महानगर सुख-सुविधा के केंद्र माने जाते हैं। इसी सुख-सुविधा का आकर्षण लोगों को अपनी ओर खींचता है जिससे लोग महानगरों की ओर पलायन करते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि महानगर भीड़भाड़ का केंद्र बनते जा रहे हैं। यहाँ भीड़ के कारण यातायात कठिन हो गया है। यहाँ काम-काज के सिलसिले में लोगों को लंबी यात्राएँ करनी पड़ती हैं जो भीड़ के कारण दुष्कर हो जाती हैं। थोड़ी दूर की यात्रा भी पहाड़ पार करने जैसा हो जाती है।
ऐसे में आवागमन को सरल, सुगम और सुखद बनाने के लिए ऐसे साधन की आवश्यकता महसूस होने लगी जो इनका समाधान कर सके। महानगरों में आवागमन की समस्या को हल किया है मैट्रो रेल ने। आज मैट्रो रेल दिल्ली के अलावा अन्य महानगरों जैसे-मुंबई, जयपुर, लखनऊ, चेन्नई आदि में संचालित करने की योजना है जिन पर जोर-शोर से काम हो रहा है। मैट्रो रेल का संचालन खंभों पर पटरियाँ बिछाकर ज़मीन से काफ़ी ऊँचाई पर किया जाता है।
इस कारण जाम की समस्या से मुक्ति तो मिली है तीव्र गति से यात्रा भी संभव हो गई है। इसके अलावा वातानुकूलित मैट्रो रेल की यात्रा लोगों को थकान, चिड़चिड़ेपन और रक्तचाप बढ़ने से बचाती है। इस यात्रा के बाद भी थकान की अनुभूति नहीं होती है। मैट्रो में लोगों की बढ़ती भीड़ इसका स्वयं में प्रमाण है। हमें मैट्रो रेल के नियमों का पालन करते हुए स्टेशन और रेल को साफ़-सुथरा बनाना चाहिए ताकि यह सुखद यात्रा सदा वरदान जैसी बनी रहे।
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