Ref: https://edurev.in/question/697499/veaakheya-Related-पाठ-9-कबीर-की-साखियाँ-Summary-CBSE-हिंदी-कक्षा-8
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥
किसी साधु की जाति या धर्म से किसी को कोई मतलब नहीं होना चाहिए, बल्कि उसके ज्ञान से मतलब होना चाहिए। जैसे मोल भाव तलवार का करना चहिए ना कि उसकी म्यान का। युद्ध में तलवार की उपयोगिता होती है, म्यान चाहे लाख रुपये की हो या एक रुपये की युद्ध में बराबर होती है।
आवत गारी एक है, उलटत होई अनेक।
कह कबीर नहीं उलटिए, वही एक की एक॥
कोई यदि आपको गाली या बद्दुआ दे तो उसे उलटना नहीं चाहिए, क्योंकि यदि किसी की गाली आप स्वीकार नहीं करेंगे तो वह खुद ब खुद वापस गाली देने वाले के पास चली जायेगी। यदि आपने उलट के गाली दे दी तो इसका मतलब है कि आपने उसकी गाली भी ले ली। कोई यदि आपसे बुरी बातें कहता है तो उसे चुपचाप सुन लेने में ही भलाई है, बहस को बढ़ाने से मन का क्लेश बढ़ता है।
माला तो कर में फिरैं, जीभ फिरै मुख माहीं।
मनवा तो दहू दिस फिरै, यह तो सुमिरन नाहीं॥
कबीर दास को ढ़ोंग से सख्त नफरत था। जो आदमी माला फेर क मुंह में मंत्र पढ़ता है वह सच्ची पूजा नहीं करता है। क्योंकि माला फेरने के साथ मन भी दसों दिशाओं में भटकता है।
कबीर घास न नींदिये, जो पाऊँ तलि होई।
उड़ी पड़े जब आंखि में, खरी दुहेली होई॥
घास का मतलब तुक्ष चीजों से है। कोई भी छोटी से छोटी चीज यदि आपके पाँव के नीचे भी हो तो भी उसकी निंदा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि तिनका भी यदि आँख में पड़ जाए तो बहुत तेज दर्द देता है। हर छोटी से छोटी चीज का अपना महत्व होता है और हमें उस महत्व को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए।
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन सीतल होय।
या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय॥
यदि आपका मन शांत रहता है तो आपकी किसी से कभी भी दुश्मनी नहीं हो सकती है। यदि आप अपने अहंकार को त्याग दें तो हर आदमी आपको प्रेम और सद्भावना से ही देखेगा।
1. कबीर की साखियाँ के बारे में क्या है? |
2. कबीर का जन्म कब हुआ था? |
3. कबीर की साखियाँ किस भाषा में लिखी गई हैं? |
4. कबीर के द्वारा लिखी गई पुस्तक 'कबीर की साखियाँ' का महत्व क्या है? |
5. कबीर की साखियाँ पर कौन-कौन से विषयों पर चर्चा की गई है? |
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