शब्दार्थ—
पृष्ठ ; अवसान—समाप्ति। नेतृत्व—अगुवाई। चेतना— विचारधारा। सरहद—सीमा। खुदा हुआ—पत्थरों को काटकर लिखा हुआ। जज्ज्ब—समाना, ग्रहण करना।
पृष्ठ ; विस्तार—फैलाव। पराजित—हराकर। कारनामे—साहसिक कार्य। सूबा—प्रांत, राज्य। सशक्त—ताकतवर। तोहफे—उपहार। मतभेद—विचारों में भिन्नता होना।
पृष्ठ ; भारतीयकरण—भारतीय रिवाज़ों, परंपराओं आदि को अपनाना संरक्षक—रक्षा करनेवाला, बचाए रखनेवाला। प्रबल—घोर। निर्मित—बना हुआ।
पृष्ठ ; राष्ट्रवादी—राष्ट्र के हितों को सर्वोपरि रखनेवाला। संकीर्णता—सोच का दायरा अत्यंत छोटा रखना। पुनर्जागरण—बार-बार उत्साहित करते हुए बचाए रखने का प्रयास। उग्रता—क्रोधपूर्ण सोच। तेजस्विता—ओज़। अख्तियार करना—अपनाना। समृद्ध—धनी, संपन्न।
पृष्ठ ; मेहरबान—कृपा करनेवाला। दमन—कुचलना।
पृष्ठ; परोक्ष—अप्रत्यक्ष रूप में। राजगीर—भवन-निर्माण करनेवाला कारीगर। शिल्पी—डिज़ाइन एवं चित्रकारी करने वाला। आक्रमणकारी—हमला करनेवाला। ष्टयौरा—विवरण, लेखा-जोखा। हस्तक्षेप—दखलंदाज़ी। भ्रामक—भ्रम पैदा करनेवाला। अवनति—गिरावट। पराकाष्ठा—उच्चतम बिंदु पर।
पृष्ठ ; उदय—प्रकट होना। व्यक्तिवाद—व्यक्ति को अधिक महत्व देना। सामुदायिक—समुदाय के नियमों के अधीन। आत्मसात—ग्रहण करना। समन्वय—तालमेल। सतही—ऊपरी।
पृष्ठ ; निरंकुश—जिस पर नियंत्रण न हो। वैधानिक—कानूनी। अंतत:—अंत में। उद्गम—उत्त्पति, पैदाइश। आम—साधारण। संग्रह—एकत्रित किया हुआ।
पृष्ठ ; पांडुलिपि—हाथ से लिखित पुस्तक। आवेग—अधिक लगाव। प्रेयसी—प्रेमिका, प्रियतमा। तीव्र—तेज़।
पृष्ठ ; विशुद्ध—पूरी तरह से शुद्ध। पौराणिक—पुराणों से संबंधित। प्रासंगिक—महक्रव रखनेवाला। ह्रास—गिरावट। अभिजात—उच्च या अमीर लोग। सरोकार—संबंध।
पृष्ठ; अलंकृत—सजी-धजी। पतन—अवनति, गिरावट। उत्कृष्ट—उत्तर कोटि का। परिष्कृत—शुद्ध। जननी—माँ। अभिव्यक्ति—प्रसुतूति। सार्थक—जिसका कोई अर्थ या मतलब हो
अतिक्रमण—उल्लंघन।
पृष्ठ ; वेहतरर—दूर तक फैला हुआ। ताम्र-पत्र—ताँबे के पतले पत्रों पर लिखा हुआ। खुद-ब-खुद—अपने-आप। प्रचारक—प्रचार करनेवाला।
पृष्ठ ; नियमित—लगातार। ब्यौरेवार—क्रमिक। भित्तित्त-चित्र—दीवारों पर बने चित्र। छाप—प्रभाव। तकरीबन—लगभग। संपन्न—भरा पूरा। पदवियाँ—उपाधियाँ।
पृष्ठ ; हेर-फेर—अदल-बदल। फौजदारी—मार-पीट संबंधी। स्मृतिकार—याद किए जानेवाला। संहिताबोध—सही रूप में क्रमबोध। उत्कीर्ण—पत्थरों को काटकर लिखना। पोखर—तालाब। देवतुल्य—देवताओं के समान। मोहक—मन को मोहनेवाला। ठेठ—पक्का।
पृष्ठ ; सराहना—प्रशंसा करना। निर्माता—बनानेवाला। आत्मनिष्ठ—स्वयं को खुश करनेवाली। तादाक्रम्य—संबंध, मे4 जोल। पूर्वाग्रह—पहले से बनी धारणा। पाषाण प्रतिमा—पत्थर की मूर्ति।
पृष्ठ ; प्रकृतिवाद—प्रकृति का सुंदर चित्रण। बोधिसत्व—महात्मा बोध का एक नाम।
पृष्ठ ; खंडित—क्षतिग्रस्त, टूटी हुई। भीमाकार—बड़े आकारवाली। सृजन—निर्माण । आह्वान—पुकारना । प्रतिबिंब—परछाई । प्रशांति—शांतिपूर्ण। परे—दूर। परम—अत्यधिक।
पृष्ठ ; नियंत्रण—काबू। आयात—बाहर से मँगाना। .फौलाद—लोहे का एक रूप, ।
पृष्ठ ; भस्म—राख, धातुओं को जलाने से मिला पदार्थ। पंचांग—ऐसी पुस्तक जिसमें महीनों और तिथियों का वर्णन हो। खगोलशास्त्र—ब्रद्द9द्गांड का अध्ययन। मंडियाँ—बाज़ार
पृष्ठ ; कपाट—दरवाज़े। उल्लेखनीय—महत्वपूर्ण। प्रमाण—सबूत।
पृष्ठ ; व्यापक—विस्तृत, फैला हुआ।
पृष्ठ ; आत्माभिमान—स्वयं पर अभिमान, बड़प्पन का अहसास। दीप्ति—चमक। दुर्बल—कमज़ोर। बर्बर—कू्ररता युक्त। संयुक्त—मिला-जुला। पराक्रमी—वीर, साहसी। वैयाकरण—व्याकरण का ज्ञाता भेषज—चिकित्सा।
पृष्ठ ; संरक्षण—बचाव। विद्वता—ज्ञान। गरचे—यदपि
पृष्ठ ; उत्कर्ष—विकास, उभरकर सामने आना। पहर—चार घंटे का समय। तेजस्विता—ज्ञान। स्तंभित—ठहराव। विकृत—बिगड़ा हुआ रूप। भ्रष्ट—मार्ग से विचलित । परास्त करना—हराना। प्रतिभा—योग्यता।
पृष्ठ ; विघटन—टूटना, खंडों में बँटना। पतनशील—गिरावट की ओर बढ़ना। कायाकल्प करना—सुधार कर देना। अंतस्थल—हृदय, आंतरिक भावना। गैर-मिलनसारी—किसी से मेल-मिलाप न रखना। नियत—निश्चित।
पृष्ठ ; दृढ़ता—मज़बूती। बाधक—बाधा पहुँचानेवाली। पुश्तैनी—पूर्वजों संबंधी। पुरानी लकीर पीटना—अपनाए रखना। संकुचित—सिकुड़ा।
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1. युगों का दौर क्या होता है? |
2. युगों का दौर कितने प्रकार के होते हैं? |
3. युगों का दौर किस प्रकार से बदलता है? |
4. कलियुग कब शुरू हुआ था? |
5. कृतयुग में कौनसी युग धर्म की अवधि होती है? |
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