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अपठित पद्यांश कैसे हल करें? | Hindi Grammar Class 7 PDF Download

अपठित पद्यांश का अर्थ 


कविता का ऐसा अंश जिसे आपने अपनी हिंदी की पाठ्य-पुस्तक में नहीं पढ़ा है। इसके अंतर्गत छात्रों को 100-150 शब्दों की कोई कविता दी जाएगी। उसके नीचे उससे संबंधित पाँच बहुविकल्पी प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

हल करने की विधि 

  • पहले कविता को पूरे मनोयोग से पढ़िए। उसका आनंद लीलिए। दूसरी बार उसके अर्थ को ध्यान में रखते हुए पढ़िए। यदि कविता कुछ कठिन जान पड़े तो उसे बार-बार पढ़िए, ताकि उसका अर्थ समझ में आ जाए।
  • इस दौरान कविता के नीचे दिए हुए प्रश्नों को पढ़िए। अब फिर से कविता पर ध्यान दीजिए। जिस-जिस प्रश्न का उत्तर मिलता चला जाए उसके उत्तर को रेखांकित कर दीजिए।
  • अब देखिए कि कितने प्रश्नों के उत्तर देने रह गए। ये प्रश्नोत्तर जरूर कुछ कठिन, अस्पष्ट तथा सांकेतिक होंगे। इन्हें हल करने के लिए फिर-से कविता को पूरी तरह पढ़िए तथा उनके उत्तर खोजिए।

ध्यान रखे: आवश्यक नहीं कि आपको पूरी कविता का एक-एक शब्द समझ में आए। अगर आपको मुख्य भाव समझ में आ जाए तो भी काम चल सकता है।

  • यदि कविता समझ ही न आ रही हो तो आप स्वयं से प्रश्न करें कि:
    मैं क्या पढ़ रहा हूँ?
    किसके बारे में पढ़ रहा हूँ?
  • प्रश्नों के उत्तर बिल्कुल सटीक तथा स्पष्ट दें। कई बार कविता में प्रतीकों का प्रयोग होता है। उनके अर्थ अनेक होते हैं। अतः प्रतीकों का अर्थ देते समय एक से अधिक शब्दों का प्रयोग भी कर सकते हैं। 
    उदाहरण:
    सामने कुहरा घना है
    और मैं सूरज नहीं हूँ।

इस काव्यांश में 'कुहरा' कुहरा न होकर प्रतीक है। यह प्रतीक निराशा, संकट, समस्या, युद्ध आदि किसी का भी हो सकता है। इसी प्रकार 'सूरज' प्रतीक है। यह आशा, उत्साह, ज्ञान, समाधान आदि किसी का प्रतीक हो सकता है।
ऐसे स्थलों पर आप लिख सकते हैं:
यहाँ कुहरा निराशा अर्थात घनघोर समस्याओं प्रतीक है।
यहाँ सूरज आशा अर्थात समस्याओं के समाधान का प्रतीक है।

अपठित काव्यांश के उदाहरण


1. निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प छाँटकर लिखिए।

जिस-जिससे पथ पर स्नेह मिला उस-उस राही को धन्यवाद ।
जीवन अस्थिर, अनजाने ही हो जाता पथ पर मेल नहीं
सीमित पग-डग, लंबी मंजिल तय कर लेना कुछ खेल नहीं
दाएँ-बाँए सुख-दुख चलते सम्मुख चलता पथ का प्रमाद
जिस-जिससे पथ पर स्नेह मिला उस-उस राही को धन्यवाद ।
जो साथ न मेरा दे पाए उनसे कब सूनी हुई डगर
मैं भी न चलूँ यदि तो भी क्या राही मर, लेकिन राह अमर
इस पथ पर वे ही चलते हैं जो चलने का पा गए स्वाद
जिस-जिससे पथ स्नेह मिला उस-उस राही को धन्यवाद ।

(i) कवि के अनुसार जीवन कैसा है?
(क) कवि के अनुसार जीवन खुशहाल है
(ख) कवि के अनुसार जीवन बदहाल है
(ग) कवि के अनुसार जीवन नश्वर है, चंचल है, क्षणभंगुर है
(घ) कवि के अनुसार जीवन अमर है

उत्‍तर: (ग) कवि के अनुसार जीवन नश्वर है, चंचल है, क्षणभंगुर है

(ii) जीवन रूपी यात्रा में अनुभव आते हैं-
(क) यात्रा के
(ख) सुख के
(ग) दुःख के
(घ) सुख-दुःख और प्रमाद के

उत्‍तर: (घ) सुख-दुःख और प्रमाद के

(iii) जीवन रूपी डगर पर कौन चलते हैं?
(क) जो मजबूर होते हैं
(ख) जो मजदूर होते हैं
(ग) जिनको चलने में आनंद मिलता है
(घ) जिनको कुछ पाना रहता है

उत्‍तर: (ग) जिनको चलने में आनंद मिलता है

(iv) कवि किसको धन्यवाद करता है?
(क) जन्म देने वाले को
(ख) शिक्षा देने वाले को
(ग) धन देने वाले को
(घ) स्नेह देने वाले को

उत्‍तर: (घ) स्नेह देने वाले को

(v) इस पद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है-
(क) जीवन रूपी यात्रा
(ख) कर्म रूपी यात्रा
(ग) धर्म रूपी यात्रा
(घ) मर्म रूपी यात्रा

उत्‍तर: (क) जीवन रूपी यात्रा

2. निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प छाँटकर लिखिए।

कहती है सारी दुनिया जिसे किस्मत
नाम है उसका हकीकत में मेहनत।
जो रचते हैं, खुद अपनी किस्मत, वे कहे जाते हैं साहसी
जो करते हैं, ईश्वर से शिकायत, वे कहे जाते हैं, आलसी।
जो रूक गया, मिट गया उसका नामो-निशाँ
जो चलता रहा, अपनी मंजिल वो पा गया।
खुशी के हकदार हैं वही, जिन्होंने दुख को सहा
छोड़ के दामन फूलों का, काँटों की राह को चुना।
निराशा का अंधकार मिटाकर, आशा के दीप जलाओ
छोड़ भाग्य की दुहाई, अपनी किस्मत स्वयं बनाओ।

(i) हकीकत में किस्मत किसे कहते हैं?
(क) सेहत
(ख) रहमत
(ग) मेहनत
(घ) सहमत

उत्‍तर: (ग) मेहनत

(ii) जो अपनी किस्मत रचते हैं उन्हें क्या कहते हैं?
(क) साहसी
(ख) आलसी
(ग) रचयिता
(घ) मेहनती

उत्‍तर: (क) साहसी

(iii) सच्चा खुशी का हकदार कौन है?
(क) सुख लेने वाला
(ख) दुख देने वाला
(ग) सुख सहने वाला
(घ) दुख सहने वाला

उत्‍तर: (घ) दुख सहने वाला

(iv) किसका अंधकार मिटाना है?
(क) हताशा का
(ख) आशा का
(ग) निराशा का
(घ) भाषा का

उत्‍तर: (ग) निराशा का

(v) किसे छोड़ने पर किस्मत बनती है?
(क) भाग्य की दुहाई
(ख) कर्म की दुहाई
(ग) धर्म की दुहाई
(घ) मर्म की दुहाई

उत्‍तर: (क) भाग्य की दुहाई

3. निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प छाँटकर लिखिए।

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालों
चट्टानों की छाती से दूध निकालो।
है रूकी जहाँ भी धार, शिलाएँ तोड़ों,
पीयूष चंद्रमाओं को पकड़ निचोड़ो।
चढ़ तुंग शैल-शिखरों पर सोम पियो रे!
योगियों नहीं, विजयी के सदृश जियो रे।
छोड़ों मत अपनी आन, सीस कट जाए
मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाए।
दो बार नहीं यमराज कंठ धरता
मरता है जो, एक ही बार मरता है।
नत हुए बिना जो अशनि घात सहती है
स्वाधीन जगत में वही जाति रहती है।

(i) कवि किसे छोड़ने की बात कर रहे है?
(क) मोह-माया
(ख) वैराग्य
(ग) सांसारिक सुख
(घ) बाँहों की शक्ति

उत्‍तर: (ख) वैराग्य

(ii) कवि किसके समान जीने को कहता है?
(क) योगियों के
(ख) भोगियों के
(ग) विजयी व्यक्तियों के
(घ) राजाओं के

उत्‍तर: (ग) विजयी व्यक्तियों के

(iii) 'भले व्योम फट जाए' का अर्थ है-
(क) कितनी ही मुसीबत आ जाए।
(ख) मूसलाधार वर्षा हो जाए।
(ग) आसमान दो टुकड़ों में बँट जाए।
(घ) आसमान से फूलों की वर्षा हो जाए।

उत्‍तर: (क) कितनी ही मुसीबत आ जाए।

(iv) जो बिना झुके मुसीबतों का सामना करते हैं, वे किसका उपभोग करते हैं?
(क) दुःखों का
(ख) सुखों का
(ग) परतंत्रता का
(घ) स्वतंत्रता का

उत्‍तर: (घ) स्वतंत्रता का

(v) इन पंक्तियों में कवि क्या प्रेरणा दे रहा है?
(क) आन-बान की रक्षा करने की
(ख) जीवन की रक्षा करने की
(ग) धन संपत्ति की रक्षा करने की
(घ) उपर्युक्त सभी

उत्‍तर: (क) आन-बान की रक्षा करने की

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FAQs on अपठित पद्यांश कैसे हल करें? - Hindi Grammar Class 7

1. अपठित पद्यांश का अर्थ क्या होता है?
उत्तर: अपठित पद्यांश एक काव्यांश होता है जो किसी गद्यांश के रूप में प्रकट नहीं होता है। इसे प्राथमिकतापूर्वक पठित नहीं किया जाता है, और इसे अपने भाषाई और साहित्यिक मूल्य को समझने के लिए छात्रों से पूछा जाता है।
2. अपठित पद्यांश कैसे हल किया जाता है?
उत्तर: अपठित पद्यांश को हल करने के लिए छात्रों को पद्यांश के भावार्थ, व्याकरण, छंद और रचना आदि के प्रश्नों का उत्तर देना होता है। वे पद्यांश के मूल्यांकन के लिए आवश्यक जानकारी का उपयोग करते हैं और उसे समझने के लिए विभिन्न साहित्यिक तत्वों का आकलन करते हैं।
3. अपठित पद्यांश क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: अपठित पद्यांश का अध्ययन करना छात्रों को साहित्यिक विचार की प्रवृत्ति करता है और उन्हें गहराई से समझने और व्याख्या करने की क्षमता प्रदान करता है। इसके माध्यम से छात्रों को भाषा की समझ, रचनात्मकता, और साहित्यिक विचार को विकसित करने का अवसर मिलता है।
4. अपठित पद्यांश के लिए किस प्रकार की तैयारी की जानी चाहिए?
उत्तर: अपठित पद्यांश के लिए तैयारी करते समय छात्रों को साहित्यिक तत्वों, छंद, व्याकरण, और काव्य शैली की समझ को मजबूत करने की आवश्यकता होती है। वे किसी अन्य पद्यांश के उदाहरणों का अध्ययन कर सकते हैं ताकि वे अपठित पद्यांश को समझने में सुविधा प्राप्त करें।
5. अपठित पद्यांश के लिए समय सीमा क्या होती है?
उत्तर: अपठित पद्यांश के लिए समय सीमा आमतौर पर परीक्षा के निर्धारित समयांतर में निर्धारित की जाती है। इसे समय-सारणी के अनुसार हल करना आवश्यक होता है, ताकि छात्र अपने उत्तरों को संगठित रख सकें और समय के अंदर सभी प्रश्नों का समाधान कर सकें।
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