WBCS (West Bengal) Exam  >  WBCS (West Bengal) Notes  >  WBCS Preparation: All Subjects  >  संक्षेपण - 2

संक्षेपण - 2 | WBCS Preparation: All Subjects - WBCS (West Bengal) PDF Download

संक्षेपक की योग्यता

एक अच्छे संक्षेपक में निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिए। वे इस प्रकार हैं-

  1. सूक्ष्मभेदक दृष्टि (Power Discrimination)- एक संक्षेपक को मूल संदर्भ पढ़ते ही यह जान लेना चाहिए कि उसमें मुख्य और गौण बातें कितनी हैं और कहाँ हैं। इस कार्य में संक्षेपक की सूक्ष्म-भेदक दृष्टि ही सहायक होती हैं। जिस व्यक्ति में ध्यान की शक्ति जितनी ही अधिक गहरी होगी वह मुख्य और गौण का, सामान्य और विशेष का और आवश्यक तथा अनावश्यक का अन्तर आसानी से कर सकता हैं। संक्षेपक को इधर-उधर बहक कर अप्रासंगिक बातों का निर्देश नहीं करना चाहिए। उसे तो काम की बातें ही लिखनी होती हैं। यद्यपि सूक्ष्म-भेदक दृष्टि प्रकृति की देन होती हैं तथापि निरन्तर अभ्यास द्वारा अर्जित भी की जा सकती हैं।
  2. पर्याप्त शब्द-भाण्डार (Good Vocabulary)- एक अच्छे संक्षेपक के पास शब्दों का अच्छा भाण्डार होना चाहिए। जब तक पर्याप्त शब्दों पर उसका अधिकार न होगा तब तक उसकी अभिव्यक्ति में संक्षिप्तता, सरलता, क्रमिकता और स्पष्टता न आ सकेगी। उसे समानार्थी शब्दों, मुहावरे, कहावतों और व्याकरण का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। शब्दों के प्रयोग में उसे काफी सावधानी रखनी चाहिए। जहाँ तक हो उसे मूल संदर्भ में प्रयुक्त शब्दों के बदले दूसरे समानधर्मी शब्दों का व्यवहार करना चाहिए। कोश के द्वारा शब्द-भाण्डार बढ़ाया जा सकता हैं।
  3. संक्षिप्तता (Conciseness)- सूक्ष्म-भेदक दृष्टि और शब्द-भाण्डार की सहायता से जो भी संक्षिप्त रूप में लिखा जायेगा वह संक्षेपण होगा, चाहे वह वकील का संक्षिप्त नोट (brief) हो, किसी समाचार-पत्र के संवाददाता की संक्षिप्त टिप्पणी (Summary) हो या किसी शिक्षक का क्लास-नोट हो। पर संक्षेपण में संक्षिप्तता का होना बहुत जरूरी हैं। उच्च-कोटि का संक्षेपक लम्बी-चौड़ी बातों को अत्यन्त संक्षिप्त रूप में उपस्थित करने की कला अच्छी तरह जानता हैं।
  4. क्रमबद्धता (Coherence)- एक योग्य संक्षेपक संक्षेपण की रचना इस ढंग से करता हैं कि पढ़ने पर सभी तथ्य सामूहिकता और क्रमबद्धता में पिरोये मालूम हों। उसका कोई भी वाक्य दूसरे से खंडित या विच्छित्र नहीं होता। जिस तरह मशीन की कसावट के लिए सभी पुर्जों को ठीक जगह पर रख कर कसा जाता हैं, उसी तरह संक्षेपण में लेखक को सभी शब्दों और वाक्यों का संयोजन उसी चुस्ती के साथ करना होता हैं। भाषा में प्रवाह और विचारों में क्रमबद्धता का होना बहुत जरूरी हैं।

एक कुशल संक्षेपक में इन्हीं कुछ गुणों की योग्यता होनी चाहिए, तभी वह एक उत्कृष्ट संक्षेपण लिखने में समर्थ हो सकता हैं।
संक्षेपण : कुछ आवश्यक निर्देश

  1. संक्षेपण में मूल सन्दर्भ के उदाहरण, दृष्टान्त, उद्धरण और तुलनात्मक विचारों का समावेश नहीं होना चाहिए।
  2. सामान्यतः इसे भूतकाल और परोक्ष कथन में लिखा जाना चाहिए।
  3. अन्यपुरुष का प्रयोग होना चाहिए।
  4. भाषा सरल होनी चाहिए, मुहावरे और आलंकारिक नहीं।
  5. मूल तथ्य से असम्बद्ध और अनावश्यक बातों को छाँटकर निकाल देना चाहिए।
  6. आरम्भ अथवा प्रथम वाक्य ऐसा हो, जो मूल विषय को स्पष्ट कर दे। लेकिन इसका अपवाद भी हो सकता है।
  7. यह निर्दिष्ट शब्द-संख्या में लिखा जाना चाहिए। यदि कोई निर्देश न हो, तो इसे कम-से-कम मूल की एक-तिहाई होना आवश्यक है।
  8. समास, प्रत्यय और कृदन्त द्वारा वाक्यांश या वाक्य एक शब्द या पद के रूप में संक्षिप्त किये जायँ।

संक्षेपण का महत्त्व

विज्ञान-युग में, संक्षेपण का महत्त्व अधिक बढ़ गया हैं। व्यावहारिक दृष्टि से इसकी महत्ता इतनी अधिक हैं कि किसी भी कुशल वकील, वक्ता, सम्पादक, व्यापारी, संवाददाता, लेखक, सरकारी अफसर इत्यादि का काम इसके बिना पूरा नहीं होता। आज जीवन के हरेक काम-काज में इसकी आवश्यकता मानी गयी हैं। मान लीजिये कि आप तीन घंटों की कथा आधा घंटे में कह जाते हैं। यहाँ आपने उक्त फिल्मी कथावस्तु का संक्षेपण ही तो किया-आवश्यक बातें कह दीं, अप्रासंगिक बातें छोड़ दीं। शिक्षण की दृष्टि से भी इसका महत्त्व कम नहीं हैं।
दैनिक जीवन में संक्षेपण की आवश्यक माँग होने के कारण हमारे कॉलेजों में इसके शिक्षण और प्रशिक्षण पर आज पहले से कहीं अधिक जोर दिया जा रहा हैं। आजादी के पहले, जब कि देश में अँग्रेजी का बोलबाला था, छात्रों से इस भाषा में संक्षेपण का अभ्यास कराया जाता था और आज भी जहाँ अँग्रेजी का प्रचार अधिक हैं, वहाँ अँग्रेजी संक्षेपण का महत्त्व बना हुआ हैं। लेकिन हिन्दी के राष्ट्रभाषा घोषित हो जाने के बाद देश के हितैषियों, नेताओं और शिक्षा-विशारदों ने हिन्दी में भी संक्षेपण की आवश्यकता महसूस की। अतएव आज हमारे विश्वविद्यालयों में भी हिन्दी में संक्षेपण के अध्यापन की व्यवस्था की जा रही हैं।
संक्षेपण एक प्रकार का मानसिक प्रशिक्षण हैं। इसके द्वारा छात्रों के पठन-पाठन और लेखन में सरलता, स्वच्छ्ता, प्रभाव और स्पष्टता की क्षमता उत्पत्र होती हैं; छात्रों में मनोयोग, दृढ़ता और एकाग्रता की सामर्थ्य उद्दीप्त होती हैं। उनमें अस्पष्ट और गूढ़ विचारों तथा भावों को सुलझे रूप में रखने की शक्ति आती हैं। छोटी बात को बढ़ा-चढ़ा कर बोलना या लिखना उतना कठिन नहीं जितना बहुत-से तथ्यों को थोड़े में लिखना या बोलना। यह गागर में सागर रखने की कला हैं।
संक्षेपण से ही छात्रों में शब्द-संयम, भाव-संयम और चिंतन-संयम की क्षमता उत्पत्र हो सकती हैं। सारांश यह हैं कि संक्षेपण एक ओर हमारे व्यावहारिक दैनिक जीवन के लिए उपयोगी हैं और दूसरी ओर वह हमारे मानसिक चिंतन में स्पष्टता, सरलता, सुरुचि, व्यवस्था, दृढ़ता और एकाग्रता की सामर्थ्य जागृत करता हैं। निष्कर्ष यह हैं कि-

  • उत्कृष्ट संक्षेपण हमारे श्रम और समय की रक्षा करता हैं।
  • मूल संदर्भ में बिखरे तथ्यों में से आवश्यक और काम की बातों को अलग करता हैं।
  • कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक विचारों को प्रकट करता हैं। यह हमारी भेदक दृष्टि को विकसित करता हैं। इसमें ध्यान लगाने की क्षमता उत्पत्र करता हैं और हमारी अभिव्यक्ति को यथार्थ बनाता हैं।

संक्षेपण का स्वरूप

अँग्रेजी में संक्षेपण को प्रेसी (Precis) के लिए संक्षेपण शब्द का व्यवहार किया हैं। इसके स्वरूप अथवा आत्मा को समझने के लिए हमें तुलनात्मक विधि का सहारा लेना होगा। संक्षेपण की प्रक्रिया (Precis) से मिलते-जुलते कुछ ऐसे शब्द हैं जिनका सामान्य प्रयोग रचना में प्रायः हुआ करता हैं, जैसे- Paraphrasing (अन्वय), Summary (सारांश), Substance (भावार्थ), Purport (आशय), Gist (मुख्यार्थ), Synopsis (रूपरेखा) इत्यादि। साधारण दृष्टि से ये शब्द समानार्थी हैं और इनके रूप एक जैसे मालूम होते हैं, किन्तु इनके स्वरूप में सूक्ष्म अन्तर हैं। इनके परस्पर भेदों आदि को जान कर ही हमें संक्षेपण के स्वरूप का सही ज्ञान हो सकता हैं। इनमें से कुछ के भेद इस प्रकार हैं :-

  • संक्षेपण और सारांश 
    सारांश में केवल मुख्य तथ्य को अत्यन्त संक्षेप में लिख दिया जाता हैं, जब कि संक्षेपण में सामान्यतः मूल की सभी बातें क्रमबद्धता के साथ उपस्थित की जाती हैं। संक्षेपण और सारांश का अनुपात क्रमशः 3 : 1 और 10 : 1 हैं।
  • आशय और संक्षेपण 
    'आशय' में या तो संपूर्ण कथन का अथवा गूढ़ वाक्यों या पदों का स्पष्टीकरण रहता हैं, जब कि संक्षेपण में स्पष्टीकरण की गुंजाइश तनिक भी नहीं होती।
  • अन्वय और संक्षेपण
    'अन्वय' में मूल के मुख्य और गौण भावों का समावेश होता हैं, जब कि संक्षेपण में केवल मुख्य भाव रहता हैं, गौण भावों को छाँट कर बाहर निकाल दिया जाता हैं।
  • भावार्थ और संक्षेपण 
    दोनों में भावों अथवा विचारों की संक्षिप्तता रहती हैं, किन्तु भावार्थ में जहाँ लेखन की लम्बाई-चौड़ाई की अंतिम सीमा नहीं बाँधी जा सकती, वहाँ 'संक्षेपण' में यह आवश्यक हैं कि वह सामान्यतया मूल का एक-तिहाई हो। इसके अतिरिक्त 'भावार्थ' में जहाँ मूल के मुख्य और गौण भावों का स्थान सुरक्षित हैं, वहाँ 'संक्षेपण' में केवल मुख्य भाव ही रह सकता हैं। इसी तरह अन्य भेदों को भी समझना चाहिए।

इन भेदों से यह स्पष्ट है कि संक्षेपण वस्तुतः एक स्वतंत्र रचना-विधि हैं, जिसका उद्देश्य (1) मूल अवतरण (Passage) की सभी आवश्यक बातों को संक्षिप्त रूप में उपस्थित करना और (2) इन बातों को इस ढंग से सजा कर प्रस्तुत करना है ताकि पढ़ने में सरलता, स्पष्टता, मौलिकता और एकता का बोध हो।

संक्षेपण के उदाहरण

  • संक्षेपण : वर्णानात्मक शैली (Descriptive style)
    ऋतुराज वसन्त के आगमन से ही शीत का भयंकर प्रकोप भाग गया। पतझड़ में पश्र्चिम-पवन ने जीर्ण-शीर्ण पत्रों को गिराकर लताकुंजों, पेड़-पौधों को स्वच्छ और निर्मल बना दिया। वृक्षों और लताओं के अंग में नूतन पत्तियों के प्रस्फुटन से यौवन की मादकता छा गयी। कनेर, करवीर, मदार, पाटल इत्यादि पुष्पों की सुगन्धि दिग्दिगन्त में अपनी मादकता का संचार करने लगी। न शीत की कठोरता, न ग्रीष्म का ताप। समशीतोष्ण वातावरण में प्रत्येक प्राणी की नस-नस में उत्फुल्लता और उमंग की लहरें उठ रही है। गेहूँ के सुनहले बालों से पवनस्पर्श के कारण रुनझुन का संगीत फूट रहा है। पतों के अधरों पर सोया हुआ संगीत मुखर हो गया है। पलाश-वन अपनी अरुणिमा में फूला नहीं समाता है। ऋतुराज वसन्त के सुशासन और सुव्यवस्था की छटा हर ओर दिखायी पड़ती हैं। कलियों के यौवन की अँगड़ाई भ्रमरों को आमन्त्रण दे रही है। अशोक के अग्निवर्ण कोमल एवं नवीन पत्ते वायु के स्पर्श से तरंगित हो रहे हैं। शीतकाल के ठिठुरे अंगों में नयी स्फूर्ति उमड़ रही है। वसन्त के आगमन के साथ ही जैसे जीर्णता और पुरातन का प्रभाव तिरोहित हो गया है। प्रकृति के कण-कण में नये जीवन का संचार हो गया है। आम्रमंजरियों की भीनी गन्ध और कोयल का पंचम आलाप, भ्रमरों का गुंजन और कलियों की चटक, वनों और उद्यानों के अंगों में शोभा का संचार- सब ऐसा लगता है जैसे जीवन में सुख ही सत्य है, आनन्द के एक क्षण का मूल्य पूरे जीवन को अर्पित करके भी नहीं चुकाया जा सकता है। प्रकृति ने वसन्त के आगमन पर अपने रूप को इतना सँवारा है, अंग-अंग को सजाया और रचा है कि उसकी शोभा का वर्णन असम्भव है, उसकी उपमा नहीं दी जा सकती।
  • वसन्तऋतु की शोभा
    वसन्तऋतु के आते ही शीत की कठोरता जाती रही। पश्र्चिम के पवन ने वृक्षों के जीर्ण-शीर्ण पत्ते गिरा दिये। वृक्षों और लताओं में नये पत्ते और रंग-बिरंगे फूल निकल आये। उनकी सुगन्धि से दिशाएँ गमक उठीं। सुनहले बालों से युक्त गेहूँ के पौधे खेतों में हवा से झूमने लगे। प्राणियों की नस-नस में उमंग की नयी चेतना छा गयी। आम की मंजरियों से सुगन्ध आने लगी; कोयल कूकने लगी; फूलों पर भौरें मँडराने लगे और कलियाँ खिलने लगी। प्रकृति में सर्वत्र नवजीवन का संचार हो उठा। टिप्पणी- ऊपर मूल सन्दर्भ में वसन्तऋतु प्रकृति की शोभा का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन हुआ है, जिसमें साहित्यिक लालित्य भरने की चेष्टा की गयी है। संक्षेपण में हमने सभी व्यर्थ शब्दों और वाक्यों को हटा दिया है और काम की बातों का उल्लेख कर दिया है, सीधी-सादी भाषा में। मूल वर्तमानकाल में लिखा गया है, पर संक्षेपण में सारी बातें भूतकाल में लिखी गयी हैं।
The document संक्षेपण - 2 | WBCS Preparation: All Subjects - WBCS (West Bengal) is a part of the WBCS (West Bengal) Course WBCS Preparation: All Subjects.
All you need of WBCS (West Bengal) at this link: WBCS (West Bengal)
77 videos|109 docs

Top Courses for WBCS (West Bengal)

77 videos|109 docs
Download as PDF
Explore Courses for WBCS (West Bengal) exam

Top Courses for WBCS (West Bengal)

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

ppt

,

Important questions

,

संक्षेपण - 2 | WBCS Preparation: All Subjects - WBCS (West Bengal)

,

Previous Year Questions with Solutions

,

past year papers

,

Summary

,

shortcuts and tricks

,

video lectures

,

Objective type Questions

,

mock tests for examination

,

संक्षेपण - 2 | WBCS Preparation: All Subjects - WBCS (West Bengal)

,

Extra Questions

,

Sample Paper

,

Semester Notes

,

Exam

,

Free

,

pdf

,

practice quizzes

,

संक्षेपण - 2 | WBCS Preparation: All Subjects - WBCS (West Bengal)

,

MCQs

,

Viva Questions

,

study material

;