दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. गवरे ने मनुष्य की खूबसूरती और गवरइया के सौंदर्य को जोड़ते हुए कपड़े पहनने का किस तरह विरोध किया?
उत्तर- गवरे ने गवरइया को बताया कि कपड़े पहनने से मनुष्य बदसूरत हो जाता है। उसकी खूबसूरती ढँक जाती है। मनुष्य लिबास से केवल लाज ही नहीं ढँकता बल्कि चलने-फिरने, काम करनेवाले अंगों को भी ढँक लेता है, जिससे उद्यकी सुंदरता छिप जाती है। इसके अलावा गवरइया के कपड़े पहन लेने से उसके एक-एक अंग के कटाव तथा रोएँ-रोएँ की रंगत भी कपड़ो में छिपकर रह जाएगी
प्रश्न 2. गवरइया को .फाहा मिला, उसने टोपी बनवाकर अपनी इच्छा पूरी की परंतु जिस व्यक्ति को चाबुक मिला था क्या वह अपनी इच्छा पूरी कर पाया?
उत्तर - गवरइया को रुई का .फाहा मिला, जिससे उसने टोपी बनवाकर पहनकर अपनी इच्छा पूरी कर ली। इसी प्रकार रास्ते चलते एक व्यक्ति को बड़ा उम्दा तथा लचकदार चाबुक मिला। वह सोचने लगा चाबुक तो मिल गया, बाकद्ध बचा तीनद्ब्रघोड़ा, लगाम, जीन। वह अपना काम-धंधा छोडक़र पूरी उम्र यही स्रहता रहा, पर बाकी को पाने के लिए परिश्रम न किया। इससे उसकी घोड़ा-लगाम-जीन’ वाली इच्छा पूरी न हो सकी।
प्रश्न 3. राजा गवरइया की टोपी को पैरों तले मसलने से पहले रुक क्यों गया?
उत्तर - गवरइया की टोपी बहुत ही सुंदर थी। उस पर पाँच फुँदने जड़े थे। राजा की अपनी टोपी इतनी सुंदर न थी। राजा की टोपी के लिए गवरइया व्यंग्यपूर्ण बातें किए जा रही थी। इससे राजा ने उसकी टोपी पैरों तले मसलना चाहा, पर राजा गवरइया की टोपी की खूबसूरती देखकर दंग रह गया। उसने कारीगरी का ऐसा बेजोड़ नमूना नहीं देखा था। इतनी सुुंदर टोपी को वह बार-बार उलट-पुलटकर देखने लगा और पैरों तले मसल न सका।
प्रश्न 4.राजा की परेशानी के क्या-क्या कारण थे ? क्या उसके प्रयासों से उसकी परेशानियां कम हो रही थीं?
उत्तर - राजा की परेशानी के अनेक कारण थे। जैसे- उसी के राज्य के कारीगरों ने उसके कार्य को न करके गवरइया का काम पहले किया। इसके अलावा, गवरइया की टोपी राजा की टोपी से अधिक खूबसूरत थी। इससे राजा की बेइज़ती हो रही थी। उसकी परेशानी का तीसरा एवं प्रमुख कारण था खजाने का घटता धन। राजा का ऐशो आराम, सेना और यात्रा के खर्च को खज्जाना सह नहीं पा रहा था। खज्जाने को पूरा करने के लिए उसने बेगार करवाना शुरू किया और सख्ती से लगान वसूलना शुरू किया उसके प्रयास से उसकी कोई परेशानी कम नहीं हो रही थी।
प्रश्न 5. गवरे का कहना था कि अपनी टोपी सलामत रखने के लिए कितनों स्रद्मह्य टोपी पहनानी पड़ती है। उसका यह कथन आज के परिप5ेक्ष्य में कितना प्रासंगिक है?
उत्तर - गवरे ने गवरइया को राय दी कि वह टोपी पहनने की बात भूल जाये, और इस टोपी के चक्कर में न पड़े क्योंकि अपनी टोपी बचाए रखने के लिए बहुतों को टोपी पहनानी पड़ती है। गवरे का यह कथन आज के परिक्ष्य में पूरी तरह प्रासंगिक है। आज शासन पर या कुर्सी पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए लोगों को अपने तथा पराये सभी की चापलूसी करनी पड़ती है। उनकी बातें माननी पड़ती है तथा उनके आगे-पीछे घूमना-फिरना पड़ता है। चुनाव के दिनों में तथा चुनाव के तत्काल बाद अल्पमत की सरकार बनाते समय इसे स्पष्ट देखा जा सकता है।
प्रश्न 6.टोपी कहानी में राज्य की जो व्यवस्था दिखाई गई है वह आज की प्रणाली से किस तरह भिन्न है तथा वर्तमान में यह कितनी उपयुक्त/अनुपयुक्त है?
उत्तर - टोपी कहानी में राजतंत्र का वर्णन है, जिसमें राजा राज्य के कारीगरों से बेगार में काम करवाता है। वह उन्हें कुछ नहीं देता। यह शासन-प्रणाली आज की लोकतंत्र से बिलकुल अलग है। आज हर व्यक्ति को उसके परिश्रम का उचित मूल्य दिया जाता है। बेगार की प्रथा समाप्त हो चुकी है। राजा की मनमर्जी जैसी कोई बात नहीं है। सरकार का चयन सीधे जनता दवारा किया जाता है। वर्तमान में राजतंत्र बि4कुल भी उपयुक्त नहीं है। लोगो के लिए, प्रजातंत्र ही सर्वतोत्तम है।
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1. टोपी क्या होती है? |
2. टोपी को हिंदी में क्या कहते हैं? |
3. टोपी किस प्रकार के सामान्य लोगों द्वारा पहनी जाती है? |
4. टोपी में कौन-कौन से सामग्री का उपयोग किया जाता है? |
5. कक्षा 8 के छात्र टोपी के बारे में किन-किन पहलुओं के बारे में अधिक सीख सकते हैं? |
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