3. किस ओर चले? यह मत पूछो,
चलना है, बस इसलिए चले,
जग से उसका कुछ लिए चले,
जग को अपना कुछ दिए चले।
शब्दार्थ—जग—संसार, दुनिया।
प्रसंग—प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत, भाग-3’ में संकलित ‘दीवानों की हस्ती’ नामक कविता से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता भगवतीचरण वर्मा हैं। इन पंक्तियों में दीवानों के मस्त स्वभाव तथा उनकी गतिविधियों का वर्णन किया गया है।
व्याख्या—आजादी के दीवाने, लोगों को अपने आने-जाने के बारे में बताते हुए कहते हैं कि वे कहाँ और किधर जा रहे हैं उन्हें कुछ भी पता नहीं है। उन्हें तो अपनी मंजिल की तलाश में बस चलते ही जाना है। वे तो जीवन को ‘चलते जाने का दूसरा रूप’ समझते हैं अर्थात लक्ष्य प्राप्ति के लिए चलते रहना ही जीवन है। वे इस दुनिया के लोगों से उनके दुख लेकर खुशियाँ देते जाते हैं। लोगों के बीच खुशियाँ बाँटते वे आगे बढ़ जाते हैं।
विशेष-
प्रश्न: (क) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
उत्तर:
कवि का नाम—भगवतीचरण वर्मा
कविता का नाम—दीवानों की हस्ती।
प्रश्न: (ख) दीवाने क्यों चलते जा रहे थे?
उत्तर: स्वतंत्रता की बलिवेदी पर कुर्बानी के लिए तैयार दीवाने अपने लक्ष्य (स्वतंत्रता) की प्राप्ति के लिए चलते जा रहे थे।
प्रश्न: (ग) उन्होंने संसार से क्या लिया और संसार क्या दिया?
उत्तर: दीवानों ने अभावग्रस्त तथा खुशियों से वंचित लोगों के दुखों को अपनाया तथा उन्हें खुशियाँ प्रदान कीं।
प्रश्न: (घ) काव्यांश में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: काव्यांश में निहित संदेश यह है कि गरीब तथा अभावग्रस्त जीवन जीनेवाले भी खुशियों के हकदार हैं। हमें उन्हें खुश रखने का प्रयास करना चाहिए।
4.
दो बात कही, दो बात सुनी;
कुछ हँसे और फिर कुछ रोए।
छककर सुख-दुख के घूँटों को
हम एक भाव से पिए चले।
शब्दार्थ—छककर—जी भरकर, तृप्त होकर।
प्रसंग—प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत, भाग-3’ में संकलित ‘दीवानों की हस्ती’ नामक कविता से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता भगवतीचरण वर्मा हैं। इन पंक्तियों में दीवानों द्वारा सुख-दुख समान रूप में अपनाने की प्रवृति का वर्णन है।
व्याख्या—मस्ती-भरा जीवन जीनेवाले दीवाने, लोगों से अपनत्व जताते हुए उनसे प्यारभरी दो बातें कहते हैं और उनके सुख-दुख की बातें सुनते हैं। वे दूसरों के दुःख से प्रसन्न तथा दुःख से दुखी हो जाते हैं। उन्होंने उनके चेहरों पर आए सुख-दुख के भावों को समान रूप में अपनाया अर्थात उनके सुख-दुख में शामिल हुए।
विशेष-
प्रश्न: (क) कवि और कविता का नाम लिखिए।
उत्तर:
कवि का नाम—भगवतीचरण वर्मा
कविता का नाम—दीवानों की हस्ती।
प्रश्न: (ख) दीवाने लोगों से किस तरह मिले?
उत्तर: दीवाने जहाँ भी गए, लोगों से अपनत्व के भाव से मिले। उन्होंने उनकी सुख-दुख की बातें सुनी और उनको सांत्वना पहुँचाने वाली दो बातें कही।
प्रश्न: (ग) लोगों की दशा देखकर दीवानों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर: लोगों की अच्छी दशा देखकर दीवाने प्रसन्न हुए, किंतु उनकी दुखभरी हालत देखकर वे द्रवित हुए और रो पड़े अर्थात उनके दुख में दुखी हुए।
प्रश्न: (घ) काव्यांश से दीवानों की किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर: काव्यांश से ज्ञात होता है कि दीवाने सुख-दुख को समान भाव से ग्रहण करते हैं।
प्रश्न: (ङ) काव्यांश में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: काव्यांश में निहित संदेश यह है कि मनुष्य को न सुख में इतराना चाहिए और न दुख में दुखी होना चाहिए क्योंकि दुख-सुख स्थायी नहीं होते।
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1. सप्रसंग व्याख्या क्या होती है? |
2. हस्ती का अर्थ क्या होता है? |
3. सप्रसंग व्याख्या क्यों महत्वपूर्ण है? |
4. सप्रसंग व्याख्या कैसे करें? |
5. सप्रसंग व्याख्या क्यों आवश्यक होती है? |
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