प्र 1. जी.एस.टी. व्यवस्था में किया जाने वाला भुगतान क्या होगा?
उत्तरः जी.एस.टी. व्यवस्था में, किसी भी राज्यांतरिक (राज्य के भीतर) आपूर्ति के लिए, किया जाने वाला करों का भुगतान केंद्रीय जी.एस. टी. (सी.जी.एस.टी., केन्द्र सरकार के खाते में जमा होगा) और राज्य जी.एस.टी. (एस.जी.एस.टी., संबंधित राज्य सरकार के खाते में जमा होगा)। किसी भी अंतर-राज्य आपूर्ति के लिए, किया जाने वाला कर भुगतान एकीकृत जी.एस.टी. (आई.जी.एस.टी.) है जिसमें दोनों सी.जी.एस.टी. और एस.जी.एस.टी. के घटक सम्मिलित होंगे। इसके अतिरिक्त, पंजीकृत व्यक्तियों की कुछ श्रेणियांे को कर स्रोत पर कटौती (टी.डी.एस.) और कर स्रोत पर एकत्रित (टी.सी.एस.) सरकारी खाते में भुगतान करने की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त, जहां लागू हो, ब्याज, जुर्माना, फीस और कोई भी अन्य भुगतान करना आवश्यक होगा।
प्र 2. जी.एस.टी. का भुगतान करने के लिए कौन उत्तरदायी है?
उत्तर. आमतौर पर जी.एस.टी. भुगतान का दायित्व वस्तुओं या सेवा आपूर्तिकर्ता का है। हालांकि कई निर्दिष्ट मामलों में जैसे आयात और अन्य अधिसूचित आपूर्तियों के लिये, रिवर्स प्रभार व्यवस्था के अंर्तगत प्राप्तकर्ता पर यह दायित्व डाला जा सकता है। इसके अतिरिक्त, कुछ मामलों में, भुगतान करने का दायित्व तीसरे व्यक्ति पर होता है उदाहरणार्थ (टी.सी.एस. के मामले के लिये ई-कॉमर्स ऑपरेटर जिम्मेदार है या टी.डी.एस. के लिये सरकारी विभाग जिम्मेदार हैं)।
प्र 3. कब कराधीन व्यक्ति द्वारा जी.एस.टी. भुगतान किया जाना चाहिये ?
उत्तर. जैसा कि धारा 12 में स्पष्ट किया गया है वस्तुओं की आपूर्ति के समय और धारा 13 में सेवाओं की आपूर्ति के समय किया जाना चाहिये। समय आम तौर पर इन तीन में से सबसे पहले का समय होगा, अर्थात भुगतान की प्राप्ति पर, चालान/बिल जारी करने पर या आपूर्ति पूरा हो जाने के बाद का समय। उपरोक्त धाराओं में विभिन्न स्थितियों की परिकल्पना और अलग-अलग कर केंद्र स्पष्ट किये गये है ।
प्र 4. जी.एस.टी. भुगतान प्रक्रिया की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर. प्रस्तावित जी.एस.टी. व्यवस्था के अंतर्गत भुगतान प्रक्रियाओं की निम्नलिखित विशेषताएं होंगीः
प्र 5. भुगतान कैसे किया जा सकता है?
उत्तर. भुगतान निम्न विधियों द्वारा किया जा सकता हैः
प्र 6. आपूर्तिकर्ता द्वारा करों के भुगतान कब किये जाने चाहिये?
उत्तर. एक आम करदाता द्वारा करों का भुगतान आगामी महीने की 20 तारीख तक मासिक आधार पर किया जाना चाहिये। नकद भुगतान सबसे पहले नकदी खाता बही में जमा किया जाएगा और करदाता मासिक रिटर्न के भुगतान के समय खाता बही को डेबिट करेगा और अपने रिटर्न पर प्रासंगिक डेबिट प्रविष्टि संख्या दर्ज करेगा। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, भुगतान क्रेडिट खाता बही से डेबिट किया जा सकता है। मार्च महीने के लिए करों का भुगतान 20 अप्रैल तक किया जाएगा। संरचना करदाताओं को तिमाही आधार पर कर का भुगतान करना आवश्यक होगा। भुगतान का समय 00.00 बजे से 20.00 बजे के बीच होगा।
प्र 7. क्या कर के भुगतान की समय सीमा को बढ़ाया या मासिक किश्तों में भुगतान किया जा सकता है?
उत्तर. नहीं, स्वयं मूल्यांकन दायित्व (self-assessed liability) के मामले में इसकी अनुमति नहीं है। अन्य मामलों में, सक्षम प्राधिकारी को समयावधि बढ़ाने या किश्तों में भुगतान की अनुमति देने के अधिकार से सशक्त किया गया है। (एम.जी.एल. की धारा 55)।
प्र 8. उस स्थिति में क्या होगा जब कराधीन व्यक्ति रिटर्न तो भरता है, लेकिन कर की रकम जमा नहीं करता?
उत्तर. ऐसे मामलों में, रिटर्न एक वैध रिटर्न के रूप में नहीं माना जाता। एम.जी.एल. की धारा 27(3) प्रदान करती है कि कराधीन व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत रिटर्न तब तक वैध रिटर्न नहीं माना जायेगा जब तक कथित रिटर्न पर देय कर की कुल राशि को जमा नहीं कर दिया जाता। यह केवल वही वैध रिटर्न होगा जिसे उपयोग कर प्राप्तकर्ता को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आई.टी.सी.) की अनुमति दी जायेगी। दूसरे शब्दों में, जब तक आपूर्तिकर्ता अपने द्वारा - मूल्यांकन किये गये सारे कर का भुगतान और रिटर्न दर्ज नहीं कर देता और प्राप्तकर्ता अपना भी रिटर्न दर्ज कर देता है, प्राप्तकर्ता की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आई.टी.सी.) की पुष्टि नहीं की जाएगी। धारा 28 के अनुसार, एक कराधीन व्यक्ति जिसने एक वैध रिटर्न प्रस्तुत नहीं किया गया है उसे उक्त क्रेडिट का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जायेगी जब तक वह अपने आप द्वारा मूल्यांकित कर दायित्व का निर्वहन नहीं करता।
प्र 9. कौन सी तारीख को कर जमा करने की देय-तिथि के रूप में माना जाता है चैक प्रस्तुति या देय तिथि या सरकारी खाते में राशि जमा करने की तारीख?
उत्तर. यह सरकार के खाते में जमा की तारीख है।
प्र 10. ई-बहीखाते क्या हैं?
उत्तर. इलेक्ट्रॉनिक बहीखाते या ई-बहीखाते प्रत्येक पंजीकृत करदाता से संबंधित नकदी और इनपुट टैक्स क्रेडिट के विवरण हैं। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक करदाता के पास एक इलेक्ट्रॉनिक कर देयता रजिस्टर भी होगा। एक बार जब एक करदाता आम पोर्टल (जी.एस. टी.एन.) पर पंजीकृत हो जाता है, 2 ई-खाते (नकद और इनपुट टैक्स क्रेडिट) और एक इलेक्ट्रॉनिक कर देयता रजिस्टर स्वचालित रूप से खुल जाएगा और उसके अपने डैशबोर्ड पर प्रदर्शित हो जाता है।
प्र 11. कर देयता रजिस्टर क्या है?
उत्तर. कर देयता रजिस्टर एक करदाता की किसी विशेष महीने की कुल कर देनदारी (शुद्ध करने के बाद) प्रतिबिंबित करेगा।
प्र 12. नकद खाता बही क्या है?
उत्तर. नकद खाता बही करदाता के खाते पर सभी जमा नकद और टी.डी.एस./ टी.सी.एस. प्रतिबिंबित करेगा। जानकारी वास्तविक समय के आधार पर परिलक्षित होगी। यह खाता बही जी.एस.टी. के खाते में होने वाले किसी भी भुगतान के लिये प्रयोग की जा सकती है।
प्र 13. एक आई.टी.सी. खाता बही क्या है?
उत्तर. अपने आप मूल्यांकन किये गये मासिक रिटर्न के रूप में इनपुट टैक्स क्रेडिट आई.टी.सी. खाता बही में दर्शाये जाएंगे। इस खाता बही में क्रेडिट/जमा को कर के भुगतान के लिये प्रयोग किया जा सकता है न कि ब्याज, जुर्माना, फीस आदि के रूप में अन्य कोई राशि।
प्र 14. जी.एस.टी.एन. और अधिकृत बैंकों के बीच क्या संपर्क/कड़ी है?
उत्तर. वहाँ जी.एस.टी.एन और बैंक की कोर बैंकिंग सोल्यूशन (सीबी.ए स.) के बीच वास्तविक समय दोतरफा कड़ी होगी। सी.पी.आई. एन. इलेक्ट्रॉनिक स्ट्रिंग के माध्यम के साथ सत्यापन और भुगतान प्राप्त करने और चालान पहचान संख्या (सी.आई.एन.) बैंक द्वारा आम पोर्टल पर स्वचालित रूप से भुगतान प्राप्ति की पुष्टि के लिए भेज दिये जाएंगे। इस प्रक्रिया में बैंक के कैशियर या टेलर या करदाता सहित किसी के द्वारा भी कोई मैनुअल हस्तक्षेप शामिल नहीं किया जाएगा।
प्र 15. क्या करदाता कई बैठकों में चालान उत्पन्न कर सकते हैं?
उत्तरः हाँ, करदाता आंशिक रूप से चालान को भर सकते हैं और अस्थायी रूप में चालान को बाद में पूरा करने के लिये सुरक्षित "save" रख सकते हैं। एक सुरक्षित चालान को अंतिम रूप देने से पहले एडिट "edit" किया जा सकता है। करदाता द्वारा चालान को अंतिम रूप देने के बाद, वह करों के भुगतान के उपयोग के लिए, चालान उत्पन्न करेगा। प्रेषक को अपने रिकॉर्ड के लिए चालान प्रिंट करने का विकल्प उपलब्ध होगा।
प्र 16. एक ऑनलाइन उत्पन्न किये गये चालान को संशोधित किया जा सकता है?
उत्तरः नहीं। चालान उत्पन्न करने के लिये जी.एस.टी.एन. पोर्टल पर लाॅगिंग करने के बाद, करदाता या उसके अधिकृत व्यक्ति द्वारा भुगतान के विवरण को भरना होगा। वह भविष्य में अद्यतन करने के लिए चालान को प्रकिया के बीच श्ेंअमश् सुरक्षित कर सकता है।
यद्पि एक बार जब चालान को अंतिम रूप दे दिया जाता है और सी.पी.आई.एन. उत्पन्न हो जाता है, करदाता द्वारा उसमें आगे कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
प्र 17. क्या चालान वैधता की कोई अवधि है?
उत्तरः हाँ, चालान उसके उत्पन्न होने के बाद पंद्रह दिनों के लिए वैध होगा और उसके बाद उसे सिस्टम से हटा दिया जायेगा। हालांकि, करदाता अपनी सुविधा के लिए एक अन्य चालान भी उत्पन्न कर सकता है।
प्र 18. सीपीआईएन क्या है?
उत्तरः सी.पी.आई.एन. को एक आम पोर्टल पहचान संख्या (सी.पीआई.ए न.) से जाना जाता है जिसे चालान उत्पन्न करने के समय दिया जाता है। यह चालान की पहचान करने के लिए 14 अंकों की एक अद्वितीय संख्या है। जैसा कि ऊपर कहा गया है, सी.पी.आई.
एन. 15 दिनों की अवधि के लिए मान्य रहता है।
प्र 19. एक सी.आई.एन. क्या है और इसका क्या औचित्य है?
उत्तरः सी.आई.एन. चालान पहचान संख्या व्यक्त करता है। यह एक 17 अंकों की संख्या है अर्थात सी.पी.आई.एन. के 14 अंक और बैंक कोड के 3-अंक। सी.आई.एन. अधिकृत बैंकों/भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) द्वारा उत्पन्न किया जाता है जब कथित बैंकों या आर.बी.आई. द्वारा भुगतान वास्तव में प्राप्त हो जाता है उनके द्वारा आयोजित प्रासंगिक सरकारी खाते में जमा किया जाता है। यह इंगित करता है कि भुगतान प्राप्त हो चुका है और उचित सरकारी खाते में जमा हो गया है। सी.आई.एन. अधिकृत बैंकों द्वारा उत्पन्न होता है। सी.आई.एन. अधिकृत बैंक द्वारा करदाता के साथ साथ जी.एस.टी.एन को भेजा जाता है।
प्र 20. कर के भुगतान का क्या क्रम होगा जहां करदाता की पिछले महीनों की देनदारियां षेश हैं?
उत्तरः धारा 35(8) भुगतान का आदेश निर्धारित करती है जहां करदाता की वर्तमान रिटर्न की अवधि के अतिरिक्त भी कर भुगतान का दायित्व बाकी है। ऐसी स्थिति में, भुगतान के आदेश का पालन किया जाना चाहियेः सबसे पहले पिछली अवधि का अपने आप किये मूल्यांकन का कर और ब्याज; उसके बाद वर्तमान अवधि के लिये अपने आप किये मूल्यांकन किये कर और ब्याज; और उसके बाद कोई भी अन्य देय राशि जिसमें धारा 51 के अंर्तगत किसी मांग की पुष्टि की गई है।
प्र 21 ई-एफ.पी.बी. क्या है?
उत्तरः ई-एफ.पी.बी. इलेक्ट्रॉनिक फोकल प्वाइंट शाखा व्यक्त करता है। ये अधिकृत बैंकों की शाखाएं हैं जो जी.एस.टी. का भुगतान प्राप्त करने के लिए अधिकृत की गई हैं। प्रत्येक अधिकृत बैंक अखिल भारत के लेनदेन के लिये अपनी केवल एक ई-एफपीबी के रूप में एक शाखा को नामांकित करेगा। ई-एफ.पी.बी. को सभी सरकारों के लिए प्रत्येक प्रमुख मद के नीचे खाते खोलने होंगे। कुल 38 खातों (सी.जी.एस.टी., आई.जी.एस.टी. लिए एक-एक तथा प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार के लिए एक-एक एस.जी.एस.टी.)
खोलना होगा। जी.एस.टी. के लिये कथित ई-एफपीबी द्वारा प्राप्त की गई कोई भी राशि कथित ई-एफ.पी.बी. द्वारा आयोजित उचित खाते में जमा कर दी जाएगी।
एन.ई.एफ.टी./आर.टी.जी.एस. लेनदेन के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक ई-एफ.पी.बी. के रूप में कार्य करेगा।
प्र 22. टी.डी.एस. क्या है?
उत्तरः टी.डी.एस. स्रोत पर कटौती किया गया कर (टी.डी.एस.) है। धारा 37 के अनुसार, यह प्रावधान सरकारी और सरकारी उपक्रमों और अन्य अधिसूचित संस्थाओं के लिये किया गया है जो आपूर्तिकर्ताओं को 10 लाख रुपये से अधिक का अनुबंधात्मक भुगतान करते हैं। ऐसे भुगतान करते समय,संबंधित सरकार/प्राधिकारी कुल देय राशि का 1 प्रतिशत घटा कर और उचित जी.एस.टी. खाते में प्रेषित कर देंगे।
प्र 23. अपने रिटर्न भरने के समय आपूर्तिकर्ता कैसे इस टी.डी.एसको हिसाब में दिखाएगा?
उत्तरः टी.डी.एस. के रूप में दिखायी गई कोई भी राशि संबंधित आपूर्तिकर्ता के इलेक्ट्रॉनिक नकदी खाता बही में दर्शायी जायेगी। वह इस रकम को कर, ब्याज की फीस और किसी भी अन्य राशि के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करने की दिशा में उपयोग कर सकता है।
प्र 24. टी.डी.एस. कटौतीकर्ता उक्त टी.डी.एस. के लिये कैसे उत्तरदायी होगा?
उत्तरः टी.डी.एस. कटौतीकर्ता निम्न तरीकों से इस तरह के टी.डी. एस. के लिये उत्तरदायी होगाः
1. इस तरह के कटौतीकर्ताओं को एम.जी.एल. की धारा 19 की अनुसूची प्प्प् के साथ पठनीय के अंर्तगत पंजीकृत होना आवश्यक है।
2. उन्हें जिस तारीख को टी.डी.एस. एकत्रित और जी.एस. टी.आर. 7 में सूचित किया है उसकी आगामी महीने की 10 तारीख को कथित एकत्रित किये गये टी.डी.एस. को प्रेषित करना आवश्यक है।
3. टी.डी.एस. के रूप में जमा राशि को आपूर्तिकर्ता के इलेक्ट्रॉनिक नकदी खाता बही में दर्शाया जाएगा।
4. उन्हें टी.डी.एस. की कटौती करने के 5 दिनों के भीतर ऐसे करदाता को टी.डी.एस. प्रमाणपत्र जारी करना होगा
जिसमें विफल रहने पर कटौतीकर्ता द्वारा प्रतिदिन 100 रुपये की फीस जो अधिकतम 5000/- रूपये तक हो सकती है - कथित कटौतीकर्ता द्वारा देय होगी।
प्र 25. स्रोत पर एकत्रित कर (टी.सी.एस.) क्या है?
उत्तरः यह प्रावधान केवल एम.जी.एल. की धारा 43सी के अंर्तगत ई-वाणिज्य ऑपरेटर के लिए लागू है। प्रत्येक ई-वाणिज्य ऑपरेटर को उस राशि का एक प्रतिशत रोकना आवश्यक है जो आपूर्तिकर्ता को वास्तविक भुगतान करने के समय उस पर देय है। (जी.एस.टी परिषद की सिफारिश पर बाद में अधिसूचित किया जाएगा) ऐसी रोकी गई कथित राशि कथित ई-वाणिज्य ऑपरेटर द्वारा आगामी महीने की 10 तारीख तक उचित जी.एस.टी. खाते में जमा कर दी जायेगी। टीसीएस के रूप में राशि के रूप में जमा टी.सी.एसआपूर्तिकर्ता के इलेक्ट्रॉनिक नकदी खाता बही में दर्शायी जायेगी।
प्र 26. जी.एस.टी. भुगतान के लिए जी.एस.टी.एन. पोर्टल में क्रेडिट कार्ड का पूर्व पंजीकरण करना आवश्यक है?
उत्तरः हाँ। करदाता जिस क्रेडिट कार्ड से कर का भुगतान करना चाहता है उसे जी.एस.टी.एन. पर अनुरक्षित आम पोर्टल के साथ उसका पूर्व-पंजीकरण करना आवश्यक है। जी.एस.टी.एन. क्रेडिट कार्ड सेवा प्रदाता से कार्ड के सत्यापन की पुष्टि प्राप्त करने के लिये बैंक के साथ समन्वय कर सकता है। क्रेडिट कार्ड के प्रयोग द्वारा व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिये बिना मौद्रिक सीमा भुगतान की अनुमति दी जा सकती।
1. कर का जी.एस.टी. (GST) क्या है? |
2. GST क्यों जरूरी है? |
3. GST के लाभ क्या हैं? |
4. GST कितने प्रकार का है? |
5. जी.एस.टी. का उपयोग किस तरह से किया जाता है? |
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