‘देशाटन’ शब्द दो शब्दों ‘देश’ और ‘अटन’ के मेल से बना है जिसका अर्थ है देश का भ्रमण करना अर्थात् ज्ञान और मनोरंजन के उद्देश्य से किया जाने वाला भ्रमण देशाटन कहलाता है। देशाटन करना मनुष्य की स्वाभाविक विशेषता है। वह प्राचीनकाल से ही शिकार और आश्रय के उद्देश्य से भटकता रहा है। मनुष्य आज भी भ्रमण करता है पर उसके भ्रमण की महत्ता आज अधिक है।
आज वह ज्ञानार्जन और धनार्जन के लिए भ्रमण करता है जो उसे सामाजिक और आर्थिक रूप से उन्नत बनाता है। इस प्रकार मनुष्य के जीवन में देशाटन का बहुत महत्त्व है। देशाटन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि मनुष्य विभिन्न वस्तुओं को साक्षात् रूप से देखता है और भिन्न-भिन्न लोगों से मिलता है। वह उस स्थान विशेष की कला, संस्कृति और सभ्यता से परिचित होता है। उसका स्वभाव मिलनसार बनता है।
वह भिन्न-भिन्न लोगों की भाषाओं से परिचित होता है। इससे राष्ट्रीय एकता मज़बूत होती है। देशाटन से देश के विकास में सहायता होती है। पर्यटन उद्योग फलता-फूलता है और विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होती है। लोगों को रोजगार मिलता है। इस प्रकार व्यक्ति और राष्ट्र दोनों की आय बढ़ती है। हमें अवसर मिलते ही देशाटन अवश्य करना चाहिए।
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