Class 9 Exam  >  Class 9 Notes  >  Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)  >  साखियाँ एवं सबद - पठन सामग्री तथा भावार्थ

साखियाँ एवं सबद - पठन सामग्री तथा भावार्थ | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij) PDF Download

कवि परिचय

कबीर
 कबीर के जन्म और मृत्यु के बारे में अनेक मत हैं। कहा जाता है उनका जन्म 1398 में काशी में हुआ था। उन्होंने विधिवत शिक्षा नही प्राप्त की थी, परन्तु सत्संग, पर्यटन द्वारा ज्ञान प्राप्त किया था। वे राम और रहीम की एकता में विश्वास रखने वाले संत थे। उनकी मुख्या रचनाएँ कबीर ग्रंथावली में संग्रहित हैं तथा कुछ गुरुग्रंथ साहिब में संकलित हैं। उनकी मृत्यु सन 1518 में मगहर में हुआ था।

साखियाँ एवं सबद - पठन सामग्री तथा भावार्थ | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

साखियाँ

मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं।
मुकताफल  मुकता चुगैं, अब उड़ि अनत न जाहिं।1।

अर्थ - इस पंक्ति में कबीर ने व्यक्तियों की तुलना हंसों से करते हुए कहा है की जिस तरह हंस मानसरोवर में खेलते हैं और मोती चुगते हैं, वे उसे छोड़ कहीं नही जाना चाहते ठीक उसी तरह मनुष्य भी जीवन के मायाजाल में बंध जाता है और इसे ही सच्चाई समझने लगता है।

प्रेमी ढूंढ़ते मैं फिरौं, प्रेमी मिले न कोइ।
प्रेमी कौं प्रेमी मिलै, सब विष अमृत होइ।2।

अर्थ - यहां कबीर यह कहते हैं की प्रेमी यानी ईश्वर को ढूंढना बहुत मुश्किल है। वे उसे ढूंढ़ते फिर रहे हैं परन्तु वह उन्हें मिल नही रहा है। प्रेमी रूपी ईश्वर मिल जाने पर उनका सारा विष यानी कष्ट अमृत यानी सुख में बदल जाएगा।

हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, भूँकन दे झक मारि।3।

अर्थ - यहां कबीर कहना चाहते हैं की व्यक्ति को ज्ञान रूपी हाथी की सवारी करनी चाहिए और सहज साधना रूपी गलीचा बिछाना चाहिए। संसार की तुलना कुत्तों से की गयी है जो आपके ऊपर भौंकते रहेंगे जिसे अनदेखा कर चलते रहना चाहिए। एक दिन वे स्वयं ही झक मारकर चुप हो जायेंगे।

पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान।
निरपख होइ के हरि भजै, सोई संत सुजान।4।

अर्थ - संत कबीर कहते हैं पक्ष-विपक्ष के कारण सारा संसार आपस में लड़ रहा है और भूल-भुलैया में पड़कर प्रभु को भूल गया है। जो ब्यक्ति इन सब झंझटों में पड़े बिना निष्पक्ष होकर प्रभु भजन में लगा है वही सही अर्थों में मनुष्य है।

हिन्दू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाई।
कहै कबीर सो जीवता, दुहुँ के निकटि न जाइ।5।

अर्थ - कबीर ने कहा है की हिन्दू राम-राम का भजन और मुसलमान खुदा-खुदा कहते मर जाते हैं, उन्हें कुछ हासिल नही होता। असल में वह व्यक्ति ही जीवित के समान है जो इन दोनों ही बातों से अपने आप को अलग रखता है।

काबा फिरि कासी भया, रामहिं भया रहीम।
मोट चुन मैदा भया, बैठी कबीरा जीम।6।

अर्थ - कबीर कहते हैं की आप या तो काबा जाएँ या काशी, राम भंजे या रहीम दोनों का अर्थ समान ही है। जिस प्रकार गेहूं को पीसने से वह आटा बन जाता है तथा बारीक पीसने से मैदा परन्तु दोनों ही खाने के प्रयोग में ही  लाए जाते हैं। इसलिए दोनों ही अर्थों में आप प्रभु के ही दर्शन करेंगें।

उच्चे कुल का जनमिया, जे करनी उच्च न होइ।
सुबरन कलस सुरा भरा, साधू निंदा सोई।7।

अर्थ - इन पंक्तियों में कबीर कहते हैं की केवल उच्च कुल में जन्म लेने कुछ नही हो जाता, उसके कर्म ज्यादा मायने रखते हैं। अगर वह व्यक्ति बुरे कार्य करता है तो उसका कुल अनदेखा कर दिया जाता है, ठीक उसी प्रकार जिस तरह सोने के कलश में रखी शराब भी शराब ही कहलाती है।


सबद

मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे , मैं तो तेरे पास में ।
ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काबे कैलास में ।
ना तो कौने क्रिया - कर्म में, नहीं योग वैराग में ।
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पलभर की तलास में ।
कहैं कबीर सुनो भई साधो, सब स्वासों की स्वास में॥

अर्थ - इन पंक्तियों में कबीरदास जी ने बताया है मनुष्य ईश्वर में चहुंओर भटकता रहता है। कभी वह मंदिर जाता है तो कभी मस्जिद, कभी काबा भ्रमण है तो कभी कैलाश। वह इश्वार को पाने के लिए पूजा-पाठ, तंत्र-मंत्र करता है जिसे कबीर ने महज आडम्बर बताया है। इसी प्रकार वह अपने जीवन का सारा समय गुजार देता है जबकि ईश्वर सबकी साँसों में, हृदय में, आत्मा में मौजूद है, वह पलभर में मिल जा सकता है चूँकि वह कण-कण में व्याप्त है।

संतौं भाई आई ग्याँन की आँधी रे ।
भ्रम की टाटी सबै उड़ानी, माया रहै न बाँधी ॥
हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिण्डा तूटा ।
त्रिस्नाँ छाँनि परि घर ऊपरि, कुबुधि का भाण्डा फूटा॥
जोग जुगति करि संतौं बाँधी, निरचू चुवै न पाँणी ।
कूड़ कपट काया का निकस्या, हरि की गति जब जाँणी॥
आँधी पीछै जो जल बूठ , प्रेम हरि जन भींनाँ ।
कहै कबीर भाँन के प्रगटै, उदित भया तम खीनाँ ॥

अर्थ - इन पंक्तियों में कबीर जी ने ज्ञान की महत्ता को स्पष्ट किया है। उन्होंने ज्ञान की तुलना आंधी से करते हुए कहा है की जिस तरह आंधी चलती है तब कमजोर पड़ती हुई झोपडी की चारों ओर की दीवारे गिर जाती हैं, वह बंधन मुक्त हो जाती है और खम्भे धराशायी हो जाते हैं उसी प्रकार जब व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त होता है तब मन के सारे भ्रम दूर हो जाते हैं, सारे बंधन टूट जाते हैं।
छत को गिरने से रोकने वाला लकड़ी का टुकड़ा जो खम्भे को जोड़ता है वो भी टूट जाता है और छत गिर जाती है और रखा सामान नष्ट हो जाता है उसी प्रकार ज्ञान प्राप्त होने पर व्यक्ति स्वार्थ रहित हो जाता है, उसका मोह भंग हो जाता है जिससे उसके अंदर का लालच मिट जाता है और मन का समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं। परन्तु जिनका घर मजबूत रहता है यानी जिनके मन में कोई कपट नही होती, साधू स्वभाव के होते हैं उन्हें आंधी का कोई प्रभाव नही पड़ता है।
आंधी के बाद वर्षा से सारी चीज़ें धुल जाती हैं उसी तरह ज्ञान प्राप्ति के बाद मन निर्मल हो जाता है। व्यक्ति ईश्वर के भजन में लीन हो जाता है।

कठिन शब्दों के अर्थ

  1. सुभर - अच्छी तरह भरा हुआ
  2. केलि - क्रीड़ा
  3. मुकताफल - मोती
  4. दुलीचा - आसन
  5. स्वान - कुत्ता
  6. झक मारना - वक्त बर्बाद करना
  7. पखापखी - पक्ष-विपक्ष
  8. कारनै - कारण
  9. सुजान - चतुर
  10. निकटि -निकट
  11. काबा - मुसलमानों का पवित्र तीर्थस्थल।
  12. मोट चुन - मोटा आटा
  13. जनमिया - जन्म लेकर
  14. सुरा - शराब
  15. टाटी - लकड़ी का पल्ला
  16. थुँनी - स्तम्भ
  17. बलिन्डा - छप्पर की मजबूत मोटी लकड़ी।
  18. छाँनि - छप्पर
  19. भांडा फूटा - भेद खुला
  20. निरचू - थोड़ा भी
  21. चुवै - चूता है
  22. बता - बरसा
  23. खीनाँ - क्षीण हुआ।

The document साखियाँ एवं सबद - पठन सामग्री तथा भावार्थ | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij) is a part of the Class 9 Course Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij).
All you need of Class 9 at this link: Class 9
17 videos|159 docs|33 tests

Top Courses for Class 9

FAQs on साखियाँ एवं सबद - पठन सामग्री तथा भावार्थ - Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

1. साखियाँ एवं सबद का क्या अर्थ है?
उत्तर: साखियाँ एवं सबद का अर्थ है दोस्तों और शब्द। इसमें किसी के साथ दोस्ती और विश्वास का विवरण होता है।
2. इस पाठ में कौन-कौन से मुद्दे प्रस्तुत किए गए हैं?
उत्तर: इस पाठ में समाज में उत्पन्न विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई है, जैसे स्त्री सशक्तिकरण, समाजिक बदलाव और दोस्ती की महत्वता।
3. कैसे साखियाँ एवं सबद का विषय समाज के लिए महत्वपूर्ण है?
उत्तर: साखियाँ एवं सबद का विषय समाज के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मित्रता और सामाजिक समरसता की भावना को सुदृढ़ करता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
4. किस प्रकार साखियाँ एवं सबद हमें अपने सामाजिक जीवन में सहायक हैं?
उत्तर: साखियाँ एवं सबद हमें समाज में संवाद और समरसता के माध्यम से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक हैं। इनका महत्व व्यक्ति के सामाजिक संबंधों को मजबूत करने में होता है।
5. क्या साखियाँ एवं सबद विभिन्न समाजिक मुद्दों पर चिंतन करने के लिए हमें प्रेरित करते हैं?
उत्तर: हां, साखियाँ एवं सबद हमें समाज में स्त्री सशक्तिकरण, समाजिक बदलाव और दोस्ती की महत्वता जैसे मुद्दों पर चिंतन करने के लिए प्रेरित करते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना है।
17 videos|159 docs|33 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 9 exam

Top Courses for Class 9

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

practice quizzes

,

study material

,

साखियाँ एवं सबद - पठन सामग्री तथा भावार्थ | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

,

Important questions

,

Viva Questions

,

Objective type Questions

,

pdf

,

mock tests for examination

,

Semester Notes

,

Extra Questions

,

past year papers

,

Summary

,

Free

,

video lectures

,

shortcuts and tricks

,

साखियाँ एवं सबद - पठन सामग्री तथा भावार्थ | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

,

Exam

,

MCQs

,

ppt

,

साखियाँ एवं सबद - पठन सामग्री तथा भावार्थ | Class 9 Hindi (Kritika and Kshitij)

,

Sample Paper

,

Previous Year Questions with Solutions

;