मनुष्य सामाजिक प्राणी है। वह अपने समाज और आसपास के अलावा देश-दुनिया की जानकारी के लिए जिज्ञासु रहता है। उसकी इस जिज्ञासा की पूर्ति का सर्वोत्तम साधन है-समाचार-पत्र, जिसमें देश-विदेश तक के समाचार आवश्यक चित्रों के साथ छपे होते हैं। सुबह हुई नहीं कि शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में समाचार पत्र विक्रेता घर-घर तक इनको पहुँचाने में जुट जाते हैं। कुछ लोग तो सोए होते हैं और समाचार-पत्र दरवाजे पर आ चुका होता है।
अब समाचार पत्र अत्यंत सस्ता और सर्वसुलभ बन गया है। समाचार पत्रों के कारण लाखों लोगों को रोजगार मिला है। इनकी छपाई, ढुलाई, लादने-उतारने में लाखों लगे रहते हैं तो एजेंट, हॉकर और दुकानदार भी इनसे अपनी जीविका चला रहे हैं। इतना ही नहीं पुराने समाचार पत्रों से लिफ़ाफ़े बनाकर एक वर्ग अपनी आजीविका चलाता है। छपने की अवधि पर समाचार पत्र कई प्रकार के होते हैं।
प्रतिदिन छपने वाले समाचार पत्रों को दैनिक, सप्ताह में एक बार छपने वाले समाचार पत्रों को साप्ताहिक, पंद्रह दिन में छपने वाले समाचार पत्र को पाक्षिक तथा माह में एक बार छपने वाले को मासिक समाचार पत्र कहते हैं। अब तो कुछ शहरों में शाम को भी समाचार पत्र छापे जाने लगे हैं। समाचार पत्र हमें देश-दुनिया के समाचारों, खेल की जानकारी मौसम तथा बाज़ार संबंधी जानकारियों के अलावा इसमें छपे विज्ञापन भी भाँति-भाँति की जानकारी देते हैं।
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