BPSC (Bihar) Exam  >  BPSC (Bihar) Notes  >  BPSC General Hindi  >  कारक

कारक | BPSC General Hindi - BPSC (Bihar) PDF Download

कारक चिह्न क्या होते हैं?

हिन्दी व्याकरण में कारक चिह्नों को ही परसर्ग चिह्न या विभक्ति चिह्न के नाम से भी जाना जाता है। ये चिह्न कारकों को सूचित करने का काम करते हैं। की कौन सा वाक्य किस जगह अन्य वाक्य से मिला है।

कुछ मुख्य कारक चिह्न हैं – ने, को, से, पर, के लिए इत्यादि।

संज्ञा अथवा सर्वनाम को क्रिया से जोड़ने वाले शब्द चिह्न अथवा परसर्ग ही कारक चिह्न कहलाते हैं।

वाक्य के बारे में आप ये तो जानते ही होंगे कि कोई भी वाक्य एक या एक से अधिक संज्ञा शब्दों, कर्म और क्रिया शब्दों के मेल से बनता है। जिनमें आपस में संबंध होता है। प्रत्येक संज्ञा शब्द क्रिया शब्दों के साथ जुड़ा होता है, तभी वाक्य सार्थक हो पाता है।

उदाहरण के लिए, 

  • संध्या ने मोबाइल का रीचार्ज कराया।

इस वाक्य में संध्या (कर्ता) का मोबाइल (कर्म) और रीचार्ज (क्रिया) आपस में एक-दूसरे से संबन्धित हैं।

परिभाषा

संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का वो रूप, जिससे वाक्य के अन्य शब्दों का संबंध का बोध हो, उसे ही कारक कहते हैं दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि, जब संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के आगे ने, को, से इत्यादि जैसे कारक चिह्न लग जाते हैं, तब उन संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का रूप बदल कर कारक बन जाता है।
उदाहरण

  • आनंद महिंद्रा ने अपने मैनेजरों से अच्छा काम करवाया।

इस वाक्य में ‘आनंद महिंद्रा’,‘मैनेजरों से’ और ‘कम्पनी’ संज्ञा शब्दों के रूपांतर हैं,जिनसे‘काम करवाया’ क्रिया शब्द का संबंध है। पूरे वाक्य में हर एक शब्द एक दूसरे का पूरक है।
इस पंक्ति में “ने, से” जैसे शब्दों ने अनेक शब्दों को आपस में जोड़ दिया है। अगर ये न हो तो शब्दों का तालमेल टूट जाएगा, और वाक्य निरर्थक हो जाएगा।

विभक्ति या परसर्ग क्या हैं?

जिन शब्द पदों के द्वारा कारक की स्थिति का बोध होता है, उसे विभक्ति, परसर्ग या कारक चिह्न कहते हैं। ऐसे शब्द संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ संबंध स्थापित करते हैं।
जैसे– 

  • सुनैना अपने भाई के लिए चॉकलेट लेकर आयी।

इस वाक्य में सुनैना कारकीय पद हैं और ’के लिए’ विभक्तिया कारक सूचक चिन्हहै।ऐसे वाक्यों में संज्ञाओं का क्रिया से संबंध व्यक्त करने के लिए कुछ चिह्नों का प्रयोग किया जाता है।

कारक का क्या अर्थ है?

कारक के अर्थ को सरल शब्दों में समझा जाए तो इसका मतलब है – किसी कार्य को करने वाला। वाक्य में जिसका संबंध सीधे तौर पर क्रिया से होता है, उसे ही कारक कहते हैं। किसी वाक्य में प्रयोग किए गए संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का, उस वाक्य की क्रिया से जो संबंध होता है, वही कारक कहलाता है। कारक किसी भी क्रिया को सम्पन्न करने में अहम भूमिका निभाता है। कारक ज़्यादातर स्वतंत्र रूप में मौजूद होते हैं। ये संज्ञा और सर्वनाम का प्रतिरूप होते हैं।
उदाहरण

  • सुशांत रोज सुबह नदी के किनारे आते हैं।

कारक के प्रकार

1. कर्ता कारक

यह कारक समझने में सबसे आसान है। कर्ता के शाब्दिक अर्थ से ही समझ आता है – किसी कार्य करने वाला कोई व्यक्ति या वस्तु। संज्ञा या सर्वनाम के वो शब्द जो किसी वाक्य में किसी क्रिया को सम्पन्न करते हैं, उन्हें कर्ता कारक कहा जाता है। इन शब्दों से किसी कार्य को करने वाले का बोध होता है। इसका मुख्य कारक चिह्न है –‘ने’। लेकिन जरूरी नहीं है कि यह चिह्न आपको हर वाक्य में देखने को मिले।
उदाहरण के लिए –

  • रिचा ने ईमेल भेज दिया।
  • रिचा ईमेल भेजती है।

इन दोनों वाक्यों में रिचा ही कर्ता है। लेकिन एक वाक्य में ‘ने’ चिह्न का प्रयोग हुआ है पर दूसरे में नहीं।कभी-कभी वाक्य में कर्ता कारक ‘ने’ चिह्न के बजाय ‘को’के रूप में प्रस्तुत होता है। 
जैसे –

  • विशाल को आज छुट्टी ले लेना चाहिए था।

2. कर्म कारक 

किसी वाक्य में जब क्रिया का फल मुख्य कर्ता पर न होकर, कर्म पर पड़े तो इसे कर्म कारक कहा जाता है। कर्म वाले शब्द संज्ञा भी हो सकते हैं और सर्वनाम भी। दूसरे शब्दों में आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं,वह व्यक्ति या वस्तु जिस पर वाक्य में की गयी क्रिया का प्रभाव पड़े, वैसे शब्द कर्म कारक कहलाते हैं।
उदाहरण के लिए,

  • वह औरत अपने बच्चे को सुला रही है।

इसमें कर्ता वह औरत है लेकिन सोने की क्रिया का प्रभाव बच्चे पर पड़ रहा है।

  • मेरे दोस्त ने कुत्ते को बिस्किट खिलाया।

यहाँ भी मुख्य कर्ता मेरा दोस्त है लेकिन बिस्किट खाने की क्रिया का फल कुत्ते पर पड़ रहा है।

3. करण कारक

करण का शाब्दिक अर्थ ‘साधन’ या ‘माध्यम’ होता है। संज्ञा या सर्वनाम के जिन शब्दों से ये पता चलता है कि क्रिया किस साधन या माध्यम से हुई है, उन्हें करण कारक कहा जाता है। करण कारक के शब्दों से पता चलता है कि किसी कार्य को किस चीज की सहायता से अंजाम दिया गया है।
उदाहरण के लिए –

  • मेरे बॉस अपनी कार से ऑफिस जाते हैं।
  • मैंने ब्रैड पर चाकू से बटर लगाया।

करण कारक अन्य कारकों से थोड़ा अलग है। इसमें अन्य सभी कारकों से छूटे हुए शब्द या प्रत्यय भी आ जाते हैं।

अपादान कारक और करण कारक दोनों में ही ‘से’ का प्रयोग होता है। लेकिन अंतर ये है कि करण कारक में ‘से’ का अर्थ साधन या माध्यम होता है। जबकि अपादान कारक में ‘से’ का तात्पर्य अलग होने से है, जिसे आप अभी आगे पढ़ेंगे।

4. सम्प्रदान कारक

सम्प्रदान का शाब्दिक अर्थ है – देना। इसलिए जब किसी वाक्य में किसी को कुछ देने या किसी के लिए कोई कार्य करने का पता चले तो उन शब्द रूपों को संप्रदान कारक कहा जाता है। हम इसे ऐसे भी समझ सकते हैं – जब किसी के लिए कोई क्रिया या काम की जाती है तो ऐसे समय में संज्ञा या सर्वनाम के शब्द रूप सम्प्रदान कारक बन जाते हैं।
इसके मुख्य विभक्ति चिह्न हैं – ‘को’ और ‘के लिए’।
उदाहरण के लिए –

  • कर्मचारियों को उनका वेतन दे दो।
  • शैलेष की माँ उसके लिए केक लेकर आयी।

5. अपादान कारक

अपादान का शाब्दिक अर्थ है –अलग होना। अतः अपादान कारक का तात्पर्य संज्ञा या सर्वनाम के उन शब्द रूपों से है जिनसे किसी व्यक्ति या वस्तु के अलग होने का पता चलता है। 
इस कारक का मुख्य परसर्ग चिह्न है –‘से’
उदाहरण के लिए –

  • यहाँ की सभी गाडियाँ इसीशोरूम से निकलती है।
  • फाइलें टेबल से नीचे गिर गयी।

6. सम्बन्ध कारक

जिन शब्दों से दो या दोसे अधिक संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के बीच के संबंध पता चलता है,उन्हें संबंध कारक कहा जाता है।ऐसे शब्द रूपों से किसी एक व्यक्ति/वस्तु का दूसरे व्यक्ति/वस्तु के साथ संबंध का बोध होता है।

  • संबंध कारका के मुख्य कारक चिह्न हैं: का,की,के,र,रे,री इत्यादि।
  • संबंध कारक के शब्द चिह्नों से अधिकार,कर्तव्य,कार्य-करण,मूल्य-भाव या परिणाम का भी पता चलता है।

उदाहरण के लिए –

  • मेरे ऑफिस की छत ऊँची है।
  • वो भी भारत देश का ही है।
  • सभी सोने के बिस्किट,बैंक के लॉकर में है।
  • 2 करोड़ का निवेश और 50 लाख की मार्केटिंग।

7. अधिकरण कारक

अधिकरण पद का शाब्दिक अर्थ है –किसी क्रिया के घटित होने का आधार। इसलिए अधिकरण कारक का तात्पर्य उस आधार,स्थान या समय से है जहाँ पर कोई क्रिया घटित होती है। दूसरे शब्दों में हम इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि संज्ञा या सर्वनाम के जिन शब्दों से क्रिया के स्थान,समय या आधार का पता चलता है,उसे ही अधिकरण कारक कहा जाता है।

  • अधिकरण कारक के स्वरूप के मुख्य कारक चिह्न हैं – ‘में’,‘पर’ और ‘को’।

उदाहरण के लिए –

  • मेरे बेडरूम की दीवार पर एक पेंटिंग टंगी है।
  • लोग मेट्रो में सफर कर रहे हैं।
  • पार्टी रात को होगी।

8. संबोधन कारक

जब किसी वाक्य में, किसी वक्ता द्वारा जिस किसी संज्ञा या सर्वनाम को सम्बोधन के लिए प्रयोग किया जाता है, उसे सम्बोधन कारक कहा जाता है। ऐसी परिस्थिति में संज्ञा या सर्वनाम के पद से किसी के पुकारने का भाव मिलता है। ऐसे वाक्यों में सम्बोधन के लिए, या संज्ञा/सर्वनाम के पदों  के पहले ‘अरे, हे,रे’ इत्यादि शब्द लगाए जाते हैं। ऐसे शब्दों का प्रयोग किसी को बुलाने या पुकारने के लिए किया जाता है। सामान्य तौर पर ऐसे शब्दों के बाद विस्मयादिबोधक चिह्नों का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण के लिए –

  • हे ईश्वर! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
  • अरे वाह! ये तो बढ़िया हो गया!
The document कारक | BPSC General Hindi - BPSC (Bihar) is a part of the BPSC (Bihar) Course BPSC General Hindi.
All you need of BPSC (Bihar) at this link: BPSC (Bihar)
17 videos|41 docs|3 tests

Top Courses for BPSC (Bihar)

FAQs on कारक - BPSC General Hindi - BPSC (Bihar)

1. कारक चिह्न क्या होते हैं?
Ans. कारक चिह्न वे विशेष चिह्न होते हैं जो वाक्य में कारकों (कारक) को दर्शाते हैं। ये चिह्न यह बताते हैं कि किसी शब्द का वाक्य में क्या कार्य है, जैसे कि कर्ता, कर्म, आदि। हिंदी भाषा में मुख्यतः सात कारक चिह्न होते हैं: कर्ता कारक, कर्म कारक, संप्रदान कारक, अपादान कारक, अधिकरण कारक, अभिव्यक्तिजनक कारक, और संप्रदाय कारक।
2. विभक्ति या परसर्ग क्या हैं?
Ans. विभक्ति शब्दों के अंत में जो विशेष चिह्न या प्रत्यय जुड़ते हैं, उन्हें विभक्ति कहते हैं। ये विभक्तियाँ शब्द के अर्थ और कार्य को स्पष्ट करती हैं। परसर्ग वे शब्द होते हैं जो किसी अन्य शब्द के साथ मिलकर उसके अर्थ को बढ़ाते हैं, जैसे 'के लिए', 'से', आदि।
3. कारक का क्या अर्थ है?
Ans. 'कारक' का अर्थ होता है 'कार्य का करने वाला' या 'जिसका कार्य हो रहा है'। यह वाक्य में उन तत्वों को दर्शाता है जिनका किसी क्रिया में विशेष योगदान होता है। कारक वाक्य की संरचना को समझने में मदद करते हैं।
4. कारक के प्रकार क्या हैं?
Ans. कारक के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं: 1. कर्ता कारक 2. कर्म कारक 3. संप्रदान कारक 4. अपादान कारक 5. अधिकरण कारक 6. अभिव्यक्तिजनक कारक 7. संप्रदाय कारक इन प्रकारों के माध्यम से वाक्य में विभिन्न कार्यों और उनके संबंधों को समझा जा सकता है।
5. BPSC परीक्षा में कारक से संबंधित प्रश्न कैसे आते हैं?
Ans. BPSC परीक्षा में कारक से संबंधित प्रश्न आमतौर पर व्याकरण के अंतर्गत आते हैं। इनमें कारक चिह्नों की पहचान, उनके उपयोग, और विभक्तियों के सही प्रयोग के संबंध में सवाल पूछे जाते हैं। छात्रों को वाक्य में कारक का सही चयन और उपयोग करने की क्षमता विकसित करनी होती है।
17 videos|41 docs|3 tests
Download as PDF
Explore Courses for BPSC (Bihar) exam

Top Courses for BPSC (Bihar)

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

practice quizzes

,

Free

,

Exam

,

Summary

,

study material

,

Previous Year Questions with Solutions

,

mock tests for examination

,

कारक | BPSC General Hindi - BPSC (Bihar)

,

Extra Questions

,

MCQs

,

past year papers

,

कारक | BPSC General Hindi - BPSC (Bihar)

,

pdf

,

कारक | BPSC General Hindi - BPSC (Bihar)

,

Important questions

,

video lectures

,

Objective type Questions

,

Semester Notes

,

Sample Paper

,

shortcuts and tricks

,

Viva Questions

,

ppt

;