मनुष्य श्रमशील प्राणी है। वह आदिकाल से श्रम करता रहा है। इस श्रम के उपरांत थकान उत्पन्न होना स्वाभाविक है। पहले वह भोजन की तलाश एवं जंगली जानवरों से बचने के लिए श्रम करता था। बाद में उसकी आवश्यकता बढ़ीं अब वह मानसिक और शारीरिक श्रम करने लगा। श्रम की थकान उतारने एवं ऊर्जा प्राप्त करने के लिए मनोरंजन की आवश्यकता महसूस हुई।
इसके लिए उसने विभिन्न साधन अपनाए। प्राचीन काल में मनुष्य पशु-पक्षियों के माध्यम से अपना मनोरंजन करता था। वह पक्षी और जानवर पालता था। उनकी बोलियों और उनकी लड़ाई से वह मनोरंजन करता था। इसके अलावा शिकार करना भी उसके मनोरंजन का साधन था। इसके बाद ज्यों-ज्यों समय में बदलाव आया, उसके मनोरंजन के साधन भी बढ़ते गए।
मध्यकाल तक मनुष्य ने नृत्य और गीत का सहारा लेना शुरू किया। नाटक, गायन, वादन, नौटंकी, प्रहसन काव्य पाठ आदि के माध्यम से वह आनंदित होने लगा। खेल तो हर काल में मनोरंजन का साधन रहे हैं। आज मनोरंजन के साधनों में भरपूर वृद्धि हुई है। अब तो मोबाइल फ़ोन पर गाने सुनना, फ़िल्म देखना, सिनेमा जाना, देशाटन करना, कंप्यूटर का उपयोग करना, चित्रकारी करना, सरकस देखना, पर्यटन स्थलों का भ्रमण करना उसके मनोरंजन में शामिल हो गया है।
मनोरंजन के आधुनिक साधन घर बैठे बिठाए व्यक्ति का मनोरंजन तो करते हैं पर व्यक्ति में मोटापा, रक्तचाप की समस्या, आलस्य, एकांतप्रियता और समाज से अलग-थलग रहने की प्रवृत्ति उत्पन्न कर रहे हैं।
12 videos|101 docs
|
12 videos|101 docs
|
![]() |
Explore Courses for Class 10 exam
|
|