प्रकृति ने मनुष्य को जो नाना प्रकार के उपहार दिए हैं, वन उनमें सबसे अधिक उपयोगी और महत्त्वपूर्ण हैं। मनुष्य और प्रकृति का साथ अनादिकाल से रहा है। पृथ्वी पर जीवन योग्य जो परिस्थितियाँ हैं उन्हें बनाए रखने में वनों का विशेष योगदान है। मनुष्य अन्य जीव-जंतुओं के साथ इन्हीं वनों में पैदा हुआ, पला, बढ़ा और सभ्य होना सीखा।
वनों ने मनुष्य की हर जरूरत को पूरा किया है। वन हमें लकड़ी, छाया, फल-फूल, कोयला, गोंद, कागज, नाना प्रकार की औषधियाँ देते हैं। वे पशुओं तथा पशु-पक्षियों के लिए आश्रय-स्थल उपलब्ध करते हैं। इससे जैव विविधता और प्राकृतिक संतुलन बना रहता है। वन वर्षा लाने में सहायक हैं जिससे प्राणी नवजीवन पाते हैं। वन बाढ़ रोकते हैं और भूक्षरण कम करते हैं तथा धरती का उपजाऊपन बनाए रखते हैं।
वास्तव में वन मानवजीवन का संरक्षण करते हैं। वन परोपकारी शिव के समान हैं जो विषाक्त वायु का स्वयं सेवन करते हैं और बदले में प्राणदायी शुद्ध ऑक सीजन देते हैं। दुर्भाग्य से मनुष्य की जब ज़रूरतें बढ़ने लगी तो उसने वनों की अंधाधुंध कटाई शुरू कर दी। नई बस्तियाँ बनाने, कृषि योग्य भूमि पाने, सड़कें बनाने आदि के लिए पेड़ों की कटाई की गई, जिससे पर्यावरण असंतुलन बढ़ा और वैश्विक ऊष्मीकरण में वृद्धि हुई।
इससे असमय वर्षा, बाढ़, सूखा आदि का खतरा उत्पन्न हो गया। धरती पर जीवन बचाने के लिए पेड़ों को बचाना आवश्यक है। आओ हम जीवन बचाने के लिए अधिकाधिक पेड़ लगाने और बचाने की प्रतिज्ञा करते हैं।
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