प्रश्न 1. (a) ‘यद्यपि भारत में राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है जैसे राष्ट्रपति देश का होता है, फिर भी हो सकता है कि राज्यपाल के अधिक अधिकार हो’। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? कारण बतलाइए।
अथवा
(b) योजना आयोग एवं राष्ट्रीय विकास परिषद् का सार्वजनिक नीति निर्माण में क्या योगदान है, समझाइए।
उत्तर (a): राष्ट्रपति और राज्यपाल में किसे अधिक अधिकार है इसे समझने के लिए दोनों के अधिकारों का तुलनात्मक अध्ययन करना उपयुक्त होगा। जिस प्रकार केन्द्र का संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है उसी प्रकार राज्यपाल भी राज्य का संवैधानिक प्रमुख हेाता हैं। केंद्र और राज्य की कार्यपालिका की शक्ति क्रमशः राष्ट्रपति और राज्यपाल में निहित होती है। कुल विशेष परिस्थितियों को छोड़कर राष्ट्रपति और राज्यपाल मंत्रिपरिषद् के निर्णय को मानने के लिए बाध्य हैं। संविधान के अनुच्छेद 74(अ) के अनुसार राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य है जबकि राज्यपाल इस प्रकार की परिस्थितियों में स्वविवेक से निर्णय लेने को स्वतंत्रात है। लोक सभा या राज्य सभा जिस विधेयक को पारित करके राष्ट्रपति को भेजते हैं, राष्ट्रपति उस विधेयक को मंजूरी देने के लिए बाध्य हैं यदि वह विधेयक के प्रावधानों से असंतुष्ट है, तो लोकसभा को पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकता है। यदि लोक सभा पुनः विधेयक को पारित कर राष्ट्रपति के पास भेजती है तो वह मंजूरी देने को बाध्य हो जाता है। इस प्रकार की बाध्यता राजयपाल के साथ नहीं है। यदि वह विधान सभा एवं विधान परिषद् से पारित विधेयकों से असंतुष्ट है तो उसे राज्य विधानमंडल को वापस न लौटाकर राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित कर सकता है। यहाँ पर स्पष्ट रूप से ऐसा प्रतीत होता है कि राज्यपाल को राष्ट्रपति से अधिक अधिकार हैं, क्योंकि वह स्वविवेक से निर्णय लेने को स्वतंत्रा है।
राज्य में विधि व्यवस्था की स्थिति खराब होने पर राज्यपाल बिना मुख्यमंत्राी के परामर्श के राष्ट्रपति से अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में विधानमंडल भंग कर राष्ट्रपति शासन लागू करने की अनुशंसा कर सकता है। दूसरी ओर देश में विधि व्यवस्था खराब होने पर भी बिना प्रधानमंत्राी के परामर्श के देश में राष्ट्रपति शासन लागू नहीं हो सकता है। राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाकर पदच्युत किया जा सकता है लेकिन राज्यपाल पर महाभियोग नहीं लगाया जा सकता है।
उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट होता है कि कुछ मामलों में राज्यपाल के अधिकार राष्ट्रपति से अधिक प्रतीत होते हैं।
उत्तर (b): स्वतंत्राता प्राप्ति करने के पश्चात भारत को अपने देश के नागरिकों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए विकास की अनेक योजनाओं को लागू करना था। इसी उद्देश्य से मार्च 1950 में एक गैर संवैधानिक निकाय ‘योजना आयोग’ का गठन किया गया। योजना आयोग द्वारा तैयार योजनाओं को राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा मंजूरी मिलती हैं। योजना आयोग और राष्ट्रीय विकास परिषद् दोनों निकायों के अध्यक्ष प्रधानमंत्राी होते हैं। योजना आयोग में इसके स्थायी सदस्यों के अलावा केंद्र सरकार के वित्तमंत्राी, मानव संसाधन मंत्राी इत्यादि भी सदस्य होते हैं। प्रधान मंत्राी, योजना आयोग के सदस्य, राज्य के मुख्यमंत्राी एवं केंद्र सरकार के मंत्राी राष्ट्रीय विकास परिषद् की बैठकों में भाग लेते हैं।
योजना आयोग योजना बनाने में निम्न प्रक्रिया अपनाता हैः
(V) विकास प्रक्रिया की रूप रेखा को परिभाषित करना, (ब) विकास के लिए नीतिगत रूप रेखा तैयार करना, (द) केन्द्र और राज्यों के बीच संसाधनों को आवंटित करना (ड) सार्वजनिक क्षेत्रों द्वारा विशिष्ट परियोजनायें लागू करने पर विचार करना।
योजनाओं को बनाने व उसके कार्यों का विस्तार होने के कारण इन दिनों योजना आयोग गैर संवैधानिक निकाय होने के बावजूद एक शक्तिशाली संगठन के रूप में उभरा है। केंद्र एवं राज्य के आर्थिक, सामाजिक एवं वैज्ञानिक क्षेत्रों के कार्यक्रमों में आवश्यकता पड़ने पर योजना आयोग अपने विचार भी देता है। योजना आयोग आगामी पांच वर्षों की योजना का प्रारूप तैयार कर पंचवर्षीय योजना की रूप रेखा तैयार करता है।
राष्ट्रीय विकास परिषद् का गठन भारत के संघ राज्यों की योजना निर्माण में भागीदारी को ध्यान में रखते हुए 6 अगस्त, 1952 को एक गैर-संवैधानिक निकाय के रूप में किया गया। इसका सचिव योजना आयोग का ही सचिव होता है। राष्ट्रीय विकास परिषद् के निम्नलिखित उद्देश्य हैंः
योजना आयोग द्वारा तैयार किये गये योजनागत प्रस्तावों को अंतिम रूप से राष्ट्रीय विकास परिषद् ही अनुमादित करती है। चुँकि इसी बैठक में प्रधानमंत्राी एवं राज्यों के मुख्यमंत्राी भाग लेते हैं, अतः जो भी योजनाएं अनुमोदित होती है उसे सर्व सम्मति से मान लिया जाता है और योजनाएं लागू होने में कोई दिक्कत नहीं होती है।
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि सार्वजनिक नीति निर्माण में योजना अयोग और राष्ट्रीय विकास परिषद् का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित का उत्तर दीजिए। (प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्द में होना चाहिए।)
(a) राष्ट्रपति शासन की घोषणा से सम्बन्धित उच्चतम न्यायालय के अप्रैल 1994 के फैसले का महत्त्व समझाइए।
(b) भारतीय संविधान में बुनियादी ढाँचे की धारणा उभरने का वण्रन कीजिए।
(c) स्वामीनाथन समिति द्वारा दिए गए राष्ट्रीय जनसंख्या नीति के प्रारूप में लिंग सम्बन्धित मुद्दों पर प्रमुख संस्तुतियाँ क्या हैं,
(d) राज्यों के परिषद् के सदस्यों की आवास सम्बन्धी अर्हता पर चुनाव आयोग की स्थिति समझाइए। आप इसके बारे में क्या सोचते हैं?
उत्तर (a) : सर्वोच्च न्यायालय के 9 न्यायाधीशों की एक पीठ ने बाबरी मस्जिद गिरने के बाद उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा हिमाचल प्रदेश की विधान सभाओं को अनुच्छेद 356 के तहत भंग करके राष्ट्रपति शासन लागू करने के निर्णय को वैध माना। 1994 में इन न्यायाधीशों की पीठ ने राष्ट्रपति शासन से संबंधित अनुच्छेद 356(1) की व्याख्या करते हुए उपरोक्त राज्यों में विधानसभा भंग करने की कार्रवाई को वैध लेकिन 1988 में नागालैंड, 1989 में कर्नाटक एवं 1991 मेघालय विधान सभाओं को भंग करने की कार्रवाई को अवैध ठहराया है। अनुच्छेद 356 शुरु से ही केंद्र और राज्य की विपक्षी सरकारों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है। उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद ऐसी उम्मीद बंधी है कि अब आसानी से किसी भी राज्य की विधानसभाओं को भंग नहीं किया जा सकता है।
उच्च्तम न्यायालय के निर्णय में कहा गया है कि राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए राज्यपाल की लिखित रिपोर्ट आवश्यक है, यदि राज्य सरकार धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध कार्य कर रही है तब राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। न्यायालय के फैसले में विधानसभा को नहीं भंग करने पर जोर देते हुए कहा गया है कि विधानसभा को भंग कने की जगह पर निलंबित किया जाये, बिना संसद की मंजूरी के विधानसभा भंग न की जाये। आवश्यकता पड़ने पर केंद्र सरकार को राष्ट्रपति शासन लागू करने संबंधी सारे कागजात उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय को देने पड़ेगें। न्यायालय द्वारा विधानसभा भंग करने की कार्रवाई को अवैघ करार देने पर विधान सभा और सरकार को बहाल किया जा सकता है।
उत्तर (b) : संविधान के बुनियादी ढांचे को बदलने से संबंधित विषय हमेशा से विवादित रहे हैं। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस विवाद का निपटारा 1973 में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य एवं 1980 में मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ में किया। जिसमें यह निर्णय दिया गया कि संसद व्यक्ति को प्रदत्त मौलिक अधिकारों को तो आवश्यकता पड़ने पर संशोधित कर सकती है लेकिन संविधान के बुनियादी ढांचे में परिवर्तन नहीं कर सकती है। उच्चतम न्यायालय के विद्वान न्यायाधीशों के अनुसार संविधान की सर्वोच्चता, सरकार का लोकतंत्रात्मक ग्रणतंत्रात्मक स्वरूप सरकार की धर्मनिरपेक्ष विचार धारा, संघात्मक व्यवस्था, विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के बीच शक्ति का स्पष्ट विभाजन, व्यक्ति की स्वतंत्राता तथा व्यक्ति को प्रदत्त मौलिक अधिकार एवं राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों के बीच संतुलन ही संविधान के बुनियादी ढांचे के तत्त्व हैं।
44वें संविधान संशोधन के द्वारा निष्पक्ष चुनाव, वयस्क मताधिकार एवं न्यायालय की स्वतंत्राता को भी बुनियादी घटक माना गया। लेकिन अभी इस पर सभी का विचार एक नहीं है और आज भी संविधान के बुनियादी ढांचे के विषय में बहस जारी है।
उत्तर (c) : राष्ट्रीय जनसंख्या नीति का प्रारूप बनाने के लिए डाॅ. एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा लिंग संबंधित मुद्दों पर की गई प्रमुख संस्तुतियां निम्नलिखित हैः
(i) परिवार को नियंत्रित करने के लिए पुरुष और महिला दोनों को समान रूप से पहल करनी होगी। अब तक ऐसा देखा गया है कि परिवार नियंत्राण के लिए महिलाओं को ही बंध्याकरण करवाने पर जोर दिया जाता है।
(ii) कुल प्रजनन दर को सन् 2010 तक 2.1 पर लाने की योजना।
(iii) लड़कियों की शिक्षा पर विशेष बल
(iv) कामकाजी महिलाओं के बच्चों को देखभाल हेतु सुविधाएं मुहैया कराना।
(V) मातृ एवं शिशु कल्याण तथा परिवार नियोजन सेवाओं का स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत लाकर स्त्राी रोग विज्ञान, यौन जनित रोगों का निदान, सुरक्षित गर्भपात, पुनरोत्पादित स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम को सम्मिलित किया जायेगा। राज्य जनसंख्या एवं सामाजिक विकास समिति में महिला और युवा सदस्यों को शामिल करने पर जोर दिया गया है।
उत्तर (d) : राज्यों की परिषद या संसद का ऊपरी सदन राज्य सभा कहलाता है। इस सदन में अपनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत प्रत्येक राज्य की विधान सभाओं से सदस्य निर्वाचित कर भेजने का प्रावधान है। इसके लिए यह आवश्यक है कि जिस विधान सभा से सदस्यों का चुनाव हो रहा है, वे उसी राज्य के निवासी हों। ऐसा करने के पीछे सामान्यतया यही अवधारणा रही होगी कि राज्यसभा के सदस्य अपने राज्यों से सबंधित मुद्दों को सदन में उठाकर सरकार का ध्यान समस्या के समाधान की ओर करते रहेंगे। ऐसा करके सदन के सदस्य अनेक राज्यों के हितों का संरक्षण करते रहेंगे। लेकिन व्यावहारिक रूप में ऐसा नहीं हो पा रहा है। विभिन्न राजनीति दलों के खास राजनेता अगर किसी कारणवश लोकसभा में चुनकर नहीं आ पाते हैं तो संसद में स्थान दिलाने या मंत्रिपद बचाने के लिए इन राजनेताओं को किसी भी राज्य की विधानसभा से राज्यसभा की सदस्यता दिला दी जाती है। जिससे वे संसद के सदस्य बन जाते हैं और मंत्रिमण्डल में सम्मिलित रहने पर मंत्रिपद बच जाता है। राज्य में जिस दल की सरकार रहती है, उसी दल के सदस्यों के राज्यसभा चुनाव में निर्वाचित होने की संभावना अधिक रहती है। औपचारिकता के तौर पर राज्य के किसी भी मतदाता क्षेत्रा की मतदातासूची में इन पसंदीदा लोगों का नाम अंकित करवा कर राज्य का मतदाता बनावा दिया जाता है।
चुनाव सुधारों के लिए विख्यात मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन.शेषण को, इस प्रकार का अव्यावहारिक हथकंडा अपनाकर संसद सदस्य बनने की प्रक्रिया पर घोर आपत्ति है। शेषन के विचार से राज्य सभा के चुनाव केा केवल उस राज्य के निवासी ही लड़ें। अगर ऐसा नहीं होता है तो राज्य सभा जिस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए गठित की गई उसका कोई अर्थ ही नहीं रह पायेगा।
प्रश्न 3. निम्नलिखित का उत्तर दें।
(a) भारत में निजी स्वतंत्राता से वंचित होने के संदर्भ में ‘यथोचित विधि-प्रक्रिया’ तथा ‘विधि द्वारा सुस्थापित प्रक्रिया’ में अन्तर समझाइए।
(b) घटनोत्तर विधि व्यवस्था का अर्थ समझाइए।
(c) आई.पी.सी. की धारा 309 किससे संबंधित है? हाल में यह चर्चा में क्यों थी?
(d) हमारे देश का उच्चतम असैनिक पुरस्कार क्या है? वे कौन दो विदेशी नागरिक हैं जिन्हें यह पुरस्कार दिया गया?
(e) धर्म-निरपेक्षता से सम्बन्धित भारतीय संविधान के प्रावधान क्या हैं, उन्हें बतलाइए।
(f) दो संशोधनों के जरिए संविधान की आठवीं सूची में चार और भाषाएँ जोड़ी गईं। इन भाषाओं के नाम तथा संसोधन की क्रम संख्या बतलाइए।
उत्तर (a) : ‘यथोचित विधि प्रक्रिया’ से तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें ‘नैसर्गिक न्याय’ को सम्मिलित किया जाता है। इस ‘नैसर्गिक न्याय’ के अन्तर्गत सरकार मनमाने ढंग से नागरिकों की स्वतंत्राता, सम्पत्ति या जीवन को क्षति नहीं पहुंचा सकती है। ‘विधी द्वारा सुस्थापित प्रक्रिया’ से तात्पय्र ऐसी प्रक्रिया से है, जो राज्य द्वारा विधियुक्त बनाई गई विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया हेाती है। इस प्रक्रिया में नैसर्गिक न्याय के बदले विधि के मूर्त रूप को ही महत्त्व दिया जाता है।
उत्तर (b) : ऐसी विधि व्यवस्था जिसके अन्र्तगत किसी घटना या तथ्यों के विनिश्चय के पश्चात् विधान मंडल द्वारा कानून बनाकर किसी पूर्व की तिथि से लागू किया जाये।
उत्तर (c) : आई.पी.सी. की धारा 309 आत्महत्या से संबंधित है। हाल ही में 27 अप्रैल, 1994 को सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय में आत्महत्या को अपराध की प्रक्रिया से मुक्त कर दिया है।
उत्तर (d) : भारत का सर्वोच्च असैनिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ है। भारत रत्न पाने वाले दो विदेशी नागरिक पाकिस्तान के खान अब्दुल गफ्फार खान (सीमांत गांधी) तथा दक्षिण अफ्रीका के अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला हैं।
(e) : भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 एवं 16 धर्मनिरपेक्षता से संबंधित है, जो यह बतलाता है कि राज्य द्वारा किसी नागरिक के विरूद्ध धर्म के आधार पर कोई भी भेद-भाव नहीं किया जायेगा एवं सरकारी नौकरियों में सभी धर्म के लोग समान रूप से सम्मिलित होने के हकदार होंगे। अनुच्छेद 25 यह बताता है कि भारत के नागरिक को अपने अन्तः करण और धर्म को अबोध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्राता है। अनुच्छेद-26 प्रत्येक व्यक्ति को धार्मिक कार्यों के प्रबंध का अधिकार देता है। अनुच्छेद-27 किसी विशेष धर्म की अभिवृद्धि के लिए कर न देने की स्वतंत्राता देता है तथा अनुच्छेद .28 राज्य सरकार द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा की मनाही करता है।
(f) इक्कीसवें संविधान संशोधन से सिन्धी और इकहत्तरवें संविधान संशोधन से नेपाली, मणिपुरी और कोंकणी भाषाएं आठवीं अनुसूची में जोड़ी गयीं है।
प्रश्न 4. भारत सरकार द्वारा लगाए जाने वाले प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर क्या-क्या हैं? इनमें से किससे सबसे अधिक राजस्व मिलता हैं?
उत्तर: भारत सरकार द्वारा लगाए जाने वाले प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष कर के अन्तर्गत बिक्रीकर, सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क आदि सम्मिलित हैं। इनमें से सरकार को सर्वाधिक राजस्व उत्पाद शुल्क द्वारा प्राप्त होता है।
प्रश्न 5. न्यूनतम मजदूरी क्या है? क्या भारत में ऐसी कोई व्यवस्था है?
उत्तर : न्यूनतम मजदूरी, मजदूरों को शोषण से बचाने के उद्देश्य से उनके कार्य या सेवा हेतु दी गई अनुकूलतम राशि है। भारत में इस तरह का प्रावधान न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के तहत किया गया है, जिसमें समय-समय पर संशोधन भी किया गया है।
प्रश्न 6. ‘लीड बैंक’ क्या होते हैं?
उत्तर : लीड बैंक विशेष जिलों के ग्रामीण विकास के प्रति उत्तरदायी होते हैं। ये बैंक इसके लिए जिले की सभी साख संस्थाओं के बीच समन्वय स्थापित करने का प्रयास करते हैं। ये बैंक भारतीय स्टेट बैंक तथा अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों की संस्थायें होते हैं।
प्रश्न 7.नाबार्ड क्या है? उसकी मुख्य भूमिका क्या है?
उत्तर : इसका पूरा नाम नेशनल बैंक फाॅर एग्रीकल्चरल एंड रूरल डेवलपमेंट है तथा इसने 12 जुलाई, 1982 से विधिवत् कार्यारम्भ किया। कृषि एवं ग्रामीण विकास हेतु यह शीर्ष संस्था है। इसके उद्देश्यों में कृषि के लिए अल्पकालीन, मध्यकालीन व दीर्घकालीन ऋण सहायता उपलब्ध कराना, ग्रामीण व कुटीर उद्योगों के विकास में सहयोग देना व गाँवों का एकीकृत विकास करना आदि हैं। देश भर में इसके 16 क्षेत्राीय व 7 उपकार्यालय हैं तथा इसकी अंश पूँजी 100 करोड़ रुपये है।
प्रश्न 8. पारस्परिक निधयाँ क्या हैं? क्या भारत में ऐसी निधयाँ हैं?
उत्तर : इसके अन्तर्गत कुशल प्रबंध क्षमता वाली वित्तीय संस्थाएं विनियोग करने के इच्छुक व्यक्तियों का धन जमा करके पारस्परिक निधि (म्यूचुअल फंड) बना लेती हैं तथा इस निधि से लाभप्रद विनियोजन का प्रयास करती हैं। वर्ष के बाद शुद्ध लाभ का बँटवारा निधि में किये अंशदान के अनुपात में कर दिया जाता है। भारत में पारस्परिक निधियों की शुरुआत 1987 में हुई। स्टेटे बैंक की ‘मैग्नम’ योजना, केनरा बैंक की ‘केन डबल’, पंजाब नेशलन बैंक की ‘पी.एन.बी.’ म्यूचुअल फंड योजना व एल.आई.सी. की ‘धनश्री’ योजना आदि पारस्परिक निधियों के कुछ उदाहरण हैं।
प्रश्न 9. आर्थिक अपराध क्या होते हैं? ऐसे दो अपराधों के नाम तथा उनसे निपटने के लिए भारत में बने कानूनी अधिनियम बताइए?
उत्तर : अर्थव्यवस्था को क्षीण करने वाले कार्य अर्थात् जमाखोरी, करवंचना, तस्करी व एकाधिकारी प्रवृत्तियों से अनुचित धन कमाना आदि आर्थिक अपराधों की श्रेणी में आते हैं। तस्करी व विदेशी मुद्रा के गैर काूननी संचयन से निपटने हेतु कोफेपोसा (COFEPOSA) तथा एकाधिकारी प्रवृत्तियों से निपटने हेतु एम.आर.टी.पी. अधिनियम भारत में आर्थिक अपराधों पर रोक लगाने के लिए बनाये गए हैं।
प्रश्न 10. जनसंख्या विस्फोट से क्या तात्पर्य है? क्या भारत में यह घटित हुआ है?
उत्तर : परिवार कल्याण कार्यक्रमों व स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्य सुविधाओं के फलस्वरूप मृत्यु दर में तो तेजी से गिरावट आती है, लेकिन अनेक कारणोंवश जन्मदर धीमी गति से गिरती है, जिससे जन्मदर व मृत्युदर में अंतर पैदा हो जाता है और जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगती है। जनसंख्या का तेजी से बढ़ना ही जनसंख्या विस्फोट कहलाता है। भारत भी अनेक दशकों से जनसंख्या विस्फोट की स्थिति से गुजर रहा है। 1921 में भारत में जन्म और मृत्यु दर में लगभग संतुलन था, लेकिन 1991 के आते.आते इसमें काफी अंतर आ गया। 1981 से 1991 की दस वर्ष की अवधि में जनसंख्या में 24.66 की वृद्धि हुई।
प्रश्न 11. विनियम-जोखिम प्रशासन प्रणाली क्या है?
उत्तर : विनिमय दर में होने वाले परिवर्तनों से विदेशी मुद्रा में ऋण प्राप्त करने वालों को होने वाली हानि से सुरक्षा प्रदान के उद्देश्य से, भारतीय औद्योगिक साख तथा विनियोग निगमए भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (IFCI) और भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (IDBI) ने संयुक्त रूप से अप्रैल, 1989 में विनिमय जोखिम प्रशासन प्रणाली आरम्भ की। इसके तहत विदेशी मुद्रा में ऋण प्राप्तकर्ताओं को ऋण प्राप्ति के समय दर के आधार पर ही ऋण की वापसी करनी होती है।
प्रश्न 12. ‘औद्योगिक रुग्ण एकक’ क्या होता है? उस भारतीय उद्योग का नाम बताइए, जहां पर औद्योगिक रुग्णता अत्यन्त विषम है।
उत्तर : भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार ‘औद्योगिक रुग्न एकक’ का अर्थ है- एक मध्यम अथवा बड़ी (गैर-लघु उद्योग क्षेत्रा की एक ऐसी कंपनी जो 7 वर्ष से पंजीकृत है) औद्योगिक कंपनी, जिसे वित्तीय वर्ष के अन्त में अपनी कुल अचल सम्पत्ति के बराबर या उससे अधिक संचित नुकसान हुआ हो ओर उसे उस वित्तीय वर्ष में तथा उस वित्तीय वर्ष के पहले के दौरान नकद नुकसान भी हुआ हो। ऐसी इकाइयों का वित्तीय ढांचा बिगड़ जाने के कारण वे चालू दायित्वों को निभाने में असफल हो जाती हैं। भारत में इंजीनियरिंग वर्ग के उद्योग, कपड़ा वर्ग के उद्योग तथा रसायन वर्ग के उद्योगों में क्रमशः सर्वाधिक रुग्णता है।
प्रश्न 13. सभी का उत्तर दीजिए।
(a) गैर-योजना खर्च क्या है?
(b) व्यापारी बैंकों की सांविधिक नकदी अपेक्षाएं क्या हैं?
(c) आई.सी.आई.सी.आई. क्या है?
(d) हमारे पूंजी बाजार में हाल में हुए संस्थागत विकास के संदर्भ में निम्न संकेताक्षरों का प्रयोग किसके लिए है?
(i) सी.आर.आई.एस.आई.एल.
(ii) एस.ई.बी.आई.
(iii) एस.एच.सी.एल.
उत्तर (a) : गैर-योजना खर्च. सरकार द्वारा ऐसी मदों पर किया गया व्यय, जो कि अर्थव्यवस्था के विकास में प्रत्यक्ष योगदान नहीं करता है। जैसे-ऋणों का पुनर्भुगतान, आंतरिक व बाह्य ऋणों पर ब्याज की अदायगी, रक्षा व्यय, सब्सिडी व राज्यों को अनुदान आदि।
उत्तर (b) : कानूनी तरलता आवश्यकता (सांविधिक नकदी अपेक्षाएं)-बैंक नियमन कानून (1949) की धारा 24 के अनुसार, वाणिज्य बैंकों को अपनी कुल मांग एवं सावधिक जमा का एक निश्चित न्यनूतम प्रतिशत नकदी, स्वर्ण और भारमुक्त अनुमोदित प्रतिभूतियों में तरल परिसंपत्ति के तौर पर रखना आवश्यक है। जनवरी, 1988 में तरलता अनुपात 38 प्रतिशत था।
उत्तर (c) : आई.सी.आई.सी.आई.-भारतीय औद्योगिक साख तथा विनियोग निगम (ICICI) जनवरी, 1955 में निजी क्षेत्रा में लघु तथा मध्यम उद्योगों के विकास के लिए स्थापित किया गया। यह दीर्घकालीन व मध्यकालीन ऋण प्रदान करता है, हिस्सा पूँजी में अंशदान डालता है, हिस्सों तथा ऋणप्रत्रों की नई शृंखला का नामांकन करता है, गैर-सरकारी विनियोग òोतों से प्राप्त ऋणों की गारन्टी देता है तथा प्रबंधीय, तकनीकी और प्रशासकीय परामर्श देता है।
उत्तर (d) : (i) सी.आर.आई.एस.आई.एल. (C.R.I.S.I.L.) -क्रेडिट रेटिंग्स एंड इनफोरमेशन सर्विस आॅप इंडिया लिमिटेड।
(ii) एस.ई.बी.आई. (SEBI)- सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड आॅफ इंडिया (सेबी)।
(iii) एस.एच.सी.एल. (SHCL)- स्टाॅक होल्डिंग काॅर्पोरेशन आॅप इंडिया।
प्रश्न 14. सभी का उत्तर दीजिए।
(a) सकल देशी उत्पाद (जी.डी.पी.) तथा सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जी.एन.पी.) में अन्तर समझाइए।
(b) ‘स्वतंत्रा (फुटलेस) उद्योग’ क्या हैं?
(c) ‘राजकोषीय कर्षण’ (फिस्कल ड्रैग) क्या है? इसका कया परिणाम होता है?
(d) ‘गिनी गुणांक’ क्या है?
(e) निम्नलिखित के पूरे नाम बताइए-
(i) एफ.ए.ओ. (F.A.O.)
(ii) एफ.ओ.बी. (F.O.B.)
(iii) जी.ए.टी.टी. (G.A.T.T.)
(f) डी.पी.ए.पी. के मुख्य उद्देश्यों को बताइये।
उत्तर (a) : सकल देशी उत्पाद (GNP) देश की भौगोलिक सीमाओं के अन्दर किसी दी गयी समयावधि में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य होता है तथा सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) किसी देश के नागरिकों द्वारा किसी दी गयी समयावधि में उत्पादित कुल अंतिम वस्तुओं और सेवाअेां का मौद्रिक मूल्य होता हैं। अतः सकल राष्ट्रीय उत्पादन = सकल देशी उत्पाद + देशवासियों द्वारा विदेशों में बर्जित आय- विदेशियों द्वारा देश में अर्जित आय। इनकी गणना मांग पक्ष व पूर्ति पक्ष दो प्रकार से होती है।
उत्तर (b) : स्वतंत्रा उद्योग -इन उद्योगों को चलायमान या गतिमान उद्योग भी कहा जाता है। इस प्रकार के उद्योगों की श्रेणी में वे उद्योग आते हैं, जो कुछ विशिष्ट स्थानीय जरूरतों के लिए किसी विशेष स्थान से जुड़े नहीं रहते। अतः ये उद्योग कहीं भी स्थापित किये व देखे जा सकते हैं।
उत्तर (c) : जब कर की दरों में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाता, लकिन मुद्रास्फीति के कारण कर का भार बढ़ जाता है, तो बढ़े कर भार को राजकोषीय कर्षण कहते हैं। इसके परिणामस्वरूप बढ़े हुए वेतन व मजदूरी के कारण व्यक्ति उच्च कर श्रेणी में पहुंच जाता है।
उत्तर (d) : गिनी गुणांक-कोरेडो गिनी ने माध्य अन्तर के आधार पर संकेन्द्रण अनुपात सूत्रापात किया है। यह गिनी के माध्य-अन्तर को समानान्तर माध्य के दो गुने से भाग देने पर प्राप्त होता है।
सूत्रानुसार
यहां G = गिनी का संकेन्द्रण गुणांक
Δ1 = गिनी का माध्यअंतर समानान्तर माध्य गिनी गुणांक का मूल्य 0 से 1 के बीच पाया जाता है। समान वितरण के लिए गिनी गुणांक 0 होता है। जैसे-जैसे असमानता बढ़ती जाती है, गुणांक का मूल्य भी बढ़ता जाता है। वस्तुतः गिनी गुणांक संकेन्द्रण क्षेत्रा का कूल लारेंज त्रिकोण पर अनुपात होता है।
उत्तर (e) : (i) एफ.ए.ओ. -फुड एण्ड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन
(ii) एफ.ओ.बी.-फ्री आन बोर्ड
(iii) जी.ए.टी.टी.-जनरल एग्रीमेंट आन टेरिफ्स एण्ड टेªड
उत्तर (f) : सूखाग्रस्त क्षेत्रा कार्यक्रम (डी.पी.ए.पी.)- शुरू करने का उद्देश्य पारिस्थिकी असन्तुलन को दूर करना और दीर्घकालीन भूमि आधार पर जल तथा दूसरे प्राकृतिक साधनों के संतुलित विकास के द्वारा सूखे पर नियंत्राण पाना हैं
प्रश्न 15. सभी का उत्तर दीजिए।
(a) एस.डी.आर. (SDR) से क्या अभिप्राय है? इससे देशों को किस प्रकार लाभ पहुंचता है?
(b) राजकीय सुरक्षित भण्डार प्रचालन से आप क्या समझते हैं?
(c) विकल्प लागत क्या है?
(d) आई.सी.ओ.आर. कया है? एक उच्च आई.सी.ओ.आर. क्या संकेत करता है?
(e) जीव मण्डल संचय क्या है?
(f) जनसंख्या की संवृद्धि दर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर (a) : एस.डी.आर. (स्पेशल ड्राइंग राइट्स) : यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की लेखादेय मुद्रा है। इसके द्वारा मुद्रा कोष के सदस्य देशों को बिना स्वर्ण या ग्राह्य अंतर्राष्ट्रीय भुगतानों की सुविधा मिल जाती है।
उत्तर (b) : राजकीय सुरक्षित भंडार-इसके द्वारा सरकार खाद्यान्नों की आपूर्ति को सुचारू बनाए रखने के उद्देश्य से अपनी एजेंसियों के माध्यम से गेहूँ व चावल की खरीद करती है तथा उनका भंडारण कर लेती है।
उत्तर (c) : विकल्प लागतः यह अन्य वस्तुओं के उत्पादन का वह सर्वोत्तम विकल्प है, जिसका वर्तमान वस्तु उत्पादित करने के परिणाम स्वरूप त्याग किया जाता है।
उत्तर (d) : आई.सी.ओ.आर.-आई.सी.ओ.आर. अर्थात इंक्रीमेंटल कैपीटल आउटपुट रेशो की उच्च श्रेणी इस बात की परिचायक है कि वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उत्पादन के लिए अधिक पूंजी का निवेश जरूरी होता है।
उत्तर (e) : जीवमंडल संचय -इसका संबंध जीव वैज्ञानिक विविधता के दीर्घकालीन संरक्षण व सुरक्षा से है। इसके द्वारा विविध वनस्पतियों व जीव-जंतुओं को नष्ट होने से बचाने व उनकी संवृद्धि के प्रयत्न किये जाते हैं।
उत्तर (f) : जनसंख्या की संवृद्धि दर- किसी दशक में जनसंख्या में हुई वृद्धि में पूर्व जनगणना वर्ष की जनसंख्या से भाग देने पर प्राप्त भजनफल को यदि 100 से गुणा कर दिया जाए तो जनसंख्या की संवृद्धि दर प्राप्त होती है। दूसरे शब्दों में यह दस वर्ष की जनगणना अवधि में जनसंख्या में होने वाली प्रतिशत वृद्धि है।