत्तर दें:
देश में पांचवें लॉकडाउन का लागू होना उतना ही जरूरी हो गया था, जितना लॉकडाउन में ढील देना। कड़ाई और ढील की मिली-जुली व्यवस्था ही समय की मांग है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में भी इसी मजबूरी की ओर संकेत करते हुए चेताया है कि देश खुल गया है, अब ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। वाकई सतर्कता आज प्राथमिकता है, तभी हम न केवल अपने कार्य-व्यापार को आगे बढ़़ा पाएंगे, स्वयं को सुरक्षित रखने में भी कामयाब होंगे। जाहिर है, लॉकडाउन पांच पिछले लॉकडाउन की तरह नहीं है। अब केवल कंटेनमेंट जोन में ही लॉकडाउन रखना अनिवार्य होगा। साथ ही, इस बार राज्यों की भूमिका वाकई बहुत बढ़ गई है। उन्हें अपने स्तर पर बड़े फैसले करने हैं। मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, बिहार इत्यादि राज्यों ने तो लॉकडाउन को 30 जून तक बढ़ाने का फैसला कर लिया है। कुछ राज्य 15 जून तक ही लॉकडाउन के पक्ष में हैं। आज कुछ राज्य ज्यादा चिंतित हैं, तो समझा जा सकता है। पिछले लॉकडाउन की अगर हम चर्चा करें, तो 14 दिनों में ही संक्रमण के लगभग 86 हजार मामले सामने आए हैं। आंकड़ों को अलग से देखें, तो चिंता होती है, लेकिन दूसरे देशों से तुलना करें, तो अपेक्षाकृत संतोष होता है। हमारा यह संतोष कायम रहना चाहिए।
यह चर्चा जारी रहेगी कि जब देश में 500 मामले भी नहीं थे, तब बहुत कड़ाई से लॉकडाउन लगाया गया था, लेकिन जब मामले दो लाख के करीब पहुंचने लगे हैं, तब अपने पास के लोगों लॉकडाउन में ढील दी जा रही है। जब केंद्र और राज्य सरकारें ढील पर विचार कर रही थीं, तब 30 मई को संक्रमण के मामलों में रिकॉर्ड इजाफा दर्ज हुआ है। अब एक दिन में ৪,000 से ज्यादा मामले आने लगे हैं, तो आने वाले दिनों में क्या होगा? मरने वालों की संख्या भी 5,000 के पार जा चुकी है। ऐसे में, जब धर्मस्थल, रेस्तरां, होटल, शॉपिंग मॉल, स्कूल-कॉलेज खुल जाएंगे, तब क्या होगा? जब सड़कों पर सार्वजनिक वाहन दौड़ने लगेंगे, फिर क्या होगा? धर्म और शिक्षा के मंदिर देश में हमेशा से भीड़ भरे रहे हैं। ये हमारे समाज के सबसे कमजोर मोर्चे हैं, जहां संचालकों-प्रबंधकों को विशेष रूप से चौकस रहना होगा। धर्मस्थल के संचालकों की ओर से आ रहे दबाव को समझा जा सकता है, पर वहां फिजिकल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित रखना अच्छे संस्कार, सभ्यता की नई निशानी होगी। धर्म प्रेरित मानवता भी हमें एक-दूसरे की चिंता के लिए प्रेरित करती है। हम सभी न चाहते हुए भी एक-दूसरे को प्रभावित करते रहते हैं। कोरोना के संदर्भ में अनेक लोगों को अब यह नहीं पता चल रहा है कि उन्हें कोरोना किससे लगा? घर से निकलने वाला एक आदमी अगर अनेक लोगों के संपर्क में आएगा, तो यह पता लगाना उत्तरोतर कठिन होता जाएगा कि कोरोना की कौन-सी श्रृंखला आगे बढ़ रही है। लॉकडाउन पांच के समय देश ऐसी अनेक तरह की नई चुनौतियों की ओर बढ़ रहा है। संदिग्ध लोगों की निगरानी का काम हाथ-पैर फुला देगा। बेशक, अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार हम देखेंगे और देश के लोगों को राहत देने के लिए यह अपरिहार्य है। ध्यान रहे, हर जगह पुलिस या सरकार खड़ी नहीं हो सकती, हमें स्वयं अनुशासित नागरिक बनकर अपनी और अपने पास के लोगों की पहरेदारी करनी है।
Q. देश मे पाँचवे लॉकडाउन के बाद किन-किन चुनौतियों का सामना करना होगा?
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें तथा दिए गए प्रश्न का सही उत्तर दें:
देश में पांचवें लॉकडाउन का लागू होना उतना ही जरूरी हो गया था, जितना लॉकडाउन में ढील देना। कड़ाई और ढील की मिली-जुली व्यवस्था ही समय की मांग है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में भी इसी मजबूरी की ओर संकेत करते हुए चेताया है कि देश खुल गया है, अब ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। वाकई सतर्कता आज प्राथमिकता है, तभी हम न केवल अपने कार्य-व्यापार को आगे बढ़़ा पाएंगे, स्वयं को सुरक्षित रखने में भी कामयाब होंगे। जाहिर है, लॉकडाउन पांच पिछले लॉकडाउन की तरह नहीं है। अब केवल कंटेनमेंट जोन में ही लॉकडाउन रखना अनिवार्य होगा। साथ ही, इस बार राज्यों की भूमिका वाकई बहुत बढ़ गई है। उन्हें अपने स्तर पर बड़े फैसले करने हैं। मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, बिहार इत्यादि राज्यों ने तो लॉकडाउन को 30 जून तक बढ़ाने का फैसला कर लिया है। कुछ राज्य 15 जून तक ही लॉकडाउन के पक्ष में हैं। आज कुछ राज्य ज्यादा चिंतित हैं, तो समझा जा सकता है। पिछले लॉकडाउन की अगर हम चर्चा करें, तो 14 दिनों में ही संक्रमण के लगभग 86 हजार मामले सामने आए हैं। आंकड़ों को अलग से देखें, तो चिंता होती है, लेकिन दूसरे देशों से तुलना करें, तो अपेक्षाकृत संतोष होता है। हमारा यह संतोष कायम रहना चाहिए।
यह चर्चा जारी रहेगी कि जब देश में 500 मामले भी नहीं थे, तब बहुत कड़ाई से लॉकडाउन लगाया गया था, लेकिन जब मामले दो लाख के करीब पहुंचने लगे हैं, तब अपने पास के लोगों लॉकडाउन में ढील दी जा रही है। जब केंद्र और राज्य सरकारें ढील पर विचार कर रही थीं, तब 30 मई को संक्रमण के मामलों में रिकॉर्ड इजाफा दर्ज हुआ है। अब एक दिन में ৪,000 से ज्यादा मामले आने लगे हैं, तो आने वाले दिनों में क्या होगा? मरने वालों की संख्या भी 5,000 के पार जा चुकी है। ऐसे में, जब धर्मस्थल, रेस्तरां, होटल, शॉपिंग मॉल, स्कूल-कॉलेज खुल जाएंगे, तब क्या होगा? जब सड़कों पर सार्वजनिक वाहन दौड़ने लगेंगे, फिर क्या होगा? धर्म और शिक्षा के मंदिर देश में हमेशा से भीड़ भरे रहे हैं। ये हमारे समाज के सबसे कमजोर मोर्चे हैं, जहां संचालकों-प्रबंधकों को विशेष रूप से चौकस रहना होगा। धर्मस्थल के संचालकों की ओर से आ रहे दबाव को समझा जा सकता है, पर वहां फिजिकल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित रखना अच्छे संस्कार, सभ्यता की नई निशानी होगी। धर्म प्रेरित मानवता भी हमें एक-दूसरे की चिंता के लिए प्रेरित करती है। हम सभी न चाहते हुए भी एक-दूसरे को प्रभावित करते रहते हैं। कोरोना के संदर्भ में अनेक लोगों को अब यह नहीं पता चल रहा है कि उन्हें कोरोना किससे लगा? घर से निकलने वाला एक आदमी अगर अनेक लोगों के संपर्क में आएगा, तो यह पता लगाना उत्तरोतर कठिन होता जाएगा कि कोरोना की कौन-सी श्रृंखला आगे बढ़ रही है। लॉकडाउन पांच के समय देश ऐसी अनेक तरह की नई चुनौतियों की ओर बढ़ रहा है। संदिग्ध लोगों की निगरानी का काम हाथ-पैर फुला देगा। बेशक, अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार हम देखेंगे और देश के लोगों को राहत देने के लिए यह अपरिहार्य है। ध्यान रहे, हर जगह पुलिस या सरकार खड़ी नहीं हो सकती, हमें स्वयं अनुशासित नागरिक बनकर अपनी और अपने पास के लोगों की पहरेदारी करनी है।
Q. संक्रमित व्यक्ति अगर घर से बाहर निकलता है तो इसके सबसे भयावह दुष्परिणाम क्या हो सकते है?
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निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें तथा दिए गए प्रश्न का सही उत्तर दें:
देश में पांचवें लॉकडाउन का लागू होना उतना ही जरूरी हो गया था, जितना लॉकडाउन में ढील देना। कड़ाई और ढील की मिली-जुली व्यवस्था ही समय की मांग है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में भी इसी मजबूरी की ओर संकेत करते हुए चेताया है कि देश खुल गया है, अब ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। वाकई सतर्कता आज प्राथमिकता है, तभी हम न केवल अपने कार्य-व्यापार को आगे बढ़़ा पाएंगे, स्वयं को सुरक्षित रखने में भी कामयाब होंगे। जाहिर है, लॉकडाउन पांच पिछले लॉकडाउन की तरह नहीं है। अब केवल कंटेनमेंट जोन में ही लॉकडाउन रखना अनिवार्य होगा। साथ ही, इस बार राज्यों की भूमिका वाकई बहुत बढ़ गई है। उन्हें अपने स्तर पर बड़े फैसले करने हैं। मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, बिहार इत्यादि राज्यों ने तो लॉकडाउन को 30 जून तक बढ़ाने का फैसला कर लिया है। कुछ राज्य 15 जून तक ही लॉकडाउन के पक्ष में हैं। आज कुछ राज्य ज्यादा चिंतित हैं, तो समझा जा सकता है। पिछले लॉकडाउन की अगर हम चर्चा करें, तो 14 दिनों में ही संक्रमण के लगभग 86 हजार मामले सामने आए हैं। आंकड़ों को अलग से देखें, तो चिंता होती है, लेकिन दूसरे देशों से तुलना करें, तो अपेक्षाकृत संतोष होता है। हमारा यह संतोष कायम रहना चाहिए।
यह चर्चा जारी रहेगी कि जब देश में 500 मामले भी नहीं थे, तब बहुत कड़ाई से लॉकडाउन लगाया गया था, लेकिन जब मामले दो लाख के करीब पहुंचने लगे हैं, तब अपने पास के लोगों लॉकडाउन में ढील दी जा रही है। जब केंद्र और राज्य सरकारें ढील पर विचार कर रही थीं, तब 30 मई को संक्रमण के मामलों में रिकॉर्ड इजाफा दर्ज हुआ है। अब एक दिन में ৪,000 से ज्यादा मामले आने लगे हैं, तो आने वाले दिनों में क्या होगा? मरने वालों की संख्या भी 5,000 के पार जा चुकी है। ऐसे में, जब धर्मस्थल, रेस्तरां, होटल, शॉपिंग मॉल, स्कूल-कॉलेज खुल जाएंगे, तब क्या होगा? जब सड़कों पर सार्वजनिक वाहन दौड़ने लगेंगे, फिर क्या होगा? धर्म और शिक्षा के मंदिर देश में हमेशा से भीड़ भरे रहे हैं। ये हमारे समाज के सबसे कमजोर मोर्चे हैं, जहां संचालकों-प्रबंधकों को विशेष रूप से चौकस रहना होगा। धर्मस्थल के संचालकों की ओर से आ रहे दबाव को समझा जा सकता है, पर वहां फिजिकल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित रखना अच्छे संस्कार, सभ्यता की नई निशानी होगी। धर्म प्रेरित मानवता भी हमें एक-दूसरे की चिंता के लिए प्रेरित करती है। हम सभी न चाहते हुए भी एक-दूसरे को प्रभावित करते रहते हैं। कोरोना के संदर्भ में अनेक लोगों को अब यह नहीं पता चल रहा है कि उन्हें कोरोना किससे लगा? घर से निकलने वाला एक आदमी अगर अनेक लोगों के संपर्क में आएगा, तो यह पता लगाना उत्तरोतर कठिन होता जाएगा कि कोरोना की कौन-सी श्रृंखला आगे बढ़ रही है। लॉकडाउन पांच के समय देश ऐसी अनेक तरह की नई चुनौतियों की ओर बढ़ रहा है। संदिग्ध लोगों की निगरानी का काम हाथ-पैर फुला देगा। बेशक, अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार हम देखेंगे और देश के लोगों को राहत देने के लिए यह अपरिहार्य है। ध्यान रहे, हर जगह पुलिस या सरकार खड़ी नहीं हो सकती, हमें स्वयं अनुशासित नागरिक बनकर अपनी और अपने पास के लोगों की पहरेदारी करनी है।
Q. ’अच्छे संस्कार तथा सभ्यता की निशानी होगी’ ये कथन किन चीज़ो को जहन मे रखते हुये कहा गया है?
निम्नलिखित पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
मैं तो राम विरह की मारी, मोरी मुंदरी हो गयी कंगना।
अति मलीन वृषभानुकुमारी। अधोमुख रहित, उरध नहिं चितवत, ज्यों गथ हारे थकित जुआरी। छूटे चिहुर बदन कुम्हिलानो, ज्यों नलिनी हिमकर की मारी। प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा रस है?
Direction: Read the following passages carefully and answer the question that follows.
Although an Eco-friendly process and one of the important ways to save the environment, recycling is not gaining pace in the industry. The recycling undergoes many process. First is collecting and sorting of garbage. This required a lot of manpower and tools which are expensive. Another disadvantage of recycling which makes it unviable is that for the manufacturers economically, the recycled material is not highly demanded since its quality is not as good as the original material. So, if the marketing of recycled goods is not worthwhile then the whole process of recycling cannot be economically efficient. Recycled products face other disadvantage as well, such life, difficult in de-linking the dyed products and less durability etc.
Why is the marketing of recycled products not worthwhile according to the author ?
1. The original products are being sold at a much lower price as compared to the recycled products.
2. The overall effects of recycle on the environment is detrimental rather than beneficial.
3. It does not give appropriate economic returns since recycled products lack demand in the market.
Q. Which of the above statement is/are correct ?
Direction: Read the following passage carefully and answer the questions. Your answer to these questions should be based on passage only.
A stout old lady was walking with her basket down the middle of a street in retrograde to the great confusion of the traffic and no small peril to herself. It was pointed out to her that the pavement was the place for foot-passengers, but she replied, 'I m going to walk where I like. We have got liberty now.' It did not occur to the dear lady that if liberty entitled the foot-passenger to walk down the middle of the the road it also entitled the taxi-drive on the pavement, and that the end of such liberty would be universal chaos. Everything would be getting in everybody else's way and nobody would get anywhere. Individual liberty would have become social anarchy
Q. It was pointed out to the lady that she should walk on the pavement because she was?
Direction: In 1900, to a shipping clerk---Alexander Fleming---a career in science seemed like a distant dream. Alexander the youngest son of a Scottish farmer from Ayrshire was born on 6, August, 1881. He was able to complete High school but then his family funds ran out. At sixteen he took a job as a shipping clerk and stayed there for four years. In 1901. Alexander came across a small legacy which enabled him to continue his education, and, on the advice of one of his brothers who was a doctor, he chose to prepare for a career in medicine. Alexander did unusually well in medical school along with rifle shooting, swimming, water polo and painting. After his graduation, his teacher Prof. Wright asked him to join him in bacteriological research, which he readily agreed.
Q. Whom should we thanks for enabling Alexader to fulfil his distance dream ?
Direction: Read the following passage carefully and answer the questions that follow each passage. Your answer to these questions should be based on the passage only.
Every successful man fails at some time. Failure tells you about your weaknesses, shortcomings, lack of preparations, lack of efforts. So if you can manage to learn from it contributes to lasting success. Extract the lesson to learn from failure and try again with redoubled vigor. Facing failure makes one strong, more wise and more resolute, spurs them on to greatest efforts. There is not failure in truth, save from within; unless we are beaten there, We are bound to succeed. Failures not only tell us that we couldn't prepare ourselves up to the level of success and with more hard work. Failures are the stepping stones of success. Every successful man has failed, not once but several times, in their life, but they analyzed the things in real perspective and tried again with more vigor and zeal and achieved success.
Q. What does help us to come out of the failure?
Direction: Read the following passages carefully and answer the question that follows.
The ancient Harappan Civilization emerged, flourished and collapsed under a steadily weakening monsoon, according to new research findings, that scientists say, provide the strongest evidence yet to link its risk and fall to changing climate. A team of scientists has combined multiple sets of date to show that weakening monsoon and reduced river water initially stimulated intensive agriculture and urbanisation, but later precipitated the decline and collapse of the subcontinent's earliest cities. The scientist said their research also suggests that a larger river, summed to be the mythical Saraswati, which once watered the Harappan Civilization's heartland between the suggests it was a glacier fed river with origins in the Himalyas. The findings appear today in the US Journal Proceedings of the National Academy of Science
Q. Why the Harappan Civilisation collapsed?
Direction: Read the following passage carefully and answer the questions that follow each passage. Your answer to these questions should be based on the passage only.
Every successful man fails at some time. Failure tells you about your weaknesses, shortcomings, lack of preparations, lack of efforts. So if you can manage to learn from it contributes to lasting success. Extract the lesson to learn from failure and try again with redoubled vigor. Facing failure makes one strong, more wise and more resolute, spurs them on to greatest efforts. There is not failure in truth, save from within; unless we are beaten there, We are bound to succeed. Failures not only tell us that we couldn't prepare ourselves up to the level of success and with more hard work. Failures are the stepping stones of success. Every successful man has failed, not once but several times, in their life, but they analyzed the things in real perspective and tried again with more vigor and zeal and achieved success.
Q. What message does the author wants to convey to readers through this passage?
Direction: Read the following passage carefully and answer the questions. Your answer to these questions should be based on passage only.
Mandela recollects that it was almost impossible for a black man in south Africa to fulfill his obligation to his family and society because of the system of apartheid practiced by the white rulers. He began to hanker after freedom when he realized that his freedom had been taken away from him when he reached manhood. He yearned for the basic and honorable freedoms of achieving his potential, of marrying, having a family-the freedom not to be obstructed in a lawful life. When Mandela realized that not only his freedom was curtailed, but the freedom of everyone who looked like him was also curtailed. That's when he joined the African national Congress and that is when the hunger for his own freedom became the greater hunger for the freedom of his people.
Q. Whose concern does this passage voice?
Direction: While the modern India has made progress in various fields, the priceless intangible heritage of works like the Sama Veda have gone unnoticed-a great loss indeed. We have, it could be said, mindlessly pursed a line of development causing
unwelcome changes to the very fabric of our culture; not very different from iconoclastic behavior. In spite of the fact that a large number of rich Indians possess more wealth than the world's richest, we demonstrate such ignorance about the Vedas in general and Sama Veda in particular. One needs to find out why the world’s oldest composite literature on religion, sciences, humanities and spirituality attracts little public attention today. The yajnas, apart from their religious functions, were unfortunately termed as mere ‘rituals’ even by Indian scholars and so their secular significance has been undermined. It has been shown in a premiere scientific institute in Pune that the Yajna bhasma being of the size of nano-particles had positive effects on human health and the environment.
Q. Which of the following is having positive effects on human body ?
Direction: Read the following passages carefully and answer the question that follows.
The harbor was abuzz. People were wandering here and there, screwing their eyes up to the horizon, checking to see if the ship had arrived. Not just any ship of course there were plenty of those to be seen on the waters, bobbing elegantly but this was the "Tuscany", from America. Nothing to boast of as far as the ship itself was concerned. Just the cargo she carried. Finally, a ship arrived, slowly, painstakingly, with two men, seen as little specks on the deck.
People were wandering here and there explains ?
1. People were eagerly waiting for ship to arrive at the harbour
2. People were waiting for cargo carried by the ship.
Q. Which of the statement are true ? select the code given below .
Direction: Read the following passage carefully and answer the questions. Your answer to these questions should be based on passage only.
As concern about radiation from phones and base stations continues to grow, health experts advice a change of habits-spending less time on the phone, using landline, and texting rather than calling-to cut the risk. The risk of brain cancer as a result of excessive use of phones cannot be ruled out. Reduced use of mobile phones is advised, Cancer is an extreme example. We get many cases of parents complaining that their children lack concentration, get headache and have behavioral problems. This cannot be proved, though. A scientist with ICMR said exposure to radio frequency radiation has a thermal effects, caused by holding a phone close to the body, and also a non-thermal effect which can be attributed to the induced electromagnetic effects inside biological cells. The non-thermal effect is possibly more harmful. People who are chronically exposed to low level wireless antenna emissions and users of mobile phone handsets have reported feeling several unspecific symptoms.
Q. Which is more harmful out of the given below?
Direction: Read the following passages carefully and answer the question that follows.
When young, a little crab looks quits unlike its parents. As it grows older, it drops its outer converting time and again and grown into new one. With each new coat it comes to look more and more like its its parents, until finally it appears in a shell with its legs and claws just like its parents. When this stage is reached, it continues to drop its covering several times, but the change is seen in its size, not in its form. While the old shell is being made ready to come off, there is a new shell formatting over the flesh of the crab's underneath, but it is quits soft and flexible until the old one has been dropped.
Q. Crabs drop their coats ?
Direction: Read the following passage carefully and answer the questions. Your answer to these questions should be based on passage only.
PM's offensive and pompous reply verged on the preposterous. It is not only in consonance with certain facts, but is also wholly out of keeping with disappointment for them that a government and people noted for their high culture and politeness should have committed this serious lapse and should have addressed the GOI in a language which is discourteous and unbecoming, even if it were addressed to a hostile country. Since it is addressed to a country that is referred as friendly, this can only be considered as an act of forgetfulness. The GOI realizes that the system of government in China is different from that prevailing in India. It is the right of the Chinese people to have a government of their choice, and no one else has a right to interfere
Q. What was the surprise and disappointment to the government?
Direction: Read the following passage carefully and answer the questions. Your answer to these questions should be based on passage only.
The last half of my life was spent at one of those painful epochs of human history, during which the world seemed to be getting worse; where past victories which had seemed to be definitive have turned out to be only temporary. When I was young, Victorian optimism was taken for granted. It was thought that freedom and prosperity would spread gradually through the world through an orderly process, and it was hoped that cruelty, tyranny, and injustice would continually diminish. Hardly anyone was hunted by the fear of great wars. Hardly any-one thought of the nineteenth century as a brief interlude between past and future barbarism.
Q. The victories of the past:
Direction: Read the following passage carefully and answer the questions. Your answer to these questions should be based on passage only.
The last half of my life was spent at one of those painful epochs of human history, during which the world seemed to be getting worse; where past victories which had seemed to be definitive have turned out to be only temporary. When I was young, Victorian optimism was taken for granted. It was thought that freedom and prosperity would spread gradually through the world through an orderly process, and it was hoped that cruelty, tyranny, and injustice would continually diminish. Hardly anyone was hunted by the fear of great wars. Hardly any-one thought of the nineteenth century as a brief interlude between past and future barbarism.
Q. During the Victorian age people believed that:
Direction: Read the following passage carefully and answer the questions. Your answer to these questions should be based on passage only.
The last half of my life was spent at one of those painful epochs of human history, during which the world seemed to be getting worse; where past victories which had seemed to be definitive have turned out to be only temporary. When I was young, Victorian optimism was taken for granted. It was thought that freedom and prosperity would spread gradually through the world through an orderly process, and it was hoped that cruelty, tyranny, and injustice would continually diminish. Hardly anyone was hunted by the fear of great wars. Hardly any-one thought of the nineteenth century as a brief interlude between past and future barbarism.
Q. " A brief interlude between past and future barbarism" can be interpreted as: