Class 8 Exam  >  Class 8 Notes  >  कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes  >  संज्ञा के विकार - लिंग, वचन, कारक (भाग - 1) - व्याकरण, हिंदी, कक्षा - 8

संज्ञा के विकार - लिंग, वचन, कारक (भाग - 1) - व्याकरण, हिंदी, कक्षा - 8 | कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes PDF Download

संज्ञा में विकार के कारण—संज्ञा एक विकारी शब्द है। इसमें तीन कारणों से विकार (परिवर्तन) उत्पन्न होता है। ये तीनों कारण है —   
    

1.    लिंग    2.    वचन    3.     कारक
 

1. लिंग

संज्ञा शब्द का जो रूप उसके पुरुष (नर) या स्त्री (मादा) होने का बोध कराता है उसे लिंग कहते हैं। हिंदी भाषा में दो प्रकार के लिंग होते हैं —  1- पुल्लिंग     2- स्त्रीलिंग
    1-    पुल्लिंग - संज्ञा शब्द का जो रूप उसके पुरुष होने का बोध कराता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं; जैसे—बैल, कुत्ता, मोहन, हाथी आदि।
    2-    स्त्रीलिंग - संज्ञा शब्द का जो रूप उसके स्त्री होने का बोध कराता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं; जैसे—गाय, कुतिया, मोहिनी, हथिनी आदि।
 

संज्ञा शब्दों के लिंग का अन्य शब्दों पर प्रभाव

(i)    विशेषण पर यह पेड़ हरा है। (पुल्लिंग)
यह लौकी हरी है। (स्त्रीलिंग)
(ii)    क्रिया पर छात्र विद्यालय चला गया। (पुल्लिंग)
छात्रा विद्यालय चली गई। (स्त्रीलिंग)
(iii)    क्रियाविशेषण परअभय रोता हुआ मेरे पास आया। (पुल्लिंग)
पल्लवी रोती हुई मेरे पास आई। (स्त्रीलिंग)

 

पुल्लिंग शब्दों की पहचान—निम्नलिखित शब्द प्राय: पुल्लिंग ही माने जाते हैं :
    (i)    पर्वतों के नाम—हिमालय, आल्प्स, विंध्याचल आदि।
    (ii)    महासागरों के नाम—हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, आर्कटिक महासागर आदि।
    (iii)    हिंदी महीनों के नाम—चैत, बैसाख, जेठ, आषाढ़, सावन आदि।
    (iv)    कुछ अंग्रेशी महीनों के नाम - मार्च, अप्रैल, जून अगस्त, सितंबर आदि।
    (v)    दिनों के नाम—सोमवार, मंगलवार, बुधवार, वीरवार, शुक्रवार आदि।
    (vi)    कुछ खाद्यान्नों के नाम—चना, गेहूँ, जौ, मक्का, बाजरा आदि।
    (vii)    कुछ पेड़ों के नाम—आम, पीपल, महुआ, अशोक आदि।

स्त्रीलिंग शब्दों की पहचान—निम्नलिखित शब्द स्त्रीलिंग ही माने जाते हैंः
    (i)    नदियों के नाम—गंगा, यमुना, सरस्वती, वितस्ता, झेलम आदि।
    (ii)    भाषाओं के नाम—हिंदी, रूसी, चीनी, जापानी, पंजाबी आदि।
    (iii)    आकारांत शब्दों वाले नाम—मनीषा, विनीता, सौम्या, कामना, अल्पना आदि।
    (iv)    कुछ अंग्रेजी महीनों के नाम—जनवरी, फरवरी, मई, जुलाई।

कुछ पुल्लिंग शब्दों के स्त्रीलिंग रूप
कुछ अकारांत शब्दों के अंत में ‘अ’ के स्थान पर 'आ' लगाकर; जैसे - 

 पुल्लिंग 

 स्त्राीलिंग  

 पुल्लिंग 

 स्त्राीलिंग

 छात्र  

 छात्रा  

 शिष्य  

 शिष्या

 ध्वज  

 ध्वजा 

 महोदय 

 महोदया

 भवदीय  

 भवदीया  

 आचार्य  

 आचार्या

 सुत  

 सुता  

 वृद्ध  

 वृद्धा

कुछ अकारांत तथा आकारांत शब्दों के अंत में ‘अ’ तथा ‘आ’ के स्थान पर ‘ई’ लगाकर; जैसे - 
    

 पुत्र  

पुत्री  

नर  

  नारी

 दास  

 दासी  

 बेटा  

 बेटी

 बकरा  

 बकरी  

 घोड़ा  

 घोड़ी

 चाचा  

 चाची  

 गूँगा  

 गूँगी

 लड़का  

 लड़की  

 मामा  

 मामी

 गधा  

 गधी  

 दादा  

 दादी



कुछ आकारांत शब्दों के अंत में ‘आ’ के स्थान पर ‘इया’ लगाकर: जैसे - 

बेटा  

 बिटिया  

 चिड़ा  

 चिडिय़ा

 लोटा  

 लुटिया  

 चूहा  

 चुहिया

 बूढ़ा  

 बुढिय़ा  

 बछड़ा  

 बछिया

 कुत्ता  

 कुतिया  

 गुड्डा  

 गुडिय़ा


कुछ अकारांत शब्दों के अंत में ‘अ’ के स्थान पर 'आनी' / 'आणी' लगाकर: जैसे - 

 नौकर  

 नौकरानी  

 सेठ  

 सेठानी

 जेठ  

 जेठानी  

 मेहतर  

 मेहतरानी

 देवर  

 देवरानी  

 इंद्र  

 इंद्राणी


कुछ अकारांत, आकारांत तथा ईकारांत शब्दों के अंत में ‘अ’, ‘आ’ तथा ‘ई’ के स्थान पर लगाकर: जैसे - 

नाग  

नागिन  

  माली  

मालिन

 बाघ  

 बाघिन  

 लुहार  

 लुहारिन

 ग्वाला  

 ग्वालिन  

 मालिक  

 मालकिन

 दर्जी  

 दर्जिन 

 ग्वाला  

 ग्वालिन

 पापी  

 पापिन  

 कुम्हार  

 कुम्हारिन


कुछ अकारांत शब्दों के अंत में ‘नी’ लगाकर: जैसे - 

 ऊँट  

 ऊँटनी  

 मोर  

 मोरनी

 चोर  

 चोरनी  

 भील  

 भीलनी

 जाट  

 जाटनी  

 ख्नसह  

 ख्नसहनी

 राजपूत  

 राजपूतनी  

 भाट  

 भाटनी



कुछ अकारांत शब्दों के अंत में ‘अ’ के स्थान पर ‘इका’ लगाकर: जैसे - 

नायक  

 नायिका  

 लेखक  

लेखिका

 सेवक  

 सेविका  

 दर्शक  

 दर्शिका

 शिक्षक  

 शिक्षिका  

 बालक  

 बालिका

 गायक  

 गायिका  

 निवेदक  

 निवेदिका

 पुस्तक  

 पुस्तिका  

 अध्यापक  

 अध्यापिका


‘वान’ तथा ‘मान’ से अंत होनेवाले शब्दों के वान या मान को क्रमश:  'वती' तथा  'मती' में बदलकर

बलवान  

बलवती  

  पुत्रवान  

पुत्रवती

 भगवान  

 भगवती  

 रूपवान  

 रूपवती

 ज्ञानवान  

 ज्ञानवती  

 श्रीमान  

 श्रीमती

 धैर्यवान  

 धैर्यवती  

 शक्तिमान  

 शक्तिमती

 धनवान  

 धनवती  

 बुद्धिमान  

 बुद्धिमती

 सत्यवान  

 सत्यवती  

 आयुष्मान  

 आयुष्मती

 

कुछ पुल्लिंग शब्दों के स्त्रीलिंग रूप सर्वथा भिन्न होते हैंः जैसे - 

 सम्राट  

सम्राज्ञी  

विधुर  

विधवा

 राजा  

 रानी  

 पति  

 पत्नी

 कवि  

 कवयित्री  

 साधु  

 साध्वी

 मर्द  

 औरत  

 युवक  

 युवती

 भाई  

 भाभी, बहन  

वीर  

 वीरांगना

 पिता  

 माता  

 सास  

 ससुर

 विद्वान  

 विदुषी  

 बैल  

 गाय

 वर  

 वधू  

 मियाँ  

 बीशी 

 

2. वचन

संज्ञा शब्द के जिस रूप से उसके एक या एक से अधिक (अनेक) होने का पता चले, उसे वचन कहते हैं; जैसे—गली-गलियाँ, नारी-नारियाँ, छात्रा-छात्राएँ।

हिंदी में दो वचन होते हैं—1- एकवचन 2- बहुवचन
    1-    एकवचन—संज्ञा शब्द के जिस रूप से उसके एक होने का पता चलता है, उसे एकवचन कहते हैं; जैसे—पुस्तक, माला, छाता, कुर्सी, मेज आदि।
    2-    बहुवचन—संज्ञा शब्द के जिस रूप से उसके अनेक (एक से अधिक) होने का पता चलता है, उसे बहुवचन कहते हैं; जैसे—पुस्तकें, मालाएँ, छाते, कुर्सियाँ, मेजें आदि।


संज्ञा शब्दों के वचन का अन्य शब्दों पर प्रभाव

 (i)    सर्वनाम पर प्रभाव  मेरा घोड़ा तेज दौड़ता है। 
मेरे घोड़े तेज दौड़ते हैं।
(एकवचन)
(बहुवचन)
 (ii)    विशेषण पर प्रभाव   हरा चना खाने में अच्छा लगता है।  
हरे चने खाने में अच्छे लगते हैं।
(एकवचन)
(बहुवचन)
 (iii)    क्रिया पर प्रभाव गधा अचानक गिर पड़ा
गधे अचानक गिर पड़े। 
(एकवचन)
(बहुवचन)
 (iv)    क्रियाविशेषण पर प्रभावलड़का रोता हुआ मेरे पास आया। 
लड़के रोते हुए मेरे पास आए। 
(एकवचन)
(बहुवचन)

 

एकवचन से बहुवचन बनाना

    1. आकारांत पुल्लिंग शब्दों के अंत में लगे ‘आ’ को ‘ए’ में बदलकर; जैसे
    

एकवचन  

  बहुवचन  

एकवचन  

 बहुवचन

 बेटा  

 बेटे  

 कौआ  

 कौए

 लड़का  

 लड़के  

 कपड़ा  

 कपड़े

 कमरा  

 कमरे  

 पैसा  

 पैसे

 छाता  

 छाते  

 घंटा  

 घंटे

 गधा  

 गधे  

 भाला  

 भाले

 रुपया  

 रुप;ह्य  

 बच्चा  

 बच्चे

 हीरा  

 हीरे  

 दाना  

 दाने

 पंखा  

 पंखे  

 नाला  

 नाले

 ठेला  

 ठेले  

 प्यादा  

 प्यादे

 प्याला  

 प्यालह्य  

 लोटा  

 लोटे

 गद्दा  

 गद्दे  

 रास्ता  

 रास्ते


    

2.  अकारांत शब्दों के अंत में लगे ‘अ’ को ‘एँ’ करके: जैसे - 
    

  रात  

 रातें  

आँख  

 आँखें

 .फौज  

 .फौजें  

 पुस्तक  

 पुस्तकें

 दीवार  

 दीवारें  

 कलम  

 कलमें

  बात  

 बातें  

 गाय  

 गायें

 झील  

 झीलें  

 नहर  

 नहरें

 बहन  

 बहनें  

 बाँह  

 बाँहें

 बोतल  

 बोतलें  

 भैंस  

 भैंसें


  

 3.  आकारांत तथा उकारांत, ऊकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में ‘एँ’ जोड़कर: जैसे - 
  

  कविता  

 कविताएँ  

पुस्तिका  

 पुस्तिकाएँ

 रचना  

 रचनाएँ  

 माता  

 माताएँ

 लता  

 लताएँ  

 बालिका  

 बालिकाएँ

 महिला  

 महिलाएँ  

 भाषा  

 भाषाएँ

 कथा  

 कथाएँ  

 विधा  

 विधाएँ

 दवा  

 दवाएँ  

 हवा  

 हवाएँ

 अध्यापिका  

 अध्यापिकाएँ  

 वस्तु  

 वस्तुएँ

 सूचना  

 सूचनाएँ  

 बहू  

 बहुएँ

 वधू  

 वधुएँ

 

 


  

 4.  इकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में  ‘इ’ के बाद ‘याँ’ जोड़कर: जैसे -  
  

  शक्ति  

 शक्तियाँ  

 रीति  

रीतियाँ

 तिथि  

 तिथियाँ  

 नीति  

 नीतियाँ

 पंक्ति  

 पंक्तियाँ  

 निधि  

 निधियाँ

 समिति  

 समितियाँ  

 लिपि  

 लिपियाँ

 मुक्ति  

 मुक्तियाँ  

 राशि  

 राशियाँ

 जाति  

 जातियाँ  

 विधि  

 विधियाँ


  

 5. ‘या’ से अंत वाले स्त्रीलिंग शब्दों के ‘या’ को ‘याँ’ करके: जैसे -
  

 चुहिया  

 चुहियाँ  

 बिटिया  

 बिटियाँ

 पुडिय़ा  

 पुडिय़ाँ  

 डिबिया  

 डिबियाँ

 बुढिय़ा  

 बुढिय़ाँ  

 चिडिय़ा  

 चिडिय़ाँ

 लुटिया  

 लुटियाँ  

 कुतिया  

 कुतियाँ


    

6.    ईकारांत स्त्रीलिंग शब्दों की ‘ई’ को ‘इ’ में बदलकर तथा ‘याँ’ जोड़कर; जैसे - 

 नारी  

 नारियाँ  

 स्त्री  

 स्त्रियाँ

 कुर्सी  

 कुर्सियाँ  

 नाली  

 नालियाँ

 लड़की  

 लड़कियाँ  

 बेटी  

 बेटियाँ

 नदी  

 नदियाँ  

 गाड़ी  

 गाडिय़ाँ

 सखी  

 सखियाँ  

 टोपी  

 टोपियाँ

 रोटी  

 रोटियाँ  

 घोड़ी  

 घोडिय़ाँ

 मछली  

 मछलियाँ  

 गृहिणी  

 गृहिणियाँ

 थाली  

 थालियाँ  

 लकड़ी  

 लकडिय़ाँ

 

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FAQs on संज्ञा के विकार - लिंग, वचन, कारक (भाग - 1) - व्याकरण, हिंदी, कक्षा - 8 - कक्षा - 8 हिन्दी (Class 8 Hindi) by VP Classes

1. संज्ञा के विकार क्या होते हैं?
उत्तर: संज्ञा के विकार लिंग, वचन और कारक होते हैं। इनमें लिंग संज्ञा की जाति दर्शाता है, वचन संज्ञा की संख्या दर्शाता है और कारक संज्ञा के साथ किस तरह का काम होना है दर्शाता है।
2. संज्ञा के लिंग कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: संज्ञा के लिंग दो प्रकार के होते हैं - पुल्लिंग (उत्तराधिकारी) और स्त्रीलिंग (उत्तराधिकारिणी)। पुल्लिंग संज्ञाओं का उपयोग महिलाओं या स्त्रियों के विशेष विषयों के लिए नहीं किया जाता है, जबकि स्त्रीलिंग संज्ञाओं का उपयोग पुरुषों या नपुंसकों के विशेष विषयों के लिए नहीं किया जाता है।
3. संज्ञा के वचन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: संज्ञा के वचन तीन प्रकार के होते हैं - एकवचन, बहुवचन और विलोम वचन। एकवचन संज्ञा की एक वस्तु को दर्शाता है, बहुवचन संज्ञा की एक से अधिक वस्तुओं को दर्शाता है और विलोम वचन संज्ञा के विलोम अर्थ रखता है।
4. संज्ञा के कारक क्या होते हैं?
उत्तर: संज्ञा के कारक कार्य के आधार पर तीन प्रकार के होते हैं - कर्ता, कर्म और संबंध कारक। कर्ता कारक संज्ञा के वाक्य में कर्ता का बोध कराता है, कर्म कारक संज्ञा के वाक्य में कार्य का बोध कराता है और संबंध कारक संज्ञा के वाक्य में कार्य के संबंध को दर्शाता है।
5. संज्ञा के विकार क्यों महत्वपूर्ण होते हैं?
उत्तर: संज्ञा के विकार वाक्य का अर्थ बताने में महत्वपूर्ण होते हैं। लिंग संज्ञा की जाति दर्शाता है, वचन संज्ञा की संख्या दर्शाता है और कारक संज्ञा के साथ किस तरह का काम होना है दर्शाता है। इन विकारों के बिना संज्ञा का सही अर्थ लोगों को समझ में नहीं आता, जिससे उनमें भ्रम उत्पन्न हो सकता है।
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