‘यथाशक्ति’ शब्द का समास विग्रह क्या होगा?
‘कृत्रिम’ के लिए उचित विलोम शब्द लिखिए I
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मोहन प्रकाश जी ______ हिन्दी पढ़ाते है। इस वाक्य में रिक्त स्थान की पूर्ति अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम से करो I
'वह हमेशा गलत सलाह देता रहता है' वाक्य के रेखांकित अंश के लिए उपयुक्त मुहावरा कौन सा है ?
निम्नलिखित में से शुद्ध वर्तनी का चयन कीजिए I
निर्देश: गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
पिछले रविवार को में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला देखने गया। यह प्रदर्शनी प्रगति मैदान में लगाई गई थी। इसे लघु उद्योग विभाग ने आयोजित किया थाl यहाँ पर लोगों की बहुत भीड़ थी। उन लोगों ने अच्छे परिधान धारण किये हुए थे। ये एक बड़े मेले जैसा दिखाई देता है। अधिकांश राज्यों ने अपने-अपने पवैलियन स्थापित किये थे। यहाँ पर हस्तशिल्प, होजरी और बने - बनाये वस्त्र, खेलों का सामान और प्लास्टिक के खिलोने थे। खाने की वस्तुओं के स्टालों पर बहुत अधिक भीड़ थी। बच्चों के लिए अप्पू घर विशेष आकर्षण का केंद्र था। मैंने यहाँ पर प्रसन्नतापूर्वक समय व्यतीत किया। यह प्रदर्शिनी दर्शाती थी कि ग्रामों के उत्थान से ही भारत एक विकसित देश बन सकता है।
Q. गद्यांश में मेलें का अर्थ क्या है ?
निर्देश: गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
पिछले रविवार को में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला देखने गया। यह प्रदर्शनी प्रगति मैदान में लगाई गई थी। इसे लघु उद्योग विभाग ने आयोजित किया थाl यहाँ पर लोगों की बहुत भीड़ थी। उन लोगों ने अच्छे परिधान धारण किये हुए थे। ये एक बड़े मेले जैसा दिखाई देता है। अधिकांश राज्यों ने अपने-अपने पवैलियन स्थापित किये थे। यहाँ पर हस्तशिल्प, होजरी और बने - बनाये वस्त्र, खेलों का सामान और प्लास्टिक के खिलोने थे। खाने की वस्तुओं के स्टालों पर बहुत अधिक भीड़ थी। बच्चों के लिए अप्पू घर विशेष आकर्षण का केंद्र था। मैंने यहाँ पर प्रसन्नतापूर्वक समय व्यतीत किया। यह प्रदर्शिनी दर्शाती थी कि ग्रामों के उत्थान से ही भारत एक विकसित देश बन सकता है।
Q. उत्थान का आशय क्या है?
निर्देश: दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों का सही उत्तर दीजिए -
साहित्य की शाश्वतता का प्रश्न एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। क्या साहित्य शाश्वत होता है? यदि हाँ, तो किस मायने में? क्या कोई साहित्य अपने रचनाकाल के सौ वर्ष बीत जाने पर भी उतना ही प्रासंगिक रहता है, जितना वह अपनी रचना के समय था? अपने समय या युग का निर्माता साहित्यकार क्या सौ वर्ष बाद की परिस्थितियों का भी युग-निर्माता हो सकता है। समय बदलता रहता है, परिस्थितियाँ और भावबोध बदलते हैं, साहित्य बदलता है और इसी के समानांतर पाठक की मानसिकता और अभिरुचि भी बदलती है।
अत: कोई भी कविता अपने सामयिक परिवेश के बदल जाने पर ठीक वही उत्तेजना पैदा नहीं कर सकती, जो उसने अपने रचनाकाल के दौरान की होगी। कहने का तात्पर्य यह है कि एक विशेष प्रकार के साहित्य के श्रेष्ठ अस्तित्व मात्र से वह साहित्य हर युग के लिए उतना ही विशेष आकर्षण रखे, यह आवश्यक नहीं है। यही कारण है कि वर्तमान युग में इंगला-पिंगला, सुषुम्ना, अनहद, नाद आदि पारिभाषिक शब्दावली मन में विशेष भावोत्तेजन नहीं करती।
साहित्य की श्रेष्ठता मात्र ही उसके नित्य आकर्षण का आधार नहीं है। उसकी श्रेष्ठता का युगयुगीन आधार हैं, वे जीवन-मूल्य तथा उनकी अत्यंत कलात्मक अभिव्यक्तियाँ जो मनुष्य की स्वतंत्रता तथा उच्चतर मानव-विकास के लिए पथ-प्रदर्शक का काम करती हैं। पुराने साहित्य का केवल वही श्री-सौंदर्य हमारे लिए ग्राह्य होगा, जो नवीन जीवन-मूल्यों के विकास में सक्रिय सहयोग दे अथवा स्थिति-रक्षा में सहायक हो। कुछ लोग साहित्य की सामाजिक प्रतिबद्धता को अस्वीकार करते हैं।
वे मानते हैं कि साहित्यकार निरपेक्ष होता है और उस पर कोई भी दबाव आरोपित नहीं होना चाहिए। किंतु वे भूल जाते हैं कि साहित्य के निर्माण की मूल प्रेरणा मानव-जीवन में ही विद्यमान रहती है। जीवन के लिए ही उसकी सृष्टि होती है। तुलसीदास जब स्वांत:सुखाय काव्य-रचना करते हैं, तब अभिप्राय यह नहीं रहता कि मानव-समाज के लिए इस रचना का कोई उपयोग नहीं है, बल्कि उनके अंत:करण में संपूर्ण संसार की सुख-भावना एवं हित-कामना सन्निहित रहती है। जो साहित्यकार अपने संपूर्ण व्यक्तित्व को व्यापक लोक-जीवन में सन्निविष्ट कर देता है, उसी के हाथों स्थायी एवं प्रेरणाप्रद साहित्य का सृजन हो सकता है।
Q. निम्नलिखित में से साहित्य की श्रेष्ठता का युगयुगिन आधार है?
निर्देश: दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों का सही उत्तर दीजिए -
साहित्य की शाश्वतता का प्रश्न एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। क्या साहित्य शाश्वत होता है? यदि हाँ, तो किस मायने में? क्या कोई साहित्य अपने रचनाकाल के सौ वर्ष बीत जाने पर भी उतना ही प्रासंगिक रहता है, जितना वह अपनी रचना के समय था? अपने समय या युग का निर्माता साहित्यकार क्या सौ वर्ष बाद की परिस्थितियों का भी युग-निर्माता हो सकता है। समय बदलता रहता है, परिस्थितियाँ और भावबोध बदलते हैं, साहित्य बदलता है और इसी के समानांतर पाठक की मानसिकता और अभिरुचि भी बदलती है।
अत: कोई भी कविता अपने सामयिक परिवेश के बदल जाने पर ठीक वही उत्तेजना पैदा नहीं कर सकती, जो उसने अपने रचनाकाल के दौरान की होगी। कहने का तात्पर्य यह है कि एक विशेष प्रकार के साहित्य के श्रेष्ठ अस्तित्व मात्र से वह साहित्य हर युग के लिए उतना ही विशेष आकर्षण रखे, यह आवश्यक नहीं है। यही कारण है कि वर्तमान युग में इंगला-पिंगला, सुषुम्ना, अनहद, नाद आदि पारिभाषिक शब्दावली मन में विशेष भावोत्तेजन नहीं करती।
साहित्य की श्रेष्ठता मात्र ही उसके नित्य आकर्षण का आधार नहीं है। उसकी श्रेष्ठता का युगयुगीन आधार हैं, वे जीवन-मूल्य तथा उनकी अत्यंत कलात्मक अभिव्यक्तियाँ जो मनुष्य की स्वतंत्रता तथा उच्चतर मानव-विकास के लिए पथ-प्रदर्शक का काम करती हैं। पुराने साहित्य का केवल वही श्री-सौंदर्य हमारे लिए ग्राह्य होगा, जो नवीन जीवन-मूल्यों के विकास में सक्रिय सहयोग दे अथवा स्थिति-रक्षा में सहायक हो। कुछ लोग साहित्य की सामाजिक प्रतिबद्धता को अस्वीकार करते हैं।
वे मानते हैं कि साहित्यकार निरपेक्ष होता है और उस पर कोई भी दबाव आरोपित नहीं होना चाहिए। किंतु वे भूल जाते हैं कि साहित्य के निर्माण की मूल प्रेरणा मानव-जीवन में ही विद्यमान रहती है। जीवन के लिए ही उसकी सृष्टि होती है। तुलसीदास जब स्वांत:सुखाय काव्य-रचना करते हैं, तब अभिप्राय यह नहीं रहता कि मानव-समाज के लिए इस रचना का कोई उपयोग नहीं है, बल्कि उनके अंत:करण में संपूर्ण संसार की सुख-भावना एवं हित-कामना सन्निहित रहती है। जो साहित्यकार अपने संपूर्ण व्यक्तित्व को व्यापक लोक-जीवन में सन्निविष्ट कर देता है, उसी के हाथों स्थायी एवं प्रेरणाप्रद साहित्य का सृजन हो सकता है।
Q. समय के साथ निम्नलिखित में से क्या बदलता है?
दिए गए विकल्पों में से ‘लिखाई’ शब्द में प्रत्यय है।
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस विकल्प का चयन करें जो सही संधि-विच्छेद वाला विकल्प है।
Q. 'निष्काम'
नैसर्गिक शब्द का विलोम शब्द ज्ञात कीजिए।
'मैने घर जाना था।' वाक्य में अशुद्ध अंश है-
‘नहाया-धोया’ शब्द में निम्न में से कौन-सा समास है?
‘निरोग’ का उपयुक्त संधि-विच्छेद क्या होगा?
‘से’ (सहायता से के अर्थ में) किस कारक की विभक्ति है?
निम्नलिखित विकल्पों में से ‘अश्व’ किसका पर्यायवाची शब्द है?
‘चोर की दाढ़ी में तिनका’ लोकोक्ति का अर्थ निम्नलिखित में से कौन सा विकल्प दर्शाता है?
‘चन्द्रमोली’ शब्द में निम्न में से कौन सा समास है ?
सही विकल्प को चुनकर निम्नलिखित वाक्य के रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए:
Q. उग्र का विलोम______है।
निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्न का उत्तर दीजिए।
शहर की सड़कों पर बिना किसी मानचित्र या जीपीएस की सहायता के निरुद्देश्य भटकने की तुलना एक काव्य संकलन के पन्ने पलटने के अनुभव से की जा सकती है। वैसे ही जैसे आप किसी सड़क या पृष्ठ पर एक मोड़ लेते हैं, जैसे संरचनाओं और आकृतियों के प्रति आकृष्ट होते हैं, जैसे कुछ दुकानों या कविताओं को दूसरों के लिए नजरअंदाज करते हैं। माइकल द सेर्ता अपनी 1984 की पुस्तक 'द प्रैक्टिस ऑफ एवरी डे लाइफ' के एक खंड 'वाकिंग इन द सिटी' में कहते हैं, 'घूमने में भी एक प्रकार की आलंकारिक वाकपटुता है, मुहावरों और साहित्यिक अलंकारों को घुमा देने की कला किसी मार्ग की रचना करने के समान है'। ‘फ्रैंक ओ हारा’ दिशाहीन घुमक्कड़ी के आनंददायक चित्रण के लिए सुविख्यात हैं भले ही वह साहित्यिक घुमक्कड़ी हो या पैरों पर चल कर की गई। उनकी 'मेडीटेशंस इन एन इमरजेंसी' इस बात का बहुत ठोस उत्तर प्रस्तुत करती है कि क्यों कुछ कवि गाँव देहात में घूमने के बजाय शहरी घुमक्कड़ी को तरजीह देते हैं और प्रकृति की बजाय संस्कृति के माध्यम से खोजबीन करना पसंद करते हैं। वे कहते हैं, "मैंने अपने आपको कभी देहाती जीवन की प्रशस्ति या किसी चरागाह में घटित अपने निर्दोष अतीत की पथभ्रष्ट करतूतों की स्मृतियों से अवरुद्ध नहीं किया। अपनी मनपसंद हरियाली का आनंद उठाने के लिए न्यूयार्क शहर को छोड़ कर जाने की आवश्यकता भी नहीं - क्योंकि मैं तो घास की उस तीखी धार की सुंदरता का आनंद भी तब तक नहीं उठा सकता जब तक कि मुझे पता न चल जाए कि उसके एन बगल में लोगों के गुजरने की एक पगडंडी, रिकॉर्ड स्टोर या ऐसा ही कोई और संकेत उपस्थित है जिससे लोगों में जीवन के प्रति रुचि और उत्साह का पता चलता है।
Q. 'द प्रैक्टिस ऑफ एवरी डे लाइफ' पुस्तक के लेखक कौन हैं?
निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्न का उत्तर दीजिए।
शहर की सड़कों पर बिना किसी मानचित्र या जीपीएस की सहायता के निरुद्देश्य भटकने की तुलना एक काव्य संकलन के पन्ने पलटने के अनुभव से की जा सकती है। वैसे ही जैसे आप किसी सड़क या पृष्ठ पर एक मोड़ लेते हैं, जैसे संरचनाओं और आकृतियों के प्रति आकृष्ट होते हैं, जैसे कुछ दुकानों या कविताओं को दूसरों के लिए नजरअंदाज करते हैं। माइकल द सेर्ता अपनी 1984 की पुस्तक 'द प्रैक्टिस ऑफ एवरी डे लाइफ' के एक खंड 'वाकिंग इन द सिटी' में कहते हैं, 'घूमने में भी एक प्रकार की आलंकारिक वाकपटुता है, मुहावरों और साहित्यिक अलंकारों को घुमा देने की कला किसी मार्ग की रचना करने के समान है'। ‘फ्रैंक ओ हारा’ दिशाहीन घुमक्कड़ी के आनंददायक चित्रण के लिए सुविख्यात हैं भले ही वह साहित्यिक घुमक्कड़ी हो या पैरों पर चल कर की गई। उनकी 'मेडीटेशंस इन एन इमरजेंसी' इस बात का बहुत ठोस उत्तर प्रस्तुत करती है कि क्यों कुछ कवि गाँव देहात में घूमने के बजाय शहरी घुमक्कड़ी को तरजीह देते हैं और प्रकृति की बजाय संस्कृति के माध्यम से खोजबीन करना पसंद करते हैं। वे कहते हैं, "मैंने अपने आपको कभी देहाती जीवन की प्रशस्ति या किसी चरागाह में घटित अपने निर्दोष अतीत की पथभ्रष्ट करतूतों की स्मृतियों से अवरुद्ध नहीं किया। अपनी मनपसंद हरियाली का आनंद उठाने के लिए न्यूयार्क शहर को छोड़ कर जाने की आवश्यकता भी नहीं - क्योंकि मैं तो घास की उस तीखी धार की सुंदरता का आनंद भी तब तक नहीं उठा सकता जब तक कि मुझे पता न चल जाए कि उसके एन बगल में लोगों के गुजरने की एक पगडंडी, रिकॉर्ड स्टोर या ऐसा ही कोई और संकेत उपस्थित है जिससे लोगों में जीवन के प्रति रुचि और उत्साह का पता चलता है।
Q. 'अवरुद्ध' का विलोम शब्द क्या होगा?
निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्न का उत्तर दीजिए।
शहर की सड़कों पर बिना किसी मानचित्र या जीपीएस की सहायता के निरुद्देश्य भटकने की तुलना एक काव्य संकलन के पन्ने पलटने के अनुभव से की जा सकती है। वैसे ही जैसे आप किसी सड़क या पृष्ठ पर एक मोड़ लेते हैं, जैसे संरचनाओं और आकृतियों के प्रति आकृष्ट होते हैं, जैसे कुछ दुकानों या कविताओं को दूसरों के लिए नजरअंदाज करते हैं। माइकल द सेर्ता अपनी 1984 की पुस्तक 'द प्रैक्टिस ऑफ एवरी डे लाइफ' के एक खंड 'वाकिंग इन द सिटी' में कहते हैं, 'घूमने में भी एक प्रकार की आलंकारिक वाकपटुता है, मुहावरों और साहित्यिक अलंकारों को घुमा देने की कला किसी मार्ग की रचना करने के समान है'। ‘फ्रैंक ओ हारा’ दिशाहीन घुमक्कड़ी के आनंददायक चित्रण के लिए सुविख्यात हैं भले ही वह साहित्यिक घुमक्कड़ी हो या पैरों पर चल कर की गई। उनकी 'मेडीटेशंस इन एन इमरजेंसी' इस बात का बहुत ठोस उत्तर प्रस्तुत करती है कि क्यों कुछ कवि गाँव देहात में घूमने के बजाय शहरी घुमक्कड़ी को तरजीह देते हैं और प्रकृति की बजाय संस्कृति के माध्यम से खोजबीन करना पसंद करते हैं। वे कहते हैं, "मैंने अपने आपको कभी देहाती जीवन की प्रशस्ति या किसी चरागाह में घटित अपने निर्दोष अतीत की पथभ्रष्ट करतूतों की स्मृतियों से अवरुद्ध नहीं किया। अपनी मनपसंद हरियाली का आनंद उठाने के लिए न्यूयार्क शहर को छोड़ कर जाने की आवश्यकता भी नहीं - क्योंकि मैं तो घास की उस तीखी धार की सुंदरता का आनंद भी तब तक नहीं उठा सकता जब तक कि मुझे पता न चल जाए कि उसके एन बगल में लोगों के गुजरने की एक पगडंडी, रिकॉर्ड स्टोर या ऐसा ही कोई और संकेत उपस्थित है जिससे लोगों में जीवन के प्रति रुचि और उत्साह का पता चलता है।
Q. 'घूमने में भी एक प्रकार की आलंकारिक वाकपटुता है, मुहावरों और साहित्यिक अलंकारों को घुमा देने की कला किसी मार्ग की रचना करने के समान है'। यह कथन किस पुस्तक में है?
निर्देश: रिक्त स्थान में दिए गए मुहावरे का चयन करें।
श्याम दोस्तों से अपमानित होने पर भी ____________ रह गया।