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अपठित गद्यांश कैसे हल करें? | Hindi Vyakaran (हिन्दी व्याकरण) Class 8 PDF Download

अपठित-बोध क्या है?

अपठित' शब्द 'पठित' में 'अ' उपसर्ग लगाने से बना है, जिसका अर्थ होता है जिसे पहले न पढ़ा गया हो
 'अपटित-बोध' गद्य अथवा पद्य (काव्य) दोनों ही रूपों में हो सकता है। इन्हीं गदयांशों या काव्यांशों पर प्रश्न पूछे जाते हैं, जिससे विद्यार्थियों की अर्थग्रहण-क्षमता का आकलन किया जा सके।

अपठित बोध हल करते समय आने वाली कठिनाइयाँ

  • अपठित-बोध पहले से न पढ़ा होने के कारण इस पर आधारित प्रश्नों को हल करने में विद्यार्थी परेशानी महसूस करते हैं। कुछ विद्यार्थी अपठित का भाव या अर्थग्रहण किए बिना अनुमान के आधार पर उत्तर लिखना शुरू कर देते हैं। 
  • इस प्रवृत्ति से बचना चाहिए। कुछ विद्यार्थी प्रश्नों के उत्तर के रूप में अपठित की कुछ पंक्तियाँ उतार देते हैं। चुंकि वे अपठित का अर्थ समझे बिना ऐसा करते हैं, इसलिए न तो उत्तर देने की यह सही विधि है और न उत्तर सही होने की गारंटी। ऐसे में अपठित को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए। 
  • अपठित का कोई अंश, वाक्य या शब्द-विशेष समझ में न आए तो भी घबराना या परेशान नहीं होना चाहिए। अपठित के भाव और प्रमुख विचारों को समझ लेने से भी प्रश्नों का उत्तर सरलता से दिया जा सकता है।

अपठित गद्यांश की आवश्यकता क्यों?

अपठित गद्यांश को पढ़ने, समझने और हल करने से अर्थग्रहण की शक्ति का विकास होता है। इससे किसी गद्यांश के विचारों और भावों को अपने शब्दों में बाँधने की दक्षता बढ़ती है। इसके अलावा भाषा पर गहन पकड़ बनती है।

अपठित गद्यांश पर पूछे जाने वाले प्रश्न

अपठित गद्यांश से संबंधित विविध प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनके उत्तर विद्यार्थी को देने होते हैं। इसमें अर्थग्रहण तथा कथ्य से संबंधित प्रश्नों के उत्तर के अलावा गद्यांश में आए कुछ कठिन शब्दों, मुहावरों, लोकोक्तियों आदि का अर्थ भी पूछा जाता है। इसके अंतर्गत वाक्य रचनांतरण, शीर्षक-संबंधी प्रश्नों अलावा किसी वाक्य या वाक्यांश का आशय स्पष्ट करने के लिए भी कहा जा सकता है ।

कैसे हल करें अपठित गद्यांश

अपठित-गद्यांश के अंतर्गत पूछे जाने वाले प्रश्न दिए गए अंशों पर आधारित होते हैं । अत: इनका उत्तर भी हमें गद्यांश के आधार पर देना चाहिए, अपने व्यक्तिगत सोच-विचार पर नहीं।

इसके अलावा इन प्रश्नों को हल करते समय निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए:

  • दिए गए गद्यांश को दो-तीन बार ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए।
  • इस समय जिन प्रश्नों के उत्तर मिल जाएँ, उन्हें रेखांकित कर लेना चाहिए।
  • अब बचे हुए एक-एक प्रश्न का उत्तर सावधानीपूर्वक खोजना चाहिए।
  • प्रश्नों के उत्तर सदैव अपनी ही भाषा में लिखना चाहिए।
  • भाषा सरल, सुबोध, बोधगम्य तथा व्याकरण-सम्मत होनी चाहिए।
  • प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर ही देने चाहिए।प्रश्न जिस काल या प्रारूप में दिया हो, उत्तर भी उसी के अनुरूप देना चाहिए। दिए गए अवतरण के अंश को बिलकुल उसी रूप में नहीं उतारना चाहिए।
  • कुछ शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं। ऐसे में व्याकरणिक प्रश्नों के उत्तर देते समय अवतरण में वर्णित प्रसंग को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए।
  • पर्यायवाची, विलोम तथा अर्थ संबंधित उत्तर सावधानी से देना चाहिए।
  • प्रश्नों के उत्तर में अनावश्यक विस्तार करने से बचना चाहिए, फिर भी एक अंक और दो अंक के प्रश्नों के उत्तरों में शब्द-सीमा का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।

शीर्षक-संबंधी प्रश्न का उत्तर कैसे दें?

शीर्षक-संबंधी प्रश्न का उत्तर देते समय गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए तथा मूल भाव या कथ्य समझने का प्रयास करना चाहिए।
इसके अलावा निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखना चाहिए:

  • शीर्षक कम-से-कम शब्दों में लिखना चाहिए।
  • शीर्षक का चुनाव गद्यांश से ही संबंधित होना चाहिए।
  • शीर्षक पढ़कर ही गद्यांश के मूलभाव का अनुमान लगाया जाना चाहिए।

अपठित गद्यांश  के कुछ उदाहरण 

1) नगरीकरण की प्रवृत्ति सारे विश्व में काम कर रही है| नगरीकरण की यह दिशा स्पष्ट: छोटे समुदायों की समाप्ति की दिशा है| भारत में भी शहरों की जनसंख्या अभी प्रतिवर्ष पैंतीस लाख के हिसाब से बढ़ रही है| भले ही मनुष्य के पास तर्क एवं बुद्धि है और वह अपने जीवन को अपनी इच्छा के अनुसार व्यवस्थित कर सकता है| विज्ञान में ऐसा कुछ निहित नहीं है जो मनुष्य को विशाल, विकटाकार बस्तियों में अव्यवस्थित रूप से रहने के लिए बाध्य करता हूं| वर्तमान नगरोन्मुख प्रवर्ति के कुछ आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक कारण है| वे शाश्वत नहीं है और उन्हें प्रबुद्ध मानवीय प्रयत्न से परिवर्तित किया जा सकता है| इसमें संदेह नहीं कि गांव आज जैसा है, वैसा ही यदि रहता है तो नगरीकरण की प्रवृत्ति रोकी नहीं जा सकती| लेकिन यदि मानव समाज का निर्माण छोटे प्राथमिक समुदायों के आधार पर ही करना है, तो आज के गांव के ऐसी बस्तियों के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है जो हर दृष्टि से आकर्षक होंगी और तब सामान्यत: कोई भी उन्हें छोड़ना नहीं चाहेगा|

 अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:-

  1. वर्तमान में नगरीकरण की प्रवृत्ति क्यों बढ़ रही है?
  2. “भले ही मनुष्य के पास तर्क एवं बुद्धि है और वह अपने जीवन को अपनी इच्छा के अनुसार व्यवस्थित कर सकता है|” यह किस प्रकार का वाक्य है? इसकी परिभाषा भी लिखिए|
  3. ‘मानवीय’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए|
  4. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए|

 उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

  1. वर्तमान में नगरों में भौतिक सुख सुविधा रोजगार व्यवसाय शिक्षा सुविधा आदि अनेक कारणों से नगरीकरण की प्रवृत्ति बढ़ रही है|
  2. यह संयुक्त वाक्य है जिस वाक्य में एक से अधिक साधारण या मिश्र वाक्य और वह किसी संयोजक अव्यय से जुड़े हो वह संयुक्त वाक्य के लाते हैं
  3. मानवीय - मूल शब्द मानव + इय प्रत्यय
  4. शीर्षक - नगरीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति |

2) जातीय जीवन, उसकी संस्कृति तथा भूमिगत सीमाबद्ध परिवेश ये सब सम्मिलित रूप से राष्ट्रीयता के उपकरण होते हैं| यह समष्टि रूप से ही आवश्यक उपकरण है, व्यष्टि रूप से नहीं| राष्ट्रीयता ही राष्ट्रीय भावना की पोषक होती है| हिंदी-साहित्य-कोश में राष्ट्रीयता के संबंध में लिखा है- “राष्ट्रीय साहित्य के अंतर्गत वह समस्त साहित्य लिया जा सकता है जो किसी देश की जातीय विशेषताओं का परिचायक है| ”वैसे भूमि (देश), उस भूमि पर बसने वाले जन और उनकी संस्कृति, ये तीनों ही सम्मिलित भावना रूप में राष्ट्रीयता के परिचायक है| राष्ट्रीयता ’राष्ट्र’ शब्द से निर्मित है| इस राष्ट्रीयता शब्द का सामान्य अर्थ है राष्ट्र के प्रति निष्ठा रखने की भावना| राष्ट्रीयता नेशनलिटी का हिंदी रूप है एनसाइक्लोपीडिया में 'नेशनेलिटी' के बारे में लिखा है कि ”राष्ट्रीयता मन की वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति की सर्वोपरि कर्तव्यनिष्ठा राष्ट्र के प्रति अनुभव की जाती है| 

अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिये:- 

  1. राष्ट्रीयता से क्या आशय लिया जाता है?
  2. “ये समष्टि रूप से ही आवश्यक उपकरण है, व्यष्टि रूप से नहीं|” इस वाक्य को संयुक्त वाक्य में बदलिए| 
  3. ‘राष्ट्रीयता’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय बताइए| 
  4. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए| 

 उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:- 

  1. भूमि, उसके निवासी और उनकी संस्कृति- इन तीनों के सम्मिलित रूप को राष्ट्रीयता कहते हैं| 
  2. यह समष्टि रूप से ही आवश्यक उपकरण है, परंतु व्यष्टि रूप से नहीं| 
  3. राष्ट्रीयता- मूल शब्द राष्ट्र + इय व ता प्रत्यय| 
  4. शीर्षक- राष्ट्रीयता का महत्व| 

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FAQs on अपठित गद्यांश कैसे हल करें? - Hindi Vyakaran (हिन्दी व्याकरण) Class 8

1. क्या अपठित गद्यांश से कैसे फायदा उठाया जा सकता है?
उत्तर: अपठित गद्यांश से विद्यार्थी अपनी पढ़ने की कौशल को मजबूत कर सकते हैं और अपने विचारों को साफ करने में मदद कर सकते हैं।
2. क्या अपठित गद्यांश से परीक्षा की तैयारी करने में मदद मिल सकती है?
उत्तर: हां, अपठित गद्यांश से परीक्षा की तैयारी करने में मदद मिल सकती है क्योंकि यह छात्रों को नए प्रकार के प्रश्नों का सामना करने में सक्षम बनाता है।
3. क्या अपठित गद्यांश को समझने के लिए कोई विशेष तकनीक है?
उत्तर: जी हां, अपठित गद्यांश को समझने के लिए छात्रों को पाठ्यक्रम के संदर्भ को समझना चाहिए और विचार क्षमता को विकसित करने के लिए प्रश्नों का उत्तर देना चाहिए।
4. क्या छात्रों को अपठित गद्यांश के लिए समय सीमा तय करना चाहिए?
उत्तर: हां, छात्रों को अपठित गद्यांश के लिए समय सीमा तय करना चाहिए ताकि वे परीक्षा के दौरान समय प्रबंधन कर सकें।
5. क्या अपठित गद्यांश परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है?
उत्तर: हां, अपठित गद्यांश परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह छात्रों की पढ़ाई में नया दिशा देता है और उन्हें विचारशीलता और समझ बढ़ाने में मदद करता है।
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