पद परिचय | Hindi Vyakaran for Class 9 (हिन्दी व्याकरण) PDF Download

परिभाषा

पद-परिचय’ को कई नामों से जाना जाता है : वाक्य-विवरण, पद-निर्देश, पद-निर्णय, पद-विन्यास, शब्दबोध, पदान्वय, पद-विश्लेषण, पदच्छेद आदि। “वाक्य में प्रयुक्त पदों को बिलगाने, लिंग-वचन आदि को बिखराने और दूसरे पदों से उनके संबंध बताने को ही ‘पद-परिचय कहते हैं।” वाक्य में किसी पद का क्या स्थान है? वह संज्ञा, सर्वनाम, विस्मयादिबोधक आदि में से क्या है तथा उसका भी आगे कौन-सा उपभेद है, यह जानना अत्यावश्यक है, तभी उसके बारे में पूर्ण विवरण दिया जा सकता है।

संज्ञापद का परिचय


किसी संज्ञापद का परिचय देने के लिए निम्न बातें लिखी जानी चाहिए:
(i) संज्ञापद किस भेद में है
(ii) उसका लिंग-वचन-कारक-पुरुष
(iii) वाक्य में अन्य पदों से उसका संबंध
(iv) वाक्य के अंगों में वह क्या काम कर रहा है

नीचे लिखे उदाहरणों को ध्यानपूर्वक देखें:
(i) आशु रामानुज की पुत्री है।
आशुः व्यक्तिवाचक संज्ञा है।
स्त्रीलिंग, एकवचन और अन्यपुरुष है।
‘है’ क्रिया का कर्ता है।
वाक्य का उद्देश्य है।
(ii) कहते हैं, बुढ़ापा बचपन का ही पुनरागमन है।
बुढ़ापा : भाववाचक संज्ञा है।
पुंल्लिग, एकवचन और अन्यपुरुष है।
है क्रिया का कर्ता है।
वाक्य का उद्देश्य है।
(iii) रानीगंज में कोयला पाया जाता है।
कोयला : द्रव्यवाचक संज्ञा है।
पुँल्लिग, एकवचन और अन्यपुरुष है।
‘जाता है’ क्रिया का कर्ता है।
वाक्य का उद्देश्य है।

सर्वनाम पद का परिचय

सर्वनाम पद का परिचय देने में निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए:

(i) सर्वनामपद किस भेद में है
(ii) वचन, लिंग, कारक और पुरुष क्या है?
(iii) वाक्य के दूसरे पदों से उसका संबंध
(iv) किस संज्ञा के लिए प्रयुक्त हुआ है
(v) वाक्य के अंगों में वह क्या है
निम्नलिखित उदाहरणों को देखें:
(i) वह रोज सुबह में टहलता है।
वह : पुरुषवाचक सर्वनाम है।
पुंल्लिग, एकवचन और अन्यपुरुष में है।
‘टहलता है’ क्रिया का कर्ता है।
वाक्य का उद्देश्य है।
(ii) मैं आप चला जाता हूँ, गार्ड बुलाने की क्या जरूरत है।
आप : निजवाचक सर्वनाम जो ‘मैं’ के लिए आया है।
पुँल्लिग, एकवचन, उत्तमपुरुष है।
वाक्य में विधेय का विस्तार है।

विशेषणपद का परिचय


इस पद का परिचय इस प्रकार दिया जाता है :
(i) पद विशेषण के किस भेद का है
(ii) किस विशेष्यण का विशेषण है?
(iii) पद का लिंग-वचन-पुरुष (विशेष्य के अनुसार)
(iv) यदि प्रविशेषण है तो इसका उल्लेख
(v) वाक्य के अंगों में क्या है
निम्नलिखित उदाहरणों पर गौर करें :
(i) प्रत्येक मनुष्य परिश्रमी है।
प्रत्येकः प्रत्येक बोधक संख्यावाचक विशेषण जिसका विशेष्य मनुष्य है।
पुँ, एकवचन और अन्यपुरुष है।
वाक्य में उद्देश्य का विस्तार है।
परिश्रमी : गुणवाचक विशेषण, जिसका विशेष्य मनुष्य है।
पुँ, एकवचन, अन्यपुरुष है।
वाक्य में विधेय का विस्तार है।
(ii) मेरे लिए चार लीटर दूध काफी होगा। चार लीटर : परिमाणवाचक विशेषण, जिसका विशेष्य दूध है।
पुँ, एकवचन और अन्यपुरुष है।
वाक्य में उद्देश्य का विस्तार है।

क्रियापद का परिचय

क्रियापद का परिचय देने के लिए निम्न बातों का जिक्र होना चाहिए।
(i) क्रिया का भेद (अकर्मक-सकर्मक आदि)
(ii) क्रिया किस काल और वाच्य में है।
(iii) क्रिया का लिंग-वचन-पुरुष
(iv) कर्ता, कर्म आदि से संबंध
(v) वाक्य का अंग
निम्नलिखित उदाहरणों को देखें:
(i) हनी कविता पढ़ रही है।
पढ़ रही है :सकर्मक क्रिया है, जिसका कर्ता ‘हनी’ है।
स्त्रीलिंग, एकवचन और अन्यपुरुष है।
यह तात्कालिक वर्तमान काल की है।
इसका कर्तरि प्रयोग यानी कर्तृवाच्य में प्रयोग है। इसका कर्म कविता है।
यह वाक्य का विधेय है।
(ii) वह पढ़कर खेलता है।
पढ़कर : यह पूर्वकालिक क्रिया है।
इसका कर्ता ‘वह’ है।
यह भूतकाल में है और ‘खेलना’ का पूरक है।
यह पुँ०, एकवचन और अन्यपुरुष में है।
यह वाक्य में विधेय का विस्तार है।

क्रियाविशेषणपद का परिचय

चूँकि क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक अव्यय (अविकारी) होते हैं, इसलिए इनके कोई लिंग-वचन-पुरुष नहीं हो सकते। क्रियाविशेषण के परिचय में निम्न बातें ही लिखी जाएँगी:
(i) क्रियाविशेषण का कौन-सा भेद है
(ii) किस क्रिया से जुड़ा है
(iii) वाक्य के अंगों में क्या है
निम्नलिखित उदाहरणों को ध्यानपूर्वक देखें:
(i) कछुआ धीरे-धीरे चलता है।
धीरे-धीरे : रीतिवाचक क्रियाविशेषण, जिसकी क्रिया ‘चलता है’ है।
वाक्य में विधेय का विस्तार है।
(ii) हाथी बहुत खाता है।
बहुत : यह परिमाणवाचक क्रियाविशेषण है, जिसकी क्रिया ‘खाता है’ है।
यह वाक्य में विधेय का विस्तार है।

संबंधबोधक अव्ययपद का परिचय

इस पद के परिचय में निम्नलिखित बातें होंगी:
(i) कौन-सा भेद
(ii) किससे संबंध
(iii) वाक्य के अंगों में क्या है
निम्नलिखित उदाहरण को देखें:
संसद की बैठक के पश्चात् प्रीतिभोज होगा।
के पश्चात् : कालवाचक संबंधबोधक अव्यय है।
यह ‘बैठक’ और ‘प्रीतिभोज’ का संबंध बताता है।
यह वाक्य में विधेय का विस्तार है।

समुच्चयबोधक अव्यय का पद-परिचय

इस पद के परिचय में निम्नलिखित बातें लिखी जाती है:

(i) किस भेद के अंतर्गत है
(ii) किन पदों, वाक्यों को जोड़ रहा है।
(iii) वाक्य के अंगों में क्या है
निम्नलिखित उदाहरण को देखें :
(i) अनुभा और अंशु दोनों थियेटर जा रही हैं। और : यह योजक है।
यह दो कर्ताओं ‘अनुभा’ और ‘अंशु’ को जोड़ता है।
यह वाक्य में उद्देश्य का विस्तार है।
(ii) सूर्य उगा और अँधेरा भागा।
और : यह योजक है।
यह दो सरल वाक्यों को जोड़ रहा है।

विस्मयादिबोधकपद का परिचय

विस्मयादिबोधक पद का परिचय देने के लिए निम्नलिखित बातें लिखें:
(i) यह किस भाव (आश्चर्य, भय, शोक, क्रोध, घृणा, हर्ष, निराशा आदि) को प्रकट करता है?
(ii) वाक्य के अंगों में क्या है
जैसे:

  • हाय ! उसका इकलौता पुत्र भी चल बसा।
    हाय : यह शोकबोधक है।
    वाक्य में उद्देश्य का विस्तार है।

नोट : पद-परिचय में यह ध्यान रखने योग्य बात है कि कभी-कभी व्याकरणिक रूप से शब्द कुछ और होता है और वाक्य में किसी और रूप में प्रयुक्त होता है। नीचे लिखे उदाहरणों को देखें:
1. वह गाय पालता है। (सर्वनाम)
2. वह गाय बहुत दूध देती है। (विशेषण)
3. यदि वे दौड़ते तो मैं भी दौड़ता। (क्रिया)
4. दौड़ते को मत रोको। (संज्ञा)
5. दौड़ते लड़के को बुला लो। (विशेषण)
6. वहाँ बहुत लड़के हैं। (विशेषण)
7. उसने बहुत बड़ा काम किया है। (प्रविशेषण)
8. वह बहुतों को जानता है। (संज्ञा)
9. लड़का बहुत दौड़ा है। (क्रियाविशेषण)
10. प्रवर अच्छा लड़का है। (विशेषण)
11. प्रवर अच्छा गाता है। (क्रियाविशेषण)
12. अच्छा ! प्रवर भी आया है। (विस्मयादिबोधक)

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