चिड़ियों के थे
बच्चे चार,
निकले घर से
पंख पखार।
पूरब से
पश्चिम को आए,
उत्तर से
दक्षिण को जाएं।
उत्तर दक्षिण
पूरब पश्चिम,
देख लिया
हमने जग सारा।
अपना घर
खुशियों से भरा,
सबसे न्यारा
सबसे प्यारा।
छुक छुक करती रेलगाड़ी आयी,
पो पो पी पी सीटी बजाती आयी,
इंजन है इसका भारी-भरकम।
पास से गुजरती तो पूरा स्टेशन हिलाती,
धमधम धमधम धमधम धमधम,
पहले धीरे धीरे लोहे की पटरी पर चलती।
फिर तेज गति पकड़ कर छूमंतर हो जाती,
लाल बत्ती पर रुक जाती,
हरी बत्ती होने पर चल पड़ती।
देखो देखो छुक छुक करती रेलगाड़ी,
काला कोट पहन टीटी इठलाता,
सबकी टिकट देखता फिरता।
भाग भाग कर सब रेल पर चढ जाते,
कोई टूट न पाए इसलिए,
रेलगाड़ी तीन बार सीटी बजाती।
छुक छुक करती रेलगाड़ी आयी।
इब्न बतूता पहन के जूता,
निकले है बड़ी शान से।
रास्ते में आया तूफान,
थोड़ी हवा नाक में घुस गई,
घुस गई थोड़ी कान में।
आंखों में मिट्टी फंस गई,
कभी नाक, कभी कान,
तो कभी आंख मलते इब्न बतूता।
इस बीच निकल पड़ा उनका जूता,
उड़ता उड़ता जा पहुंचा जापान में,
गिर पड़े संभल ना पाए।
इब्न बतूता देखते
रह गए आसमान में।
देखो देखो कालू मदारी आया,
संग में अपनी बंदरिया लाया।
डम डम डम डम डमरू बजाया,
यह देख टप्पू चिंटू-पिंटू आया।
सुनीता पूजा बबीता आयी,
देखो देखो कालू मदारी आया।
फिर जोर-जोर से मदारी ने डमरू बजाया,
बंदरिया ने उछल कूद पर नाच दिखाया।
उल्टा पुल्टा नाच देख कर सब मुस्कुराए,
फिर सब ने जोर-जोर से ताली बजाई।
देखो देखो कालू मदारी आया,
संग में अपनी बंदरिया लाया।
गरम गरम लड्डू सा सूरज,
लिपटा बैठा लाली में,
सुबह सुबह रख आया कौन,
इसे आसमान की थाली मे।
मूंदी आँख खोली कलियों ने,
बागों में रंग बिरंगे फूल खिलाए,
चिड़ियों ने नया गान सुनाया,
भंवरों ने पंखों से ताली बजाई।
फुदक फुदक कर रंग बिरंगी,
तितलियों की टोली आई,
पंख फैलाकर मोर ने नाच दिखाएं,
तो कोयल ने भी कुक बजाई।
उठो उठो अब देर ना हो जाए,
कहीं सुबह की रेल निकल न जाए,
अगर सोते रह गए तो,
आगे नहीं बढ़ पाएंगे।
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