हम बातचीत करते समय या किसी को अपनी बात समझाने अथवा उसे प्रभावशाली बनाने के लिए कहीं-कहीं बल देते हैं या रुकते हैं अन्यथा हमारी बात का अर्थ, अनर्थ में बदल जाने की संभावना प्रबल हो जाती है: जैसे –
‘दरवाज़े पर आए उस व्यक्ति को रोको मत जाने दो।’ इससे हमारी बात स्पष्ट नहीं हो पा रही है। हम अर्थ स्पष्ट करने के लिए कुछ निश्चित चिह्नों का प्रयोग करते हैं: जैसे –
उपर्युक्त दोनों विराम-चिह्नयुक्त वाक्यों को पढ़ने से विराम-चिह्नों के महत्व को निर्विवाद रूप से स्वीकार किया जा सकता है।
इस प्रकार, भाषा को लिखते समय रुकने या विराम के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें विराम-चिह्न कहा जाता है।
हिंदी भाषा में प्रयुक्त विराम-चिह्न – ये विराम-चिह्न निम्नलिखित हैं –
नाम | चिह्न |
1. पूर्ण विराम-चिह्न | । |
2. अर्ध विराम-चिह्न | : |
3. अल्प विराम-चिह्न | , |
4. प्रश्नवाचक चिह्न | ? |
5. विस्मयादिवाचक-चिह्न | ! |
6. योजक या विभाजक चिह्न | - |
7. निर्देशक चिह्न | – |
8. अवतरण या उद्धरण चिह्न | "......" |
9. विवरण चिह्न | ः – |
10. कोष्ठक चिह्न | (........) |
11. हंसपद चिह्न | λ |
12. लाघव चिह्न | º |
1. पूर्ण विराम-चिह्न (।) – इस चिह्न का प्रयोग प्रश्नवाचक और विस्मयादिवाचक वाक्यों को छोड़कर सभी प्रकार के वाक्यों के अंत में किया जाता है: जैसे –
मधुमिता पत्रा लिखती है।
गाँधी जी दो कदम चले और जनसमुदाय उनके पीछे चलता गया।
यही वह छात्रा है जिसने चोर को पकड़वाया था।
2. अर्ध विराम-चिह्न (:) – पूर्ण विराम से कम समय ठहरने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है: जैसे –
जो इस कुत्ते को देखकर भागते हैं: उन्हीं को यह काटता है।
क्रिया के मूल रूप को धतु कहते हैं: जैसे – लिख, चल, पढ़ आदि।
अंपायर उसे आउट नहीं दे सकता: क्योंकि यह नो बाॅल थी।
3. अल्प विराम-चिह्न (,) – इसका प्रयोग वाक्य में अल्प समय रुकने के लिए किया जाता है। इसमें अर्ध विराम से कम समय के लिए रुकते हैं: जैसे –
बाजार से हिंदी, गणित, विज्ञान और संस्कृत की पुस्तवेंफ लाना।
हाँ, मैं कल शरूर आउँफगा।
नहीं, मैं झूठ नहीं बोलूँगा।
भीख देने से, मेरा मानना है, ये आलसी हो जाएँगे।
रुको, रुको, भागना गलत बात है।
15 अगस्त, 1947, 26 जनवरी, 1950
सुमन, मेरी बातें ध्यान से सुनो।
पाप-पुण्य, आना-जाना, जीना-मरना।
4. प्रश्नवाचक चिह्न (?) – प्रश्नवाचक चिह्न प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में लगाया जाता है: जैसे –
तुम इस समय कहाँ से आ रहे हो?
तुम क्या करते हो, कहाँ आते-जाते हो, इससे मैं क्यों मतलब रखूँ?
मोहिनी आजकल क्या करती है?
5. विस्मयादिवाचक चिह्न (!) – विस्मय (आश्चर्य), शोक, घृणा, प्रसन्नता, अ.पफसोस आदि भावों की अभिव्यक्ति के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है: जैसे –
ओह! कितना भयानक दृश्य है। (आश्चर्य)
अहा! कितना सुंदर चित्रा है यह। (प्रसन्नता)
हाय! मैं लुट गया। (शोक, दुख)
छिः-छिः! कैसा बदबूदार स्थान है। (घृणा)
कविता! मेरी बात सुनते जाना।
6. योजक या विभाजक चिह्न (-) – इसका प्रयोग कई परिस्थितियों में करते हैं: जैसे –
तब तो बहता समय शिला-सा जम जाएगा।
कर्म-स्थली, जीवन-मरण।
राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
राम-राम, कभी-कभी, सुख-दुख।
7. निर्देशक चिह्न ( – ) – यह चिह्न योजक से थोड़ा बड़ा होता है। इसका प्रयोग किसी के कथन को उद्धृत करने, कहने, बोलने, बताने आदि के बाद, निम्नलिखित, निम्नांकित के बाद, संवादों, वार्तालापों आदि के बाद होता है: जैसे –
जज – तुम्हारा नाम?
बालक – चंद्रशेखर आशाद।
सुमन ने कहा – मैं कल बाशार आउँफगी।
धर्मिक पुस्तकों के नाम निम्नलिखित हैं –
अध्यापक – तुमने गृहकार्य क्यों नहीं किया?
छात्रा – जी, मेरी तबियत ठीक नहीं थी।
8. अवतरण या उद्धरण चिह्न (‘....’), ("....") – उपनाम, पुस्तकों के नाम के लिए इकहरे तथा किसी व्यक्ति के कथन को मूल रूप में उद्धृत करने के लिए, पुस्तक या लिखित सामग्री के मूल अंश को लेने के लिए दोहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है: जैसे –
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध्’ द्वारा रचित ‘प्रिय-प्रवास’ से ली गई हैं।
नेता जी ने कहा, फ्तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आशादी दूँगा।"
9. विवरण चिह्न (:- ) – वाक्यांश में कुछ सूचना या निर्देश देने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है: जैसे –
भारत में छह ऋतुएँ पाई जाती हैंः – ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमंत और वसंत।
10. कोष्ठक चिह्न [ ( ) ] – वाक्य की मुख्य सामग्री, कठिन शब्दों के अर्थ स्पष्ट करने, क्रमसूचक अंकों, अक्षरों के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है: जैसे –
कर्म के आधर पर क्रिया के दोनों भेदों (अकर्मक और सकर्मक क्रिया) को समझाइए।
प्रारब्ध् (किस्मत) में क्या लिखा है, कोई नहीं जान सकता है।
11. हंसपद चिह्न (λ) – लिखते समय कुछ छूट जाने पर इस चिह्न का प्रयोग करके ऊपर लिखा जाता है: जैसे –
काले
आसमान में λ बादल घिर आए।
खेल
श्याम मैदान में λ रहा है।
12. लाघव चिह्न (λ) – किसी बड़े अंश को संक्षेप में लिखते समय इस चिह्न का प्रयोग करते हैं: जैसे –
पंडित जवाहरलाल नेहरू – पंº जवाहरलाल नेहरू
उत्तर प्रदेश – उºप्रº
राष्ट्रीय राजधनी क्षेत्रा – राºराºक्षेº
कृपया पृष्ठ उलटिए – कृºपृºउº
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1. विराम-चिह्न क्या है? |
2. विराम-चिह्न के कितने प्रकार होते हैं? |
3. पूर्ण विराम-चिह्न क्या होता है? |
4. सम्बंध-विराम-चिह्न क्या होता है? |
5. अव्ययीभाव संज्ञक विराम-चिह्न क्या होता है? |
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