निर्देशः नीचे दिए गए अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें एवं उस पर आधारित प्रश्न के उत्तर दें।
शिक्षा जीवन के सर्वांगीण विकास हेतु अनिवार्य है। शिक्षा के बिना मनुष्य विवेकशील और शिष्ट नहीं बन सकता। विवेक से मनुष्य में सही और गलत का चयन करने की क्षमता उत्पन्न होती है। विवेक से ही मनुष्य के भीतर उसके चहुँ ओर नित्य प्रति होते घटनाक्रमों के प्रति एक छिद्रान्वेषी दृष्टिकोण उत्पन्न होता है। शिक्षा ही मानव को मानव के प्रति मानवीय भावनाओं से पोषित करती है। शिक्षा से मनुष्य अपने परिवेश के प्रति जाग्रत होकर कर्तव्यविमुख हो जाता है। 'स्व' से 'पर' की ओर अग्रसर होने लगता है। निर्बल की सहायता करना, दुखियों के दु:ख दूर करने का प्रयास करना, दूसरों के दुःख से दु:खी हो जाना और दूसरों के सुख से स्वयं सुख का अनुभव करना जैसी बातें एक शिक्षित मानव में सरलता से देखने को मिल जाती हैं। इतिहास, साहित्य, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र इत्यादि पढ़कर विद्यार्थी विद्वान् ही नहीं बनता वरन् उसमें एक विशिष्ट जीवन दृष्टि, रचनात्मकता और परिपक्वता का सृजन भी होता है। शिक्षित सामाजिक परिवेश में व्यक्ति अशिक्षित सामाजिक परिवेश की तुलना में सदैव ही उच्च स्तर पर जीवन यापन करता है।
परन्तु आज शिक्षा का अर्थ बदल रहा है। शिक्षा भौतिक आकांक्षा की साध्य बनती जा रही है। व्यावसायिक शिक्षा के अन्धानुकरण में छात्र सैद्धान्तिक शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं। रूस की क्रान्ति, फ्रांस की क्रान्ति, अमेरिकी क्रान्ति, समाजवाद, पूँजीवाद, राजनीतिक व्यवस्था, सांस्कृतिक मूल्यों आदि की सामान्य जानकारी भी व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को नहीं है। यह शिक्षा का विशुद्ध रोजगारकरण है। शिक्षा के प्रति इस प्रकार का संकुचित दृष्टिकोण अपनाकर विवेकशील नांगरिकों का निर्माण नहीं किया जा सकता। भारत जैसे विकासशील देश में शिक्षा रोजगार का साधन न होकर साध्य हो गई है। इस कुप्रवृत्ति पर अंकुश लगाना अनिवार्य है। जहाँ मानविकी के छात्रों को पत्रकारिता, साहित्य-सृजन, विज्ञापन, जनसम्पर्क इत्यादि कोर्स भी कराए जाने चाहिए ताकि उन्हें रोजगार के लिए न भटकना पड़े, वहीं व्यावसायिक कोर्स करने वाले छात्रों को मानविकी के विषय; जैसे-इतिहास, साहित्य, राजनीतिशास्त्र व दर्शन आदि का थोड़ा बहुत अध्ययन अवश्य कराना चाहिए ताकि समाज को विवेकशील नागरिक प्राप्त होते रहें, तभी समाज में सन्तुलन बना रहेगा।
Q. "शिक्षा ही मानव को मानव के प्रति मानवीय भावनाओं से पोषित करती है।" इस कथन के लिए उपयुक्त विकल्प चुनिए:
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शिक्षा जीवन के सर्वांगीण विकास हेतु अनिवार्य है। शिक्षा के बिना मनुष्य विवेकशील और शिष्ट नहीं बन सकता। विवेक से मनुष्य में सही और गलत का चयन करने की क्षमता उत्पन्न होती है। विवेक से ही मनुष्य के भीतर उसके चहुँ ओर नित्य प्रति होते घटनाक्रमों के प्रति एक छिद्रान्वेषी दृष्टिकोण उत्पन्न होता है। शिक्षा ही मानव को मानव के प्रति मानवीय भावनाओं से पोषित करती है। शिक्षा से मनुष्य अपने परिवेश के प्रति जाग्रत होकर कर्तव्यविमुख हो जाता है। 'स्व' से 'पर' की ओर अग्रसर होने लगता है। निर्बल की सहायता करना, दुखियों के दु:ख दूर करने का प्रयास करना, दूसरों के दुःख से दु:खी हो जाना और दूसरों के सुख से स्वयं सुख का अनुभव करना जैसी बातें एक शिक्षित मानव में सरलता से देखने को मिल जाती हैं। इतिहास, साहित्य, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र इत्यादि पढ़कर विद्यार्थी विद्वान् ही नहीं बनता वरन् उसमें एक विशिष्ट जीवन दृष्टि, रचनात्मकता और परिपक्वता का सृजन भी होता है। शिक्षित सामाजिक परिवेश में व्यक्ति अशिक्षित सामाजिक परिवेश की तुलना में सदैव ही उच्च स्तर पर जीवन यापन करता है।
परन्तु आज शिक्षा का अर्थ बदल रहा है। शिक्षा भौतिक आकांक्षा की साध्य बनती जा रही है। व्यावसायिक शिक्षा के अन्धानुकरण में छात्र सैद्धान्तिक शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं। रूस की क्रान्ति, फ्रांस की क्रान्ति, अमेरिकी क्रान्ति, समाजवाद, पूँजीवाद, राजनीतिक व्यवस्था, सांस्कृतिक मूल्यों आदि की सामान्य जानकारी भी व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को नहीं है। यह शिक्षा का विशुद्ध रोजगारकरण है। शिक्षा के प्रति इस प्रकार का संकुचित दृष्टिकोण अपनाकर विवेकशील नांगरिकों का निर्माण नहीं किया जा सकता। भारत जैसे विकासशील देश में शिक्षा रोजगार का साधन न होकर साध्य हो गई है। इस कुप्रवृत्ति पर अंकुश लगाना अनिवार्य है। जहाँ मानविकी के छात्रों को पत्रकारिता, साहित्य-सृजन, विज्ञापन, जनसम्पर्क इत्यादि कोर्स भी कराए जाने चाहिए ताकि उन्हें रोजगार के लिए न भटकना पड़े, वहीं व्यावसायिक कोर्स करने वाले छात्रों को मानविकी के विषय; जैसे-इतिहास, साहित्य, राजनीतिशास्त्र व दर्शन आदि का थोड़ा बहुत अध्ययन अवश्य कराना चाहिए ताकि समाज को विवेकशील नागरिक प्राप्त होते रहें, तभी समाज में सन्तुलन बना रहेगा।
Q. वर्तमान शिक्षा भौतिक आकांक्षा की साध्य किस प्रकार बन गई है?
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शिक्षा जीवन के सर्वांगीण विकास हेतु अनिवार्य है। शिक्षा के बिना मनुष्य विवेकशील और शिष्ट नहीं बन सकता। विवेक से मनुष्य में सही और गलत का चयन करने की क्षमता उत्पन्न होती है। विवेक से ही मनुष्य के भीतर उसके चहुँ ओर नित्य प्रति होते घटनाक्रमों के प्रति एक छिद्रान्वेषी दृष्टिकोण उत्पन्न होता है। शिक्षा ही मानव को मानव के प्रति मानवीय भावनाओं से पोषित करती है। शिक्षा से मनुष्य अपने परिवेश के प्रति जाग्रत होकर कर्तव्यविमुख हो जाता है। 'स्व' से 'पर' की ओर अग्रसर होने लगता है। निर्बल की सहायता करना, दुखियों के दु:ख दूर करने का प्रयास करना, दूसरों के दुःख से दु:खी हो जाना और दूसरों के सुख से स्वयं सुख का अनुभव करना जैसी बातें एक शिक्षित मानव में सरलता से देखने को मिल जाती हैं। इतिहास, साहित्य, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र इत्यादि पढ़कर विद्यार्थी विद्वान् ही नहीं बनता वरन् उसमें एक विशिष्ट जीवन दृष्टि, रचनात्मकता और परिपक्वता का सृजन भी होता है। शिक्षित सामाजिक परिवेश में व्यक्ति अशिक्षित सामाजिक परिवेश की तुलना में सदैव ही उच्च स्तर पर जीवन यापन करता है।
परन्तु आज शिक्षा का अर्थ बदल रहा है। शिक्षा भौतिक आकांक्षा की साध्य बनती जा रही है। व्यावसायिक शिक्षा के अन्धानुकरण में छात्र सैद्धान्तिक शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं। रूस की क्रान्ति, फ्रांस की क्रान्ति, अमेरिकी क्रान्ति, समाजवाद, पूँजीवाद, राजनीतिक व्यवस्था, सांस्कृतिक मूल्यों आदि की सामान्य जानकारी भी व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को नहीं है। यह शिक्षा का विशुद्ध रोजगारकरण है। शिक्षा के प्रति इस प्रकार का संकुचित दृष्टिकोण अपनाकर विवेकशील नांगरिकों का निर्माण नहीं किया जा सकता। भारत जैसे विकासशील देश में शिक्षा रोजगार का साधन न होकर साध्य हो गई है। इस कुप्रवृत्ति पर अंकुश लगाना अनिवार्य है। जहाँ मानविकी के छात्रों को पत्रकारिता, साहित्य-सृजन, विज्ञापन, जनसम्पर्क इत्यादि कोर्स भी कराए जाने चाहिए ताकि उन्हें रोजगार के लिए न भटकना पड़े, वहीं व्यावसायिक कोर्स करने वाले छात्रों को मानविकी के विषय; जैसे-इतिहास, साहित्य, राजनीतिशास्त्र व दर्शन आदि का थोड़ा बहुत अध्ययन अवश्य कराना चाहिए ताकि समाज को विवेकशील नागरिक प्राप्त होते रहें, तभी समाज में सन्तुलन बना रहेगा।
Q. छिद्रान्वेषी दृष्टिकोण से लेखक का क्या तात्पर्य है?
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शिक्षा जीवन के सर्वांगीण विकास हेतु अनिवार्य है। शिक्षा के बिना मनुष्य विवेकशील और शिष्ट नहीं बन सकता। विवेक से मनुष्य में सही और गलत का चयन करने की क्षमता उत्पन्न होती है। विवेक से ही मनुष्य के भीतर उसके चहुँ ओर नित्य प्रति होते घटनाक्रमों के प्रति एक छिद्रान्वेषी दृष्टिकोण उत्पन्न होता है। शिक्षा ही मानव को मानव के प्रति मानवीय भावनाओं से पोषित करती है। शिक्षा से मनुष्य अपने परिवेश के प्रति जाग्रत होकर कर्तव्यविमुख हो जाता है। 'स्व' से 'पर' की ओर अग्रसर होने लगता है। निर्बल की सहायता करना, दुखियों के दु:ख दूर करने का प्रयास करना, दूसरों के दुःख से दु:खी हो जाना और दूसरों के सुख से स्वयं सुख का अनुभव करना जैसी बातें एक शिक्षित मानव में सरलता से देखने को मिल जाती हैं। इतिहास, साहित्य, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र इत्यादि पढ़कर विद्यार्थी विद्वान् ही नहीं बनता वरन् उसमें एक विशिष्ट जीवन दृष्टि, रचनात्मकता और परिपक्वता का सृजन भी होता है। शिक्षित सामाजिक परिवेश में व्यक्ति अशिक्षित सामाजिक परिवेश की तुलना में सदैव ही उच्च स्तर पर जीवन यापन करता है।
परन्तु आज शिक्षा का अर्थ बदल रहा है। शिक्षा भौतिक आकांक्षा की साध्य बनती जा रही है। व्यावसायिक शिक्षा के अन्धानुकरण में छात्र सैद्धान्तिक शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं। रूस की क्रान्ति, फ्रांस की क्रान्ति, अमेरिकी क्रान्ति, समाजवाद, पूँजीवाद, राजनीतिक व्यवस्था, सांस्कृतिक मूल्यों आदि की सामान्य जानकारी भी व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को नहीं है। यह शिक्षा का विशुद्ध रोजगारकरण है। शिक्षा के प्रति इस प्रकार का संकुचित दृष्टिकोण अपनाकर विवेकशील नांगरिकों का निर्माण नहीं किया जा सकता। भारत जैसे विकासशील देश में शिक्षा रोजगार का साधन न होकर साध्य हो गई है। इस कुप्रवृत्ति पर अंकुश लगाना अनिवार्य है। जहाँ मानविकी के छात्रों को पत्रकारिता, साहित्य-सृजन, विज्ञापन, जनसम्पर्क इत्यादि कोर्स भी कराए जाने चाहिए ताकि उन्हें रोजगार के लिए न भटकना पड़े, वहीं व्यावसायिक कोर्स करने वाले छात्रों को मानविकी के विषय; जैसे-इतिहास, साहित्य, राजनीतिशास्त्र व दर्शन आदि का थोड़ा बहुत अध्ययन अवश्य कराना चाहिए ताकि समाज को विवेकशील नागरिक प्राप्त होते रहें, तभी समाज में सन्तुलन बना रहेगा।
Q. शिक्षा से मनुष्य स्व' से 'पर' की ओर अभिगमन करने लगता है, क्यों?
निर्देशः नीचे दिए गए अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें एवं उस पर आधारित प्रश्न के उत्तर दें।
शिक्षा जीवन के सर्वांगीण विकास हेतु अनिवार्य है। शिक्षा के बिना मनुष्य विवेकशील और शिष्ट नहीं बन सकता। विवेक से मनुष्य में सही और गलत का चयन करने की क्षमता उत्पन्न होती है। विवेक से ही मनुष्य के भीतर उसके चहुँ ओर नित्य प्रति होते घटनाक्रमों के प्रति एक छिद्रान्वेषी दृष्टिकोण उत्पन्न होता है। शिक्षा ही मानव को मानव के प्रति मानवीय भावनाओं से पोषित करती है। शिक्षा से मनुष्य अपने परिवेश के प्रति जाग्रत होकर कर्तव्यविमुख हो जाता है। 'स्व' से 'पर' की ओर अग्रसर होने लगता है। निर्बल की सहायता करना, दुखियों के दु:ख दूर करने का प्रयास करना, दूसरों के दुःख से दु:खी हो जाना और दूसरों के सुख से स्वयं सुख का अनुभव करना जैसी बातें एक शिक्षित मानव में सरलता से देखने को मिल जाती हैं। इतिहास, साहित्य, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र इत्यादि पढ़कर विद्यार्थी विद्वान् ही नहीं बनता वरन् उसमें एक विशिष्ट जीवन दृष्टि, रचनात्मकता और परिपक्वता का सृजन भी होता है। शिक्षित सामाजिक परिवेश में व्यक्ति अशिक्षित सामाजिक परिवेश की तुलना में सदैव ही उच्च स्तर पर जीवन यापन करता है।
परन्तु आज शिक्षा का अर्थ बदल रहा है। शिक्षा भौतिक आकांक्षा की साध्य बनती जा रही है। व्यावसायिक शिक्षा के अन्धानुकरण में छात्र सैद्धान्तिक शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं। रूस की क्रान्ति, फ्रांस की क्रान्ति, अमेरिकी क्रान्ति, समाजवाद, पूँजीवाद, राजनीतिक व्यवस्था, सांस्कृतिक मूल्यों आदि की सामान्य जानकारी भी व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को नहीं है। यह शिक्षा का विशुद्ध रोजगारकरण है। शिक्षा के प्रति इस प्रकार का संकुचित दृष्टिकोण अपनाकर विवेकशील नांगरिकों का निर्माण नहीं किया जा सकता। भारत जैसे विकासशील देश में शिक्षा रोजगार का साधन न होकर साध्य हो गई है। इस कुप्रवृत्ति पर अंकुश लगाना अनिवार्य है। जहाँ मानविकी के छात्रों को पत्रकारिता, साहित्य-सृजन, विज्ञापन, जनसम्पर्क इत्यादि कोर्स भी कराए जाने चाहिए ताकि उन्हें रोजगार के लिए न भटकना पड़े, वहीं व्यावसायिक कोर्स करने वाले छात्रों को मानविकी के विषय; जैसे-इतिहास, साहित्य, राजनीतिशास्त्र व दर्शन आदि का थोड़ा बहुत अध्ययन अवश्य कराना चाहिए ताकि समाज को विवेकशील नागरिक प्राप्त होते रहें, तभी समाज में सन्तुलन बना रहेगा।
Q. उपरोक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा?
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा छंद है ?
मुनि पद कमल बंदि दोउ भ्राता ।
चले लोक लोचन सुख दाता । ।
बालक वृन्द देखि अति सोभा ।
चले संग लोचन मनु लोभा । ।
Direction: Read the following passages carefully and answer the question that follows.
Just make a moment to listen to your body. What do I mean by listen to your body ? We think of bodies as concrete physical structure. However, from the understanding of both the most highly developed cultures throughout history and the latest discoveries of the quantum physics, we realize that at the basis of everything in our universe, including our bodies there is nothing other than energy or sound. At their deepest level, our bodies are nothing other than intelligence. This intelligence manifests into different sounds, or energetic vibrations that become the subatomic particles, atoms, cells, tissues, organs, and organ system of our physical bodies. It is said that if we able to raise our level of consciousness to that of an enlightened sage, we can literally here the sounds at the basic of our own mind and bodies.
Q. The sole credit in this passage has been given to?
Direction: Read the following passages carefully and answer the question that follows.
Just make a moment to listen to your body. What do I mean by listen to your body ? We think of bodies as concrete physical structure. However, from the understanding of both the most highly developed cultures throughout history and the latest discoveries of the quantum physics, we realize that at the basis of everything in our universe, including our bodies there is nothing other than energy or sound. At their deepest level, our bodies are nothing other than intelligence. This intelligence manifests into different sounds, or energetic vibrations that become the subatomic particles, atoms, cells, tissues, organs, and organ system of our physical bodies. It is said that if we able to raise our level of consciousness to that of an enlightened sage, we can literally here the sounds at the basic of our own mind and bodies.
Q. What helps us to understand the concept of energy?
Direction: Read the following passages carefully and answer the question that follows.
Just make a moment to listen to your body. What do I mean by listen to your body ? We think of bodies as concrete physical structure. However, from the understanding of both the most highly developed cultures throughout history and the latest discoveries of the quantum physics, we realize that at the basis of everything in our universe, including our bodies there is nothing other than energy or sound. At their deepest level, our bodies are nothing other than intelligence. This intelligence manifests into different sounds, or energetic vibrations that become the subatomic particles, atoms, cells, tissues, organs, and organ system of our physical bodies. It is said that if we able to raise our level of consciousness to that of an enlightened sage, we can literally here the sounds at the basic of our own mind and bodies.
Q. One of the important task that should be done is?
Direction: The financialisation of commodity trade and current extraordinary conditions in global financial markets could have influenced the spurt in prices. The recent reductions in interest rates in the US and the injection of liquidity have resulted in investors seeking new avenues such as commodity markets, in view of the turbulence in financial markets and the low return in treasuries. The relatively easy liquidity and low interest rates, by themselves, make holding of inventories attractive and thus induce greater volatility in commodity markets. The weakening of the US dollar is also advanced as a reason for the recent volatility in commodity markets, including food items. It is evident that this phenomenon is now also coinciding with the across-the-board rise in food prices.
Q. Which of the following is true in the context of the passage?
Direction: Read the following passages carefully and answer the question that follows.
I opened the bag and packed the boots in, and then, just as I was going to close it, a horrible idea occurred to me. Had I packed my toothbrush ? I don't know how it is, but I never do know whether I've packed my toothbrush. My toothbrush is a thing that haunts me when I'm travelling, and makes my life a misery. I dream that I haven't packed it and wake up in a cold perspiration and get out of bed and hunt for it. And, in the morning. I pack it before I have used it and it is always the last thing I turn out of the bag and then. I repack and forget it and have to rush upstairs for it at the last moment and carry it to the railway station, wrapped up in my pocket-handkerchief.
Q. His toothbrush is finally?
Direction: The financialisation of commodity trade and current extraordinary conditions in global financial markets could have influenced the spurt in prices. The recent reductions in interest rates in the US and the injection of liquidity have resulted in investors seeking new avenues such as commodity markets, in view of the turbulence in financial markets and the low return in treasuries. The relatively easy liquidity and low interest rates, by themselves, make holding of inventories attractive and thus induce greater volatility in commodity markets. The weakening of the US dollar is also advanced as a reason for the recent volatility in commodity markets, including food items. It is evident that this phenomenon is now also coinciding with the across-the-board rise in food prices.
Q. Which of the following shows a cause-effect relationship between its two components?
Direction: Read the following passages carefully and answer the question that follows.
Little changes have taken place in the context of development demography of rural India in the past few decades. Obviously, positive signs are there but they are not up to the mark as anticipated. Yes, the numbers of primary school have increased. The situation of school education in rural India has also improved, but rural education still suffers from lack of qualified teachers, teachers absenteeism, unavailability of committed teachers, poor infrastructure, appropriate teaching methods etc. Phone lines have been extended to villages, but it is yet to reach most of the geographically-isolated, tribal and remote areas of rural India. Electricity supply in some parts of rural India is at best intermittent. Basic health care services are still limited in its availability, and unavailability of committed and qualified doctors are jeopardizing the rural health care system. Entertainment in village is mostly confined to radio or television, and that also gets interrupted by frequent power cuts.
Q. What is the author most worried about in the given passage?
Direction: The financialisation of commodity trade and current extraordinary conditions in global financial markets could have influenced the spurt in prices. The recent reductions in interest rates in the US and the injection of liquidity have resulted in investors seeking new avenues such as commodity markets, in view of the turbulence in financial markets and the low return in treasuries. The relatively easy liquidity and low interest rates, by themselves, make holding of inventories attractive and thus induce greater volatility in commodity markets. The weakening of the US dollar is also advanced as a reason for the recent volatility in commodity markets, including food items. It is evident that this phenomenon is now also coinciding with the across-the-board rise in food prices.
Q. Which of the following best explains the phrase 'this phenomenon as used in the passage?
Direction: Read the following passages carefully and answer the question that follows.
Little changes have taken place in the context of development demography of rural India in the past few decades. Obviously, positive signs are there but they are not up to the mark as anticipated. Yes, the numbers of primary school have increased. The situation of school education in rural India has also improved, but rural education still suffers from lack of qualified teachers, teachers absenteeism, unavailability of committed teachers, poor infrastructure, appropriate teaching methods etc. Phone lines have been extended to villages, but it is yet to reach most of the geographically-isolated, tribal and remote areas of rural India. Electricity supply in some parts of rural India is at best intermittent. Basic health care services are still limited in its availability, and unavailability of committed and qualified doctors are jeopardizing the rural health care system. Entertainment in village is mostly confined to radio or television, and that also gets interrupted by frequent power cuts.
Q. What is the electricity scenario in rural India?
Direction: You know slavery better than freedom, for slavery dwells within you. Working for theprofits of your oppressors, you get only that which is barely sufficient to keep you alive.You and your instruments of work are meant to help and strengthen your master'sposition, Your children and wives die of cold and starvation while your master's dogsare fat and comfortable. When you express the slightest dissatisfaction with your lot,you and your wives are put to death. Therefore, it is not proper to tolerate any kind ofoppression in the modern age, the age of liberty and freedom. You are sinful if you dothat. You must fight for equal rights, equal opportunities and equal wages for equal work.Educate your children and let them learn to live with dignity
Q. "You and your instruments in the passage" mean?
Direction: Read the following passages carefully and answer the question that follows.
Little changes have taken place in the context of development demography of rural India in the past few decades. Obviously, positive signs are there but they are not up to the mark as anticipated. Yes, the numbers of primary school have increased. The situation of school education in rural India has also improved, but rural education still suffers from lack of qualified teachers, teachers absenteeism, unavailability of committed teachers, poor infrastructure, appropriate teaching methods etc. Phone lines have been extended to villages, but it is yet to reach most of the geographically-isolated, tribal and remote areas of rural India. Electricity supply in some parts of rural India is at best intermittent. Basic health care services are still limited in its availability, and unavailability of committed and qualified doctors are jeopardizing the rural health care system. Entertainment in village is mostly confined to radio or television, and that also gets interrupted by frequent power cuts.
Q. What is the rural Indian scenario in terms of development ?
1. They have increased the number of primary schools.
2. Number of qualified teachers increased
3. Basic health care services are limited.
Which of the above statements is/are correct ?
Direction: You know slavery better than freedom, for slavery dwells within you. Working for theprofits of your oppressors, you get only that which is barely sufficient to keep you alive.You and your instruments of work are meant to help and strengthen your master'sposition, Your children and wives die of cold and starvation while your master's dogsare fat and comfortable. When you express the slightest dissatisfaction with your lot,you and your wives are put to death. Therefore, it is not proper to tolerate any kind ofoppression in the modern age, the age of liberty and freedom. You are sinful if you dothat. You must fight for equal rights, equal opportunities and equal wages for equal work.Educate your children and let them learn to live with dignity
Q. Why must your fight for?
Direction: Read the following passage carefully and answer the questions. Your answer to these questions should be based on passage only.
To be able to grow into self confident, fearless and active women, a girl must be nurtured in an atmosphere where she can be valued. However, for the average girl child in India. her prospects of all round healthy development are severely constrained. Born into a socially inhospitable environment, a girl is considered to be an expense - someone who will never contribute to the family income and at the time of her marriage will take large assets as dowry. So deeply entrenched is the ideology of sun preference, that a mother not only hopes and prays for a boy but actually fears the birth of a daughter. In India, girls are socialized from the very beginning to accept the ideology of make supremacy, which makes them a prey to discriminatory practices. This means that not only girl are socially unequipped to question the injustices done them, but in the absence of models of role and conduct, they actually propagate the dominant social and cultural values which are against their interests. Large number of the girl are allowed to die because of malnutrition and disease, which are not properly treated. Children who are working and are on the street are know as children. A street child may be defined as a minor for whom the street has become his or her habitual abode and who is without adequate protection.
Q. Girl in our society are victim of ?
Direction: Read the following passages carefully and answer the question that follows.
Regardless of how the state's feedback control law is designed, it is almost always necessary to implement it, using estimates of the state obtained from an observer. Hence, it is necessary to insure so that the desirable properties of the state feedback design do not vanish when the state estimate are used. It is proven in linear system theory courses that the command response is unaffected by the presence of the observer. However, the response to initial conditions will affect the system output. It is suggested that the observed poles should be made faster than the state feedback poles by an amount that depends upon the level of measurement noise. These conclusions are generally based upon transient time response properties of the system, and not on feedback properties such as robustness margins, We now present a procedure for tuning an observer so that, under appropriate conditions, the feedback properties of a state feedback design are recovered.
Q. What will be done to maintain feedback properties of a state?
Direction: Read the following passage carefully and answer the questions. Your answer to these questions should be based on passage only.
As concern about radiation from phones and base stations continues to grow, health experts advice a change of habits-spending less time on the phone, using landline, and texting rather than calling-to cut the risk. The risk of brain cancer as a result of excessive use of phones cannot be ruled out. Reduced use of mobile phones is advised, Cancer is an extreme example. We get many cases of parents complaining that their children lack concentration, get headache and have behavioral problems. This cannot be proved, though. A scientist with ICMR said exposure to radio frequency radiation has a thermal effects, caused by holding a phone close to the body, and also a non-thermal effect which can be attributed to the induced electromagnetic effects inside biological cells. The non-thermal effect is possibly more harmful. People who are chronically exposed to low level wireless antenna emissions and users of mobile phone handsets have reported feeling several unspecific symptoms.
Q. What are the complaints made by the parents?