निर्देश - निम्न में से व्याकरण के आधार पर शुद्ध वाक्य का चयन कीजिए:
‘राधा नाचकर गाना गाई’| इस वाक्य में पूर्वकालिक क्रिया कौन है?
निम्नलिखित में से कौन सा लेखक और कवि सुब्रमण्यम भारती पुरस्कार के प्रथम प्राप्तकर्ताओं में से एक था?
निर्देश: प्रश्न के आगे दिए गए विकल्पों में से उचित विकल्प का चयन कीजिए।
जो करने योग्य न हो:
निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिएI
आग के इस लोकानुग्रही रूप का विग्रह अलाव भी है, जो न केवल शीत दूर करने का माध्यम है बल्कि लोक की सामूहिक चेतना का प्रतीक भी है I अलाव से ही जुड़े हैं नेह-छोह के अदृश्य बंधन जिनके पाश में बँधा हुआ था समूचा गाँव। जैसे-जैसे बदलाव ने पाँव पसारे हैं, अलाव अब प्राय: स्मृति की चीज बनता जा रहा है। गाँव जो अलाव के पास बैठकर अपने-अपने दुख-सुख बाँटता था वह अब शहराता जा रहा है I समय के साथ-साथ हमारे प्रेम और अपनत्व के दायरे सिमटते जा रहे हैं I शहरों से आयातित शहरीपन गाँव की नस-नस में समाता जा रहा है। दुमुँहापन आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बनता जा रहा है। ऐसे में चौपाल पर अलाव के इर्द-गिर्द बैठकर इकहरे मन से बातें भला किसे रुचे I
Q. गद्यांश के अनुसार कौन-सा व्यवहार 'शहरीपन' की ओर संकेत करता है?
निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिएI
आग के इस लोकानुग्रही रूप का विग्रह अलाव भी है, जो न केवल शीत दूर करने का माध्यम है बल्कि लोक की सामूहिक चेतना का प्रतीक भी है I अलाव से ही जुड़े हैं नेह-छोह के अदृश्य बंधन जिनके पाश में बँधा हुआ था समूचा गाँव। जैसे-जैसे बदलाव ने पाँव पसारे हैं, अलाव अब प्राय: स्मृति की चीज बनता जा रहा है। गाँव जो अलाव के पास बैठकर अपने-अपने दुख-सुख बाँटता था वह अब शहराता जा रहा है I समय के साथ-साथ हमारे प्रेम और अपनत्व के दायरे सिमटते जा रहे हैं I शहरों से आयातित शहरीपन गाँव की नस-नस में समाता जा रहा है। दुमुँहापन आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बनता जा रहा है। ऐसे में चौपाल पर अलाव के इर्द-गिर्द बैठकर इकहरे मन से बातें भला किसे रुचे I
Q. अलाव को लोक की सामूहिक चेतना का प्रतीक क्यों कहा गया है?
दिए गए विकल्पों में से ‘अनुरक्त’ शब्द का विलोम क्या होगा?
दिए गए विकल्पों में से ‘आनंद’ शब्द का विलोम क्या होगा?
निर्देश: दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
असल और बनावटी में अंतर धुँधलाने के कारण सेवाएँ या कुछ भी देने के लिए सुपात्र का चयन आजकल चुनौतीपूर्ण है। इसके लिए विशेष सूझ-बूझ और विवेकशीलता आवश्यक हैं। उपलब्ध या सफलता स्वयं में लक्ष्य नहीं हो सकती बल्कि व्यक्ति के सतत् निवेशों का स्वाभाविक प्रतिफल होती है। मन और निष्ठा से निष्पादित कार्य में व्यक्ति के समूचे कौशल प्रयुक्त होते हैं और उसमें समाज को देने का भाव प्रधान रहता है। लेन-देन में निष्ठा का नियम आशीर्वाद के आदान-प्रदान में भी लागू होता है। अनेक व्यक्ति उन बुजुर्गों से आशीर्वाद पाना अपना अधिकार समझते है जिनकी सुध लेना तो दूर, जिन्हे हेय मानते हुए उनसे सदा दूरी बनाए रखी हो। आशीर्वाद तो बड़ी बात हुई, एक तुच्छ-सी चीज़ आपको यूँ ही कोई क्यों देगा। आशीर्वाद बर्गर या सिमकार्ड सी भौतिक बाज़ार में सहज उपलब्ध होने वाली वस्तु नहीं है। उसे दिल से सम्मान देना होगा। देने वाला आप की मंशाओं और फ़ितरत को समझता है। आप भले ही कुछ न दे, यह भी आवश्यक नहीं कि उसके सानिध्य में रहें। पर उसके विचारों, भावनाओं को श्रेष्ठ समझते हुए वैसा करने का यत्न करेंगे तो वह हृदय से आप पर आशीर्वाद बरसाएगा और आप धन्य हो जाएँगे।
Q. मन और पूर्ण निष्ठा से किये गए कार्य में कौनसा भाव प्रमुख होता है?
1. परमार्थ का
2. स्वार्थ का
3. भक्ति का
4. स्वहित का
निर्देश: दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
असल और बनावटी में अंतर धुँधलाने के कारण सेवाएँ या कुछ भी देने के लिए सुपात्र का चयन आजकल चुनौतीपूर्ण है। इसके लिए विशेष सूझ-बूझ और विवेकशीलता आवश्यक हैं। उपलब्ध या सफलता स्वयं में लक्ष्य नहीं हो सकती बल्कि व्यक्ति के सतत् निवेशों का स्वाभाविक प्रतिफल होती है। मन और निष्ठा से निष्पादित कार्य में व्यक्ति के समूचे कौशल प्रयुक्त होते हैं और उसमें समाज को देने का भाव प्रधान रहता है। लेन-देन में निष्ठा का नियम आशीर्वाद के आदान-प्रदान में भी लागू होता है। अनेक व्यक्ति उन बुजुर्गों से आशीर्वाद पाना अपना अधिकार समझते है जिनकी सुध लेना तो दूर, जिन्हे हेय मानते हुए उनसे सदा दूरी बनाए रखी हो। आशीर्वाद तो बड़ी बात हुई, एक तुच्छ-सी चीज़ आपको यूँ ही कोई क्यों देगा। आशीर्वाद बर्गर या सिमकार्ड सी भौतिक बाज़ार में सहज उपलब्ध होने वाली वस्तु नहीं है। उसे दिल से सम्मान देना होगा। देने वाला आप की मंशाओं और फ़ितरत को समझता है। आप भले ही कुछ न दे, यह भी आवश्यक नहीं कि उसके सानिध्य में रहें। पर उसके विचारों, भावनाओं को श्रेष्ठ समझते हुए वैसा करने का यत्न करेंगे तो वह हृदय से आप पर आशीर्वाद बरसाएगा और आप धन्य हो जाएँगे।
Q. सेवाओं या कुछ देने के लिए किसका चयन करना कठिन है।
1. सुपात्र
2. कुपात्र
3. दानी
4. भिक्षुक
निर्देश: निम्नलिखित काव्य पंक्ति में कौन सा अलंकार है:
'खिली हुई दवा आई फिरकी सी आई, चल गई'
'बहुत धन लाभ होना' अर्थ का निम्न में से मुहावरा बताइये