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विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ (भाग - 5) - सामान्य विज्ञानं | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

गैलियम आर्सेनाइड चिप (Gallium Arsenide Chip) -  इस चिप में सिलिकाॅन चिप की अपेक्षा अनेकों सुविधायें रहती है। यह सिलिकाॅन चिप की अपेक्षा तीन से छः गुना अधिक तेज काम करता है एवं प्रकाश उत्सर्जित करता है, वह जबकि सिलिकाॅन नहीं करता है। सिलिकाॅन की अपेक्षा वह सूर्य प्रकाश को अधिक दक्षता के साथ अवशोषित करता है जिससे बेहतर सोलर सेल बनाये जा सकते है। इस पदार्थ की विकिरण के प्रति प्रतिरोधकता सिलिकाॅन की तुलना में ज्यादा होती है जिससे अंतरिक्ष उपग्रहों में इसका प्रयोग अधिक उपयोगी है, साथ ही सिलिकाॅन की अपेक्षा यह ऊंचे तापमान पर काम कर सकता है। यह सिलिकाॅन से कम ऊर्जा पर कार्य करता है तथा एक ही चिप पर प्रकाश और इलेक्ट्रानिक डाटा प्रोसेसिंग संयोजित कर सकता है।
गैलियम आर्सेनाइड के प्रयोग से अनेकों लाभदायक परिणाम तथा संभावनायें सामने आयी है। इससे सुपर कम्प्यूटर की कार्य क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई, संवेदनशील कलाई घड़ी, उपग्रह के माध्यम से कार्य करने वाले रेडियो, टेलीफोन, छोटे और अधिक सक्षम रोबोट का विकास आदि अनेकों लाभकारी परिणाम मिले है।
गैलियम आर्सेनाइड पृथ्वी के खनिजों में बहुत कम मात्रा में प्राप्त होेता है। इसका अधिकांश विकास प्रयोगशालाओं में ही किया जाता है। जापान की ‘फुजित्सू’ कम्पनी (Fujitsu) इस पदार्थ को बनाने का कार्य करती है। एक अनुमान के अनुसार इस शताब्दी के अंत तक सुपर कम्प्यूटर के क्षेत्रा में एक तिहाई हिस्सा गैलियम आर्सेनाइड का हो जायेगा।
कम्पाइलर (Compiler) - यह उच्चस्तरीय भाषाओं को मशीन की भाषा में परिवर्तित करता है।
डिस्क आॅपरेटिंग सिस्टम (Disk  Operating System) - यह पूर्व लिखित प्रोग्राम, आंकड़ा प्रोग्राम तथा सम्बद्ध सूचना को डिस्क (Secondary Memory) से मुख्य मेमोरी में ले जाने और वापस लाने का कार्य सम्पादित करता है।
टेक्स्ट एडीटर (Text Editor) - डिस्क अथवा टेप पर पहले से लिखी सूचनाओं को बदलना, उनमें सुधार करना तथा नयी सूचनाओं को जोड़ना, पूर्व लिखित सूचना को पूर्णतया हटा देना टेक्स्ट एडीटर का काम होता है।
शेड्यूलर (Schedular) - यह केन्द्रीय संगणक इकाई (Central Processing Unit) के द्वारा किये जाने वाले कार्यों का क्रम निर्धारित करता है।
स्वैपर (Swapper) - केन्द्रीय मेमोरी में नयी सूचनाओं को लिखे जाने के लिये कुछ पूर्वलिखित सूचनाओं को द्वितीयक मेमोरी (Secondary memory) में वापस भेजना आवश्यक होता है। नयी सूचना के लिये जगह खाली करने के लिये किस पूर्वलिखित सूचना को वापस लौटाया जाये यह निर्धारित करने की जिम्मेदारी स्वैपर के ऊपर रहती है।
    टी. एन. टी.(TNT) - यह हल्का पीला क्रिस्टली ठोस पदार्थ है। यह टाल्वीन (C6H5CH3) के साथ सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल की क्रिया से बनाया जाता है। इसका सबसे अधिक उपयोग विस्फोटक के रूप में किया जाता है। इसका पूरा रूप ट्राईनाइट्रो-टाल्वीन (TNT) है।
    ट्राईनाइट्रो ग्लिसरीन (TNG) - ट्राई नाइट्रो ग्लिसरीन एक रंगहीन तैलीय द्रव है। यह डाइनामाइट बनाने के काम आता है। इसे नोबल का तेल (Nobel's Oil) भी कहा जाता है। यह सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल की ग्लिसरीन के साथ क्रिया करके बनाया जाता है।
    ट्राई-नाइट्रो-फिनाॅल ;ज्छच्द्ध- इसे पिकरिक अम्ल भी कहा जाता है। यह फीनाल व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है। यह हल्का पीला, क्रिस्टलीय ठोस होता है तथा अत्यधिक विस्फोटक होता है।
    आर. डी. एक्स.(RDX) - इस विस्फोटक को सं. रा. अमेरिका में ‘साइक्लोनाइट’, जर्मनी में ‘हेक्सोजन’ तथा इटली में ‘टी-4’ के नाम से जाना जाता है। इसमें प्लास्टिक पदार्थ जैसे पालिब्यूटाइन, एक्रिलिक अम्ल या पोलियूरेथेन को मिलाकर ‘प्लास्टिक बान्डेड एक्सप्लोसिव’ बनाया जाता है। इसके एक रूप को ‘सी-4’ भी कहते हैं। यह एक प्रचंड विस्फोटक है तथा इसके तापमान व आग फैलाने की गति को बढ़ाने के लिये इसमें ऐल्युमिनियम चूर्ण को मिलाया जाता है। ‘प्लास्टिक विस्फोटक’ का प्रयोग आतंकवादी करते हैं। आर. डी. एक्स. की विस्फोटक ऊष्मा 1510 किलोकैलोरी प्रति किग्रा. होती है।
    एन्टीसेप्टिक (Antiseptics) - ये औषधियाँ सूक्ष्म जीवाणुओं को मारने व उनकी वृद्धि रोकने में सहायक होती हैं। ये रक्त को दूषित होने से रोकने व घाव आदि भरने में विशेष रूप से प्रयुक्त की जाती हैं। सिरके तथा सिडार तेल (Cedar's Oil) का प्रयोग घावों आदि के ठीक करने में प्राचीन काल से होता आ रहा है। आधुनिक एन्टीसेप्टिक औषधियाँ तैयार करने में सेमिलवीस (Semmelweis) लिस्टर (Lister) व हाइपोक्लोरस (Hypochlorous) अम्ल, इथाइल अल्कोहल (Ethyle alcohal), फिनाॅल (Phenols), हेक्साक्लोरोफीन (Hexachlorophene), फार्मेल्डीहाइड (Formaldehyde), हाइड्रोजन पेराॅक्साइड (Hydrogen peroxide) , एक्रीफिलाविन (Acriflavine) आदि रोगाणु व कीटाणु नाशक के रूप में प्रयोग किये जाते हैं।    
 एन्टीपायरेटिक्स (Antipyretics) 
- एन्टीपायरेटिक्स का प्रयोग शरीर दर्द व बुखार उतारने में किया जाता है। एस्प्रीन, क्रोसीन, फिनैसिटिन, पायरोमिडीन आदि प्रमुख एन्टीपायरेटिक्स औषधियाँ हैं।
    निश्चेतक (Anaesthetic) - निश्चेतक मुख्यतः संवेदना (sensation) को कम करने के लिये प्रयुक्त किये जाते हैं। निश्चेतक का प्रयोग सबसे पहले विलियम मोरटन ने 1846 में डाई इथाइल ईथर के रूप में किया। इसके पश्चात 1847 में जेम्स सेम्पसन ने क्लोरोफार्म को निश्चेतक के रूप में प्रयोग किया। क्लोरोफार्म, पेन्टोथल सोडियम (Pentothal sodium), हेलोथेन (Halothane), नाइट्रस आक्साइड (Nitrous oxide), ट्राईक्लोरो एथिलीन (Trichloroethylene), क्लोरोप्रोपेन (Chloropropane), कोकीन (Cocaine), डायजीपाम (Diagipalm), सल्फोनल (Sulphonal), वेरोनल (Veronal) आदि निश्चेतक के रूप में प्रयोग किये जाते हैं।
-     पाणिनी - ‘पाणिनी’ एक कम्प्यूटर प्रोग्राम है जिसका विकास डाॅ. शिवमूर्ति जगदगुरू ब्रीहन्मह ने किया है। यह प्रोग्राम संस्कृत व्याकरण सीखने में सहायक है।
-     एस-300 -‘एस-300’ रूस की प्रक्षेपास्त्रा रोधी प्रणाली है, जिसको खरीदने पर भारत विचार कर रहा है। 150 किलोमीटर दूरी तक मार करने की क्षमता वाला एस-300  अमेरिकी प्रक्षेपास्त्रा रोधी प्रणाली ‘पेट्रियट’ से बेहतर माना जा रहा है। यह शत्राु के विमानों और उनसे छोड़े गये प्रक्षेपास्त्रों का पीछा करने तथा बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्रों को नष्ट करने में सक्षम है।
एंजियोग्राफी: भारतीय चिकित्सकों ने हृदय की रक्त धमनियों में किसी भी तरह की रुकावट का समय से पूर्व पता लगाने का आसान, सस्ता एवं कारगर तरीका विकसित किया है। विश्व में पहली बार विकसित अपने तरह की इस नायाब युक्ति की बदौलत दिल के दौरे के प्रकोप को कम करने में मदद मिल सकेगी। इस युक्ति के जरिये रोगी को कोई कष्ट दिये और बेहोश किये बिना कुछ ही मिनट में रक्त धमनियों में हर तरह की रुकावटों का पता लगाया जा सकता है, जबकि परम्परागत एंजियोग्राफी की मदद से रक्त धमनियों में 50 प्रतिशत से अधिक रुकावट का ही पता चल पाता है और इसके लिए रोगी को बेहोश करने और अस्पताल में भर्ती करने की भी जरूरत पड़ जाती है। इस युक्ति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध हृदय रोग चिकित्सक डाॅ. पुरुषोतम लाल के अनुसार ‘मेट्रो कोरोनरी स्क्रीनिंग’ नामक इस नयी तकनीक की मदद से रक्त धमनियों में 50 प्रतिशत से कम रुकावट होने पर आमतौर पर किसी तरह के लक्षण प्रकट नहीं होते लेकिन यह रुकावट धीरे-धीरे बढ़ती रहती है और दिल के दौरे का कारण बनती है।
इस नयी विधि के तहत हाथ में उस जगह पर से रक्त धमनियों में अत्यन्त पतला कैथेटर प्रवेश कराया जाता है, जहां से सामान्य रक्त एवं कोलेस्ट्राल परीक्षण के लिए रक्त लिया जा सकता है। इस कैथेटर के जरिये रक्त धमनियों में तीन या चार सी.सी. डाई डालकर पूरी रक्त धमनियों को स्कैन किया जाता है। इससे धमनियों में 50 प्रतिशत से कम के जमाव का भी पता चल जाता है। इस परीक्षण पर एंजियोग्राफी की तुलना में काफी कम खर्च आता है। डाॅ. पुरुषोतम लाल के अनुसार यह परीक्षण 30 साल से अधिक उम्र के उन सभी व्यक्तियों को कराना चाहिए जो उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं।

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FAQs on विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ (भाग - 5) - सामान्य विज्ञानं - सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

1. विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ क्या हैं?
उत्तर: विज्ञान एक प्रकाशमान क्षेत्र है जो मानव ज्ञान और अनुभव के माध्यम से संचालित होता है। यह हमें विश्वास करने और समझने की क्षमता प्रदान करता है और हमारी दैनिक जीवन को सुगम और सुरक्षित बनाने में मदद करता है। विज्ञान विभिन्न शाखाओं में विभाजित होता है, जैसे भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीवविज्ञान, भूगोल, गणित आदि।
2. भौतिक विज्ञान क्या है?
उत्तर: भौतिक विज्ञान मानव ज्ञान का एक शाखा है जो प्राकृतिक पदार्थों, उनकी गतिशीलता, ऊष्मा, विद्युत आदि का अध्ययन करती है। यह हमारे आस-पास के विश्राम क्षेत्रों जैसे ग्रह, तारें, बुझुर्ग और यंत्रों की गतिशीलता को समझने में मदद करता है।
3. रसायन विज्ञान क्या है?
उत्तर: रसायन विज्ञान एक विज्ञान की शाखा है जो पदार्थों के गुण, संरचना, रासायनिक प्रक्रियाएँ, तत्वों के संघटन, और रसायनिक अभिक्रियाओं का अध्ययन करती है। इसका उपयोग केमिकल उत्पादन, औषधीय रसायन, उर्वरक निर्माण, प्लास्टिक उत्पादन, धातु निर्माण, आदि में किया जाता है।
4. जीवविज्ञान क्या है?
उत्तर: जीवविज्ञान एक विज्ञान की शाखा है जो जीवन के बारे में अध्ययन करती है। यह जीवित जीवों की संरचना, क्रिया, उत्पत्ति, प्रजनन, विकास, विभाजन, एवं मरण के विषय में ज्ञान देता है। जीवविज्ञान जीवविज्ञानियों को रोगों के इलाज, जीवों के विषय में अन्य अध्ययनों, जैव प्रौद्योगिकी, जैव-ऊर्जा, आदि में नवीनतम खोज और अविष्कार करने की संभावनाएं देता है।
5. भूगोल क्या है?
उत्तर: भूगोल एक विज्ञान की शाखा है जो पृथ्वी की संरचना, उसके तत्व, उपग्रह, बाढ़, जलवायु, नदियाँ, पहाड़, मौसम, जैवविविधता, एकात्मता, आदि का अध्ययन करती है। यह हमें भूमध्य रेखाएँ, समय और स्थान को समझने में मदद करता है और हमारे पर्यावरण को संरक्षण करने की जरूरत को समझने में मदद करता है।
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