UPPSC (UP) Exam  >  UPPSC (UP) Notes  >  Course for UPPSC Preparation  >  भारतीय संस्कृति का अनोखा स्वरुप

भारतीय संस्कृति का अनोखा स्वरुप | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP) PDF Download

स्वभाव की गंभीरता, मन की समता, संस्कृति के अंतिम पाठों में से एक है और यह समस्त विश्व को वश में करने वाली शक्ति में पूर्ण विश्वास से उत्पन्न होती है।
अगर भारत के संदर्भ में बात की जाए तो भारत एक विविध संस्कृति वाला देश है, एक तथ्य कि यहाँ यह बात इसके लोगों, संस्कृति और मौसम में भी प्रमुखता से दिखाई देती है। हिमालय की अनश्वर बर्फ से लेकर दक्षिण के दूर दराज में खेतों तक, पश्चिम के रेगिस्तान से पूर्व के नम डेल्टा तक, सूखी गर्मी से लेकर पहाड़ियों की तराई के मध्य पठार की ठंडक तक, भारतीय जीवनशैलियाँ इसके भूगोल की भव्यता स्पष्ट रूप से दर्शाती है। एक भारतीय के परिधान, योजना और आदतें इसके उद्भव के स्थान के अनुसार अलग-अलग होते हैं।
भारती संस्कृति अपनी विशाल भौगोलिक स्थिति के समान अलग-अलग है। यहाँ के लोग अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं, अलग-अलग तरह के कपडे़ पहनते हैं, भिन्न-भिन्न धर्मों का पालन करते हैं, अलग-अलग भोजन करते हैं किंतु उनका स्वभाव एक जैसा होता है। चाहे कोई खुशी का अवसर हो या कोई दुख का क्षण, लोग पूरे दिल से इसमें भाग लेते हैं, एक साथ खुशी या दर्द का अनुभव करते हैं। एक त्यौहार या एक आयोजन किसी घर या परिवार के लिये समिति नहीं है। पूरा समुदाय या आस-पड़ोस एक अवसर पर खुशियाँ मनाने में शामिल होता है, इसी प्रकार एक भारतीय विवाह मेल-जोल का आयोजन है, जिसमें न केवल वर और वधु बल्कि दो परिवारों का भी संगम होता है। चाहे उनकी संस्कृति या फिर धर्म का मामला क्यों न हो। इसी प्रकार दुख में भी पड़ोसी और मित्र उस दर्द को कम करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारतीय संस्कृति के बारे में पं. मदनमोहन मालवीय का कहना है कि ‘‘भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विशालता और उसकी महत्ता तो संपूर्ण मानव के साथ तादात्म्य संबंध स्थापित करने अर्थात् ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की पवित्र भावना में निहत है।
भारत का इतिहास और संस्कृति गतिशील है और यह मानव सभ्यता की शुरूआत तक जाती है। यह सिंधु घाटी की रहस्यमयी संस्कृति से शुरू होती है और भारत के दक्षिणी इलाकों में किसान समुदाय तक जाती है। भारत के इतिहास में भारत के आस-पास स्थित अनेक संस्कृतियों से लोगों का निंरतर समेकन होता रहा है। उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार लोहे, तांबे और अन्य धातुओं के उपयेाग काफी शुरूआती समय में भी भारतीय उप-महाद्वीप में प्रचलित ये, जो दुनिया के इस हिस्से द्वारा की गई प्रगति का संकेत है। चौथी सहस्राब्दि बी.सी. के अंत तक भारत एक अत्यंत विकसित सभ्यता के क्षेत्र के रूप में उभर चुका था।
संस्कृति के शब्दिक अर्थ की बात की जाए तो संस्कृति किसी भी देश, जाति और समुदाय की आत्मा होती है। संस्कृति से ही देश, जाति या समुदाय के उन समस्त संस्कारों का बोध होता है जिनके सहारे वह अपने आदर्शों, जीवन मूल्यों आदि का निर्धारण करता है। अत: संस्कृति का साधारण अर्थ होता है- संस्कार, सुधार, परिवार, शुद्धि, सजावट आदि। वर्तमान समय में सभ्यता और संस्कृति को एक-दूसरे का पयार्य माना जाने लगा है लेकिन वास्तव में संस्कृति और सभ्यता अलग-अलग होती है। सभ्यता में मनुष्य के राजनीतिक, प्रशासनिक, आर्थिक, प्रौद्योगिकीय व दृश्य कला रूपों का प्रदर्शन होता है जो जीवन को सुखमय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जबकि संस्कृति में कला, विज्ञान, संगीत, नृत्य और मानव जीवन की उच्चतम उपलब्धियाँ सम्मिलित है।
भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। यह माना जाता है कि भारतीय संस्कृति यूनान, रोम, मिस्र, सुमेर और चीन की संस्कृतियों के समान ही प्राचीन है। भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। इसके साथ ही यह अपने-आप को बदलते समय के ढालती भी आई है।
‘‘यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमां, सब गिर गए जहाँ से अब तक मगर है बाकी नाम-ओ-निशाँ हमारा,

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जहाँ हमारा।’’

ज्ब से मसव का जीवन अस्तित्व में है तब से वह निरंतर उन मूल्यों की तरफ अग्रसर है, जिनकों प्राप्त कर लेने पर उसका जीवन व्यवस्थित होने के साथ-साथ ‘आत्मिक सौंदर्य’ से भी परिचित हो सके। उसकी यह प्रवृत्ति वास्वत में संस्कृति की ओर ही इशारा करती है। भारतीय संस्कृति समस्त मानव जाति का कल्याण चाहती है। भारतीय संस्कृति में  प्राचीन गौरवशाली मान्यताओं एवं परंपराओं के साथ ही नवीनता का समावेश भी दिखाई देता है। भारतीय संस्कृति विभिन्न सांस्कृतिक धाराओं का महासंगम है, जिसमें सनातन संस्कृति से लेकर आदिवासी, तिब्बत, मंगोल, द्रविड़, हड़प्पाई और यूरोपीय धाराएँ समाहित हैं। ये धाराएँ भारतीय संस्कृति को इंद्रधनुषीय संस्कृति या गंगा-जमुनी तहज़ीब में परिवर्तित करती है।
अगर भारतीय संस्कृति के समन्वित रूप पर विचार करें तो इसमें विभिन्न विशेषताएँ देखने को मिलती हैं। भारतीय संस्कृति में अध्यात्म एवं भौतिकता’ में समन्वय नजर आता है। भारतीय संस्कृति में प्राचीनकाल में मनुष्य के चार पुरूषार्थों धर्म, अर्ध, काम, मोटर्स एवं चार आश्रमों- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संन्यास का उल्लेख है, जो आध्यात्मिकता एवं भौतिक पक्ष में समन्वय लाने का प्रयास है। उल्लेखनीय है कि भारतीय संस्कृति ने अनेक जातियों के श्रेष्ठ विचारों को अपने में समेट लिया है। भारतीय संस्कृति में यहां के मूल निवासियों के समन्वय की प्रक्रिया के साथ ही बाहर से आने वाले शक, हूण, यूनानी एवं कुषाण भी यहां की संस्कृति में घुल-मिल गए हैं। अरबों, तुर्कों और मुगलों के माध्यम से यहाँ इस्लामी संस्कृति का आगमन हुआ। इसके बावजूद भारतीय संस्कृति ने अपना पृथक अस्तित्व बनाए रखा और नवागत संस्कृतियों की अच्छी बातों को उदारतापूर्वक ग्रहण किया। आज हम भाषा, खानपान, पहनावे, कला, संगीत आदि हर तरह से गंगा-जमुनी तहजीब या यूँ कहें कि वैश्विक संस्कृति के नमूने हैं। कौन कहेगा कि सलवार-सूट ईरानी पहनावा है या हलवा, कबाब, पराठे, ‘शुद्ध भारतीय व्यंजन नहीं हैं।
इस बिंदु पर विचार करना जरूरी है कि हड़प्पाकालीन सभ्यता की पंरपराएँ एवं प्रथाएँ आज भी भारतीय संस्कृति में देखने को मिल जाती है, यथा-मातृदेवी की उपासना, पशुपतिनाथ की उपासना, यांग-आसन की परंपरा इत्यादि। इसके अलावा भारतीय संस्कृति में ‘प्रकृति मानव सहसंबंध’ पर बल दिया गया है। हमारी संस्कृति मानव, प्रकृति और पर्यावरण के अटूट एवं साहचर्य संबंधों को लेकर चलती है। भारतीय उपनिषदों में ‘ईशावास्यइंद सर्वम्’ अर्थात् जगत् के कण-कण में ईश्वर की व्याप्तता को स्वीकार किया गया है।
यहाँ के विभिन्न विचारकों एवं महापुरूशों ने भारतीय संस्कृति को समन्वित रूप प्रदान करने वाले विचार प्रस्तुत किये हैं। फिर चाहे बुद्ध, तुलसीदास हो या गांधी जी, इन सभी को भारतीय संस्कृति के नायक के रूप में प्रस्तुत किया गया है तथा ये सभी चरित्र भारतीय संस्कृति को समन्वित स्वरूप देते हैं। भारत की विभिन्न कलाओं, जैसे- मूर्तिकला, नृत्यकला, चित्रकला, लोकसंस्कृति इत्यादि में भारतीय संस्कृति के समन्वित स्वरूप को देखा जा सकता है। विभिन्न धर्म, पंथों एवं वर्गों के लोगों का नेतृत्व इन कलाओं में दृष्टिगोचर होता है, जैसे- मध्यकाल में इंडो-इस्लामिक स्थापत्य कला और आधुनिक काल में विक्टोरियन शैली। भारतीय संस्कृति का समन्वित रूप केवल भौगोलिक-राजनीतिक सीमाओं में ही नहीं है बल्कि उसके बाहर भी है। भारत के अंदर बौद्ध, जैन, हिंदू, सिख, मुस्लिम, ईसाई आदि धर्मों के लोग एवं उनके पूज्य-स्थल हैं, जो ‘शांतिपूर्ण’ सहअस्तित्व को दर्शाते हैं।
विदित हो कि संस्कृति का स्वरूप ‘साहित्य’ में सबसे अधिक समर्थयपूर्ण तरीके से अभिव्यंजित होता है। संस्कृति साहित्य कर प्राण है। साहित्य की विभिन्न विधाओं में संस्कृति के प्रभाव को देखा जा सकता है। यहाँ की संस्कृति के आधारभूत मूल्य दया, करूणा, प्रेम, शांति, सहिष्णुता, लचीलापन, क्षमाशीलता इत्यादि को भारतीय साहित्य में समुचित तरीके से अभिव्यक्ति दी गयी है। भारतीय संस्कृति का यह समन्वित रूप संस्कृति भाषा के माध्यम से रामायण, महाभारत, गीता, कालिदास-भवभूति-भास के काव्यों और नाटकों, के माध्यम से बार-बार व्यक्त हुआ है। तमिल का संगम साहित्य, तेलुगु का अवधान साहित्य, हिंदी का भक्ति साहित्य, मराठी को पोवाड़ा, बंगला का मंगल नीति आदि भारतीय उद्यान के अनमोल फूल हैं।
इनकी संयुक्त माला निश्चय ही ‘समेकित भारतीय संस्कृति’ का प्रतिनिधित्व करती है। तुलसीदास मध्यकाल में भारतीय संस्कृति के समन्वय के सबसे बड़े कवि के रूप में नजर आते हैं।

‘‘स्वपच सबर खस जमन जड़, पाँवर कोल किरात
रामु कहत पावन परम, होत भुवन विख्यात।।’’

भारतीयों ने गणित व खगोल विज्ञान पर प्रामाणिक व आधारभूत खोज की। शून्य का आविष्कार, पाई का शुद्धतम मान, सौरमंडल पर सटीक विवरण आदि का आधार भारत में ही तैयार हुआ। तात्कालिक कुछ नकारात्मक घटनाओं व प्रभावों ने जो धुंध हमारी सांस्कृतिक जीवन-शैली पर आरोपित की है, उसे सावधानी पूर्वक हटाना होगा। आज आवश्यकता है कि हम अतीत की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजें और सवारें तथा उसकी मजबूत आधारशिला पर खडे़ होकर नए मूल्यों व नई संस्कृति को निर्मित एवं विकसित करें।

The document भारतीय संस्कृति का अनोखा स्वरुप | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP) is a part of the UPPSC (UP) Course Course for UPPSC Preparation.
All you need of UPPSC (UP) at this link: UPPSC (UP)
111 videos|370 docs|114 tests

Top Courses for UPPSC (UP)

FAQs on भारतीय संस्कृति का अनोखा स्वरुप - Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

1. भारतीय संस्कृति क्या है?
उत्तर: भारतीय संस्कृति एक विशाल और विविध संस्कृति है जिसमें अनेक धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और कला संप्रदायों के अवशेष मौजूद हैं। यह न केवल भारतीय इतिहास, तत्वज्ञान, दर्शन, साहित्य और कला का धन्य संग्रह है, बल्कि यह भारतीय जीवनशैली का भी प्रतिष्ठित अंग है।
2. भारतीय संस्कृति में कौन-कौन से कला संप्रदाय हैं?
उत्तर: भारतीय संस्कृति में कई प्रमुख कला संप्रदाय हैं जैसे कि भारतीय शास्त्रीय संगीत, भारतीय क्लासिकल नृत्य, कथक, कवि सम्मेलन, भारतीय शिल्पकला, मुद्रायन, वास्तुकला, भारतीय सिनेमा आदि। ये सभी कलाएं भारतीय संस्कृति के विभिन्न आयामों को प्रदर्शित करती हैं और भारतीय जीवनशैली की महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
3. भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण तत्व क्या हैं?
उत्तर: भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण तत्वों में संस्कृत भाषा, धर्म, दर्शन, आदर्श, संप्रदाय, परंपरा, साहित्य, कला, संगीत, नृत्य, शिल्प, वास्तुकला, आदि शामिल हैं। ये सभी तत्व भारतीय संस्कृति को अनोखा और सामर्थ्यपूर्ण बनाते हैं और इसे विश्व स्तर पर मशहूर बनाते हैं।
4. भारतीय संस्कृति की विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: भारतीय संस्कृति की विशेषताएं उसकी विविधता, समृद्धता, सहिष्णुता, धार्मिकता, आदर्शवाद, आध्यात्मिकता, गौरवशाली इतिहास, राष्ट्रीय एकता, वैश्विक मान्यता, और जीवन के हर पहलू में सर्वांगीण विकास करने की क्षमता है। ये सभी विशेषताएं भारतीय संस्कृति को अनोखा बनाती हैं और इसे विश्व स्तर पर पहचानयोग्य बनाती हैं।
5. भारतीय संस्कृति का इतिहास क्या है?
उत्तर: भारतीय संस्कृति का इतिहास बहुत प्राचीन है और कई हजार वर्षों से चलता आ रहा है। इसका इतिहास वेद पुराणों, शास्त्रों, इतिहास पुस्तकों और अन्य प्राचीन लेखों से प्रमाणित है। भारतीय संस्कृति का इतिहास भारतीय महाद्वीप में विभिन्न साम्राज्यों, संस्कृति समूहों, धर्मों और व्यक्तियों के प्रभाव के साथ विकसित हुआ है।
111 videos|370 docs|114 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPPSC (UP) exam

Top Courses for UPPSC (UP)

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

mock tests for examination

,

Important questions

,

भारतीय संस्कृति का अनोखा स्वरुप | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

,

Semester Notes

,

भारतीय संस्कृति का अनोखा स्वरुप | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

,

study material

,

practice quizzes

,

भारतीय संस्कृति का अनोखा स्वरुप | Course for UPPSC Preparation - UPPSC (UP)

,

MCQs

,

Extra Questions

,

Free

,

Exam

,

Objective type Questions

,

past year papers

,

ppt

,

video lectures

,

Sample Paper

,

shortcuts and tricks

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Summary

,

pdf

,

Viva Questions

;