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CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - CG TET MCQ


Test Description

30 Questions MCQ Test CG TET Mock Test Series 2024 - CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science)

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CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 1

For which group of learners, sign-language method is the most appropriate?

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 1

Hearing impaired learners, sign language is the most appropriate.
A hearing-impaired person is the one who has difficulty in hearing. For such people, sign languages are used to show them what one is saying. The first person credited with the creation of a formal sign language for the hearing impaired was Pedro Ponce de León, a 16th-century Spanish Benedictine monk.

  • A language that employs signs made with the hands and other movements, including facial expressions and postures of the body is called sign language.
  • But people with disabilities including Autism, Apraxia of speech, Cerebral Palsy, and Down Syndrome may also find sign language beneficial for communicating.
  • Sign language may be as coarsely expressed as mere grimaces, shrugs, or pointings; or it may employ a delicately nuanced combination of coded manual signals reinforced by facial expression and perhaps augmented by words spelt out in a manual alphabet.
CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 2

Which of the following questions is NOT reflected upon by an inclusive school?

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 2

An inclusive school does not segregate special children from normal. On the contrary, it mixes them with other children. So, the premise of the question is itself contradictory.

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CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 3

किसी उत्पाद का इस्तेमाल करके उपभोक्ता भी बाजार में भागीदार बन जाता है। यदि उपभोक्ता नही होंगे तो किसी भी कंपनी का अस्तित्व नही होगा। जहाँ तक उपभोक्ता के अधिकार का सवाल है तो उपभोक्ता की स्थिति दयनीय ही कही जायेगी। इसको समझने के लिए आप वैसे दुकानदार का उदाहरण ले सकते है जो कम वजन तौलता है या वह कम्पनी जो अपने पैक पर झूठे वादे करती है। ज्यादातर मिठाई बेचने वाले कच्चे माल में मिलावट करके लड्डू या बर्फी बनाते है। कुछ वर्षो पहले मिलावटी सरसों तेल से फैलने वाली ड्रॉप्सी नाम की बीमारी आपको याद होगी। यदि आपने कभी ट्रेन से सफर किया होगा तो आपको पता होगा कि ट्रेन में बिकने वाले खाने पीने की ज्यादातर चीजे घटिया होती है। यहाँ तक की पैंट्री में मिलने वाला खाना भी घटिया क्वालिटी का होता है। भारत में मिलावट, कालाबाजारी, जमाखोरी, कम वजन आदि की पुरानी परम्परा रही है। 1960 के दशक से भारत में उपभोक्ता आन्दोलन शुरू हुए थे। 1970 के दशक तक उपभोक्ता आन्दोलन केवल आर्टिकल लिखने और प्रदर्शनी लगाने तक ही सीमित था। लेकिन हाल के वर्षो में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में तेजी से उछाल आया है।
विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से लोगो में इतनी अधिक असंतुष्टि थी कि उपभोक्ताओं के पास अपनी आवाज उठाने के सिवा और कोई रास्ता नही बचा था। कई वर्षो के लम्बे संघर्ष के बाद सरकार को इसकी खैर लेने के लिए बाधित होना पड़ा और इसकी परिणति के रूप में 1986 में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट (कोपरा) को लागू किया गया। एक उपभोक्ता को किसी उत्पाद के बारे में सही जानकारी पाने का अधिकार होता है। अब ऐसे कानून है जो किसी उत्पाद के पैक पर अवयवों और सुरक्षा के बारे में जानकारी देना अनिवार्य बनाते है। सही सूचना से उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद को खरीदने के लिए उचित निर्णय लेने में मदद मिलती है। किसी भी उत्पाद के पैक पर खुदरा मूल्य लिखना भी अनिवार्य होता है। यदि कूई दुकानदार एमआरपी से अधिक चार्ज करता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है। एक उपभोक्ता को विभिन्न विकल्पों में से चुनने का अधिकार होता है। कोई भी विक्रेता केवल एक ही ब्रांड पेश नही कर सकता है। उसे अपने ग्राहक को कई विकल्प देने होगे। इस अधिकार को मोनोपोली ट्रेंड के खिलाफ बने कानूनों के जरिये लागू किया जाता है।

Q. अधिकारों के मामले में भारतीय उपभोक्ताओं की स्थिति कैसी है?

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 3
  • उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार अधिकारों के मामलों में भारतीय उपभोक्ताओं की स्थिति दयनीय है।
  • अर्थात उपभोक्ताओं के पास अधिकार ना के बराबर है बाद के वर्षों में जाकर उपभोक्ता संगठन सक्रिय हुए।
CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 4

मौखिक अभिव्यक्ति कौशल का विकास करने का सशक्त माध्यम है।

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 4

मौखिक अभिव्यक्ति वाद-विवाद कौशल का विकास करने का सशक्त माध्यम है।
मौखिक अभिव्यक्ति कौशल को विकसित करने का सशक्त माध्यम वाद-विवाद है क्योंकि यह एक ऐसी प्रतियोगिता है जिसमें बच्चे वक्ता के रूप में अपने विचारों को प्रकट करते हैं।
इसमें बच्चे समय सीमा का ध्यान रखते हुए अपने विचारों का तर्कपूर्ण प्रतिपादन करते हैं जो उनमें मौखिक अभिव्यक्ति कौशल को विस्तार देती है।

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 5

निर्देश: दिए गए पद्यांश को पढकर निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प छाँटिएI
पूछे सिकता-कण से हिमपति!
तेरा वह राजस्थान कहाँ?
वन-वन स्वतंत्रता-दीप लिये
फिरनेवाला बलवान कहाँ?
तू पूछ, अवध से, राम कहाँ?
वृंदा! बोलो, घनश्याम कहाँ?
ओ मगध! कहाँ मेरे अशोक?
वह चंद्रगुप्त बलधाम कहाँ ?
पैरों पर ही है पड़ी हुई
मिथिला भिखारिणी सुकुमारी,
तू पूछ, कहाँ इसने खोयीं
अपनी अनंत निधियाँ सारी?
री कपिलवस्तु! कह, बुद्धदेव
के वे मंगल-उपदेश कहाँ?
तिब्बत, इरान, जापान, चीन
तक गये हुए संदेश कहाँ?
वैशाली के भग्नावशेष से
पूछ लिच्छवी-शान कहाँ?
ओ री उदास गंडकी! बता
विद्यापति कवि के गान कहाँ?
तू तरुण देश से पूछ अरे,
गूँजा कैसा यह ध्वंस-राग?
अंबुधि-अंतस्तल-बीच छिपी
यह सुलग रही है कौन आग?
प्राची के प्रांगण-बीच देख,
जल रहा स्वर्ण-युग-अग्निज्वाल,

Q. 'तरुण देश' से क्या अभिप्राय है?

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 5

पद्यांश के अनुसार,
"तू तरुण देश से पूछ अरे,
गूँजा कैसा यह ध्वंस-राग?"
इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि 'तरुण देश' से अभिप्राय 'नवयुगीन भारत' है।

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 6

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
काल को हम बांध नहीं सकते। वह स्वत: नियंत्रित है, अबाध है। देवों का आह्वान करते हुए हम सकल कामना सिद्धि का संकल्प व्यक्त करते हुए और फिर विदा करते हुए कहते हैं- 'गच्छ-गच्छ सुरश्रेष्ठ पुनरागमनाय च'। जिसका अर्थ 'हे देव, आप स्वस्थान को तो जाएं, परंतु फिर आने के लिए' है। कितनी सकारात्मक हमारी संस्कृति है, जिसका मूल है- जो मानव मात्र के लिए हितकारी हो, कल्याणकारी हो, वह पुन:-पुन: हमारे जीवन में आए। गत वर्ष के लिए भी क्या ऐसी विदाई देना हमारे लिए संभव नहीं ? यह प्रश्न अनुत्तरित है। यह आना-जाना, आगमन-प्रस्थान सब क्या है ? एक उत्तर है कि ये काल द्वारा नियंत्रित क्रिया- प्रतिक्रियाएं हैं। जो आया है, वह जाएगा। फिर जो गया है, वह भी आएगा। यह हमारी संस्कृति की मान्यता है। हाल ही में एक विद्वान से उनके परिवार में हुई मृत्यु पर शोक संवेदना में कहा- 'गत आत्मा को शांति प्राप्त हो'। उन्होंने तुरंत ही टोकते हुए कहा- शांति प्राप्ति की बात तो पश्चिमी संस्कृति-सभ्यता की बात है। भारतीय परंपरा में तो उचित है- 'गत आत्मा को सद्गति प्राप्त हो'। इसके पीछे का गूढ़ भाव नए वर्ष के आगमन और पुराने वर्ष की विदाई की वेला को पूरी सार्थकता प्रदान करता है। शब्द और अर्थ मिलकर ही काल का, काल की गति का अर्थात् परिवर्तन का बोध कराते हैं। काल (समय) निराकार है, अबूझ है। मानव ने समय को बांधने का बहुत प्रयास किया- पल, घड़ी, घंटा, दिन, सप्ताह, महीना, साल, मन्वन्तर... फिर भी समय कभी बंधा नहीं, कहीं ठहरता नहीं। 'कालोस्मि भरतर्षभ' कहकर कृष्ण ने काल की सार्वकालिक सत्ता को प्रतिपादित किया। इस सत्ता के आगे नत भाव से, साहचर्य के भाव से हम नया वर्ष मनाते हैं। काल ने जो दिया था, उसे स्वीकार करें और नए वर्ष में जो मिलेगा, उसको अंगीकार-स्वीकार करने के लिए हम पूरी तैयारी, पूरे जोश से तैयार रहें। इसी में पुरातन और नववर्ष के सन्धिकाल की सार्थकता है। यह सत्य है कि परिणाम पर मनुष्य का कोई नियंत्रण या दखल नहीं, पर नया साल भी पुराना होगा। इसलिए मनुष्य एक साल की अवधि के लिए अपने जीवन के कुछ नियामक लक्ष्य तो तय कर सकता है। नए साल का सूरज यही प्रेरणा लेकर आया है। जीवन के चरम लक्ष्य पीछे छूटते जा रहे हैं, खोते जा रहे हैं। ऐसे में नए वर्ष की शुरुआत अपने लक्ष्य निर्धारित करने का अच्छा अवसर है, आत्म निरीक्षण का अचूक मौका है यह। काल शाश्वत है। नए साल का आगमन और पुराने की विदाई यह हमारा कालबोध ही तो है। आगत का स्वागत भारतीय परम्परा के मूल में है। जो आया है, अतिथि है उसे अपना लो। काल के साथ, समय के साथ चलना मनुष्य की नियति है, परंतु काल के कपाल पर कुछ अंकित करने का संकल्प मनुष्य की जिजीविषा का मूल है।

Q. स्वागत शब्द की संरचना है:

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 6

'सु + आगत', स्वागत शब्द की संरचना है।
'स्वागत' शब्द में 'सु' उपसर्ग और 'आगत' मूल शब्द है।
उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते हैं, जो किसी शब्द अथवा अव्यय के आदि में जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता या परिवर्तन उत्पंन करते हैं; जैसे- अधिक के पहले 'अति' उपसर्ग लगने से अत्यधिक शब्द बन गया है।​

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 7

एक अंग्रेजी शिक्षक रोहित अपने छात्रों के बोलने के कौशल का मूल्यांकन करने की योजना बना रहा है। बोलने के कौशल के मूल्यांकन के लिए निम्नलिखित में से किस पर मुख्य फोकस होना चाहिए?

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 7

संचारी क्षमता का तात्पर्य शिक्षार्थी की सफलतापूर्वक संवाद करने के लिए भाषा का उपयोग करने की क्षमता से है। यह क्षमता मौखिक, लिखित या अशाब्दिक भी हो सकती है।

  • यह एक समावेशी शब्द है जो भाषा के ज्ञान के साथ-साथ संचार संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए वास्तविक जीवन की स्थितियों में भाषा का उपयोग करने के कौशल को दर्शाता है।
  • इसमें संदेशों को व्यक्त करने और व्याख्या करने और अर्थों पर बातचीत करने के लिए विभिन्न स्थितियों में व्याकरणिक संरचनाओं का उपयोग करने की क्षमता शामिल है।
  • शिक्षार्थियों की बोलने की क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए शिक्षक सूचना अंतराल और भूमिका निभाने वाली गतिविधियों का उपयोग कर सकते हैं। इसमें सटीकता, प्रवाह, जटिलता, उपयुक्तता और क्षमता शामिल है।

इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि बोलने के कौशल के मूल्यांकन के लिए संचार क्षमता मुख्य फोकस होना चाहिए।

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 8

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्न का उत्तर दीजिए।
चुनाव पूर्व सर्वेक्षण एवं एक्जिट पोल का लोकतन्त्र में क्या महत्त्व है? यह प्रश्न विचारणीय है। लोकतन्त्र रूपी वृक्ष जनता द्वारा रोपा और सींचा जाता है, इसके पल्लवन एवं पुष्पन में मीडिया की विशेष भूमिका होती है। भारत एक लोकतान्त्रिक राष्ट्र है।लोकतान्त्रिक राष्ट्र में नागरिकों को विशिष्ट अधिकार और स्वतन्त्रताएँ प्राप्त होती हैं। भारतीय संविधान ने भी अनुच्छेद 19 (i) के अन्तर्गत नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता प्रदान की है, लेकिन जनता के व्यापक हित पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली स्वतन्त्रता बाधित भी की जानी चाहिए।
भारत जैसे अल्पशिक्षित देश में इस प्रकार के सर्वेक्षण अनुचित हैं। देश की आम जनता पर मीडिया द्वारा किए जाने वाले चुनाव पूर्व सर्वेक्षण और चुनाव के तुरन्त पश्चात् किए जाने वाले एक्जिट पोल का भ्रामक प्रभाव पड़ता है। वह विजयी होती पार्टी की ओर झुक जाती है। आज भी सामान्य लोगों के बीच ये आम धारणा है कि हम अपना वोट खराब नहीं करेंगे, जीतने वाले प्रत्याशी को ही वोट देंगे।
वर्तमान में बाजारवाद अपने उत्कर्ष पर है और मीडिया इसके दुष्प्रभाव से अनछुआ नहीं है। यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि आज मीडिया भी अधिकाधिक संख्या में प्रसार और धन पाने को बुभुक्षित है। मीडिया सत्ताधारी और मजबूत राजनीतिक दलों के प्रभाव में भी रहता है। ये दल धन के बल पर लोक रुझान को अपने पक्ष में दिखाने में सफल हो जाते हैं और सम्पूर्ण चुनाव प्रक्रिया को ही धता बता देते हैं। इस प्रकार सत्ता एवं धन इन सर्वेक्षणों को प्रभावित करते हैं। इन्हें दूध का धुला नहीं कहा जा सकता। भारत जैसे लोकतान्त्रिक राष्ट्र में जहाँ जनता निर्वाचन प्रक्रिया के माध्यम से अपना मत अभिव्यक्त करती है, वहाँ इन सर्वेक्षणों के औचित्य-अनौचित्य पर विचार किया जाना चाहिए।
न्यायालय को यदि संविधान के अनुसार चलने की बाध्यता है, तो संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्राप्त है। वह अपने अधिकारों का प्रयोग करके कोई सार्थक प्रयास कर सकती है।

Q. ‘सर्वेक्षण’ शब्द का संधि-विच्छेद कीजिए।

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 8

उपर्युक्त विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 1 ‘सर्व + ईक्षण’ होगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
स्पष्टीकरण:
‘सर्वेक्षण’ शब्द का संधि विच्छेद ‘सर्व + ईक्षण’ (अ+ई=ए) होगा। यह गुण स्वर संधि का उदाहरण है। विकल्प 1 इसका सही उत्तर है।

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 9

निर्देश: गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्न में सबसे उचित विकल्प को चुनिए।
प्राचीन भारत में शिक्षा, ज्ञान प्राप्ति का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता था। व्यक्ति के जीवन को सन्तुलित और श्रेष्ठ बनाने तथा एक नई दिशा प्रदान करने में शिक्षा का महत्त्वपूर्ण योगदान था। सामाजिक बुराइयों को उसकी जड़ों से निर्मूल करने और त्रुटिपूर्ण जीवन में सुधार करने के लिए शिक्षा की नितान्त आवश्यकता थी। यह एक ऐसी व्यवस्था थी, जिसके द्वारा सम्पूर्ण जीवन ही परिवर्तित किया जा सकता था। व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व का विकास करने, वास्तविक ज्ञान को प्राप्त करने और अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए शिक्षा पर निर्भर होना पड़ता था। आधुनिक युग की भाँति प्राचीन भारत में भी मनुष्य के चरित्र का उत्थान शिक्षा से ही सम्भव था। सामाजिक उत्तरदायित्वों को निष्ठापूर्वक वहन करना प्रत्येक मानव का परम उद्देश्य माना जाता है। इसके लिए भी शिक्षित होना नितान्त अनिवार्य है। जीवन की वास्तविकता को समझने में शिक्षा का उल्लेखनीय योगदान रहता है। भारतीय मनीषियों ने इस ओर अपना ध्यान केन्द्रित करके शिक्षा को समाज की आधारशिला के रूप में स्वीकार किया। विद्या का स्थान किसी भी वस्तु से बहुत ऊँचा बताया गया। प्रखर बुद्धि एवं सही विवेक के लिए शिक्षा की उपयोगिता को स्वीकार किया गया। यह माना गया कि शिक्षा ही मनुष्य की व्यावहारिक कर्तव्यों का पाठ पढ़ाने और सफल नागरिक बनाने में सक्षम है। इसके माध्यम से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अर्थात् सर्वांगीण विकास सम्भव है।
शिक्षा ने ही प्राचीन संस्कृति को संरक्षण दिया और इसके प्रसार में मदद की। विद्या का आरम्भ ‘उपनयन संस्कार’ द्वारा होता था। उपनयन संस्कार के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए मनुस्मृति में उल्लेख मिलता है कि गर्भाधान संस्कार द्वारा तो व्यक्ति का शरीर उत्पन्न होता है पर उपनयन संस्कार द्वारा उसका आध्यात्मिक जन्म होता है। प्राचीन काल में बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आचार्य के पास भेजा जाता था। शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, जो ब्रह्मचर्य ग्रहण करता है। वह लम्बी अवधि की यज्ञावधि ग्रहण करता है। छान्दोग्योपनिषद् में उल्लेख मिलता है कि आरुणि ने अपने पुत्र श्वेतकेतु को ब्रह्मचारी रूप से वेदाध्ययन के लिए गुरु के पास जाने को प्रेरित किया था। आचार्य के पास रहते हुए ब्रह्मचारी को तप और साधना का जीवन बिताते हुए विद्याध्ययन में तल्लीन रहना पड़ता था। इस अवस्था में बालक जो ज्ञानार्जन करता था उसका लाभ उसको जीवन भर  मिलता था। गुरु गृह में निवास करते हुए विद्यार्थी समाज के निकट सम्पर्क में आता था। गुरु के लिए समिधा, जल का लाना तथा गृह-कार्य करना उसका कर्त्तव्य माना जाता था। गृहस्थ धर्म की शिक्षा के साथ-साथ वह श्रम और सेवा का पाठ पढ़ता था। शिक्षा केवल सैद्धान्तिक और पुस्तकीय न होकर जीवन की वास्तविकताओं के निकट होती थी।

Q. प्राचीन भारत में शिक्षा ________ होती थी।

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 9

प्राचीन भारत में शिक्षा जीवन की वास्तविकताओं से परिपूर्ण होती थी। दिए गए गद्यांश के अनुसार, आधुनिक युग की भाँति प्राचीन भारत में भी मनुष्य के चरित्र का उत्थान शिक्षा से ही सम्भव था। सामाजिक उत्तरदायित्वों को निष्ठापूर्वक वहन करना प्रत्येक मानव का परम उद्देश्य माना जाता है। इसके लिए भी शिक्षित होना अनिवार्य है। जीवन की वास्तविकता को समझने में शिक्षा का उल्लेखनीय योगदान रहता है। भारतीय मनीषियों ने इस ओर अपना ध्यान केन्द्रित करके शिक्षा को समाज की आधारशिला के रूप में स्वीकार किया।

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 10

दिशानिर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक अध्ययन करे और इस पर आधारित प्रश्नो के उत्तर दे:
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 10वीं कक्षा के अच्छे परिणाम से जहां खुशी का संचार हुआ है, वहीं इससे अन्य छात्रों को बेहतर पढ़ाई की प्रेरणा भी मिली है। कुल 91.46 प्रतिशत छात्र परीक्षा में सफल हुए हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 0.36 प्रतिशत बेहतर नतीजे रहे हैं। अब यह आश्चर्य की बात नहीं कि लड़कियों ने 93.31 के पास प्रतिशत के साथ लड़कों को पछाड़ दिया है। लड़कों के पास होने का प्रतिशत 90.14 रहा है। खास बात यह रही कि इस वर्ष 2.23 प्रतिशत या 41,804 छात्रों ने 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। यह बहुत सकारात्मक बात है कि 18 लाख विद्यार्थियों के बीच 1.84 लाख से अधिक ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए हैं। मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि 10 में से एक विद्यार्थी को 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल होने लगे हैं, यह कहीं न कहीं बेहतर होती शिक्षा की ओर एक इशारा है।
एक अच्छी बात यह रही है कि सीबीएसई ने कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए इस वर्ष 12वीं और 10वीं, दोनों कक्षाओं के टॉपरों का एलान नहीं किया है। शिक्षाविद भी मानते हैं कि टॉपरों के एलान से लाभ कम और नुकसान ज्यादा होते हैं। आज छात्रों के बीच चिंता का माहौल है, वे घरों में रहने को विवश हैं, उनमें अकेलापन, अवसाद और अन्य तरह की समस्याएं बढ़ी हैं। अत: आज शिक्षा बोर्ड को ऐसी कोई पहल नहीं करनी चाहिए कि छात्रों की बड़ी जमात में किसी तरह का असंतोष, दुख या अपमान पैदा हो। कोरोना के इस दौर में हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि 10वीं की परीक्षा ढंग से नहीं हो पाई है। अनेक विषयों की परीक्षा कोरोना के कारण स्थगित करनी पड़ी है। परीक्षा फिर से लेने के प्रयास भी सफल नहीं रहे हैं। ऐसे में, विद्यार्थी जिन विषयों की परीक्षा नहीं दे पाए हैं, उनमें उन्हें आनुपातिक रूप से ही अंक दिए गए हैं। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि परिणाम संपूर्ण नहीं है। यदि कोई छात्र परीक्षा रद्द होने से पहले तीन से अधिक विषयों की परीक्षा दे चुका था, तो उसे तीन उच्चतम प्राप्त अंकों के हिसाब से बाकी विषयों में अंक दिए गए हैं। इस व्यवस्था में उन छात्रों के साथ अच्छा नहीं हुआ है, जो तीन से कम विषयों की परीक्षा दे पाए थे। ऐसे विद्यार्थियों के परिणाम की गणना में आंतरिक, व्यावहारिक और परियोजना मूल्यांकन के अंकों पर भी गौर किया गया है।
बेशक, परीक्षा परिणाम सामने हैं, लेकिन कामचलाऊ ही हैं। उम्मीद करनी चाहिए कि कोरोना काबू में आएगा और दोबारा इस तरीके से मूल्यांकन की जरूरत नहीं रह जाएगी। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए भी सामान्य शिक्षा, परीक्षा और परिणाम की बहाली बहुत जरूरी है। फिर भी एनसीईआरटी और सीबीएसई जैसी संस्थाओं को ऑनलाइन परीक्षा के पुख्ता तरीकों पर भी काम करना होगा। आने वाले दिनों में जो परीक्षाएं होंगी, उनका ढांचा कैसा हो? कैसे विद्यार्थियों का सही मूल्यांकन हो सके? इसके पैमाने चाक-चौबंद करने होंगे। आगे शिक्षा की चुनौतियां बहुत बढ़ रही हैं। शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए विशेष प्रयास करने ही होंगे। दसवीं और बारहवीं की अगली परीक्षाओं में अब छह-सात महीने ही बचे हैं। सुनिश्चित करना होगा कि आगामी परीक्षाओं में सफल विद्यार्थियों की संख्या में कोई कमी न आने पाए।

Q. इस वर्ष केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए परिणाम में क्या बदलाव किया?

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 10

एक अच्छी बात यह रही है कि सीबीएसई ने कोरोना वायरस के कारण गद्यांश के इस भाग के अध्ययन से ज्ञात होता है कि इस वर्ष केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कोरोना को ध्यान में रखते हुए परीक्षाओं के टॉपर का नाम घोषित नहीं किया।

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 11

हिंदी भाषा शिक्षण का ग्रह्यात्मक उद्देश्य है-

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 11

हिंदी शिक्षण के सामान्य उद्देश्य श्रवण, वाक, पठन एवं लेखन कौशलों का विकास है। इन उद्देश्यों को हम तीन वर्गों में वर्गीकृत कर सकते हैं-
ये तीन वर्ग निम्नलिखित है:

  • ग्रह्यात्मक उद्देश्य - बालक का भाषा विशेष के प्रति सम्यक समझ का विकास करना ग्रह्यात्मक उद्देश्य कहलाता है। इसके अन्तर्गत श्रवण तथा पठन कौशल का विकास आता है।
  • अभिव्यंजनात्मक उद्देश्य - भाषा को अपने शब्दों में व्यक्त करने की क्षमता के विकास को भाषा का अभिव्यंजनात्मक उद्देश्य कहते हैं। इसके अन्तर्गत वाचन तथा लेखन कौशल का विकास आता है।
  • सृजनात्मक उद्देश्य - हिंदी में रचनात्मक कार्य करने की दक्षता का विकास करना हिंदी शिक्षण का सृजनात्मक उद्देश्य माना जाता है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के अन्तर्गत हिंदी साहित्य की विभिन्‍न विधाओं, यथा -कहानी, कविता, निबंध, पत्र, उपन्यास, डायरी, रिपोर्ट आदि के लेखन के लिए प्रोत्साहित करना आता है।

अतः निष्कर्ष निकलता है कि भाषा के प्रति सम्यक समझ का विकास करना हिंदी भाषा शिक्षण का ग्रह्यात्मक उद्देश्य है।

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 12

एक अध्यापक ने कक्षा सात के विद्यार्थियों को कहा कि वे समूह बनाकर ऐसे विषय/थीम का चयन करें जिसके अंतर्गत अपने शहर और आस-पास के स्थानों मे जुड़े आँकड़े एकत्र करें, अपने मित्रों के साथ उन पर चर्चा करें और रिपोर्ट तैयार करें। इस कार्य को क्या कहा जाएगा?

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 12
  • परियोजना कार्य की एक श्रृंखला को संदर्भित करता है जिसे किसी विशेष लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छात्रों के एक समूह द्वारा करने की आवश्यकता होती है। परियोजनाएं उद्देश्य-उन्मुख हैं और विद्यार्थियों को एक समृद्ध अनुभव प्रदान करती हैं।
  • भाषा सीखने में, परियोजना कार्य में पढ़ना, डेटा/सूचना का संग्रह, उसका विश्लेषण करना और समूहों में रिपोर्ट लिखना शामिल है। यह व्यावहारिक ज्ञान के अनुप्रयोग को प्रोत्साहित करता है और शिक्षार्थियों के विकास को सुनिश्चित करता है।
  • यह एक ऐसा तरीका है जहां छात्र "वास्तविक जीवन" की समस्याओं का विश्लेषण और विकास करने के लिए समूहों में काम करते हैं या एक समय सीमा के भीतर वर्तमान विषय से निपटते हैं। यह एक विशिष्ट परियोजना को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए साथियों के समूह के सहयोग और आपसी सहयोग से सक्रिय सीखने पर जोर देता है।
  • उपरोक्त बिंदुओं से, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि भाषा सीखने के कार्य के रूप में परियोजना कार्य में पढ़ना, डेटा/सूचना का संग्रह, उसका विश्लेषण करना और समूहों में रिपोर्ट लिखना शामिल है।

अतः निष्कर्ष निकलता है कि एक अध्यापक ने कक्षा सात के विद्यार्थियों को कहा कि वे समूह बनाकर ऐसे विषय/थीम का चयन करें जिसके अंतर्गत अपने शहर और आस-पास के स्थानों मे जुड़े आँकड़े एकत्र करें, अपने मित्रों के साथ उन पर चर्चा करें और रिपोर्ट तैयार करें। इस कार्य को परियोजना कार्य कहा जाएगा।

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 13

वाइगोत्स्की के अनुसार भाषा सीखने, शब्दों को अर्थ देने में ______ की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 13

वाइगोत्स्की के अनुसार भाषा सीखने, शब्दों को अर्थ देने में सामाजिक अंत:क्रिया की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। रूसी मनोवैज्ञानिक 'वाइगोत्स्की' ने अपने 'सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत' में भाषा विकास के सामाजिक-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य को प्रस्तुत किया था। इन्होंने भाषा विकास के सन्दर्भ में "सामाजिक अतःक्रिया" पर बल दिया है।

  • वाइगोत्स्की के अनुसार ज्ञान का परिवर्तनशील भंडार दूसरों के साथ मिलकर तैयार किया जाता है अर्थात् भाषा सीखने मे सामाजिक अन्तःक्रिया का महत्वपूर्ण स्थान है। वाइगोत्स्की द्वारा दिये गये सिद्धान्त को संज्ञानात्मक विकास या सांस्कृतिक-एतिहासिक मनोविज्ञान कहा जाता है।

अतः निष्कर्ष निकलता है कि वाइगोत्स्की के अनुसार भाषा सीखने, शब्दों को अर्थ देने में सामाजिक अंतःक्रिया का भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 14

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और विकल्पों में से उपयुक्त उत्तर चुनिए।
जाति-प्रथा को यदि श्रम-विभाजन मान लिया जाए तो यह स्वाभाविक विभाजन नहीं है क्योंकि यह मनुष्य की रुचि पर आधारित है। कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक है कि हम व्यक्ति की क्षमता इस सीमा तक विकसित करें, जिससे वह अपने पेशे या कार्य का चुनाव स्वयं कर सके। इस सिद्धांत के विपरीत जाति-प्रथा का दूषित सिद्धांत यह है कि इससे मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा उसकी निजी क्षमता का विचार किए बिना, दूसरे ही दृष्टिकोण जैसे माता-पिता के सामाजिक स्तर के अनुसार पहले से ही अर्थात गर्भधारण के समय से ही मनुष्य का पेशा निर्धारित कर दिया जाता है।
जाति-प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्वनिर्धारण ही नहीं करती, बल्कि मनुष्य को जीवन-भर के लिए एक पेशे में बाँध भी देती है, भले ही पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखों मर जाए। आधुनिक युग में यह स्थिति प्रायः आती है क्योंकि उद्योग धंधे की प्रक्रिया व तकनीक में निरंतर विकास और कभी-कभी अकस्मात परिवर्तन हो जाता है, जिसके कारण मनुष्य को अपना पेशा बदलने की आवश्यकता पड़ सकती है और यदि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनुष्य को अपना पेशा बदलने की स्वतंत्रता न हो तो इसके लिए भूखे मरने के अलावा क्या चारा रह जाता है? हिंदू धर्म की जाति प्रथा किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती है, जो उसका पैतृक पेशा न हो, भले ही वह उसमें पारंगत है। इस प्रकार पेशा-परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति-प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है।

Q. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।

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प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक जाति प्रथा – एक सामाजिक बुराई है उचित शीर्षक है। अतः सही विकल्प जाति प्रथा – एक सामाजिक बुराई है, अन्य विकल्प असंगत हैं।

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 15

निर्देश : नीचे दिए गए पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सबसे सटीक विकल्प का चयन कीजिए-
पालने के सिरहाने गायी जाने वाली लोरियों से लेकर
रेडियो से आने वाले समाचारों तक
हर जगह छिपे हुए असत्य पर विजय पाना
चाहे वह असत्य हृदय में हो या किताबों में
या शोर-गुल भरी सड़कों पर 
कितना कल्पनातीत आनंद है ज्ञान में
यह जान लेने में
कि समय के कदम अनिवार्य रूप से किधर बढ़ते रहेंगे
और अब भविष्य में क्या आनेवाला है।

Q. 'कल्पनातीत' से तात्पर्य है -

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अन्य अर्थ: जिसकी कल्पना न की जा सके।
कल्पना- उद्भावना, परिकल्पना, मनगढ़ंत, मनोरचना, सूझ
​विलोम शब्द- यथार्थ
कल्पना का विशेषण काल्पनिक
काल्पनिक- 'कल्पना' मूल शब्द + 'इक' प्रत्यय

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 16

Directions: Select the most appropriate option.
Standardised assessment means ____ assessment.

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Standardised assessment means summative assessment. Summative assessment (or summative evaluation) refers to the assessment of participants where the focus is on the outcome of a programme. This contrasts with formative assessment, which summarises the participants' development at a particular time.

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 17

'Teachers should consider a child's prospective learning power before trying to expand the child's grasp of language. 'These are the views of

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Piaget was born in Switzerland. He was a student of biology and also had a keen interest in psychology and philosophy. His interest in the study of cognition evolved while working in a laboratory.

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 18

Students can improve their comprehension of written material if they use a strategy called SQ4R, which is

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Students can improve their comprehension of written material if they use a strategy called SQ4R, which is survey, query, read, review, recite, and revision.

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 19

Which of the following is/are advantages of using multilingualism as a resource in classroom?
(i) Exposure to multiple languages at the same time.
(ii) Greater linguistic and cognitive flexibility
(iii) Restricted employment opportunities
(iv) Conflicts in classroom because of different culture

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Multilingualism refers to speaking more than one language competently. The term multilingualism is derived from two Latin words namely “multi” which means many and “lingua” which means language. Thus multilingualism is referred to as the ability of a speaker to express himself or herself in several languages with equal and native-like proficiency.

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 20

The two-word stage of language acquisition which is also known as telegraphic speech includes words like:
I. mim-mim-mai-yaaaaa, ba-ba-ga-ga 
II. mummii khaanaa, ghuumii jaana

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Children seem to pass through a series of more or less fixed ‘stages’, as they acquire language. The age at which different children reach each stage can vary considerably, however, the order of ‘stages’ remains the same.

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 21

Assertion (A): Surat in Gujarat was the emporium of western trade during the Mughal period.
Reasoning (R): In the seventeenth century, only the Portuguese had their factories and warehouses at Surat.
Choose the correct option.

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 21
  • Surat in Gujarat was the emporium of western trade during the Mughal period along with Cambay (present-day Khambat) and somewhat later, Ahmedabad.
  • Surat was the gateway for trade with West Asia via the Gulf of Ormuz.
  • Surat has also been called the gate to Mecca because many pilgrim ships set sail from here.
  • The city was cosmopolitan and people of all castes and creeds lived there.
  • In the seventeenth century the Portuguese, Dutch and English had their factories and warehouses at Surat.
  • According to the English chronicler Ovington who wrote an account of the port in 1689, on average a hundred ships of different countries could be found anchored at the port at any given time. 

Therefore, we can conclude that the statement  (A) is true but (R) is false.

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 22

In which year was 'Consumer Protection Act' introduced to India?

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 22

Consumer Protection Act, 1986 is an Act of the Parliament of India enacted in 1986 to protect the interests of consumers in India. It makes provision for the establishment of consumer councils and other authorities for the settlement of consumers' disputes and for matters connected therewith.

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 23

In Gagne's hierarchy of learning pyramid, the topmost position is occupied by

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In Gagne's hierarchy of learning pyramid, the topmost position is occupied by problem solving.

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 24

Veda Samaj was established in ______. 

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 24
  • Veda Samaj was established by Keshab Chandra Sen and K. Sridharalu Naidu.
  • Established in Madras (Chennai) in 1864. 
  • The Veda Samaj was inspired by the Brahmo Samaj.
  • An important ideology of the members of Veda Samaj was regarding marriage and the funeral rituals as matters of routine, destitute of all religious significance.
CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 25

Consider the following statements:
Statement - I: The Sisodiya Rajputs of Mewar refused to accept Mughal authority for a long time.
Statement - II: Many Rajput rulers married their daughters into Mughal families and received high positions.

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 25
  • The Mughal rulers campaigned constantly against rulers who refused to accept their authority.
  • But as the Mughals became powerful many other rulers also joined them voluntarily.
  • The Rajputs are a good example of this.
  • Many of them married their daughters into Mughal families and received high positions. Hence, statement II is true.
  • But many resisted as well.​
  • The Sisodiya Rajputs of Mewar refused to accept Mughal authority for a long time. So, statement I is true.
  • Once defeated, however, they were honourably treated by the Mughals, given their lands (watan) back as assignments (watan jagir).
  • The careful balance between defeating and not humiliating their opponents enabled the Mughals to extend their influence over many kings and chieftains.

Hence we conclude that the correct option is Both I and II are true but Il is not a cause for I.

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 26

When the posts of both the President and the Vice President are vacant who among the following officiates as President?

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 26
  • The Chief Justice of India officially the Chief Justice of the Supreme Court of India, is the chief judge of the Supreme Court of India as well as the highest-ranking officer of the Indian federal judiciary. 
  • The Constitution of India grants power to the president of India to appoint, in consultation with the outgoing chief justice, the next chief justice, who will serve until they reach the age of sixty-five or are removed by impeachment. 
CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 27

In a Social Sciences class, which one of the following is a suitable method for underlining the phenomenon that common areas and open spaces in rural are disappearing fast?

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In a Social Sciences class, a survey project is a suitable method for underlining the phenomenon that common areas and open spaces in rural are disappearing fast.

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 28

The objectives of teaching the social sciences at the upper primary stage are:
A. To develop an understanding about the earth.
B. To initiate the learner into a study of her/ his own region, state, and country in the global context.
C. Planning a handbook with examples of activities.

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 28

At the upper primary stage, the subject area of Social Science drawing its content from history, geography, political science, and economics will be introduced. 

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 29

The tomb of a Sufi saint is known as

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 29

A 'Dargah' is a shrine built over the grave of a revered religious figure, often a Sufi saint or dervish.

CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 30

Which of the following statements is true with regard to effective reflective practice in Social Science teaching?

Detailed Solution for CG TET Paper 2 Mock Test - 8 (Social Science) - Question 30

'The teacher must create an atmosphere of trust and flexibility to every learning situation' - it is true with regard to effective reflective practice in Social Science teaching.

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